कश्मीर बाद में देख लेंगे-जरदारी
पीपीपी नेता का भारत-पाकिस्तान रिश्तों पर जोर
इस्लामाबाद (भाषा), शनिवार, 1 मार्च 2008( 21:50 IST )
देश के पुराने रुख से हटते हुए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी ने हुए कहा कश्मीर मुद्दे के हल को भावी पीढ़ियों पर छोड़ दिया जाए और फिलहाल भारत-पाक रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए दूसरे पहलुओं पर गौर किया जाए।
जरदारी ने जोर देकर कहा कि भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को कश्मीर मुद्दे की भेंट नहीं चढ़ाया जाना चाहिए और दोनों देश इस बात का इंतजार कर सकते हैं कि आगे की नस्लें भरोसे के माहौल में परिपक्व तरीके से इस मुद्दे का निपटारा करेंगी।
जरदारी ने भारत का रुख बताने वाले विचार सामने रखते हुए कहा कि वह दोनों देशों के बीच उन बाधाओं और मानसिकताओं को खत्म करने को कृतसंकल्प हैं, जिनसे दोनों देशों के बीच व्यापार बाधित होता है।
उन्होंने कहा कि बात यह है कि हम कश्मीर के प्रति संवेदनशील हैं। पीपीपी ने कश्मीर के प्रति हमेशा संवेदनशीलता दिखाई है। हमारी एक मजबूत कश्मीर नीति है। हमेशा हमारी नीति ऐसी रही है।
जरदारी ने टीवी चैनल सीएनएन-आईबीएन के डेविल्स एडवोकेट कार्यक्रम के लिए करण थापर को दिए साक्षात्कार में कहा- लेकिन ऐसा कहकर हम उस स्थिति के गुलाम नहीं होना चाहते। यह ऐसी स्थिति है कि हम असहमत होने पर सहमत हो सकते हैं। देशों का अपना रुख होता है हमारा अपना रुख है और आपका अपना है। हम सभी पर असहमत होने को लेकर सहमत हो सकते हैं।
सोनिया गाँधी महान हैं : जरदारी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अनुकरण करने के लिहाज से संप्रग अध्यक्ष सोनिया गाँधी को अति महान बताते हुए कहा कि देश की नई सरकार में उनकी भूमिका प्रशासन के साथ होगी न कि उससे ऊपर। वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या नई सरकार में उनकी भूमिका भारत में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गाँधी जैसी होगी।
No comments:
Post a Comment