Jeetu Bagdwal Jagar Gatha: The Folk Ballad of Arrogance, Romance and Chivalry
Folklore, Folk Legends, Folk Myths, Jagar of Kumaon-Garhwal, Uttarkahnd-32
Chivalry, Gallantry, Graciousness Folklores, Folk Legends, Folk Myths, Ballads of Bravery of Garhwal, Kumaon, Uttarakhand –17
Bhishma Kukreti
Garhwali and Kumaoni people have sung folk narratives from old time. Velle Espelland divided Scandinavian ballads into six groups- Ballads of Supernatural; Legendry Ballads; Historical Ballads; Ballads of Chivalry; Heroic Ballads and Jocular Ballads.
Malaya literature scholars divide Malaya folk ballads into Mythological, Epic, Historical and Social groups.
Analyzing the folk literature of various Garhwali-Kumaoni scholars, Dr Baluni divided folk ballads of Garhwal-Kumaon into five groups –
1-Dev Gathayen (Folk Ballads of Deities and Goddesses)
2-Pauranik Gathayen (Folk Ballads of Epics)
3-Veer Gathayen (Folk Ballads of Chivalry)
4-Pranay Gathayen (Folk Ballads of Romance)
5- Sfut Gathayen (Miscellaneous Folk ballads)
The folk story ballad of great Jeetu Bagdwal is the story of chivalry, bravery, curtsey, courtesy, pride, arrogance, egotism, honor, love, romance, great gallantry towards women. That is the reasons literature creators created drama, feature films, documentary and wrote modern poetries, wrote novel based on the folk story of Jitu Bagdwal. The ballads of Jitu Bagdwal are called Bagdwali. His time is around 1591- 1610 the period of King Manshah
जीतू बगड्वाल जागर गाथा: जागर गाथा ,जागर, वीर-वीरंगनाएं गाथा : भडौ , कटकू, भड़वळि या पांवड़ा, जागर (एक गढ़वाली रण भूत लोक गीत )
स्रोत्र : डा गोविन्द चातक , गढवाली लोक कथाएँ , पृष्ठ १११-११७
सन्दर्भ डा शिवा नन्द नौटियाल , गढवाल के लोकनृत्य गीत
जीतू द शोभनु होला गरीबौ बेटा
माता त सुमेरा छई, दादी फ्यूंळी जौसू
ददा जी कुजर छ्या , भूलि शोभना छई ,
जाति को पंवार छयो जीतू अकली गंवार
बगडू जैका ह्व़े गेन बगड्वाळ
राज मान शाही ना दिने कमीण को जामो
गौं मुड़े को सेरो दिने , गौं मथे को घेरो
जीतू रये दादू भातु उदभातु
राणियों को रसिया फूलों को हौसिया
अणब्याई बेटियों को ठाकुरमासों खाए
बांज घटों को वैन भगवाड़ी उगाये
ऊँ बांजी भैसों को पाळी दिने परोठो
जीतू रई गे राजों को मुस्सदी
बगुड़ी ऐगे भैजी उल्या मूल्या मॉस
तब जितेंसिंग राजा धावडी लगौन्द
ओड़ू नेडू औंदु मेरा भुला शोभनु
सोरा सरीक भुला सब सेर सैक लैन
कि मलारी को सेरा हमारो
साणो रैगे त बाणो मेरा दादू
तू जयादी भुला जोशी का पास
गाडिक लऊ सुदिन सवार
पातुड़ी की भेंट धरे सेल़ा चौंळ पाथी
धूल़ेटी की भेंट धरे सोवन को टका
चलीगी शोभनु बरमा को पास
जाइक माथो नवौंदो सेवा लगान्दो
पैलागु पैलागु मेरा बरमा
चिरंजी जजमान मेरा
भैर गाड याले बरमान धूल़ेटि पातुड़ी
देखद देखद बरमा मुंडळी ढगड्योंद
तेरी राशि नि जुड़दो जजमान
तुमारी बतैन्दी बल वा बैण शोभनी
वा बैण मेरी रैंद कठऐतूं का गाऊं
चूला कठुड़ तै बांका बनगढ़
सोचदू सोचदू तब घर ऐगे शोभनु
पौन्चीगे तब जीतू का पास
खरो मानी जौ , मेरा जेठा पाठा भैजी
तेरी राशि नी जुड़े दिदा लुंगला को दिन
जीतू भिभडैक उठे तब गये माता का पास
हे मेरी जिया हमारी राशि नी जुड़े लुंगला को दिन
मै तो जांदू माता, शोभनी बैदोण
तू छयी जीतू बाबरो बेसुवा
भुला शोभनु होलू माता बालो अलबूद
मैं जौंलू माता शोभनी बैदोण
न्यूतीको बुलौंलू पूजीक पठौंलु
नी जाणो जीतू त्वे ह्वेगे असगुन
तिला बाखरी तेरी ठक छ्युंदी
नी ल़ाणी जिया त्वेन इनि छ्वीं
घर बौडी औंलो तिला मारी खौंलो
भैर दे तू मेरी गंगाजली जामी
मोडूंवां मुंड्यासी दे दूँ , आलमी इजार
धावड्या बाँसुली दे दूँ नौसुर मुरली
न जा मेरा जीतू कपडी तेरो झोली ह्वेन मोसी
आरस्यो को पाक तेरो ठनठन टूटे
त्वेक तईं ह्वेगे जीतू यो असगुन
माता को अडैती जीतू एक नी माणदो
लैरेंद पैरेंद तब कांठा मा को सि सूरज
गाड को सि माछो सर्प को सि बच्चा
बांको बीर छयो जीतू नामी भड़
राजो को माण्यों छयो रूप को भर्र
पैटी गे तब जीतू बैणी को गऊँ
रानी पटुड्या तब तैको गाळी दीन्दी
जान्दो ह्वेई मेरा स्वामी , आंदो नि ह्वेई
स्याळी का खातिर तू पैटी बैणी बैदोण
बिदा लिनी जीतून रस्ता लगे वो
चल्दु रै वो ऊँची तौं धऐडियों
ऊंची धऐड़यों चढ़े जीतू गैरी त पाख्युं
कलबली कूंल़े छई देव्दार स्वाणा
ह्र्याँ डाल़ा छ्या फुलून जन ढक्याँ
पौन्छी गये जीतू रैंथल की थाती
घडाँदी दोफरी छई तडाँदो घाम
तडाँदो घाम मा जीतू सेळ बैठी गे
तमाखू पीयाले तैंन साध्यान लीयाले
हांस्यारी पराण वैको उलारिया गये
हाथ गाडयाले वैन नौसुर मुरली
नौसुर मुरली परे घावड्या बांसुळी
बावरो छयो जीतू उलारीया ज्वान
मुरली को हौंसिया छौ रूप को रौन्सिया
घुराए मुरली वैन डांडी बीजिन कांठी
बौण का मिर्गून चरण छोडि दिने
पंछियोन छोडि दिने मुख को त गाल़ो
कू होलू चुचों स्यो घाबड्या मुरल्या
तैकी मुरली मा क्या मोहनी होली
बिज़ी गैन बिज़ी गैन खेंट की आंछरी
जीतू कि आंख्युं मा जनी शिशो चमल़ाणी
छम छम घुंघरू बजीन, जीतू की आँखी मुन्जीन
क्वी बैणी बैठींन आन्ख्यों का स्वर
क्वी बैणी बैठींन कंदुडों का घर
छालो पिने लोई , आलो खाए मांस पिंड
पन्द्र पचीसी जीतू रैन्थल थाती रैगे
अल्हर जवानी जीतू भुंचण नी पायी
तिन नि माने जीतू माता की अड़ेती
फंसी गे कन आन्छ्र्यों का घेरा
सुमरिण करदो जीतू बगुडी भैरों
कख व्हेली मेरी कुलदेवी भवानी ?
आज मै पर ऐ गे बिपता भारी
बीच बाटा मा कनी होए मेरी मोल की मरास
दैणो ह्व़े गे तब जीतू की बगूड़ी भैरों
नौ बैणी आंछरी तब छूटी गैन
आज मै जान्दो बैणी बैदोण
छै गते आषाढ़ लुंगला को दिन
तै दिन तुम मिली तैं पुंगड़ी ऐन
तब मन ह्व़े गे उदास जीतू
चित्त ह्व़े गे चंचल
तब पौंची गये जीतू बैणी का गौं
मिली गे वै बैणी शोभनी
तब आये स्याळी वरुणा
सेवा मेरी पोंछे वीं स्याळी वरुणा
सेवा मैं खरी लांदु भेना बगड्वाळ
तेरी खातिर छोडि स्याळी बांकी बगूड़ी
बांकी बगूड़ी छोड़े राणयों कि दगूड़ी
छतीस कुटुंब छोड़े बतीस परिवार
घिटूडियों जसो रथ छोड़े चकोरू जस टोली
तेरा बाना छोड़े मैं भेना
दिन को खाणो रात की सेणी
तेरी माया न स्याळी जिकुड़ी लपेटी
कोरी कोरी खांदो तेरी माया को मुंडारो
जिकुड़ी को ल्वे पिलैक अपणी
परोसणो छौं तेरी माया की डाळी
अब त भरीक ही मिटली स्याळी
त्वे भेजे को हेत
यूँ डाळीयूँ मा तेरा फूल फुलला
झपन्याळी होली बुरांस डाळी
ऋतू बोडि औली दाईं जसो फेरो
पर तेरी मेरी भेंट स्याळी
कु जाणी होंदी कि नी होंदी ?
बौडिक ऐ गे जीतू तैं बांकी बगूड़ी
ओड़ू नेडू ऐगे लंगुला को दिन
घटु की रिंगाई सामळ कि पिसाई
चौखम्भा तिबारी जीतू होए मगलाचार
गडायूँ गुंडाखु पैटयो , घुंगरियालि होका
पोंछी गे बल्दुं की जोड़ी मलारी का सेरा
तब जोतण लग्या जीतू का धौल़ा त बुल्ला
मलारी का सेरा शुरू ह्व़ेगे रोपण
सेरु सैक ऐगे तैं मोंळ पुंगड़ी
एक फाट उंडो लीगे जीतू एक फुंडो
फीकू ह्व़े गे ज्यू जीतू जी को
तबे वीं मोंळ पुंगडी छूटे घेंटुडी रथ
मलेऊ सि मिड़को
नौ बैणी आंछरी ऐन , बार बैणी भराडी
क्वी बैणी बैठींन कंदुड़यो घर
क्वी बैणी बैठींन आंख्युं का स्वर
छालो पिने लोई , आलो खाये मॉस पिंड
अंगुडी छयो जीतू , पछींडो फरकी
स्यूं बल्दुं जोड़ी जीतू डूबी गयो
मलारी का सेरा जीतू खोए गये
अल्हर जवानी जीतू भुंचण नी पाए
लाख्डू सि ताबु होए पिंडाल़ू सि भाड़
बत्तीसु कुटुंब तेरो तै मलारी रै गे
बावरो नी होंदो जीतू नी होंदो बिणास
Garibu had two sons –Jeetu and Shobhanu. Jeetu belonged to Bagudi. King Manshah offered them fertile paddy fields. Jeetu became arrogant. He liked the company of beautiful girls. He was busy with his queens. He forgot his paddy fields. When rain started he remembers the paddy plantation.
Jeetu sent his brother Shobhanu yo astrologer for knowing auspicious date for paddy plantation start. The astrologer told that the paddy plantation had to be started by hands of his sister Shobhani.
Jeetu went to call his sister Shobhani for starting paddy plantation. His mother became worried for un-auspice happening. His wife also stopped him for going to Shobhani's in law house. Jeetu went with dress and his flute.
In noon, Jeetu reached at Raithul. Jeetu rested for a while and started playing flute. There was liveliness in the forest and shrines. The sleeping fairies of Khait hill arose by flute music. The fairies started dancing before him. Fairies played foot ornaments (Payal). Jeetu started becoming unconsciousness. Fairies entered into his eyes, ears, and hands and started sucking his blood. Jeetu remembered his family deity- Bhairav. Bhairav protected Jeetu. However, Jitu promised fairies for meeting at Mal Khyat.
Jeetu reached his sister's in law house. There, Jitu met sister in law of his sister. Jitu fell in love with his Jeeja's sister.
Jeetu had to leave his sister's in law village for starting paddy plantation at his village. Jeetu and his sister Shobhani reached Bagudi. On the auspicious date –sixth of Ashadh month, at beginning of the paddy plantation there were drum and other music instrument playing ceremony. After ceremonial rituals, Jeetu started plough the paddy field. He completed half field plough. The fairies came there on chariots. There was huge division of field. All the family members of Jeetu and Jeetu sink into huge land slid. This way, Jeetu and his family were no more in this world.
Copyright (Interpretation) @ Bhishma Kukreti, 21/5/2013
Folklore, Folk Legends, Folk Myths of Kumaon-Garhwal, Uttarakhand to be continued…33
Chivalry, Gallantry, gracious Folklores, Folk Legends, Folk Myths of Garhwal, Kumaon, Uttarakhand to be continued…18
Curtsey and references:
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Dr Trilochan Pandey, Kumaoni Bhasha aur Uska Sahity(Folklore literature of Kumaon )
Dr Siva Nand Nautiyal, Garhwal ke Lok Nrityageet (Folk Songs and dances of Garhwal )
Dr Govind Chatak, Garhwali Lokgathayen (Folklore of Garhwali)
Dr. Govind Chatak, Kumaoni Lokgathayen (Folklore of Kumaoni)
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Notes on the Folk Ballad of Romance and Chivalry from Uttarakhand; the Folk Ballad of Romance and Chivalry from Pithoragarh, Uttarakhand; the Folk Ballad of Romance and Chivalry from Dwarhat, Uttarakhand; the Folk Ballad of Romance and Chivalry from Bageshwar, Uttarakhand; the Folk Ballad of Romance and Chivalry from Champawat, Uttarakhand; the Folk Ballad of Romance and Chivalry from Almora, Uttarakhand; the Folk Ballad of Romance and Chivalry from Nainital, Uttarakhand; the Folk Ballad of Romance and Chivalry from Udham Singh Nagar, Uttarakhand; the Folk Ballad of Romance and Chivalry from Uttarkashi, Uttarakhand; the Folk Ballad of Romance and Chivalry from Tehri Garhwal, Uttarakhand; the Folk Ballad of Romance and Chivalry from Chamoli Garhwal, Uttarakhand; the Folk Ballad of Romance and Chivalry from Rudraprayag Garhwal, Uttarakhand; the Folk Ballad of Romance and Chivalry from Dehradun, Uttarakhand; the Folk Ballad of Romance and Chivalry from Pauri Garhwal, Uttarakhand; the Folk Ballad of Romance and Chivalry from Haridwar, Uttarakhand to be continued…
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Bhishma Kukreti
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