गुरु दक्षिणा में माँगते हैं 'यौन सुख'
लखनऊ (भाषा), सोमवार, 10 मार्च 2008( 17:10 IST )
महाभारत काल में जहाँ गुरु द्रोणाचार्य ने अपने शिष्य की श्रेष्ठता बरकरार रखने के लिए दक्षिणा में एकलव्य का अँगूठा माँग लिया वहीं अब अनेक कलयुगी गुरु अपनी शिष्याओं को श्रेष्ठता प्रदान करने के लिए दक्षिणा में 'यौन सुख' की माँग करते हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय में गत शनिवार को महिला दिवस पर एमनेस्टी इंटरनेशनल (इंडिया) द्वारा जारी की गई ताजा रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि समूचे विश्व के स्कूल, कॉलेजों में लड़कियाँ सुरक्षित नहीं हैं और छेड़छाड़ तथा यौन शोषण की घटनाए तेजी से बढ़ती जा रही है।
पहले जहाँ लड़कियों के साथ शिक्षकों की बदसलूकी और यौन शोषण की घटनाएँ अपवाद स्वरूप सामने आती थीं, वहीं अब एमनेस्टी रिपोर्ट ने इस बात का खुलासा किया है कि विश्व के स्कूल-कॉलेजों में अच्छे अंक देने के लिए शिक्षक का लड़कियों से शारीरिक संबंध बनाने की माँग करना और स्टाफ रूम में छात्राओं के साथ यौन शोषण की घटनाएँ आम हो गई हैं।
रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में लड़कियाँ न सिर्फ स्कूल-कॉलेजों में शारीरिक, यौन और मनोवैज्ञानिक शोषण का शिकार हो रही हैं बल्कि आते-जाते रास्तों में अश्लील फब्तियों एवं छेड़छाड़ का सामना का सामाना करना पड़ता है। यही वजह है कि भारत में स्कूल जाने वाले दस बच्चों में लड़कियों की संख्या चार रह गई है।
'स्टडी ऑन चाइल्ड एब्यूज इंडिया' द्वारा हाल ही में भारत में कराए गए एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए रिपोर्ट मे कहा गया है कि आंध्रप्रदेश, गुजरात, दिल्ली और बिहार के स्कूल लड़कियों के लिए अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा असुरक्षित हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात मे 70 फीसदी और दिल्ली में 87 फीसदी लड़कियाँ बचपन में ही शारीरिक अथवा मानसिक यातना का शिकार हो जाती हैं।
रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि कराए गए एक सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आई है कि अफ्रीका के मलावी क्षेत्र मे 50 फीसदी स्कूली लड़कियों से शिक्षकों ने उनकी मर्जी के बगैर छेड़छाड़ की और स्टाफ रूम में बलात्कार की घटनाएँ प्रकाश में आई हैं।
रिपोर्ट में अमेरिका जैसे विकसित और शिक्षित देश में कराए गए एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा गया है कि वहाँ सरकारी स्कूल की लड़कियों को विभिन्न प्रकार के लैंगिक शोषण का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट के अनुसार मोबाइल फोन और इंटरनेट ने महिलाओं के साथ यौन और मानसिक शोषण की घटनाओं में इजाफा किया है।
लड़कियों के साथ बदसलूकी के मामलों में यह भी पाया गया है कि स्कूलों में लड़कों द्वारा की जाने वाली छेड़छाड़ या यौन उत्पीड़न की घटनाओं की लोग यह कहते हुए भी अनदेखी कर देते हैं कि लड़के तो लड़के हैं जिससे ऐसे लड़कों को न तो सजा मिलती है और न रिपोर्ट लिखाई जाती है, जिसका समाज में गलत संदेश जाता है।
1 comment:
बुरा हो रहा है।
Post a Comment