...तो इस्तीफा दे दूँगा-दलाई लामा
बीजिंग (वार्ता), मंगलवार, 18 मार्च 2008( 22:28 IST )
चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने मंगलवार को दलाई लामा पर ओलिंपिक खेलों को बाधित करने के इरादे से तिब्बत में दंगे भड़काने का आरोप लगाया, जबकि तिब्बतियों के धर्मगुरु ने इन आरोपों को गलत बताते हुए कहा है कि यदि हिंसा नहीं थमी तो वह इस्तीफा दे देंगे।
जियाबाओ ने तिब्बत की राजधानी ल्हासा आसपास के तिब्बती बहुल इलाकों में सुरक्षाबलों की कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा है इस बात को साबित करने के कई प्रमाण हैं कि यह हिंसा पूर्व नियोजित और सोची-समझी तथा इसे भड़काने के पीछे दलाई दामा के समर्थकों का हाथ था।
इससे यह साबित हो गया है कि दलाई लामा समर्थकों का बार-बार यह दावा करना कि वह आजादी नहीं बल्कि शांतिपूर्ण वार्ता चाहते हैं, झूठ के पुलिंदे के अलावा और कुछ नहीं।
इतना ही नहीं चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने तो यहाँ तक कह डाला कि दलाई लामा के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
इस बीच तिब्बत की निर्वासित सरकार का मानना है कि हिंसा के ताजा दौर में 99 लोग मारे जा चुके हैं जिनमें से 19 की मौत आज ही हुई1
संघ ने चिंता जताई : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तिब्बत मसले को लेकर पिछले दिनों हुई हिंसक घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि वर्ष 1959 में तिब्बत को हड़पकर पड़ोसी बने चीन ने लद्दाख के अक्साई चीन और कैलाश मानसरोवर सहित हमारी सीमा का विशाल भू-भाग भी हड़प लिया है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
आरएसएस की प्रतिनिधि सभा की रविवार को संपन्न तीन दिवसीय बैठक में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश जैसे विस्तृत भू-भाग पर अपने अधिकार का दावा करके सीमा संबंधी प्रश्न को अत्यंत गंभीर बना दिया है।
प्रस्ताव में सरकार को सचेत करते हुए कहा गया है कि चीन के साथ व्यवहार में तनिक भी ढिलाई दिखाने के परिणाम अत्यंत गंभीर हो सकते हैं और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि चीन का आक्रमणकारी व विस्तारवादी रवैया जानने के बाद भी भारतीय राजनीतिक नेतृत्व ने वार्तालाप में जनसंख्यायुक्त और जनसंख्यारहित क्षेत्र जैसी संदिग्ध शब्दावली का प्रयोग होने दिया जिसके कारण चीन को अत्यधिक कुटनीतिक लाभ मिला है।
संघ के सर संघचालक केएस सुदर्शन की उपस्थिति में प्रतिनिधि सभा की बैठक की अध्यक्षता सरकार्यवाह डॉ. मोहनराव भागवत ने की। बैठक में समूचे देश से करीब तीन हजार प्रतिनिधि शामिल थे।
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