...तो हो सकता है विवाह खारिज
नई दिल्ली (भाषा), रविवार, 2 मार्च 2008( 16:16 IST )
इस्लामी उलेमाओं और विद्वानों ने फैसला दिया है कि एड्स ग्रसित कोई व्यक्ति अगर अपनी बीमारी को छिपाकर शादी करता है तो उसकी पत्नी को विवाह खारिज कराने का पूरा अधिकार है।
इस्लामी फिकह अकादमी की भारतीय इकाई के तत्वाधान में देश के 3000 से अधिक उलेमाओं, इस्लामी विद्वानों और चिकित्सकों सहित जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत मुस्लिम विशेषज्ञों ने हाल ही में इस विषय पर गहन चर्चा के बाद यह निर्णय किया।
अकादमी ने बताया कि इस चर्चा में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दारूल उलूम देवबंद और जमात-ए -इस्लामी तथा 100 से अधिक मदरसों के उलेमा शामिल थे।
फैसले में कहा गया अगर कोई एड्स रोगी अपनी बीमारी का खुलासा किए बिना शादी करता है तो पत्नी को विवाह खारिज कराने का पूरा अधिकार है।
इसमें कहा गया कि यही नहीं अगर विवाह के बाद भी पति को एड्स हो जाता है और वह गंभीर रूप ले लेता है तो पत्नी को विवाह रद्द कराने का अधिकार होगा।
जवलंत मुद्दों पर निर्णय देने के लिए इस्लामी फिकह अकादमी का गठन किया गया है, जिसके महासचिव डॉ. अमीन उस्मानी हैं।
एड्स पीड़ित गर्भवती महिलाओं के बारे में कहा गया कि अगर विशेषज्ञ डॉक्टर भ्रूण में भी यह घातक रोग लगने की आशंका जताए तो उस भूण में जीवन आने से पहले महिला को गर्भपात कराने की अनुमति होगी। इस्लाम में मान्यता है कि गर्भ धारण करने के 120 दिन बाद भ्रूण में जीवन आता है।
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