आठ करोड़ किसानों से छलावा
Feb 29, 05:25 pm
http://in.jagran.yahoo.com/news/national/politics/5_2_4222014.html
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्रवादी प्रगतिशील गठबंधन [यूएनपीए] ने आम बजट में किसानों की कर्ज माफी की घोषणा को छलावा करार देते हुए कहा कि इसमें देश के आठ करोड़ किसानों की कोई परवाह नहीं की गई।
तीसरे मोर्चे के प्रवक्ता ने संवाददाताओं से कहा कि वित्त मंत्री पी चिदंबरम की घोषणा से चार करोड़ किसानों को लाभ होने की बात कही जा रही है, लेकिन यह भी सच है कि देश के 12 करोड़ में से आठ करोड़ किसानों को इससे कोई लाभ नहीं होगा।
किसानों के लिए विशेष पैकेज की मांग को लेकर पिछले तीन दिन से करीब 100 सांसदों वाले तीसरे मोर्चे ने संसद की कार्यवाही ठप की हुई थी और सड़कों पर विरोध प्रदर्शनों का भी आयोजन किया था। इस मोर्चे के बडे़ घटक दल समाजवादी पार्टी ने भी किसानों के कर्ज माफी की घोषणा को नाकाफी करार दिया। पार्टी के मुख्य सचेतक मोहन सिंह ने कहा कि यह घोषणा सरकार के लिए गले की फांस साबित होगी। उन्होंने कहा कि देश के किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए राधाकृष्ण आयोग ने ढाई लाख करोड़ रुपये के पैकेज की सिफारिश की थी इसे देखते हुए किसानों को साठ हजार करोड़ रुपये का राहत पैकेज कुछ भी नहीं है।
मोहन सिंह ने कहा कि इसमें भी किसानों को तीन खानों में बांट दिया गया है जिसका नतीजा यह होगा कि असली जरूरतमंद किसान को राहत नहीं मिल पाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार की मौजूदा घोषणा से प्रत्येक किसान को औसतन 12 हजार रुपये की राहत मिलेगी जबकि देश का हर किसान करीब पचास हजार रुपये के कर्ज के बोझ से दबा है।
भाजपा का बजट लीक करने का आरोप Feb 29, 05:51 pm
नई दिल्ली। भाजपा ने आरोप लगाया है कि वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बजट पेश करने से पूर्व ही बजट प्रस्ताव अपनी पार्टी [कांग्रेस] को लीक कर दिए।
वित्त मंत्री द्वारा संसद में बजट पेश किए जाने के बाद पार्टी ने एक बयान जारी कर कहा कि वित्त मंत्री ने जो कुछ भी किया है, वह उम्मीद के मुताबिक है। उन्होंने [चिदंबरम] बजट प्रस्ताव अपनी पार्टी को लीक कर दिए, जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बजट से कुछ दिन पूर्व ही किसानों के लिए एक पैकेज की मांग की। यह तथ्य सबको मालूम है कि बजट उस समय तक छप कर तैयार हो जाता है। पार्टी ने कहा कि इसके बाद अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के कार्यालय पर हुई नाटकीय घटनाओं से बजट प्रस्ताव लीक होने की पुष्टि होती है। पार्टी ने कहा कि एक पवित्र और गोपनीय दस्तावेज का दुरुपयोग और एक व्यक्ति विशेष का महिमामंडन अभूतपूर्व है।
विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि बजट में सिर्फ एक ही महत्वपूर्ण बात है। वह है किसानों के ऋण की माफी की घोषणा। लेकिन यह घोषणा भी काफी विलंब से हुई है। उन्होंने पूछा कि जो हजारों किसान आत्महत्या कर चुके हैं, उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। संप्रग सरकार ने यह घोषणा चार साल पहले क्यों नहीं की।
भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार आडवाणी ने कहा कि वित्त मंत्री ने सीमांत और छोटे किसानों के ऋण माफी के काम को इस साल 30 जून तक पूरा करने की बात कही है, लेकिन उन्होंने इसे अंजाम देने के लिए प्रशासनिक व्यवस्था का जिक्र नहीं किया है। उन्होंने कहा कि काफी संख्या में किसान साहूकारों से ऋण लेते हैं और ऐसे किसानों को राहत देने के लिए इस बजट में कुछ भी नहीं किया गया है।
इधर बजट पर पार्टी की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वित्त मंत्री ने इस कार्य के लिए 60 हजार करोड़ रुपये की घोषणा की है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि यह धन कहां से आएगा।
बजट को निराशाजनक करार देते हुए पूर्व वित्त मंत्री सिन्हा ने कहा कि इस बजट से आर्थिक विकास को गति नहीं मिलेगी, बल्कि इससे विकास प्रक्रिया धीमी पड़ेगी। सिन्हा ने कहा कि वित्त मंत्री ने इस बजट में महंगाई को रोकने के बारे में कुछ नहीं कहा है। उन्होंने कहा कि बजट में किसी भी नई ढांचागत परियोजना की घोषणा नहीं की गई है।
माकपा को भी नहीं सुहाया बजट Feb 29, 05:21 pm
नई दिल्ली। माकपा ने आम बजट में आसमान छूती महंगाई पर रोक लगाने तथा खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाने के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की। साथ ही कहा कि उनकी कुछ चिंताओं तथा संप्रग की प्रतिबद्धताओं का बजट में ख्याल तो रखा गया है लेकिन पूरी तरह तरह नहीं।
माकपा के पोलित ब्यूरो सदस्य सीताराम येचुरी ने संवाददाताओं को बताया कि बजट में किसानों की रिण माफी के ऐलान का लाभ कुछ ही किसानों को मिल पाएगा, जिन्होंने संस्थागत रिण प्राप्त किए हैं और ऐसे किसानों की संख्या महज एक तिहाई भर है, जबकि लगभग दो तिहाई किसान ऐसे हैं जिन्होंने साहूकारों और महाजनों से मंहगे ब्याज दर पर रिण लिए हैं।
उन्होंने कहा कि बजट में रिण माफी की घोषणा तो कर दी गई है मगर इसके लिए धन का कोई इंतजाम नहीं किया गया है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि यह धन कहां से आएगा। येचुरी ने कहा कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और महंगाई रोकने की कोई पहल नहीं की गई है और इस मामले की अनदेखी की गई है तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुदृढ़ बनाने की कोई पहल नहीं की गई है। येचुरी ने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली [पीडीएस] को मजबूत बनाकर एवं उसका विस्तार करके ही महंगाई को रोका जा सकता है।
माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य येचुरी ने कहा कि राजस्व संग्रह में लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि पूंजी व्यय महज नौ प्रतिशत ही बढ़ा है जो इस बात का सूचक है कि वित्तमंत्री अपना ध्यान इस बढ़े हुए धन का इस्तेमाल आधारभूत ढांचा विकास करने की ओर नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि छोटे और सीमांत किसानों को वास्तविक तौर पर राहत देने के लिए ग्रामीण बैंकिंग आधारभूत ढांचे का विस्तार करने के बारे में सोचा जाना चाहिए।
येचुरी ने कहा कि सरकार के राजस्व का बड़ा हिस्सा सार्वजनिक उपक्रमों में सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री से आएगा, जो अनुचित है। उन्होंने आशंका जाहिर की कि राजस्व का बड़ा हिस्सा घाटे को पूरा करने पर खर्च होगा। उन्होंने कहा कि अधिकांश मदों पर खर्च तो बढ़ा है पर शिक्षा, स्वास्थ्य, सर्व शिक्षा अभियान आदि मदों में मामूली वृद्धि हुई है, जबकि सिंचाई पर यह खर्च कम ही है। येचुरी ने कहा कि सरकार ने वामदलों की सभी मांगें पूरी नहीं की हैं लेकिन उनमें से कुछ पर विचार जरुर किया है।
बजट ने दिए समय पूर्व चुनाव के संकेत Feb 29, 05:20 pm
नई दिल्ली। किसानों के कर्र्जो की बड़े पैमाने पर माफी, आयकरदाताओं को छूट, निगमित क्षेत्र पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालने वाले आम बजट ने इन अटकलों का बाजार और गर्म कर दिया है कि समय से पहले ही चुनाव होने वाले हैं।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा पेश लोक लुभावन बजट से कयास लगाए जा रहे हैं कि आम चुनाव इस वर्ष के अंत में अक्टूबर या संभवत: नवंबर तक हो सकते हैं। किसानों को इस साल जून तक उनके कर्जे से मुक्ति दिलाने की घोषणा के बाद सरकार में शामिल और उससे बाहर सभी राजनीतिक दलों और उद्योग जगत को अहसास कराने पर मजबूर कर दिया है कि चुनाव अब दूर नहीं हैं।
लोकसभा में भाकपा संसदीय पार्टी के नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि सिर्फ चुनाव की तारीख के अलावा बाकी सब कुछ तो घोषित हो ही गया है। उनकी पार्टी संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन कर रही है।
बजट को चुनावी घोषणापत्र करार देते हुए भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह जल्द चुनाव कराने का स्पष्ट संकेत है। बजट की प्रकृति से मध्यावधि चुनावों की एक तरह घोषणा हो ही गई है। उद्योगपति एवं राज्यसभा सांसद राहुल बजाज ने भी कहा कि बजट जल्द चुनावों का साफ संकेत है।
बजट पेश होने के बाद संसद के केंद्रीय कक्ष में जल्द चुनाव की संभावनाओं पर सांसद चर्चा करते नजर आए। चुनावी मोड़ में नजर आए कांग्रेस सांसद अन्य दलों के सांसदों से हंसी मजाक करते और मुकाबले के लिए तैयार रहने की बात कहते दिखे। हालांकि भाकपा सांसद डी राजा को नहीं लगता कि यह बजट समय पूर्व चुनाव का संकेत है लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि बजट में कई मुद्दों पर अल्पकालिक लाभ का नजरिया अपनाया गया है।
हालांकि बजट के हीरो वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने जल्द चुनावों की संभावना से इनकार करते हुए कहा कि भारत में हर साल कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं और किसी भी बजट को चुनावी बजट कहा जा सकता है। चिदंबरम ने चुटकी लेते हुए कहा कि यदि आपके पास बजट के बारे में कहने को कुछ नहीं है तो आप इसे चुनावी बजट कह सकते हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि सरकार जल्द चुनाव इसलिए चाहती है क्योंकि वह उसे बाहर से समर्थन दे रहे वाम दलों के विरोध के बावजूद अमेरिका के साथ परमाणु करार को अंजाम तक ले जाना चाहती है। परमाणु करार को लागू करने के लिए भारत केंद्रित सुरक्षा उपायों पर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी [आईएईए] के साथ चल रही वार्ता और वाशिंगटन स्थित राजदूत को मिला सेवा विस्तार इस दिशा में उठाए गए कदम के रूप में देखे जा रहे हैं।
बजट पेश होने से पहले भी राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म था कि सरकार परमाणु करार को आगे बढ़ाना चाहती है या नहीं क्योंकि इस मुद्दे पर वाम दल सरकार से समर्थन खींच सकते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इस स्थिति में जो भी हो सरकार के पास चुनावों से पहले कम से कम छह महीने का समय होगा जिसका इस्तेमाल वह संभावित चुनावों से पहले इस कार्य के लिए कर सकती है।
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने भी संसद के बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों के संबोधन में सरकार का नजरिया रखते हुए कहा था कि परमाणु करार के अंजाम तक पहुंचने की संभावना है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि अमेरिका और अन्य मित्र राष्ट्रों के साथ असैन्य परमाणु सहयोग संभव हो सकेगा। अमेरिकी सांसदों के एक दल ने भारत यात्रा के दौरान हाल ही में कहा था कि करार के लिए समय भागा जा रहा है और सरकार को देर-सबेर अंतिम निर्णय लेना ही होगा।
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