निवेशक एक साल तक धैर्य रखें
बुधवार, 5 मार्च 2008( 19:06 IST )
- अजय बग्गा
सीईओ, लोटस इंडिया, एसेट मैनेजमेंट कंपनी
आम बजट की घोषणा के साथ ही साफ हो गया कि यह बजट लोकसभा चुनाव से प्रभावित बजट था। वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के बजट के हर पहलू को विस्तार से समझना जरूरी है।
केपिटल मार्केट- सेक्युरिटी ट्रांजिक्शन टैक्स को नियत बनाए रखा गया है जबकि कमोडिटी ट्रेडिंग पर ट्रांजिक्शन टैक्स लगाया गया है। शॉर्ट टर्म केपिटल गैन्स पर 15 प्रतिशत टैक्स लगाया गया है। करंसी एक्सचेंज फंड और इंट्रेस्ट रेट फ्यूचर मार्केट अभी डेवेलप होना हैं।
म्यूच्युअल फंड- पिछले साल की तरह इस साल भी म्यूच्युअल फंड को लेकर कोई नई योजना की घोषणा नहीं हुई। हालाँकि लॉंग टर्म निवेश को बढ़ावा मिलने से फंड इंडस्ट्री को फायदा होगा।
वेलफेयर- शिक्षा बजट को 15 प्रतिशत बढ़ाकर 34000 करोड़ रुपए किया गया है और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 20 प्रतिशत बढ़ोतरी करके इसे 16000 करोड़ रुपए किया गया है। इसके अलावा भारत निर्माण कार्यक्रम के लिए भी 31000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
कृषि कर्ज माफ- कृषि के लिए 60000 करोड़ रुपए का आवंटन हुआ है। किसानों के कर्ज माफ करना अगामी लोकसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है। चुनाव के पहले इसे लोकप्रियता के मापदंड के रूप में देखा जा सकता है। हो सकता है कि अगले कुछ सालों राजनीतिक दलों में आर्थिक जिम्मेदारियों की कीमत पर इस तरह की चुनाव केंद्रित घोषणाएँ करने की होड़ लग जाए। करीब चार करोड़ किसान इस योजना से लाभान्वित होंगे जो चुनावी दृष्टि से काफी महत्वूर्ण है। चूँकि इस धनराशि का पहले ही उपभोग हो चुका है, इसलिए वर्तमान में इसका कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं दिखेगा पर आगे चलकर इसके कुछ सकारात्मकर परिणाम अवश्य नजर आएँगे।
धन संबंधी : एफआरबीएम का मुख्य लक्ष्य वर्तमान एकाउंटिंग तकनीकी से प्रभावित जरूर है पर इसमें कुछ राहतों को भी शामिल किया गया है, जिनमें ऑयल बांड्स, खाद्य सब्सिडी, फर्टिलाइजरों में सब्सिडी और छठवें वेतन आयोग द्वारा प्रस्तावित 60,000 करोड़ रुपए का आवंटन है। व्यय पर नियंत्रण और 3.1 प्रतिशत आर्थिक घाटे में प्रत्यक्ष तौर पर कमी।
एक्साइज ड्यूटी चेंज : एक्साइज ड्यूटी में परिवर्तन ऑटो व टू व्हीलर क्षेत्र के लिए काफी सकारात्मक रहा। साथ ही इनकी कीमतों के घटने से उपभोक्ताओं द्वारा माँग बढ़ने की संभावना है। फार्मा कंपनियाँ इस परिवर्तन का जरूर स्वागत करेंगी। ऐड-वेलोरम ड्यूटी के हटने से तेल व गैस क्षेत्र को भी राहत मिल सकती है। साथ ही यह भविष्य को ध्यान में रखकर काफी सकारात्मक परिवर्तन साबित हो सकते हैं।
प्रत्यक्ष कर : व्यक्तिगत आयकर में कमीं 1,50,000 रुपए की सालाना आय वाले व्यक्ति के लिए 4000 की बचत और 500,000 रुपए की सालाना आय वाले व्यक्ति के लिए 50,000 रुपए की बचत के समान है। खंड 80डी के तहत स्वास्थ्य बीमा करवाने वाले व्यक्ति के लिए यह कदम और अधिक उपयोगी है।
सेवा कर : वर्तमान में 12.5 प्रतिशत तक की दरों को स्थायित्व देने का विचार मुद्रास्फीति को रोकने में सहायक सिद्ध हो सकता है। मगर 1 अप्रैल 2010 के लिए बनाया गया जीएसटी रोडमैप में कड़ाई की आवश्यकता है। छोटे उद्यमियों के लिए सेवा कर को 10 लाख सालाना तक मुफ्त करने का फैसला स्वागत योग्य है पर कई सेवाओं पर शुद्ध सेवा कर की सीमा को बढ़ाने की आवश्यकता है।
साभार : personalfinancewindow.com
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