आडवाणी के बयान का जॉर्ज ने किया खंडन
29 Mar 2008, 0345 hrs IST,नवभारत टाइम्स
एनबीटी
नई दिल्ली : कंधार मुद्दे पर एनडीए सरकार के दो मंत्रियों- जॉर्ज फर्नांडिस और उमा भारती ने लालकृष्ण आडवाणी के इस कथन का खंडन किया है कि तीन आतंकवादियों को तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह के साथ कंधार भेजने के फैसले की जानकारी उनको नहीं थी। पिछले हफ्ते एक चैनल को दिए इंटरव्यू में आडवाणी ने बहुत साफ कहा था कि मुझे बिल्कुल जानकारी नहीं थी, मुझे तो तब पता चला जब जसवंत सिंह कंधार जा रहे थे। दिलचस्प बात यह है कि इस इंटरव्यू से कुछ ही दिन पहले जारी हुई अपनी आत्मकथा 'माई कंट्री, माई लाइफ' में आडवाणी ने कंधार विवाद पर यह राय नहीं जाहिर की थी।
एक चैनल को दिए इंटरव्यू में जॉर्ज ने कहा कि जसवंत सिंह के साथ तीन आतंकवादियों को कंधार भेजने का फैसला सामूहिक था, जिसमें आडवाणी भी शामिल थे। जॉर्ज ने आडवाणी की इस बात का भी खंडन किया कि कैबिनेट की सुरक्षा संबंधी समिति ने यह फैसला नहीं किया था। जॉर्ज ने कहा कि कैबिनेट कमिटी ने इस मुद्दे पर विचार किया था। उस बैठक में मैं भी था और आडवाणी भी। जॉर्ज से पूछा गया कि आडवाणी कह रहे हैं कि उन्हें तो जानकारी ही नहीं थी? इस सवाल का जवाब जॉर्ज ने यह कहकर बड़ी चतुराई से दिया कि हो सकता है उस समय वे बैठक में न रहे हों। मैं नहीं कहता कि आडवाणी झूठ बोल रहे हैं। क्या यह संभव है कि आडवाणी की याददाश्त धोखा दे रही है, इस सवाल के जवाब में जॉर्ज ने कहा- ऐसा हो सकता है।
हिंदी आउटलुक को दिए इंटरव्यू में आडवाणी की तत्कालीन सहयोगी उमा भारती ने कहा कि आडवाणी गृह मंत्री थे। वह कैबिनेट की सुरक्षा समिति के प्रभावशाली सदस्य थे। उन्हें जसवंत सिंह के कंधार जाने की जानकारी थी। उमा ने कहा कि सुरक्षा कमिटी के सदस्यों के अलावा किसी को नहीं पता था कि जसवंत सिंह तीन आतंकवादियों को लेकर कंधार जा रहे हैं। मैं नहीं मानती कि आडवाणी को जानकारी नहीं थी। उमा ने सवाल किया कि अगर आडवाणी की बात सही मान ली जाए तो अब तक वह खामोश क्यों बैठे रहे? मेरी राय में तो उन्हें तभी अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए था। तब उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया, तो अब इसकी निंदा भी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने अपनी किताब में इस मुद्दे पर खुद को दूसरों से अलग करके सबसे बड़ा साबित करने की कोशिश की है।
बीजेपी के सीनियर नेता कलराज मिश्र ने आउटलुक से बातचीत में कहा कि कंधार विमान अपहरण कांड के समय आडवाणी भारत के गृह मंत्री थे। उस समय अलग-अलग समय पर हुई मंत्रिमंडल समूह की बैठकों, नेताओं से विचार-विमर्श, जनता और विमान यात्रियों के परिजनों के दबाव के बाद सामूहिक रूप से जो निर्णय लिया गया, कंधार जाकर उसी के अनुरूप काम किया गया। कलराज ने कहा कि बैठक में भले ही किसी ने विरोध जताया हो और किसी ने सहमति जताई हो, यात्रियों की मुक्ति और उसकी प्रक्रिया का निर्णय सामूहिक था।
आडवाणी की किरकिरी एक और मुद्दे पर भी हुई है। भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रॉबर्ट ब्लैकविल ने आडवाणी की किताब में आए इस प्रसंग को गलत बताया है कि कंधार संकट के दौरान उन्होंने मुझसे (ब्लैकविल) बात की थी। आडवाणी ने किताब में लिखा है कि विमान अपहरण से पैदा हुए संकट पर उन्होंने समाधान ढूंढने के लिए ब्लैकविल से बात की। ब्लैकविल ने कहा कि कंधार संकट के दौरान मैं हार्वर्ड में था। भारत में राजदूत बनकर तो मैं दो साल बाद आया। ब्लैकविल ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि मैं भारत में जब राजदूत था, उस दौरान आडवाणी ने कंधार संकट के बारे में जरूर मुझसे बातचीत की थी।
ब्लैकविल ने कहा 9/11 के हमले से पहले अमेरिका भारत की आतंकवादी समस्या के प्रति बहुत सहानुभूतिपूर्ण रुख नहीं रखता था। बाद में अमेरिका का रुख बदला और दोनों देश आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों में सहयोग करने लगे।
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