गुजरात दंगों में मारे गए मुस्लिमों को शहीद दर्जा
Feb 27, 11:02 pm
देवबंद[जासं]। दारुल उलूम ने गुजरात दंगों में मारे गए मुसलमानों को विशुद्ध रूप से शहीद का दर्जा देकर नई बहस को जन्म दे दिया है। दारुल उलूम ने एक सवाल पर यह आनलाइन फतवा दिया है।
भारत के ही किसी हिस्से से ई-मेल के जरिए दारुल उलूम के आनलाइन फतवा विभाग से पूछा गया था, 'जो लोग गुजरात दंगों में मारे गए हैं, वे किस श्रेणी में हैं? क्या हम उन्हें इस्लाम के मुताबिक शहीद कह सकते हैं?' इस पर दारुल उलूम के फतवा के मुताबिक कुरआन और हदीस के हवाले से कहा गया है कि, 'गुजरात दंगों के दौरान जो लोग मारे गए हैं, वे वास्तविक शहीद हैं। इन्हें शहीद कहकर पुकारा जा सकता है।'
इस बाबत दारुल उलूम के शेखुल हदीस मौलाना अंजर शाह कश्मीरी, फतवा विभाग के नायब प्रभारी मुफ्ती अहसान कासमी और महाद-ए-अनवर के मुफ्ती शादान जामी से 'जागरण' ने विस्तार से पूछा तो उन्होंने कहा, 'हदीस और कुरआन में स्पष्ट उल्लेख है कि जो लोग अपनी जान, माल, बीवी और बच्चों की सुरक्षा करते हुए मारे जाएंगे, वे शहीद कहलाएंगे। सबसे बड़ा शहीद धर्म की रक्षा करते हुए मारा गया व्यक्ति होता है।' इन्होंने कहा कि गुजरात में दंगों के दौरान जो लोग मारे गए वे बेकसूर थे। इसलिए उन्हें शहीद का दर्जा मिलेगा। इन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ जंग के मैदान में पीठ दिखाकर भागने वाला व्यक्ति यदि मारा जाता है तो उसे शहीद का दर्जा नहीं दिया जा सकता। बेकसूर और निहत्थे व्यक्ति के अलावा यदि धर्म, संपत्ति और परिवार की रक्षा के उद्देश्य से लड़ते हुए भी कोई व्यक्ति मारा जाता है तो वह शहीद कहलाएगा।
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