दीदी ने चिकन के दाम बांध दिये १४० रुपए किलो,अब बड़ी समस्याओं को भी निपटायेंगी!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
दीदी ने चिकन के दाम बांध दिये १४० रुपए किलो,अब बड़ी समस्याओं को भी निपटायेंगी!कल दिनरात हंगामाखेज रहा। दीदी के लिए राहत की बात यह है कि शारदा फर्जीवाड़े की बजाय अब फोकस पर है आईएल घोटाला।आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग को लेकर हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। हर खुलासा पहले से भी ज्यादा धमाकेदार है। विंदू दारा सिंह की गिरफ्तारी से फिक्सिंग में पहला बॉलीवुड कनेक्शन सामने आया तो उनसे पूछताछ में इस जांच की आंच अब फ्रेंचाइजी के मालिकों तक पहुंच गई है। वहीं कई नामी मुंबईकरों का नाम भी इस प्रकरण से जुड़ रहा है। एक पूर्व क्रिकेटर, 2 हीरो और 2 हीरोइन ने लगाया IPL में सट्टा! स्पॉट फिक्सिंग के संबंध में मुंबई की कई बडी़ हस्तियों पर स्थानीय पुलिस की नजर है।हालांकि इस रडार में भी मुख्य केंद्र कोलकाता भी है, पर दीदी को इसकी खास परवाह नहीं है। न कोलकाता पुलिस इस सिलसिले में मुंबई और दिल्ली पुलिस की रह सक्रियता दिखा रही है। खेल, सेक्स और ग्लेमर के बड़े बड़े भंडाफोड़ के झंझावत में बहुत जल्दी लोग शारदा समूह को भूलने लगे हैं। प्रदर्शनों और आत्महत्याओं का सिलसिला भी थमने लगा है।राजनीति फिर अपनी रुटीन पर है। पर कल ही विभिन्न चैनलों पर हुए जनमत सर्वेक्षण दीदी के लिए सरदर्द का सबब बन सकता है। अकेले चुनाव लड़ने की स्थिति में अगले चुनावों में उन्हें जो भारी नुकसान होने की चेतावनी दी गयी है, जाहिर है कि दीदी को इसकी तनिक परवाह नहीं है।मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच ने सट्टे लगाने वाले नामी लोगों को एक लिस्ट तैयार की है। इस लिस्ट में बॉलीवुड के कई जाने-माने हस्तियों के नाम हैं।इस सूची में बीते जमाने के एक नामचीन अभिनेता का जिक्र है, जिनका अपना प्रोडक्शन हाउस भी है। वहीं दो विवादित अभिनेताओं का नाम भी इस सूची में है।इसके अलावा एक पूर्व क्रिकेटर के शामिल होने की बात सामने आई है। यह पूर्व क्रिकेटर अभी कॉमेंट्री भी करते हैं। यही नहीं दो अभिनेत्रियों/मॉडलों के नाम भी इस लिस्ट में हैं।कोलकाता की लिस्ट कभी भी सामने आ सकती है!जब साक्षी का साक्ष्य लेने की नौबत आ गयी है तो कुछ भी हो सकता है। पर कोलकाता की टीम कोलकाता नाइट राइडर से चिटफंड कंपनी रोजवैली के जितने मधुर संबंध हैं, उससे भी कहीं ज्यादा मधुर हैं दीदी और शाहरिख खान के ताल्लुकात।
वे स्वभाव से राविंद्रिक हैं और एकला चलो की नीति पर अडिग हैं।जनाधार और कलाक्षेत्र में उनका समान विचरण है। बंगविभूषण और बंगभूषण पुरस्कारों के मार्फत उन्होंने बंगाली मेधा पर अपना वर्चस्व कायम कर लिया है और चौंकानेवाली जनमोहिनी नीतियों से जनता के दिलोदिमाग पर उनका राज कायम है। वे अति आत्मविश्वास में हैं और उन्हें और उनके सिपाहसालारों को अगले लोकसभा चुनावों के बाद केंद्र में य़ूपीए का तख्ता पलटने का बाद क्षेत्रीय दलों की सरकार बनने का पक्का भरोसा है। इसलिए यूपीए से संबंध विच्छेद के बाद वे संघ परिवार से भी सीधे जुड़ नहीं रही हैं। हावड़ा संसदीय उपचुनाव चूंकि शारदाकांड के साये में हो रहा है, इसे लेकर उन्हें कोई चिंता नहीं है, चुनाव प्रचार अभियान की कमान अपने भतीजे अभिषेक को सौंपकर उन्होंने साबित कर दिया कि वे मीडिया के चिल्लपों की कतई परवाह नहीं करती और अपने तरीके से जनता को संबोधित कर सकती है सीधे मैदान में उतरकर।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को दावा किया कि वर्ष 2012-13 के दौरान उनके राज्य ने आर्थिक एवं सामाजिक विकास के कई क्षेत्रों में राष्ट्रीय औसत से अधिक बेहतर प्रदर्शन किया। पश्चिम बंगाल में अपनी सरकार के दो साल पूरे करने के अवसर पर ममता ने कहा कि राज्य ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), कृषि, उद्योग तथा सेवा क्षेत्र में राष्ट्रीय औसत की तुलना में अधिक विकास किया।ममता ने सोशल नेटवर्किं ग साइट पर लिखा कि वर्ष 2012-13 में जहां देश की जीडीपी 4.96 प्रतिशत, कृषि विकास दर 1.79 प्रतिशत, उद्योग विकास दर 3.12 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र में विकास दर 6.59 प्रतिशत रही, वहीं पश्चिम बंगाल की जीडीपी 7.6 प्रतिशत, कृषि विकास दर 2.56 प्रतिशत, उद्योग विकास दर 6.24 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र में विकास दर 9.48 प्रतिशत रही।ममता ने यह भी दावा किया कि इस साल 32,000 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र किया गया, जो पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत वर्ष 2012-13 के दौरान मिले अनुदान को खर्च करने के मामले में भी पश्चिम बंगाल देश में पहले स्थान पर है।
अपने कार्यकाल के दो साल पूरे होने से पहले उन्होंने वायदा मुताबिक उद्योग नीति का मसविदा जारी कर दिया भूमि आंदोलन के तेवर में बिना किसी बदलाव के। अब वे खुदरा बाजार पर नियंत्रण करके आम जनता का दिल जीतने की तैयारी में हैं। खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश का पुरजोर विरोध वे करती रही हैं। अब सब्जियों, फलों, अनाज और मांस तक के दाम बांधकर बाजार पर अपना आधिपात्य कायम करना चाहती हैं और उन्हें पक्का यकीन है कि रसोई में राहत मिलने पर उनका वोट बैंक अटूट ही रहेगा!दो साल पहले हुए चुनाव के दौरान और इससे दो साल पहले हुए संसद के चुनाव में ममता बनर्जी ने ग्रामीण इलाकों में एक ज़बरदस्त नारा दिया था, 'माँ, माटी और मानुष' यानी माँ, मिट्टी और आम जनता।इस नारे के लिए दीदी को प्रख्यात साहित्यकार आंदोलनों की जननी परिवर्तनपंथी महाश्वेता देवी का शुक्रगुजार अवश्य होना चाहिए।लेकिन'माँ, माटी और मानुष' का नारा अब उन्हीं के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया जाने लगा है। लोग कह रहे हैं कि क्लिक करें ममता की सरकार वामपंथी मोर्चे की सरकार की नकल है।दीदी को अब अपने मंच पर महाश्वेता देवी जैसी शख्सयत की जरुरत नहीं होती उनके आलोकवृत्त में तमाम बंग भूषण और विभूषण है इन देनों और इसीतरह उन्हें अब 'माँ, माटी और मानुष' की भी खास परवाह नहीं है।वामपंथी दल को जबरदस्त शिकस्त देकर ममता ने अपना बदला पूरा किया तो जनता ने भी सेहरा दीदी के सिर पर बांध दिया। गर्व से ममता भी छाती ठोंकर कहती है, इन दो सालों में हम ने जितना काम कर दिखाया उतना तो इन वामपंथियों ने 34 सालों में नहीं किया।
मंगलवार को एक बड़ा निर्णय लेते हुए सरकार ने ऑनलाइन लोटो के नाम से प्रचलित लॉटरी गेम शो पर रोक लगा दी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ऑनलाइन लाटरी समाज में समस्या पैदा कर रही है, इसलिए इस पर रोक लगाई जा रही है, इस बाबत अधिसूचना जल्द जारी कर दी जाएगी।ममता ने कहा, ऑनलाइन लोटो की शुरुआत वाममोर्चा सरकार के दौरान हुई थी। अब यह सामाजिक समस्या बन गई है। इसके चलते एक ही परिवार के सदस्य आपस में लड़ रहे हैं। हम इस पर कड़ाई से रोक लगाएंगे।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को टॉलिवुड के कलाकारों एवं तकनीशियनों के लिए सवा-सवा लाख रूपए के हेल्थ इन्श्योरेंस की घोषणा की।ममता ने राज्य सचिवालय में संवाददाताओं से कहा, 'हम फिल्म इंडस्ट्री के कलाकारों और कर्मचारियों के लिए सवा-सवा लाख रूपए तक के हेल्थ इन्श्योरेंस की घोषणा कर रहे हैं।' इस कदम का स्वागत करते हुए फिल्म निर्देशक गौतम घोष ने कहा, 'यह एक बेहद ही लाभकारी कदम है। मैं इसके लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद देता हूं। तकनीशियन इस इंश्योरेंस की मांग लंबे समय से कर रहे थे क्योंकि कई बार पैसे के अभाव के कारण वे सही से इलाज नहीं करा पाते थे।' घोष संवाददाता सम्मेलन में ममता बनर्जी के साथ थे।
चाहे मीडिया सर्वेक्षण में कुछ भी साबित कर दिया जाये। उन्होंने अस्पतालों को निर्देश जारी कर दिया है कि जो चिकित्सक जेनेरिक नाम से दवाओं की पर्ची नहीं लिखते, उनके खिलाफ सीधे पुलिस में मुकदमा दर्ज करा दिया जाये। जनता इस फैसले से गदगद है। क्या हुआ कि अभीतक शारदा समूह के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं हुआ या संपत्ति बरामदगी के लिए कोई दिवानी मुकदमा दायर नहीं हुआ। इस मामले में सबसे ज्यादा हंगामा तो एजंट लोग अपनी जान बचाने के लिए कर रहे थे। जनता कोइन धोखेबाज एजंटों से जिन्होने खूब चांदी बटोर ली है, से कोई सहानुभूति नहीं है, वे दीदी के वायदे पर भरोसा करते हैं, ऐसा दीदी का आत्म विश्वास है। इसी अति आत्मविश्वास के चलते वे भारी राजनीतिक जोखिम उठाकर दागी मंत्रियों, सांसदों के बचाव में लगी हैं और अभीतक पुलिस को इस मामले में ऐसा कुछ भी करने की मनाही है जिसेस उनपर आंच आये। पुलिस उनसे पूछताछ भी नहीं कर रही है।जांच आयोग और विशेष जांच टीम चिटफंड कंपनियों के फर्जी कारोबार की तरह ही हवा हवाई हैं।
बल्कि दीदी को गुस्सा इस बात पर ज्यादा है कि दीदी से अलगाव की हालत में मीडिया ने कांग्रेस की भारी बढ़त बंगाल में दिखाने लगा है। वे यूपीए का तख्ता पलटने चली है और मीडिया बंगाल में कांग्रेस की बढ़त बता रहा है। इस बेचैनी में कल उन्होंने दो घंटे के व्यवधान में राइटर्स में चार बजकर दस मिनट से लेकर शाम छह बजे तक तीन तीन संवाददाता सम्मेलन कर दिये और जनकल्याण की बारिश कर दी। इस बौछार से राज्यवासियों का कितना कल्याण होगा, इसे तो परखने से पहले ही हावड़ा की अग्निपरीक्षा पूरी हो जायेगी और पंचायत चुनाव भी निपट जायेगा। हावड़ा संसदीय उपचुनाव और पंचायत चुनावों में भी विपक्ष को कड़ी शिकस्त देने की पूरी तैयारी में कमर कसकर हावड़ा के कुरुक्षेत्र में उतर चुकी हैं दीदी।जिन लोगों ने ममता को राजगद्दी पर बैठाया वहं लोग अब कहते है कि दीदी किसी की नहीं सुनती। उन्हें आलोचना बिल्कुल ही पसंद नहीं है। उन्हें अपनी ग़लतियों का एहसास भी नहीं है। जनता की इस नकारात्मक समीक्षा के बावजूद कोलकाता में जश्न का माहौल तैयार है। तमाम आलोचनाओं के बावजूद दीदी बधाईयां लेने में जुटी रही। सरकार मानती है कि उनका ये दो साल मिला जुला रहा। कई जगह सरकार कामयाबी मिली तो कई जगह दीदी को हार का सामना करना पड़ा। खासकर अपने तुनक मिजाज के कारण ममता लोगों के आलोचनाओं के घेरे में आती रही।
अभी देश में आम चुनाव हो गए तो क्या होगा? क्या यूपीए दिल्ली के ताज पर काबिज होने की हैट-ट्रिक बनाएगा या बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की 10 साल बाद सत्ता में वापसी होगी? एबीपी न्यूज और नीलसन के सर्वे के मुताबिक, जहां यूपीए के पैरों तले जमीन खिसक जाएगी, वहीं एनडीए के पक्ष में भी लहर नहीं दिख रही है।पिछली बार हाशिए पर पहुंचने वालीं लेफ्ट पार्टियों के लिए इस बार भी कोई बहुत अच्छी खबर नहीं है। अभी चुनाव हुए तो उन्हें 34 सीटें ही मिलेंगी, जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में इन पार्टियों ने 24 सीटें जीती थीं। लेफ्ट पार्टियां साल 2009 में बंगाल की 42 में से 16 सीटों पर जीतने दर्ज कराने में सफल रही थीं, इस बार यहां से उसके 18 सांसद लोकसभा पहुंच सकते हैं। तृणमूल को थोड़ा नुकसान होगा और उसके 14 उम्मीदवार विजयी होंगे। एनडीए लोकसभा में जादुई आंकड़े से कुछ फासले पर ठहर जाएगा। इस सर्वे के मुताबिक, 543 सीटों में से एनडीए को 206 सीटें और सत्ताधारी यूपीए को 136 सीटें मिलेंगी। वोट शेयर की बात करें तो देश की 27 फीसदी जनता एनडीए की झोली में अपना मत डालेगी, जबकि यूपीए 26 फीसदी वोट हासिल कर पाने में कामयाब रहेगी।सर्वे के मुताबिक, गैर-यूपीए और गैर-एनडीए पार्टियों के साथ निर्दलीयों को 167 सीटें मिलेंगी। 206 सीटों के साथ एनडीए सबसे बड़े गठबंधन के रूप में उभरकर आएगा, लेकिन सरकार बनाने के लिए 66 सीटों का फासला कैसे तय करेगा? अभी बीजेपी के साथ जेडी(यू), अकाली दल और शिवसेना हैं। उसकी उम्मीदें मोटे तौर पर गैर-यूपीए नेताओँ मायावती (बीएसपी) , ममता बनर्जी (तृणमूल कांग्रेस), जयललिता (एआईएडीएमके), नवीन पटनायाक (बीजेडी), असम गण परिषद, राज ठाकरे (एमएनएस ) ओमप्रकाश चौटाला (आईएनएलडी), जगनमोहन रेड्डी (वाईएसआर कांग्रेस) और चंद्रशेखर राव (टीएसआर) पर टिकी हैं।
जाहिर के इस मीकरण के मुताबिक ही अति आत्मविश्वास के बावजूद दीदी अपने मोहरे सजा रही हैं राजनीतिक शतरंज की बिसात पर।
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार के दो साल पूरे होने पर राज्यपाल एम के नारायणन ने कहा कि इस सरकार ने अच्छा काम किया है, वैसे दो साल किसी भी सरकार का मूल्यांकन करने के लिए बहुत कम समय है।
नारायणन ने यहां संवाददाताओं से कहा, ''मैं मानता हूं कि उसने (सरकार ने) अच्छा काम किया है। वैसे दो साल किसी सरकार के मूल्यांकन के लिए अल्पावधि है। '' कल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी ऐसी ही बात कही थी। उन्होंने कहा था कि दो साल उनकी सरकार के कामकाज के मूल्यांकन के लिए पर्याप्त समय नहीं है जो अब भी पिछले वाममोर्चा शासन की करनी ढो रही है। तृणमूल सरकार को 20 मई, 2011 को शपथ दिलायी गयी थी।
ममता हुई फेल- चिट फंड घोटाला ममता सरकार के लिए सबसे बड़ी बदनामी का सबक बन गया। पंचायती चुनाव को रोकने की अब तक की नाकाम कोशिशों के बावजूद ममता बनर्जी की सरकार दो साल पूरे होने पर खुद को बधाई देने में जुटी है। पश्चिम बंगाल सरकार गर्दन तक कर्ज में डूबी हुई है। ये कर्ज उसे विरासत में मिली है। हर साल राज्य सरकार के खजाने से रिज़र्व बैंक 26 हज़ार करोड़ रुपये निकाल लेता है जिससे राज्य के कर्जों की वसूली होती है। भारी भरकम कर्ज के तले दबे हहोने के बाद भी केंद्रीय सरकार द्वारा कर्जों की वसूली के कारण इसे आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अपनी तुनकमिजाजी के कारण ममता अपने ही लोगों के बीच आलोचना की पात्र बन गई है। कभी अपने ऊपर टिप्पणी करने वालों को जेल भेजकर तो कभी चित्रकार को हवालात में डालकर ममता लोगों और मीडिया के बीच अपनी छवि को बिगाड़ चुकी है।
ममता हुई पास- भारी कर्ज के बावजूद सरकार ने दावा किया है कि 2012-13 में राज्य की अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.06 फ़ीसदी रही जबकि इसी अवधि में भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर 4.96 फीसदी थी। ममता सरकार की बड़ी उपलब्धि है जंगल महल क्षेत्र में माओवादी हिंसा को ख़त्म करना। सरकार ने दस हज़ार नक्सलवादियों को हिंसा के रस्ते से हटने पर पुलिस में नौकरियां दी है। लेकिन इन सब के बावजूद ममता सरका को इन दो सालों के दौरान कई झटके भी लगे। पिछले साल कोलकता के जादवपुर विश्वविद्यालय केप्रोफसर अम्बिकेश महापात्र को इस बात के लिये गिरफ्तार कर लिया गया कि उन्होंने ममता बनर्जी के कुछ व्यंगयात्मक कार्टून ईमेल से अपने दोस्तों को भेजे थे। उनकी गिरफ़्तारी पर बहुत हंगामा हुआ। लोगों ने ममता बनर्जी के खिलाफ मानव अधिकार पर अंकुश लगाने का इलज़ाम लगाया और इस कांड के बाद से उनके आलोचक उन्हें तानाशाह कहने लगे। इन दो सालों में ऐसे कई कांड हुए जिन्होंने ममता की थोड़ी सफलता को बदमानी की बड़ी खाई में बदल दिया।
बंगाल की विशिष्ट हस्तियों को सोमवार संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज का दिन काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि लोकतंत्र का हाथ पकड़ कर हम लोगों ने इसी दिन अपनी सरकार बनाई थी। ममता ने कहा कि उनकी सरकार के गठन के बाद से ही विभिन्न क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने वाले विशिष्ट लोगों को सम्मानित करने की योजना बनाई थी, वह आज एक मुकाम पर है। मुख्यमंत्री ने कहा उनकी सरकार आगे भी प्रेरणा देने वाले इस समारोह को काफी व्यापक पैमाने पर आयोजित करती रहेगी।
ममता ने सम्मान ग्रहण करने वाले प्रत्येक अतिथि का खुद अभिवादन किया और उनका हालचाल पूछा। समारोह में मौजूद राज्यपाल एमके नारायणन ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की इस अनूठी सोच के लिए सराहना की और कहा कि इससे विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वालों को प्रेरणा मिलेगी। ममता बनर्जी ने अपने सम्बोधन में इस बात का पूरा ख्याल भी रखा और राजनीतिक बयानबाजी से परहेज किया लेकिन साथ ही वे बंगाल के राजनीतिक दौर में '20 मई 2011' को महत्व को रेखांकित करना वे नहीं भूलीं।
समारोह में बंगविभूषण पुरस्कार स्वरूप 2 लाख की राशि का चेक स्मृति चिन्ह,अंग वस्त्र व प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। वहीं बंगभूषण पुरस्कार के अन्तर्गत एक लाख की राशि दी गई।
-बंगविभूषण प्राप्त करने वाली हस्तियां
पत्रकार अमिताभ चौधरी, अधिवक्ता शक्तिनाथ मुखर्जी, लेखक काशीकांत मैत्र, कार्टूनिस्ट नारायण देवनाथ, सुबीर सेन, गायक पूर्णदास बाउल, प्रदीपकुमार बनर्जी, फुटबालर चुन्नी गोस्वामी, गुरबख्श सिंह, तुलसीदास बलराम, क्रिकेटर सौरभ गांगुली, अभिनेत्री सावित्री चंट्टोपाध्याय, अभिनेता मिठुन चक्रवर्ती, ऋतुपर्ण घोष, होसेनुर रहमान, निर्मला मिश्र, संध्या राय, मनोज मित्र, थंकमणि कुंट्टी, प्रतुल मुखोपाध्याय, शुभप्रसन्न, वैज्ञानिक समीर ब्रह्मचारी, बीके बिड़ला, आंग नोरभू शेरपा।
बंगभूषण सम्मान पाने वाली हस्तियां
लिएंडर पेस, दिव्येंदु बरुआ, मांतु घोष, पौलोमी घटक, झूलन गोस्वामी, दाखिनचंद्र मुर्मु।
उल्लेखनीय है कि बंगविभूषण सम्मान पाने वाले वरिष्ठ उद्योगपति बसंतकुमार बिड़ला महानगर में मौजूद न होने के कारण सम्मान ग्रहण समारोह में उपस्थित नहीं हो सके, वहीं लिएंडर पेस की ओर से उनकी माता ने सम्मान ग्रहण किया।
-मिठुन ने राज्यपाल का चरणस्पर्श कर आशीर्वाद लिया
खचाखच भरे साइंस सिटी सभागार में सोमवार शाम जैसे ही अभिनेता मिठुन चक्रवर्ती का नाम बंग विभूषण के लिए घोषित हुआ,उसी क्षण प्रेक्षागृह तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। धोती कुर्ते में सजे मिठुन ने सम्मान ग्रहण करते ही राज्यपाल के चरण स्पर्श किए।
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