डील की मदद के लिए बना है हाइड ऐक्ट: बाउचर
6 Mar 2008, 0235 hrs IST,नवभारत टाइम्स
रंजीत कुमार
नई दिल्ली: अमेरिकी विदेश विभाग में दक्षिण एशियाई मामलों के सहायक मंत्री रिचर्ड बाउचर ने बुधवार को यहां जो बयान दिया, उससे हाइड ऐक्ट पर लेफ्ट और बीजेपी की ओर से की गई शंकाएं दूर हो जाती हैं। बाउचर ने कहा कि हाइड ऐक्ट तो भारत-अमेरिका परमाणु सहयोग की इजाजत देने के लिए बना। उन्होंने कहा कि वह अमेरिका का घरेलू कानून है। 123 समझौता भारत और अमेरिका को एक फ्रेमवर्क प्रदान करता है ताकि वे परमाणु क्षेत्र में सहयोग कर सकें। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी ऊर्जा कानून एनपीटी पर दस्तखत न करने वाले किसी भी देश के साथ अमेरिकी परमाणु सहयोग की इजाजत नहीं देता है और भारत दस्तखत करने से लगातार इनकार करता रहा है।
बाउचर ने एक सवाल के जवाब में जो कहा, उसका अर्थ यह है कि परमाणु परीक्षण करने की स्थिति में भारत-अमेरिका परमाणु सहयोग फौरन खत्म नहीं होगा। उनसे पूछा गया था कि भारत के एटमी टेस्ट की स्थिति में अमेरिका क्या करेगा। उन्होंने जवाब दिया कि मैं अटकलें नहीं लगाना चाहता। लेकिन उन्होंने जो बात कही नहीं वह यह है कि 123 समझौते के तहत एक साल तक सहयोग चलता रहेगा। इस दौरान विचार किया जाएगा कि सुरक्षा संबंधी आखिर क्या परिस्थितियां थीं जो भारत को एटमी टेस्ट करना पड़ा। बाउचर ने यह भी कहा कि हाइड ऐक्ट और 123 समझौते, जिसके अंतर्गत भारत और अमेरिका परमाणु सहयोग करेंगे, में विरोधाभास नहीं है।
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बातचीत समाप्त करने के बाद संवाददाताओं के सवालों के जवाब में बाउचर ने कहा कि परमाणु समझौता दोनों देशों के लिए अच्छा है और यहां सरकार यह समझती है इसलिए इस समझौते को आगे बढ़ाने को उत्सुक है। भारत में परमाणु समझौते के विरोध के बारे में उन्होंने कहा कि भारत में राजनीतिक सचाई को अमेरिका समझता है लेकिन हमारे देश की राजनीतिक सचाई को भी समझना होगा। यह पूछे जाने पर कि भारत द्वारा परमाणु समझौते को आगे बढ़ाने की हालत में यदि यूपीए सरकार अल्पमत में आ जाती है तब क्या ऐसी सरकार के साथ इस तरह का समझौता करना उचित होगा, बाउचर ने कहा कि हम केवल कार्यरत सरकार के साथ ही बातचीत करते हैं। देश की अंदरूनी राजनीति से हमारा कोई वास्ता नहीं है।
बाउचर ने उम्मीद जाहिर की कि भारत में कड़े विरोध के बावजूद परमाणु समझौते के लिए समयसीमा के भीतर ही भारत की ओर से जरूरी कदम उठा लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि समय काफी कम और तंग है। अभी बहुत कुछ करना है। उन्होंने कहा कि परमाणु समझौते पर अमेरिकी कांग्रेस को विचार का समय देने के लिए भारत को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के साथ निगरानी समझौता करना होगा और इसके बाद यह मसला न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में मई तक चला जाना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के साथ निगरानी समझौते के बारे में पूछे जाने पर बाउचर ने कहा कि हमें बताया गया है कि जब समझौता सम्पन्न हो जाएगा तब भारत अमेरिका को इसकी जानकारी देगा। उन्होंने कहा कि यह समझौता पूरा करने में 2 सप्ताह का समय लग सकता है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर समझौता नहीं हो पाता है तो उसका आपसी संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि हमने रक्षा के क्षेत्र में सहयोग और अन्य मुद्दों पर भारतीय अधिकारियों से बात की। दोनों देश विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना चाहते हैं।
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