दलितों पर बढते हमलों के खिलाफ जंतर-मंतर पर धरना
हरियाणा के कैथल जिले के पबनावा गांव में दलित बस्ती पर दबंग रोर जाति द्वारा किए गए बर्बर हमले के खिलाफ 'जाति उन्मूलन आन्दोलन' ने 18 मई को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक दिवसीय धरना दिया. गौरतलब हो कि पबनावा गांव के एक दलित युवक ने रोर जाति की युवती के साथ हरियाणा हाईकोर्ट में अन्तरजातीय विवाह कर लिया था. उसका बदला लेने के लिए पिछले 13 अप्रैल को रोर जाति के सैकड़ों लोगों ने पंचायत कर रात्रि के समय दलित बस्ती पर सुनियोजित और संगठित तरीके से हमला किया. सभी घरों में तोड़फोड़ और लूटपाट की गई थी और तीन लोगों को बुरी तरह जख्मी कर दिया था.
इस घटनाक्रम के तथ्यों का पता लगाने के लिए जाति उन्मूलन आन्दोलन की तीन सदस्यीय जांच दल ने 25 अप्रैल को गांव का दौरा किया. 10 मई को हरियाणा में दलितों पर बढ़ रहे हमलों की भर्त्सना करते हुए नार्थ एवेन्यू एमपी क्लब में सम्मेलन कर जांच रिपोर्ट को जारी किया गया.
इसी कड़ी में 'जाति उन्मूलन आन्दोलन' ने 18 मई को जंतर-मंतर पर धरना देकर अपना विरोध प्रकट किया . धरने में जाति उन्मूलन आन्दोलन के घटक संगठन - भाकपा (माले), न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, विकल्प, जाति विरोधी संगठन, मूल प्रवाह अखिल भारत नेपाली एकता समाज और ए.आई.पी.एल.आर. ने हिस्सा लिया. संचालन जाति उन्मूलन आन्दोलन के संयोजक जेपी नरेला ने किया. उन्होंने कहा कि 13 अप्रैल को हुए हमले के सभी दोषी अभी पकड़े भी नहीं गए हैं.कुछ दिन पहले फिर से दबंगई करते हुए एक दलित युवक के साथ बुरी तरह मारपीट की गई है. प्रशासन और सरकार दलितों को न्याय दिलाने के बजाय शांति की बात कर रहे हैं. मगर दलित बगैर न्याय के समझौता नहीं करना चाहते.
'विकल्प' के दिगम्बर ने कहा कि दलितों पर शादी तोड़ने के लिए दबाव डाला जा रहा है, जिसके लिए वे तैयार नहीं हैं. हम दलितों के इस प्रतिरोध का समर्थन करते हैं. धरना को भाकपा (माले) के कामरेड उमाकान्त, एन.डी.पी.आई. के कामरेड अरुण मांझी एवं एडवोकेट दीपक सिंह और मजदूर नेता के.के. नियोगी ने भी सम्बोधित किया. वक्ताओं ने हरियाणा में दलितों पर हो रहे अत्याचारों की निन्दा करते हुए जाति प्रथा के उन्मूलन के लिए आन्दोलन तेज करने का आह्वान किया.
धरना के बाद केन्द्रीय गृहमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर मांग की गयी कि पबनावा गावं की दलित बस्ती पर हमले के दोषी सभी सभी व्यक्तियों को तुरन्त गिरफ्तार कर क़ानूनी कार्रवाही की जाये और हमले में हुई आर्थिक क्षति पूर्ति की भरपाई तुरन्त की जाये. अंतरजातीय विवाह के बाद सरकार वैवाहिक जोड़े की सुरक्षा की गारंटी करे. पबनावा गाँव के दलितों की सुरक्षा की गारंटी करे. घटना को रोकने के जिम्मेदार आला पुलिस अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई कर उनको बर्खास्त किया जाए. अंतरजातीय शादी के दुश्मनों पर सरकार कानूनी कार्रवाही का जिम्मा ले. अत्याचार निवारण अधिनियम1989 नियमानुसार पबनावा के दलितों को तुरन्त मुआवजा दिया जाये !
दलित बस्ती के तमाम लोगों को सरकार रोजगार मुहैया करवाए. दलित उत्पीडन के सभी इलाको को प्रोन घोषित किया जाये. साथ ही तालिबानी खाप पंचायतों पर तुरन्त रोक लगाने की मांग भी की गयी और दलित उत्पीडन के मामलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का निर्माण करने को भी कहा गया.
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