BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Friday, February 29, 2008

आठ करोड़ किसानों से छलावा

आठ करोड़ किसानों से छलावा
Feb 29, 05:25 pm
http://in.jagran.yahoo.com/news/national/politics/5_2_4222014.html

नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्रवादी प्रगतिशील गठबंधन [यूएनपीए] ने आम बजट में किसानों की कर्ज माफी की घोषणा को छलावा करार देते हुए कहा कि इसमें देश के आठ करोड़ किसानों की कोई परवाह नहीं की गई।

तीसरे मोर्चे के प्रवक्ता ने संवाददाताओं से कहा कि वित्त मंत्री पी चिदंबरम की घोषणा से चार करोड़ किसानों को लाभ होने की बात कही जा रही है, लेकिन यह भी सच है कि देश के 12 करोड़ में से आठ करोड़ किसानों को इससे कोई लाभ नहीं होगा।

किसानों के लिए विशेष पैकेज की मांग को लेकर पिछले तीन दिन से करीब 100 सांसदों वाले तीसरे मोर्चे ने संसद की कार्यवाही ठप की हुई थी और सड़कों पर विरोध प्रदर्शनों का भी आयोजन किया था। इस मोर्चे के बडे़ घटक दल समाजवादी पार्टी ने भी किसानों के कर्ज माफी की घोषणा को नाकाफी करार दिया। पार्टी के मुख्य सचेतक मोहन सिंह ने कहा कि यह घोषणा सरकार के लिए गले की फांस साबित होगी। उन्होंने कहा कि देश के किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए राधाकृष्ण आयोग ने ढाई लाख करोड़ रुपये के पैकेज की सिफारिश की थी इसे देखते हुए किसानों को साठ हजार करोड़ रुपये का राहत पैकेज कुछ भी नहीं है।

मोहन सिंह ने कहा कि इसमें भी किसानों को तीन खानों में बांट दिया गया है जिसका नतीजा यह होगा कि असली जरूरतमंद किसान को राहत नहीं मिल पाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार की मौजूदा घोषणा से प्रत्येक किसान को औसतन 12 हजार रुपये की राहत मिलेगी जबकि देश का हर किसान करीब पचास हजार रुपये के कर्ज के बोझ से दबा है।
भाजपा का बजट लीक करने का आरोप Feb 29, 05:51 pm

नई दिल्ली। भाजपा ने आरोप लगाया है कि वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बजट पेश करने से पूर्व ही बजट प्रस्ताव अपनी पार्टी [कांग्रेस] को लीक कर दिए।

वित्त मंत्री द्वारा संसद में बजट पेश किए जाने के बाद पार्टी ने एक बयान जारी कर कहा कि वित्त मंत्री ने जो कुछ भी किया है, वह उम्मीद के मुताबिक है। उन्होंने [चिदंबरम] बजट प्रस्ताव अपनी पार्टी को लीक कर दिए, जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बजट से कुछ दिन पूर्व ही किसानों के लिए एक पैकेज की मांग की। यह तथ्य सबको मालूम है कि बजट उस समय तक छप कर तैयार हो जाता है। पार्टी ने कहा कि इसके बाद अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के कार्यालय पर हुई नाटकीय घटनाओं से बजट प्रस्ताव लीक होने की पुष्टि होती है। पार्टी ने कहा कि एक पवित्र और गोपनीय दस्तावेज का दुरुपयोग और एक व्यक्ति विशेष का महिमामंडन अभूतपूर्व है।

विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि बजट में सिर्फ एक ही महत्वपूर्ण बात है। वह है किसानों के ऋण की माफी की घोषणा। लेकिन यह घोषणा भी काफी विलंब से हुई है। उन्होंने पूछा कि जो हजारों किसान आत्महत्या कर चुके हैं, उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। संप्रग सरकार ने यह घोषणा चार साल पहले क्यों नहीं की।

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार आडवाणी ने कहा कि वित्त मंत्री ने सीमांत और छोटे किसानों के ऋण माफी के काम को इस साल 30 जून तक पूरा करने की बात कही है, लेकिन उन्होंने इसे अंजाम देने के लिए प्रशासनिक व्यवस्था का जिक्र नहीं किया है। उन्होंने कहा कि काफी संख्या में किसान साहूकारों से ऋण लेते हैं और ऐसे किसानों को राहत देने के लिए इस बजट में कुछ भी नहीं किया गया है।

इधर बजट पर पार्टी की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वित्त मंत्री ने इस कार्य के लिए 60 हजार करोड़ रुपये की घोषणा की है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि यह धन कहां से आएगा।

बजट को निराशाजनक करार देते हुए पूर्व वित्त मंत्री सिन्हा ने कहा कि इस बजट से आर्थिक विकास को गति नहीं मिलेगी, बल्कि इससे विकास प्रक्रिया धीमी पड़ेगी। सिन्हा ने कहा कि वित्त मंत्री ने इस बजट में महंगाई को रोकने के बारे में कुछ नहीं कहा है। उन्होंने कहा कि बजट में किसी भी नई ढांचागत परियोजना की घोषणा नहीं की गई है।

माकपा को भी नहीं सुहाया बजट Feb 29, 05:21 pm

नई दिल्ली। माकपा ने आम बजट में आसमान छूती महंगाई पर रोक लगाने तथा खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाने के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की। साथ ही कहा कि उनकी कुछ चिंताओं तथा संप्रग की प्रतिबद्धताओं का बजट में ख्याल तो रखा गया है लेकिन पूरी तरह तरह नहीं।

माकपा के पोलित ब्यूरो सदस्य सीताराम येचुरी ने संवाददाताओं को बताया कि बजट में किसानों की रिण माफी के ऐलान का लाभ कुछ ही किसानों को मिल पाएगा, जिन्होंने संस्थागत रिण प्राप्त किए हैं और ऐसे किसानों की संख्या महज एक तिहाई भर है, जबकि लगभग दो तिहाई किसान ऐसे हैं जिन्होंने साहूकारों और महाजनों से मंहगे ब्याज दर पर रिण लिए हैं।

उन्होंने कहा कि बजट में रिण माफी की घोषणा तो कर दी गई है मगर इसके लिए धन का कोई इंतजाम नहीं किया गया है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि यह धन कहां से आएगा। येचुरी ने कहा कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और महंगाई रोकने की कोई पहल नहीं की गई है और इस मामले की अनदेखी की गई है तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुदृढ़ बनाने की कोई पहल नहीं की गई है। येचुरी ने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली [पीडीएस] को मजबूत बनाकर एवं उसका विस्तार करके ही महंगाई को रोका जा सकता है।

माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य येचुरी ने कहा कि राजस्व संग्रह में लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि पूंजी व्यय महज नौ प्रतिशत ही बढ़ा है जो इस बात का सूचक है कि वित्तमंत्री अपना ध्यान इस बढ़े हुए धन का इस्तेमाल आधारभूत ढांचा विकास करने की ओर नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि छोटे और सीमांत किसानों को वास्तविक तौर पर राहत देने के लिए ग्रामीण बैंकिंग आधारभूत ढांचे का विस्तार करने के बारे में सोचा जाना चाहिए।

येचुरी ने कहा कि सरकार के राजस्व का बड़ा हिस्सा सार्वजनिक उपक्रमों में सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री से आएगा, जो अनुचित है। उन्होंने आशंका जाहिर की कि राजस्व का बड़ा हिस्सा घाटे को पूरा करने पर खर्च होगा। उन्होंने कहा कि अधिकांश मदों पर खर्च तो बढ़ा है पर शिक्षा, स्वास्थ्य, सर्व शिक्षा अभियान आदि मदों में मामूली वृद्धि हुई है, जबकि सिंचाई पर यह खर्च कम ही है। येचुरी ने कहा कि सरकार ने वामदलों की सभी मांगें पूरी नहीं की हैं लेकिन उनमें से कुछ पर विचार जरुर किया है।
बजट ने दिए समय पूर्व चुनाव के संकेत Feb 29, 05:20 pm

नई दिल्ली। किसानों के कर्र्जो की बड़े पैमाने पर माफी, आयकरदाताओं को छूट, निगमित क्षेत्र पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालने वाले आम बजट ने इन अटकलों का बाजार और गर्म कर दिया है कि समय से पहले ही चुनाव होने वाले हैं।

वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा पेश लोक लुभावन बजट से कयास लगाए जा रहे हैं कि आम चुनाव इस वर्ष के अंत में अक्टूबर या संभवत: नवंबर तक हो सकते हैं। किसानों को इस साल जून तक उनके कर्जे से मुक्ति दिलाने की घोषणा के बाद सरकार में शामिल और उससे बाहर सभी राजनीतिक दलों और उद्योग जगत को अहसास कराने पर मजबूर कर दिया है कि चुनाव अब दूर नहीं हैं।

लोकसभा में भाकपा संसदीय पार्टी के नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि सिर्फ चुनाव की तारीख के अलावा बाकी सब कुछ तो घोषित हो ही गया है। उनकी पार्टी संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन कर रही है।

बजट को चुनावी घोषणापत्र करार देते हुए भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह जल्द चुनाव कराने का स्पष्ट संकेत है। बजट की प्रकृति से मध्यावधि चुनावों की एक तरह घोषणा हो ही गई है। उद्योगपति एवं राज्यसभा सांसद राहुल बजाज ने भी कहा कि बजट जल्द चुनावों का साफ संकेत है।

बजट पेश होने के बाद संसद के केंद्रीय कक्ष में जल्द चुनाव की संभावनाओं पर सांसद चर्चा करते नजर आए। चुनावी मोड़ में नजर आए कांग्रेस सांसद अन्य दलों के सांसदों से हंसी मजाक करते और मुकाबले के लिए तैयार रहने की बात कहते दिखे। हालांकि भाकपा सांसद डी राजा को नहीं लगता कि यह बजट समय पूर्व चुनाव का संकेत है लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि बजट में कई मुद्दों पर अल्पकालिक लाभ का नजरिया अपनाया गया है।

हालांकि बजट के हीरो वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने जल्द चुनावों की संभावना से इनकार करते हुए कहा कि भारत में हर साल कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं और किसी भी बजट को चुनावी बजट कहा जा सकता है। चिदंबरम ने चुटकी लेते हुए कहा कि यदि आपके पास बजट के बारे में कहने को कुछ नहीं है तो आप इसे चुनावी बजट कह सकते हैं।

विश्लेषकों का मानना है कि सरकार जल्द चुनाव इसलिए चाहती है क्योंकि वह उसे बाहर से समर्थन दे रहे वाम दलों के विरोध के बावजूद अमेरिका के साथ परमाणु करार को अंजाम तक ले जाना चाहती है। परमाणु करार को लागू करने के लिए भारत केंद्रित सुरक्षा उपायों पर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी [आईएईए] के साथ चल रही वार्ता और वाशिंगटन स्थित राजदूत को मिला सेवा विस्तार इस दिशा में उठाए गए कदम के रूप में देखे जा रहे हैं।

बजट पेश होने से पहले भी राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म था कि सरकार परमाणु करार को आगे बढ़ाना चाहती है या नहीं क्योंकि इस मुद्दे पर वाम दल सरकार से समर्थन खींच सकते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इस स्थिति में जो भी हो सरकार के पास चुनावों से पहले कम से कम छह महीने का समय होगा जिसका इस्तेमाल वह संभावित चुनावों से पहले इस कार्य के लिए कर सकती है।

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने भी संसद के बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों के संबोधन में सरकार का नजरिया रखते हुए कहा था कि परमाणु करार के अंजाम तक पहुंचने की संभावना है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि अमेरिका और अन्य मित्र राष्ट्रों के साथ असैन्य परमाणु सहयोग संभव हो सकेगा। अमेरिकी सांसदों के एक दल ने भारत यात्रा के दौरान हाल ही में कहा था कि करार के लिए समय भागा जा रहा है और सरकार को देर-सबेर अंतिम निर्णय लेना ही होगा।

भारत के विवेक की आवाज

भारत के विवेक की आवाज
स्मृति के झरोखे से



-राहुल बारपुते
बाबा आमटे की जिंदगी किसी भी मायने में सामान्य नहीं रही। दरअसल अगर उनके जीवन के वर्षों का सही-सही ब्योरा बयान किया जाए तो वह एक ऐसी रचना होगी जिसे अधिकांश आलोचक यह कहकर खारिज कर देंगे कि वह 'वास्तविकता से मेल नहीं खाती', 'अतर्कसंगत है' आदि आदि। और एक मायने में वे गलत भी नहीं होंगे। मिसाल के लिए इन छह दृश्यों पर गौर कीजिए-

दृश्य एक : ऐसा एक बालक कि जिसकी मसें भी भीगी नहीं हों और जो उस कच्ची उम्र में शहीदे आजम भगतसिंह के साथी, जेल में बंद राजगुरु से प्रत्यक्ष संपर्क साधने का दुस्साहस करता है।

दृश्य दो : ऐन जवानी में, नागपुर की सड़कों पर डबल कार्ब्युरेटर वाली कार, जिसके गद्दों के खोल खुद शिकार किए गए जंगली जानवरों की खाल से सज्जित हों, दौड़ाने वाला तथा विदेशी फिल्मों की श्रेष्ठ समीक्षा अँगरेजी में लिखने वाला एक संपन्ना युवा।

दृश्य तीन : जबलपुर के रेलवे स्टेशन मास्टर के दफ्तर में जटाजूटधारी और लगभग संन्यासी जैसे लेकिन रक्त लांछित लिबास वाला एक व्यक्ति धाराप्रवाह अँगरेजी में शिकायत कर रहा है जैसे उसे एक डिब्बा भर सशस्त्र सैनिकों ने सिर्फ इसलिए प्लेटफार्म पर फेंक दिया कि वे सैनिक उसी डिब्बे में सवार एक नवविवाहित तरुणी के साथ अभद्र व्यवहार कर रहे थे।

दृश्य चार : वरोरा जिला चंद्रपुर नगरपालिका का निर्वाचित उपाध्यक्ष सुबह सिर पर मैला ढोता है, फिर नहा-धोकर अदालत में अपने पक्षकारों की ओर से बहस करता है और बाद में शाम को पालिका की बैठक की अध्यक्षता करता है।

दृश्य पाँच : वरोरा की एक सड़क के किनारे, बरसाती कीचड़ से लथपथ और टाट में जैसे-तैसे लिपटा गलित गात्र एक कोढ़ी, जिस पर मकान की छत से पानी टपक रहा है, असहाय पड़ा है। आने-जाने वाले उस वीभत्स दृश्य को देखकर सड़क के दूसरे किनारे से होकर गुजर जाते हैं, लेकिन एक व्यक्ति उस कोढ़ी को उठाकर अपने घर ले जाता है।

दृश्य छह : वरोरा की बस्ती से कई किलोमीटर दूर एक बियाबान और ऊसर पठार पर एक झोपड़ी, एक लँगड़ी गाय, दो चार कोढ़ी और लालटेन की टिमटिमाती रोशनी में दिखाई देने वाला एक युगल अपने दूधमुँहे बच्चों के साथ।

उक्त दृश्यों को आपस में जोड़ने वाला एक सूत्र तो यह है कि ये सारे दृश्य बाबा आमटे के जीवन के विभिन्न पड़ाव थे, लेकिन जरा गौर करने पर एक और समानता नजर आती है साहस। लगभग असीम साहस! डेढ़ हाथ के कलेजे के धनी बाबा आमटे स्वभावतः साहसी हैं, लेकिन उनकी इस सहज प्रवृत्ति को तर्कसंगत एवं नैतिक बुनियाद प्रदान की महात्मा गाँधी ने। उन्होंने बाबा से अभय साधना करने को कहा।

बाबा के अद्भुत कृतित्व के लिए उनकी जो मानसिकता उत्तरदायी है उसकी बुनावट का एक महत्वपूर्ण धागा यह अभय साधना है। इस केंद्र बिंदु के साथ ही अन्य महत्वपूर्ण बिंदु रहे बाबा की रूमानी तबीयत और स्वयं को पूरी तरह झोंक देने की आदत। उनकी रूमानी तबीयत की अभिव्यक्ति बाबा द्वारा स्थापित विभिन्न परिसरों आनंदवन, सोमनाथ, हेमलकसा, अशोक वन की रचना में साफ दिखाई देती है।

ऋषि-मुनियों की भाँति ही बाबा को अरण्यों से बेहद लगाव रहा और उन्हीं की भाँति बाबा ने ऋचाएँ भी रची। बाबा कवि हैं। जहाँ तक स्वयं को झोंक देने का सवाल है, हालत यह है कि बाबा पर गंभीर बीमारियों के ही नहीं आदमियों द्वारा लाठी, छुरे से हमले भी हुए, लेकिन वे अपनी राह से कभी नहीं हटे और न ही उन्हें कोई शारीरिक असमर्थता रोक पाई।

अपने आपको झोंक देने का मतलब यह कतई नहीं होता कि बाबा बगैर सोचे-विचारे कोई काम शुरू कर देते, बल्कि बाबा का हर काम बहुत सुविचारित होता है। उनके मन में जब कोई कल्पना अंकुरित होती तो वे उसके समग्र रूप पर सोचते। लक्ष्य और उसकी कीमत आँकते हैं, क्रियान्वयन की विगत का गणित जमाते, फिर कदम बढ़ाते हैं।

सरसरी निगाह से देखें तो यही नजर आएगा कि बाबा ने कोढ़ियों के इलाज एवं उनके पुनः स्थापन का काम भारी पैमाने पर अनूठे ढंग से और अत्यंत यशस्वी तौर से किया है। अपनी अहिंसक राजनीतिक क्रांति के दौरान महात्मा गाँधी छुआछूत मिटाने तक ही पहुँचे थे।

अस्पृश्यता उन्मूलन बापू के मिशनों में से एक था, लेकिन बाबा आमटे पहुँचे ठेठ कोढ़ियों तक। समाज की निम्नतम सीढ़ी पर ही सही लेकिन शूद्रों को एक स्थान मिला था। वे समाज के दायरे से बाहर नहीं थे, लेकिन कोढ़ी को तो समाज के किसी भी कोने में कभी कोई स्थान नहीं मिला। कोढ़ियों की पीड़ा उनके दर्द को समझा बाबा आमटे ने और उनके उत्थान को ही जीवन का लक्ष्य बनाया।

बाबा आमटे का दर्शन किसी पक्षीय राजनीति से प्रेरित नहीं है। उसकी प्रेरणा है गरीब से गरीब, पिछड़े से पिछड़े भारतवासी के ससम्मान जीने के अधिकार की रक्षा करना और बाबा का प्रयास है वैसी जमीन और परिस्थितियाँ निर्माण करना जिनमें उक्त अधिकार एक प्रत्यक्ष वास्तविकता भी हो। इसीलिए बाबा आमटे आज भारत के विवेक की आवाज हैं। उसे अनसुना करना भारत के विवेक को नकारना ही होगा।

(यह लेख नईदुनिया में 23 नवंबर 1985 को बाबा आमटे के 72वें जन्म दिवस से पूर्व प्रकाशित हुआ था। उसके संपादित अंश यहाँ दिए गए हैं।)

चिदम्बरम को महँगाई बढ़ने की आशंका

पूर्वोत्तर में शांति के लिए प्रतिबद्ध-मनमोहन


शिलांग (भाषा), गुरूवार, 28 फरवरी 2008( 18:09 IST )






प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि संप्रग सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग जिंदगी का भरपूर लुत्फ उठाएँ और देश के अन्य लोगों के साथ मिलकर समृद्धि की ओर अग्रसर हों।

सिंह ने यहाँ एक चुनावी रैली में कहा कि हम क्षेत्र के कई राज्यों में नाराज संगठनों के साथ बातचीत कर शांति के रास्ते पर अग्रसर हुए हैं और पूरे क्षेत्र में शांति लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग जिंदगी का भरपूर लुत्फ उठाएँ और देश के अन्य लोगों के साथ मिलकर समृद्धि की ओर अग्रसर हों। उन्होंने कहा कि देश का निर्माण विविधता में एकता के आधार पर हुआ है और कांग्रेस इसमें मुख्य कड़ी रही है।

उन्होंने कहा कि क्षेत्र के युवाओं ने कठिन मेहनत के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है लेकिन नौकरी की तलाश में उन्हें अपना राज्य छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम यह प्रयास कर रहे हैं कि ऐसे युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार के अवसर तैयार किए जाएँ। संप्रग ने क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के लिए ठोस कदम उठाए हैं। इससे क्षेत्र में रोजगार का सृजन होगा। उन्होंने क्षेत्र में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों की शैक्षणिक स्तर की सराहना की।

चिदम्बरम को महँगाई बढ़ने की आशंका

चिदम्बरम को महँगाई बढ़ने की आशंका


नई दिल्ली (वार्ता), गुरूवार, 28 फरवरी 2008( 18:08 IST )






वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम ने ग्यारहवीं योजना में नौ प्रतिशत विकास दर हासिल होने का पूरा भरोसा जताया, लेकिन उन्होंने आशंका जाहिर की कि महँगाई बढ़ने का जोखिम बना हुआ है और इससे निपटना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी।

संसद में 2007-08 की आर्थिक समीक्षा पेश किए जाने के बाद संसद परिसर में संवाददाताओं के सवालों के जवाब में वित्तमंत्री ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी आने की सम्भावना को देखते हुए देश में विकास दर पर बुरा असर पड़ने के भी जोखिम सामने हैं।

चिदम्बरम ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्यान्न, तेल और अन्य वस्तुओं के ऊँचे भाव के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम बरकरार है। लिहाजा दुनिया के अनिश्चय भरे वातावरण में महँगाई पर लगाम कसना 2008-09 में सरकार की प्रमुख चुनौतियों में से एक होगी।

इन आशंकाओं भरी परिस्थितियों के बावजूद वित्त मंत्री ने आशा व्यक्त की कि आने वर्ष में विकास दर अच्छी रहेगी और महँगाई पर नियंत्रण पा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर मैं 2008-09 के बारे में एक वाक्य में अपनी बात रखना चाहूँ तो मैं कहूँगा कि 'सतर्कतापूर्ण निगरानी के साथ मैं आशावान हूँ।'

वित्तमंत्री ने कहा कि देश का गणतंत्र बनने के बाद की पाँच वर्ष की अवधि के बाद से बीते पाँच साल कृषि के लिए सबसे मंदे साबित हुए हैं और मानसून पर निर्भर होने के कारण इस क्षेत्र की स्थिति डाँवाडोल बनी हुई है। उन्होंने कहा कि हमें कृषि क्षेत्र में विकास की गति बढ़ाने पर लगातार जोर देना होगा।

सपना बना, सपनों का आशियाना

सपना बना, सपनों का आशियाना


इंदौर, बुधवार, 27 फरवरी 2008( 15:37 IST )






अच्छी सोसायटी में आशियाना बनाना या खरीदना अब आम आदमी के लिए स्वप्न बन गया है। हालात ये हैं कि बैंकों द्वारा होम लोन ब्याज दरों को घटाने के बावजूद मकान, फ्लैट या प्लॉट की कीमतें हद से बाहर हो जाने के कारण स्वयं का आशियाना बनाना हसरत ही है।

रिजर्व बैंक द्वारा 29 जनवरी को घोषित तिमाही साख नीति में ब्याज दर घटाने के बारे में कोई घोषणा नहीं किए जाने के बाद वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बैंकों से आग्रह किया था कि वे होम लोन की ब्याज दरें घटाए। कई बैंकों ने ब्याज दरें घटाने की घोषणा भी की। किंतु मुद्दे की बात यह है कि इसका फायदा आम आदमी, नौकरीपेशा वर्ग तक नहीं पहुँचा।

प्रॉपर्टी क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि इसकी दो प्रमुख वजह है- एक सरकार का आयकर ढाँचा और दूसरी प्रापर्टी की बढ़ती लागत। अंसल हाउसिंग एंड कंस्ट्रक्शन लि. के असिस्टेंट जनरल मैनेजर राजेश सुराना का कहना है कि सरकार अगर इस क्षेत्र में गतिविधियों को बढ़ाना चाहती है तो उसे आगामी बजट में वैयक्तिक आयकर में और होम लोन पर प्रतिवर्ष ब्याज तथा मूलधन की सीमा को बढ़ाना चाहिए।

सरकारी और गैरसरकारी दोनों आँकड़ों से यह साबित हुआ है कि देश में आम नौकरीपेशा की तनख्वाह बढ़ी है। ऐसे में आयकर की मौजूदा सीमा पुरुषों के मामले में 1.10 लाख रु. और महिलाओं के मामले में 1.45 लाख रु. अब अप्रासंगिक हो गई है। इसके अलावा किसी व्यक्ति को आयकर छूट का फायदा लेने के लिए होम लोन के विरुद्ध वार्षिक ब्याज राशि 1.50 लाख और मूलधन की 20 हजार रु. की सीमा को बढ़ाकर क्रमशः 2.5 लाख और 50 हजार किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं होने के कारण लोग प्रॉपर्टी खरीदने में अरुचि दिखा रहे हैं।

सुराना का कहना है कि पिछले एक साल में हाउसिंग कास्ट 600 रु. प्रति वर्गफुट से बढ़कर 750 रु. वर्ग फुट तक हो गई है। सीमेंट, सरिया महँगा होने से मध्यम वर्ग के लिए घर खरीदना-बनाना अब स्वप्न बन गया है।

रियल एस्टेट को उद्योग का दर्जा दें : पार्श्वनाथ डेवलपर्स लि. के जनरल मैनेजर एससी सूरी का कहना है कि रियल्टी क्षेत्र को उद्योग का दर्जा दिया जाना चाहिए। ऐसा होने से इस क्षेत्र को कर छूट भी मिलेगी और वह कर भुगतान भी कर सकेगा। करों के जरिए सरकार इस क्षेत्र की तेजी-मंदी को नियंत्रित कर सकेगी और इससे इस क्षेत्र की साख भी बढ़ेगी।

बजट भाषण : मुख्‍य बिंदु

बजट भाषण : मुख्‍य बिंदु

आयकर
*आयकर सीमा बढ़ाई
*आयकर सीमा 1 लाख 50 हजार
*महिलाओं के लिए आयकर सीमा 1 लाख 80 हजार
*बुजुर्गों के लिए आयकर छूट सीमा 2.25 लाख
*पाँच लाख से ऊपर 30 फीसदी टैक्स
*1.5 से 3 लाख तक 10 प्रतिशत
*3 से 5 लाख तक 20 प्रतिशत टैक्स
*सरचार्ज में बदलाव नहीं
*कोई नया सरचार्ज नहीं
*चार और सेवाओं पर सर्विस टैक्स
*एसेट मैनेजमेंट पर सर्विस टैक्स
*माता-पिता के इलाज पर 15000 तक के इलाज खर्च में 80-डी के तहत छूट
*खेलों से जुड़ी गतिविधियों पर फ्रिंज बेनीफिट टैक्स (एफबीटी) हटा
*शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया गया
*जिंस के कारोबार पर भी टैक्स लगेगा
*बैंक से पैसा निकालने पर टैक्स खत्म
*कमोडिटी ट्रेडिंग पर टैक्स

सस्ता
*जीवन रक्षक दवाएँ सस्ती
*सेट टॉप बॉक्स सस्ता
*डेयरी उत्पाद
*कच्चे तेल पर कस्टम ड्‍यूटी घटी
*दोपहिया, तिपहिया वाहन
*बस और छोटी कार
महँगा-
सिगरेट, तंबाकू, पैकेज सॉफ्टवेयर

*राजकोषीय घाटा घटकर 3.1 फीसदी
*सभी फाइनेंशियल लेन-देन के लिए पैन नंबर जरूरी
*राजस्व घाटा घटकर 1.4 फीसदी हुआ
*पीक कस्टम ड्‍यूटी में कोई बदलाव नहीं

*रक्षा बजट 10 फीसदी बढ़ा, 1 लाख 56 हजार करोड़
*300 आईआईटी के विकास के लिए 750 करोड़
*नेशनल नॉलेज नेटवर्क बनेगा
*दो नए साइंस सेंटर खुलेंगे
*गाँवों में एक लाख नए ब्राडबैंड कनेक्शन
*बिजली उत्पादन पर जोर, 28 हजार करोड़ का निवेश
*सेना से लोगों की बेरुखी पर चिंता, सैनिक स्कूलों के लिए 44 करोड़
*बुजुर्गों के लिए राष्ट्रीय संस्थान बनेगा
*इंदिरा आवास योजना में हर व्यक्ति के लिए 35 हजार
*राशन कार्ड की जगह स्मार्ट कार्ड

*सिंचाई के लिए 20 हजार करोड़
*बागवानी विकास के लिए 1100 करोड़
*खाद पर सब्सिडी जारी रहेगी
*कृषि बीमा योजना के लिए 644 करोड़
*असंगठ‍ित क्षेत्र के मजदूरों के बीमा के लिए 205 करोड़
*चाय उद्‍योग के लिए 40 करोड़ का फंड
*किसानों का कर्ज माफ करने की तैयारी
*छोटे और सीमांत किसानों के कर्ज माफ होंगे
*31 मार्च 2007 तक के कर्ज माफ होंगे
*31 हजार तक के कर्ज माफ होंगे
*बैंकों के शेयरों में गिरावट

*विज्ञान के छात्रों के लिए 85 करोड़
*बाल विकास योजना के लिए 6300 करोड़
*मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए 45 करोड़
*महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के लिए 11460 करोड़
*बच्चों के लिए 33434 करोड़
*महिलाओं को स्वरोजगार के लिए एलआईसी से कर्ज
*अर्धसैनिकों बलों में अल्पसंख्यकों को और स्थान मिलेगा
*अल्पसंख्‍यक बहुल जिलों के लिए ज्यादा पैसा
अल्पसंख्‍यक बहुल जिलों में सरकारी बैंकों की 288 शाखाएँ

*माध्यमिक शिक्षा के लिए 4554 करोड़
*वृद्धजन कार्यक्रम के लिए 400 करोड़
*एड्‍स के लिए 992 करोड़ रुपए
*राजीव गाँधी पेयजल योजना के लिए 73 हजार करोड़
*शहरी विकास के लिए 6866 करोड़
*आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाया, कार्यकर्ता 1000 से 1500, सहायक 500 से 750
*कृषि के लिए 2.4 लाख करोड़ का ऋण होने की उम्मीद
*कृषि क्षेत्र को दोगुना कर्ज मिलेगा
*स्वास्थ्य के लिए 15 फीसदी राशि बढ़ाई
*बीपीएल कामगारों का बीमा एनआरआईजीए के लिए 16000 करोड़
*पूर्वोत्तर के लिए 500 करोड़ का विशेष फंड

*सर्वशिक्षा अभियान के लिए 13100 करोड़
*मध्याह्न भोजन के लिए 8 हजार करोड़
*पोलियो अभियान के लिए 1022 करोड़ का प्रावधान
*‍मिडिल स्कूल तक के लिए मध्याह्न भोजन
*शिक्षा का बजट 20 फीसदी बढ़ाया
*रोजगार गारंटी योजना सफल
*तीन नए आईआईटी खोले जाएँगे
*आंध्र, राजस्थान और बिहार में आईआईटी
*हर राज्य में एक केन्द्रीय विश्वविद्‍यालय

*भारत निर्माण के लिए 31 हजार करोड़
*410 कस्तूरबा गाँधी कन्या स्कूल बनेंगे
*कृषि क्षेत्र को दोगुना कर्ज मिला
*कारखाने क्षेत्र में विकास दर 9.4% रहने की आशा
*अजा/जजा के लिए 20 जिलों में स्कूल
*अनाज आपूर्ति बड़ी चुनौती

*महँगाई पर काबू सबसे बड़ा काम
*सेवा क्षेत्र में सबसे ज्यादा विकास
*विकास दर 8.7 फीसदी रहेगी
*मक्का-सोयाबीन के दाम घटे
*वर्ष 2007-08 में गेहूँ चावल महँगे
*खेती की विकास दर 2.6 फीसदी रहने की उम्मीद
*सर्विस क्षेत्र में विकास दर 10.7 फीसदी रहने की आशा

किसानों के लिए 60 हजार करोड़ का पैकेज

किसानों के लिए 60 हजार करोड़ का पैकेज


नई दिल्ली (भाषा) , शुक्रवार, 29 फरवरी 2008( 12:49 IST )






केन्द्रीय वित्तमंत्री पी. चिंदबरम ने आज किसानों के लिए 60 हजार करोड़ रूपए के राहत पैकेज की घोषणा की जिसमें छोटे और सीमांत किसानों के दिए गए ऋण की पूर्ण माफी की घोषणा शामिल है।

अपना पाँचवाँ और आम चुनाव से पहले अंतिम बजट पेश करते हुए चिदंबरम ने छोटे और सीमांत किसानों के लिए 50 हजार करोड़ रूपए की ऋण माफी की घोषणा की और अन्य किसानों के लिए निपटान योजनाओं पर सरकारी खजाने से 10 हजार करोड़ रूपए खर्च किए जाएँगे।

रक्षा बजट एक लाख करोड़ के पार

रक्षा बजट एक लाख करोड़ के पार


नई दिल्ली (वार्ता), शुक्रवार, 29 फरवरी 2008( 13:33 IST )






सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के जबरदस्त अभियान को मजबूत समर्थन देते हुए वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने रक्षा बजट में दस प्रतिशत वृद्धि की घोषणा कर उसके खाते को आजाद भारत के इतिहास में पहली बार एक लाख करोड़ रुपए के जादुई आँकड़े के पार पहुँचा दिया।

वित्तमंत्री ने कहा कि 2008-09 के रक्षा बजट के लिए वह 105600 करोड़ रुपए का प्रावधान कर रहे हैं, जो पिछले साल 96 हजार करोड़ रुपए था। पिछले बजट की बिना खर्च हुई राशि को देखा जाए तो सही मायनों में यह वृद्धि करीब साढ़े 10 प्रतिशत ही बैठती है।

रक्षा बजट ऐसे समय एक लाख करोड़ रुपए के पार गया है जबकि सेना, नौसेना और वायुसेना के पास सैन्य साजोसामान की खरीदारी की लम्बी फेहरिस्त है1 सेना को 8000 करोड़ रुपए की लागत से टैंक 12000 करोड़ रुपए की लागत से तोपें और करीब एक अरब डॉलर की लागत से हेलिकॉप्टर खरीदने हैं।

रक्षा बजट में पिछले पाँच वर्षों से आठ से दस हजार करोड़ रुपए की सालाना वृद्धि की जाती रही है। इस बार यह वृद्धि नौ हजार छह सौ करोड़ रुपए है। इससे पहले वर्ष यानी 2006-07 का रक्षा बजट 89 हजार करोड़ रुपए था, जिसमें से तीन हजार करोड़ रुपए की राशि रक्षा मंत्रालय खर्च नहीं कर पाया था।

कभी 2001-02 के रक्षा बजट में 65 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान था इस तरह उसमें अब तक चालीस हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हो चुकी है।

पिछले साल के बजट पूँजीगत खर्चों यानी नए सैन्य साजोसामान की खरीदारी के लिए 49 हजार करोड़ रुपए रखे गए थे, जिसमें से रक्षा मंत्रालय करीब 70 प्रतिशत राशि नवम्बर 2007 तक खर्च नहीं कर सका था। इसके बाद मंत्रालय ने एक के बाद एक ताबड़तोड़ बड़े रक्षा सौदों को अंतिम रूप दिया।

आने वाले पाँच वर्षों में भारत 30 अरब डॉलर यानी एक लाख बीस हजार करोड़ रुपए अधिक के सैन्य उपकरणों की खरीदारी करने जा रहा है और 300 सौ करोड़ रुपए से अधिक के किसी भी सौदे में कुल रकम का तीस प्रतिशत निवेश भारतीय रक्षा कम्पनियों में करने की शर्त जोड़ी जा चुकी है। इस तरह आने वाले आधे दशक में भारतीय कम्पनियों को करीब चालीस हजार करोड़ रुपए का विदेशी निवेश मिलेगा।

रक्षा बजट के एक लाख करोड़ रुपए से ऊपर जाने के बावजूद भारत अपने पड़ोसी देशों के मुकाबले रक्षा क्षेत्र काफी कम खर्च कर रहा है। पड़ोसी पाकिस्तान और चीन अपने सकल घरेलू उत्पाद का करीब पाँच प्रतिशत रक्षा क्षेत्र पर लगा रहे हैं, जबकि भारत का रक्षा बजट सकल घरेलू उत्पाद का ढाई प्रतिशत से कम ही रहा है। अंतरराष्ट्रीय जगत में यह भी सर्वविदित है कि चीन और पाकिस्तान घोषित बजट से कहीं अधिक खर्च सैन्य क्षेत्र पर करते हैं।

वित्तमंत्री ने सैनिक स्कूलों की दशा पर भी ध्यान दिया है, जो सैन्य बलों के लिए अधिकारियों की नर्सरी के तौर पर जाने जाते हैं। देश के 22 सैन्य स्कूलों की दशा सुधारने और उनकी ढाँचागत सुविधाओं में सुधार के लिए दो-दो करोड़ रुपए की राशि तय की गई है। इस तरह सैनिक स्कूलों के सुधार पर 44 करोड़ रुपए खर्च किए जाएँगे।

Thursday, February 28, 2008

विकास पर 'लगाम'

विकास पर 'लगाम'

आर्थिक विकास की दर या जीडीपी को लेकर चर्चा पिछले साल नवंबर के बाद ही शुरू हो गई थी जब औद्योगिक उत्पादन के मासिक आँकड़ों में कमी दर्ज की गई थी और उसके बाद अमरीकी सब प्राइम संकट की ख़बर से दुनिया भर में चिंता की लहर दौड़ गई.

अब आर्थिक सर्वेक्षण में भी वैश्विक बाज़ार के असर को स्वीकार किया गया है कि और जीडीपी दर मौजूदा वित्त वर्ष में 8.7 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई है.

अनुमान लगाया गया है कि महँगाई की दर 4.1 प्रतिशत रहेगी. हालाँकि रोज़मर्रा की ज़रुरतों के सामान के दाम बढ़ने पर चिंता जताई गई है.

विकास दर प्रभावित होने की आशंका

हालाँकि वित्त मंत्री को अभी भी उम्मीद है कि इससे आगे निकला जा सकता है. उनका कहना था, "हम दसवीं पंचवर्षीय योजना में 8.7 फ़ीसदी विकास दर हासिल करने में सफल हुए हैं. अर्थव्यवस्था की बुनियाद पक्की है, इसलिए मुझे पूरा भरोसा है कि ग्यारहवीं योजना में नौ फ़ीसदी का लक्ष्य हासिल होगा."

हम दसवीं पंचवर्षीय योजना में 8.7 फ़ीसदी विकास दर हासिल करने में सफल हुए हैं. अर्थव्यवस्था की बुनियाद पक्की है, इसलिए मुझे पूरा भरोसा है कि ग्यारहवीं योजना में नौ फ़ीसदी का लक्ष्य हासिल होगा
वित्त मंत्री पी चिदंबरम


आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने की बात करते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि आर्थिक मंदी के प्रभाव और बुनियादी ढांचागत बाधाएं अर्थव्यवस्था के समक्ष बड़ी चुनौतियां हैं.

विकास दर को दोहरे अंकों में ले जाने को बड़ी चुनौती बताया गया है. सरकार का रिपोर्ट कार्ड मानी जाने वाली समीक्षा में अमेरीकी सब प्राइम संकट, कृषि क्षेत्र के ख़राब प्रदर्शन, रुपये की मज़बूती, भारत की घटती प्रतिस्पर्धा, औद्योगिक विकास में मंदी और पूंजी प्रवाह के प्रबंधन का ज़िक्र प्रमुखता से किया गया है.

सुधार का सुझाव

आर्थिक सुधारों के लिहाज़ से समीक्षा में जो उपाय सुझाए गए उनमें रिटेल कारोबार में विदेशी निवेश की अनुमति, बीमा क्षेत्र में एफडीआई बढ़ाना, नए निजी ग्रामीण कृषि बैंकों में शत प्रतिशत एफडीआई और नवरत्न सरकारी कंपनियों की दस प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना शामिल है.

समीक्षा में जिन नीतिगत सुधारों की बात की गई है, उनमें कोयला खनन क्षेत्र में निजी क्षेत्र के प्रवेश, चीनी, उर्वरक और दवाओं पर नियंत्रण चरणबद्ध ढंग से समाप्त करना भी शामिल है. साथ ही पुराने तेल क्षेत्रों को निजी हाथों में बेचने का भी सुझाव है.।

हालाँकि वामपंथी दलों के विरोध को देखते हुए इन सुधारों पर सरकार कैसे आगे बढ़ेगी, ये देखने वाली बात होगी.

चुनावी रोशनी में बेरोजगारों की छाया

चुनावी रोशनी में बेरोजगारों की छाया
Feb 28, 06:34 pm

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अपने कार्यकाल के दौरान रोजगार सृजन के मोर्चे पर यूपीए सरकार भले ही कुछ खास न कर पाई हो, लेकिन अब चुनावों से ठीक पहले वह इस मसले पर लंबी-चौड़ी घोषणाएं करने के मूड में है। लिहाजा, बेरोजगारों की फौज को कम करने के लिए सरकार जल्द ही कौशल विकास के लिए अहम कदम उठाने के साथ-साथ अन्य संबंधित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव भी कर सकती है। इस आशय के ठोस संकेत बृहस्पतिवार को संसद में वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा पेश आर्थिक समीक्षा में दिए गए हैं।

मानव संसाधन की कमी से जूझ रहे विभिन्न उद्योगों की मांग को भी पूरा करने के लिए समीक्षा में कौशल विकास को सबसे ऊपर रखा गया है। योजना आयोग ने कौशल विकास मिशन का प्रारूप पहले से ही घोषित कर रखा है।

जनतांत्रिक व्यवस्था की सीमाएं चाहे जो भी हों, फिलहाल इस मोर्चे पर अपने इस महत्वपूर्ण दस्तावेज में चिदंबरम ने आगे के लिए सुधारवादी रोडमैप निर्धारित करने का भी जोखिम उठाया है। 'अतिरिक्त सुधारों' पर जोर देते हुए समीक्षा ने नौकरियों के व्यापक अवसर सृजित करने के लिए अन्य विभिन्न क्षेत्रों में नीतिगत सुधारों का ब्लूप्रिंट सामने रख दिया है। संभव है इसकी थोड़ी छाया शुक्रवार को पेश हो रहे आम बजट में भी दिखे। इसके तहत कौशल विकास के मामले में निजी क्षेत्र की भूमिका को बढ़ाने पर जोर दिया गया है।

समीक्षा के मुताबिक नौकरियां पाने के लिए जरूरी कौशल विकास सिर्फ सरकारी एजेंसियों के भरोसे नहीं हो सकता है, लिहाजा निजी क्षेत्र का दखल अनिवार्य है। निजी क्षेत्र स्वतंत्र नियमन ढांचे के अंतर्गत निजी शैक्षिक संस्थान और कौशल विकास संस्थान स्थापित कर सकता है।

मानव संसाधन मंत्रालय की खींचतान के बावजूद समीक्षा ने साफ कहा है कि 'ए' श्रेणी के अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों को भारत में जरूर लाना चाहिए। इनके प्रवेश में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। वहीं, दूसरी ओर 'बी' और 'सी' श्रेणी के अंतरराष्ट्रीय कालेजों व विश्वविद्यालयों को प्रवेश की अनुमति के साथ-साथ अपेक्षाकृत कठोर नियमन ढांचे के तहत रखा जा सकता है। समीक्षा के अनुसार कौशल के मानकीकरण [स्टैंडर्डाइजेशन] के लिए पूरा सिस्टम तैयार करने की जरूरत है।

आर्थिक समीक्षा की मुख्य बातें

आर्थिक समीक्षा की मुख्य बातेंनई दिल्ली-संसद में सरकार की ओर गुरुवार को प्रस्तुत 2007-08 की आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं।

* रुपए के मूल्य में तेज वृद्धि, उपभाक्ता वस्तु उद्योग में मंदी तथा आर्थिक सामाजिक ढाँचे की रुकावटों पर चिंता।

* तीव्र आर्थिक वृद्धि के लिए आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने और राज्यों के स्तर पर सरकारी सेवाओं के चुनिंदा निजीकरण की जरूरत पर बल।

* राजकोषीय मोर्चे पर स्थिति फिलहाल ठीक। अगले वर्ष मोर्चा कठिन हो सकता है।

* 31 मार्च 2008 को समाप्त हो रहे चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि 9.6 से घट कर 8.7 प्रतिशत रहने का अनुमान।

* कृषि और सम्बद्ध क्षेत्र, खनन, मैन्यूफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र तथा वित्तीय और रीयल स्टेट क्षेत्र की वृद्धि दर घटी।

* कृषि क्षेत्र की वृद्धि 3.8 से घट कर 2.6 प्रतिशत, खनन 5.7 से 3.4, मैन्यूफैक्चरिंग 12.0 से 9.4 और कंस्ट्रक्शन उद्योगों की वृद्धि 12 प्रतिशत से घट कर 9.6 प्रतिशत।

* बिजली, व्यापार और होटल क्षेत्र की वृद्धि दर बढ़ी।

* प्रति व्यक्ति आय में 7.2 प्रतिशत और खपत में 5.3 प्रतिशत वृद्धि। मुद्रा स्फीति 4.3 प्रतिशत।

* बैंकों से वाणिज्यिक ऋण की वार्षिक वृद्धि दर 17.5 प्रतिशत से घट कर लगभग 12 प्रतिशत।

बजट में किसानों को राहत संभव

बजट में किसानों को राहत संभव
नई दिल्ली-संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के शुक्रवार को पेश होने वाले आम बजट में किसानों को विशेष राहत पैकेज की घोषणा के साथ साथ ग्रामीण विकास की योजनाओं की एक नई तस्वीर पेश की जा सकती है।

अगला वर्ष चुनावी वर्ष होने के नाते रेल बजट की भांति वित्त मंत्री पी. चिदंबरम का आम बजट भी लोक लुभावन होने की पूरी संभावना है। आम बजट में समाज के हर तबके को खुश करने के लिए चिदंबरम अनेक घोषणाएँ कर सकते हैं। नौकरी पेशा तबके के लिए आयकर छूट सीमा बढ़ाने से लेकर उद्योग जगत को कर में अधिभार से छूट दे सकते हैं लेकिन अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए वित्त मंत्री सेवाकर के दायरे का विस्तार भी कर सकते हैं। केवल इतना ही नहीं वह सेवाकर की दर भी 12 से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर सकते हैं।

संप्रग अध्यक्ष सोनिया गाँधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में मुलाकात कर उनके कर्ज माफ करने और उन्हें ऊँची ब्याज दरों से मुक्ति दिलाने का आग्रह किया है। रायबरेली में अपने चुनाव क्षेत्र में श्रीमती सोनिया गाँधी, वित्त मंत्री के बजट में किसानों और महिलाओं को राहत देने के लिए पहले ही कह चुकी हैं। इस लिहाज से यह तय माना जा रहा है कि इस चुनावी बजट में चिदंबरम किसानों के लिए बड़े पैकेज की घोषणा कर सकते हैं।

वित्त मंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक वृद्धि दर को बनाए रखने के साथ साथ कृषि के मोर्चे पर गतिविधियों को तेज करना है ताकि महँगाई पर भी अंकुश रखा जा सके। उन्हें वित्तीय जबावदेही और बजट प्रबंधन अधिनियम (एफआरबीएम) के दायरे में रहते हुए बजट संतुलन भी बनाए रखना है।

सरकार आर्थिक उन्नति में ग्रामीण विशेषकर पिछड़े तबके को भागीदार बनाने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए उसका ध्यान ग्रामीण और कृषि क्षेत्र पर केन्द्रित है। सरकार मानती है कि 9 से 10 प्रतिशत की उच्च आर्थिक वृद्धि दर बनाए रखने के लिए कृषि क्षेत्र में चार प्रतिशत आर्थिक वृद्धि जरुरी है। इस साल कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 2.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया जा रहा है जबकि पिछले साल इसमें 3.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। इसके साथ ही सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर भी पिछले साल के 9.6 प्रतिशत से कम होकर इस साल 8.7 प्रतिशत रह जाने का अनुमान लगाया गया है।

उधर महँगाई दर जो कि एक समय तीन प्रतिशत से नीचे चली गई थी वापस सिर उठाकर चार प्रतिशत से ऊपर निकल गई है। इस लिहाज से चिदंबरम का पूरा ध्यान कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र के साथ ग्रामीण क्षेत्र में ढाँचागत सुविधाएँ बढ़ाने पर केन्द्रित हो सकता है।

वित्त मंत्री को वित्तीय प्रबंधन के मोर्चे पर भी अपने कौशल का परिचय देना होगा। एफआरबीएम कानून के तहत उन्हें 2008-09 में वित्तीय घाटा जहाँ तीन प्रतिशत तक नीचे लाना है वहीं राजस्व घाटा पूरी तरह समाप्त करना है। यदि ऐसा संभव नहीं हुआ तो एफआरबीएम कानून में संशोधन भी लाना पड़ सकता है। इस चुनावी वर्ष में चिदंबरम क्या कदम उठाते हैं यह उनके संसाधन जुटाने के कौशल पर निर्भर करेगा। इस साल राजस्व वसूली अच्छी रही है। उन्हें बजट अनुमान से भी ज्यादा राजस्व मिलने की उम्मीद है। इसके चलते वित्तीय घाटा 3.3 प्रतिशत रहने का बजट अनुमान और बेहतर हो सकता है। राजस्व घाटा 1.5 प्रतिशत से कुछ कम रह सकता है।

लेकिन अगले साल उन्हें ज्यादा खर्च करने के साथ साथ उसके लिए नए संसाधन भी तलाशने होंगे। वित्त मंत्री कर ढाँचे में ज्यादा बदलाव नहीं करेंगे विशेषज्ञों की ऐसी राय है। ऐसे में जब कर अदायगी 40 प्रतिशत से भी अधिक रफ्तार से बढ़ रही है तो कर दरों में फेरबदल की उम्मीद कम ही है। उम्मीद से अधिक राजस्व वसूली से गदगद वित्त मंत्री निम्न एवं मध्यम वर्ग के आयकर में उनकी छूट सीमा बढ़ाकर उन्हें कुछ राहत पहुँचा सकते हैं।

इस समय 110000 रुपए तक की व्यक्तिगत आय कर मुक्त है। महिलाओं के मामले में यह सीमा 145000 रुपए है और वरिष्ठ नागरिकों की 195000 रुपए तक की सालाना आय कर मुक्त है। इसके अलावा कंपनियों को अधिभार से राहत मिल सकती है।

चिदंबरम के पिछले बजट में सकल बजट सहायता 205100 करोड़ रुपए रखी गई थी जिसमें केन्द्रीय योजनाओं के लिए 154939 करोड़ रुपए थे। अगले वित्त वर्ष में उन्हें भारत निर्माण तथा दूसरी जन कल्याण की योजनाओं के लिए आवंटन बढ़ाना होगा। राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर है। यह योजना एक अप्रैल से देश के सभी ग्रामीण जिलों में लागू करने की पहले ही घोषणा की जा चुकी है।

पिछले साल इसे 200 से बढ़ाकर 330 जिलों में लागू किया गया था। योजना के लिए 12000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। इसके अलावा इसमें शामिल नहीं किए गए जिलों में संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के लिए 2800 करोड़ रुपए का अलग से प्रावधान किया गया था।

सर्वशिक्षा अभियान और मध्याह्लन भोजन योजना भी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएँ हैं। पिछले बजट में इसके लिए 35 प्रतिशत वृद्धि के साथ 23142 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था जिसमें सर्वशिक्षा अभियान के लिए 10671 करोड़ रुपए शामिल थे। मध्याह्न भोजन के लिए 7324 करोड़ रुपए रखे गए थे। इसके अलावा शहरी बेरोजगारी और जवाहरलाल नेहरु राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन तथा लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अंत्योदय अन्न योजना भी सरकार के लिए महत्वपूर्ण है।

जहाँ तक औद्योगिक विकास की बात है इस र्मोचे पर वित्त मंत्री गैर कृषि उत्पादों के आयात पर सीमा शुल्क की वर्तमान दर 10 प्रतिशत से घटाकर 8.5 प्रतिशत कर सकते हैं ताकि कच्चे माल का आयात सस्ता हो और घरेलू उद्योगों की प्रतिस्पर्धा में सुधार आए। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने से घरेलू तेल कंपनियों पर बढ़ते बोझ को कम करने के लिए वह पेट्रोल, डीजल के उत्पाद एवं सीमा शुल्क दरों में फेरबदल कर सकते हैं। सुझाव दिया जा रहा है कि इन पेट्रोलियम उत्पादों पर शुल्क मूल्यानुसार लगाने के बजाय मात्रात्मक दर से लगाया जाना चाहिए ताकि उनकी लागत कम हो।

पिछल बजट में वित्त मंत्री ने पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क 8 से घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया था। सेवाकर के क्षेत्र में 10-15 नई सेवाओं को सेवाकर के दायरे में लाया जा सकता है। अप्रैल 2010 से वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने को देखते हुए सेवाकर की दर 12 से बढ़ाकर 14 प्रतिशत भी हो सकती है। अब तक करीब 100 सेवाएँ सेवाकर के दायरे में आ चुकी हैं। सेवाकर से मिलने वाला राजस्व भी बढ़कर 50000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। नए बजट में यह और बढ़ सकता है।

तो तेलंगाना राज्य बनेगा-आडवाणी

तो तेलंगाना राज्य बनेगा-आडवाणी
नई दिल्ली- राजग के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी ने आज पूर्व नक्सली नेता गदर की अगुआई में यहां धरना दे रहे तेलंगाना के कलाकारों से वादा किया कि अगर उनके गठबंधन की सरकार केंद्र में बनी तो वह पृथक तेलंगाना राज्य का गठन करेगी।

आडवाणी ने जंतर-मंतर पर आयोजित धरना को संबोधित करते हुए गदर की तेलंगाना के कलाकारों को लेकर यहाँ आने के लिए तारीफ की और उसे पूरा समर्थन देने का भरोसा दिलाया। उन्होंने गदर के गीत हम सर्वहारा की आवाज, जय-जय तेलंगाना भी सुना।

इस मौके पर आडवाणी ने कांग्रेस पर तेलंगाना के गठन का वादा नहीं निभाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अगर आंध्रप्रदेश की कांग्रेस सरकार विधानसभा से तेलंगाना राज्य बनाने के लिए प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजे और उसे संसद में लाया गया तो भाजपा उसका पूरा समर्थन करेगी।

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र दूसरा राज्य पुनर्गठन आयोग बनाकर तेलंगाना के वादे को टालना चाहती है। उन्होंने कहा कि अगर यह आयोग बना तो जिले भी राज्य का दर्जा माँगने लगेंगे और देश में फिर से नया संकट खड़ा हो सकता है।

चिदंबरम की अग्नि परीक्षा

चिदंबरम की अग्नि परीक्षा
नई दिल्ली- संप्रग सरकार के आगामी बजट में नौकरी पेशा तबके से लेकर किसानों और महिलाओं को भारी सौगातें मिलने की उम्मीदें व्यक्त की जा रही हैं, लेकिन मनमोहन सिंह सरकार के इस अंतिम पूर्ण बजट में वित्तमंत्री पी. चिदंबरम को बजट संतुलन के मोर्चे पर अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ सकता है।

आम चुनाव से पहले संप्रग का आखिरी पूर्ण बजट पेश करने जा रहे चिदंबरम को जहाँ एक तरफ समाज के हर तबके को खुश रखना है, वहीं दूसरी तरफ उन पर इसके लिए संसाधन जुटाने की भी बड़ी चुनौती होगी। वित्त मंत्री को वित्तीय जबावदेही एवं बजट प्रबंधन कानून (एफआरबीएम) की सीमाओं में रहकर खर्च करना है और इसके चलते उन्हें 2008-09 के बजट में राजस्व घाटे को पूरी तरह समाप्त करना है तो वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत की सीमा में रखना है।

इस वर्ष राजस्व घाटा जीडीपी का प्रतिशत बजट अनुमान है। अगले बजट में इसे एक ही झटके में समाप्त करना इसे कठिन होगा विशेष तौर पर ऐसे समय जब सरकार राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना जैसी जनकल्याण की कई योजनाओं पर खर्च करने की घोषणा कर चुकी है। सरकार एक अप्रैल से रोजगार गारंटी योजना लागू करने की घोषणा कर चुक है।

संप्रग अध्यक्ष सोनिया गाँधी वित्त मंत्री को बजट में महिलाओं और किसानों के हितों का ध्यान रखने के लिए साफतौर पर कह चुकी हैं जबकि उनकी कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि वित्तमंत्री को एफआरबीएम की चिंता छोड़ आम जनता से जुडी योजनाओं के खजाना खोल देने की माँग की है।

ऐसे में चिदंबरम वित्तीय और राजस्व घाटे की तरफ से आँख मूँदकर सार्वजनिक व्यय के आवंटन में उदारता बरत सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें एफआरबीएम कानून के लक्ष्यों संशोधन का प्रस्ताव लाना पड़ सकता है, जैसा कि उन्होंने इस सरकार के पहले ही बजट में किया था।

विश्लेषकों का मानना है कि चालू वित्तीय वर्ष 2007-08 के बजट में वित्त मंत्री को वित्तीय घाटे 3.3 प्रतिशत के लक्ष्य को पाना मुश्किल नहीं होगा और हो सकता है वह इससे भी अच्छी उपलब्धि हासिल कर लें लेकिन आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट, विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी और अंतरराष्ट्रीय तेल एवं जिंस बाजार में बढ़ती महँगाई के बीच छठे वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल करने से अगले वित्तीय वर्ष का बजट बिठाना अब तक के चारों बजटों से ज्यादा कठिन प्रश्न साबित हो सकता है।

वर्ष 2006-07 के 9.6 प्रतिशत के मुकाबले चालू वित्तीय वर्ष में वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया जा रहा है तथा औद्योगिक वृद्धि दर जो पिछले साल तक 11 प्रतिशत से अधिक चल रही थी इस वर्ष घटकर 9.5 प्रतिशत के आसपास आ गई है। इससे राजस्व पर असर पड़ेगा।

उल्लेखनीय है कि वित्तमंत्री कहते हैं कि आर्थिक वृद्धि दर के ऊँची होने पर ही उन्हें सामाजिक विकास की योजनाओं के लिए संसाधन जुटाने में आसानी होगी।

आर्थिक वृद्धि धीमी पड़ने पर चिंता

आर्थिक वृद्धि धीमी पड़ने पर चिंता नई दिल्ली-वर्ष 2007-08 की आर्थिक समीक्षा में रुपए की मजबूती और औद्योगिक माँग में आती गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया है कि 10 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि के लक्ष्य के लिए नए सुधारों को आगे बढ़ाने की जरुरत है।

संसद के दोंनों सदनों में गुरुवार को रखी गई आर्थिक समीक्षा में वर्ष 2007-08 में 8.7 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है जबकि पिछले वर्ष वृद्धि दर 9.6 प्रतिशत थी। समीक्षा में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि दर को अर्थव्यवस्था के रुझान के अनुरुप बताया गया है लेकिन इसमें कहा गया है कि वृद्धि की धीमी गति को देखते हुए ऐसा लगता है कि अर्थव्यवस्था नई तरह की चुनौतियों के लिए पहले से तैयार नहीं थी।

समीक्षा में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी के दौर, रुपए की मजबूती के प्रभावों, उपभोक्ता सामानों की माँग घटने से औद्योगिक उत्पादन धीमा पड़ने और भौतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की तंगी पर चिंता व्यक्त करते हुए इस दिशा में कदम आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है।

समीक्षा में कहा गया है कि केन्द्र और राज्यों के स्तर पर व्याप्त चुनौतियों से निपटने की आवश्यकता है। केन्द्र सरकार को उपयुक्त नीतियों और महँगाई पर अंकुश रखने वाली वृद्धि का मार्ग प्रशस्त करते हुए अर्थव्यवस्था का प्रबंधन करना चाहिए तो राज्यों को अपनी सरकारी और अर्धसरकारी व्यवस्थाओं और सेवाओं में सुधार लाना चाहिए।

इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि राज्यों को विभिन्न सेवाओं और कार्यों को निजी हाथों में सौंप देना चाहिए। समीक्षा कहती है कि ऐसे कार्य जो निजी संगठन अच्छे ढंग से कर सकते हैं उन्हें राज्यों को छोड़ देना चाहिए। तभी वह अपने नागरिकों को बेहतर सेवाएँ दे सकते हैं।

वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि को 10 प्रतिशत ले जाने के लिए केन्द्र और योजना आयोग दोनों को ही कुछ क्षेत्रों में नीतियों और संस्थागत सुधारों के लिए आगे आना चाहिए ताकि आने वाले कई दशकों तक उच्च आर्थिक वृद्धि की नींव रखी जा सके।

समीक्षा में सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में सरकारी प्रणाली की खामियों को उजागर किया गया है।
राज्य सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा गया है कि आखिरी मुकाम पर जब वे व्यक्तियों और एजेंटों के सम्मुख होती हैं, उनकी कार्यप्रणाली वृद्धि दर को बढ़ाने में सबसे बड़ी बाधा नजर आती है। इसमें राज्यों के स्तर पर योजनाओं के मूल्यांकन और आकलन पर जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि इन योजनाओं की अच्छी मंशा होने के बावजूद आपूर्ति प्रणालियाँ कमजोर हैं और जरुरतमंदों तक पूरी तरह नहीं पहुँच पाती हैं।

समीक्षा कहती है कि 11 वीं पंचवर्षीय योजना में सामाजिक कार्यों पर व्यय में भारी वृद्धि को देखते हुए केन्द्र सरकार को सभी योजनाओं के मूल्यांकन की अपनी प्रणाली को मजबूत बनाना चाहिए। साथ ही राज्य सरकारों को भी योजनाओं की निगरानी और सुद्ढीकरण में मदद करना चाहिए।

समीक्षा में कहा गया है कि गेहूँ, दालों और खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि मुख्यतया माँग के मुकाबले घरेलू आपूर्ति में कमी होने के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इनके भावों के बढ़ने के कारण हुई है। महँगाई की दर जो पिछले साल मार्च में 6.6 प्रतिशत की ऊँचाई पर पहुँच गई थी, राजकोषीय, प्रशासनिक और मौद्रिक उपायों के साथ साथ गेहूँ दालों और खाद्य तेलों की अच्छी उपलब्धता से इसे नीचे लाने में खासी मदद मिली है।

समीक्षा में कहा गया है कि उच्च मुद्रास्फीति से गरीब प्रभावित होते हैं। ब्याज दरों पर दबाव से बचत तथा निवेश दोनों पर प्रतिकूल असर पड़ता है और इसे ध्यान में रखकर सरकार मुद्रास्फीति को काबू में रखने को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।

घरेलू बाजार में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में आए उछाल का जिक्र करते हुए समीक्षा में कहा गया है कि इसका मुख्य कारण पिछले महीनों में बना रहा स्फीतिकारी दबाव और माँग एवं आपूर्ति में असंतुलन था।

समीक्षा में कहा गया है कि 2006-07 में गेहूँ, दालों तथा खाद्य तेलों की घरेलू उपलब्धता में कमी से असंतुलन और बढ़ गया। गेहूँ का उत्पादन 2004-06 के दौरान औसतन छह करोड़ 90 लाख टन रहा। कम उत्पादन से सरकार की खरीद कम हुई जिससे भंडारण में गिरावट आई और इन दोनों के मिल जाने के परिणामस्वरुप स्फीतिकारी दबाव बना। वैश्विक उत्पादन और भंडारण में आई गिरावट के कारण यह स्थिति और खराब हो गई।

गेहूँ की कीमतों के बारे में समीक्षा में कहा गया है कि विश्व बाजार में जनवरी-दिसम्बर 2005 के औसतन 136 डॉलर से बढ़ती हुई दिसम्बर 2007 में 345 डॉलर प्रति टन पर पहुँच गई। दालों का उत्पादन डेढ़ करोड़ टन माँग की तुलना में 2004-06 के दौरान औसतन एक करोड़ 32 लाख टन ही रहा। इसी प्रकार तिलहनों के उत्पादन में भी पिछले वित्त वर्ष के दौरान 38 लाख टन की गिरावट रही।

समीक्षा में कहा गया है कि मौद्रिक नीति के जरिए माँग और आपूर्ति में असंतुलन के कारण कीमतों में आए उछाल से स्फीतिकारी संभावनाओं पर काबू पाए जाने की उम्मीद है। इसके अलावा मौद्रिक नीति से पूंजी प्रवाहों में हो रही निरंतर वृद्धि तथा उसके बाद विनिमय दर, विदेशी मुद्रा भंडार तथा नगदी में हुए परिवर्तनों से उत्पन्न दबाव को भी नियंत्रण करना होगा।

विश्व बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आए उछाल का जिक्र करते हुए समीक्षा में कहा गया है कि इससे उर्वरक, ईंधन, लंबी दूरी में वस्तु की परिवहन लागत, एथनाल, मक्का, गन्ना, रैपसीड और अन्य तेल, कपास, कृत्रिम रबर से प्राकृतिक रबर, कोयला, बिजली और गैस आदि वस्तुएँ प्रभावित होती हैं।

राजस्व घाटा समाप्त होना मुश्किल

राजस्व घाटा समाप्त होना मुश्किल
नई दिल्ली- देश की तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था में राजस्व प्राप्ति में भारी बढ़ोतरी के परिणामस्वरुप 2008-09 में वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत पर लाना तो संभव लगता है लेकिन जन कल्याण योजनाओं पर बढ़ते खर्च को देखते हुए राजस्व घाटे को पूरी तरह खत्म करना चुनौतीपूर्ण काम लगता है।

वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने संसद में गुरुवार को पेश 2007-08 की आर्थिक समीक्षा में कहा है कि कर वसूली के जो रुझान प्राप्त हो रहे हैं। उसे देखते हुए 2008-09 तक वित्तीय घाटे को जीडीपी के तीन प्रतिशत पर लाने के लक्ष्य को हासिल करना कोई मुश्किल काम नहीं होगा लेकिन राजस्व घाटा पूरी तरह समाप्त करना काफी चुनौतीपूर्ण होगा। वित्तीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन कानून (एफआरबीएम) के तहत सरकार को 2008-09 तक वित्तीयघाटा तीन प्रतिशत और राजस्व घाटा पूरी तरह समाप्त करना है।

समीक्षा में कहा गया है कि देश की अर्थव्यवस्था का जुड़ाव विश्व के साथ अब अधिक हो गया है इसे देखते हुए वैश्विक स्तर पर होने वाली हलचल पर बारीकी से निगाह रखना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। समीक्षा के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था से अधिक जुड़ाव हो जाने के कारण वहाँ किसी प्रकार की विपरीत स्थिति का घरेलू अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है जबकि पहले ऐसा नहीं था।

पिछले बजट में वित्तीय घाटा 3.7 से घटाकर 3.3 प्रतिशत और राजस्व घाटा दो से घटाकर डेढ़ प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा गया था जिन्हें इस वर्ष मार्च की समाप्ति तक हासिल कर लिए जाने की उम्मीद है।

गत दो वित्त वर्ष के दौरान औसतन नौ प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ रही आर्थिक वृद्धि दर के चालू वित्त वर्ष में घटकर 8.7 प्रतिशत रह जाने का अनुमान समीक्षा में व्यक्त किया गया है।

बजट पूर्व शेयर बाजारों में सुस्ती

बजट पूर्व शेयर बाजारों में सुस्तीमुंबई- देश के शेयर बाजारों में आज आम बजट की पूर्व संध्या पर सतर्कता भरे कारोबार में सुस्ती छाई रही। बीएसई सेंसेक्स में पिछले तीन दिन से चली आ रही तेजी थमी और इसमें दो अंक की मामूली गिरावट रही। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में 17 अंक की हल्की बढ़त दर्ज की गई।

कारोबार के दौरान शेयर बाजारों में बहुत उठापटक नहीं देखी गई। चालू माह का वायदा और निपटान सत्र का आज अंतिम दिन होने के कारण कारोबारी सौदे पूरे करने में व्यस्त दिखे। उधर कल आगमी वित्त वर्ष का बजट संसद में पेश होना है। उसे लेकर भी कारोबारियों ने सतर्कता अधिक बरती। विदेशी शेयर बाजारों से भी कोई उत्साहवर्द्धक समाचार नहीं थे। यूरोप के शेयर बाजार नीचे दिखे। हांगकांग के हैंगसैंग ने अपनी बढ़त तीसरे दिन भी बनाये रखी, जबकि चीन के शंघाई कम्पोजिट सूचकांक में 0.80 प्रतिशत और जापान के निक्केई में भी इतनी ही गिरावट देखी गई।

सेंसेक्स में गिरावट इसमें भारी भरकम योगदान रखने वाले रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे शेयरों के गिरने से दर्ज की गई। हालाँकि 30 कंपनियों के सूचकांक में 21 फायदे और नौ नुकसान में थे।

सत्र की शुरुआत में ही सेंसेक्स में हल्की गिरावट का रुख दिखा। कल के 17825.99 अंक की तुलना में यह 15 अंक नीचे खुला और ऊँचे में 111 अंक बढ़कर 17921.51 अंक तक जाने के बाद 17690.16 अंक तक टूटा। समाप्ति पर इसकी तुलना में यह कुछ सुधरा और मात्र 1.51 प्रतिशत अर्थात 0.01 प्रतिशत का नुकसान होने से 17824.48 अंक पर बंद हुआ। एनएसई का निफ्टी 16.70 अंक अर्थात 0.32 प्रतिशत बढ़कर 5285.10 अंक पर पहुँच गया।

संसद में आज पेश 2007-08 के आर्थिक सर्वेक्षण में ऐसी कोई विशेष बात नहीं थी, जिससे कि शेयर बाजारों को कोई संजीवनी मिल सके। इसमें चालू वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 8.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ मुद्रास्फीति को आने वाले महीनों में नियंत्रण में रहने की बात कही गई है।

मिडकैप और स्मालकैप के सूचकांकों में गिरावट से बीएसई का रुख भी नकारात्मक रहा। दोनों सूचकांकों में क्रमश: 11.80 तथा 5.73 अंक का नुकसान देखा गया। अन्य सूचकांकों में बैंकेक्स, ऑयल एंड गैस, रियलटी और एफएमसीजी नीचे थे जबकि धातु, ऑटोमोबाईल और कैपीटल गुड्स में सुधार दिखा।

बीएसई में कुल 2784 कंपनियों के शेयरों में कामकाज हुआ। इसमें से आधे से अधिक अर्थात 51.87 प्रतिशत यानि 1444 में नुकसान हुआ जबकि 46.01 प्रतिशत अर्थात 1281 कंपनियों के शेयर ऊपर रहे1 मात्र 59 कंपनियों के शेयरों में कोई घटबढ़ नहीं थी।

सेंसेक्स में सर्वाधिक भारांक रखने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 1.97 प्रतिशत अर्थात 50.85 रुपए के नुकसान से 2536.70 रुपए पर बंद हुआ। वैसे सेंसेक्स में प्रतिशत के लिहाज से सर्वाधिक गिरावट रियलटी कंपनी डीएलएफ के शेयर में 2.37 प्रतिशत रही। इसका शेयर 19.55 रुपए गिरकर 805.35 रुपए रह गया।

एसबीआई में 2038.70 रुपए पर 2.11 प्रतिशत अर्थात 43.85 रुपए निकल गए। रिलायंस एनर्जी, अम्बूजा सीमेंट, इन्फोसिस टेकनोलोजीस, एसीसी, आईसीआईसीआई बैंक और रिलायंस कम्युनीकेशंस में भी गिरावट रही।

फायदे वाली कंपनियों में सर्वाधिक बढ़त हिंडाल्को इंडस्ट्रीज के शेयर में 4.03 प्रतिशत की थी। इसका शेयर 7.90 रुपए बढ़कर 203.50 रुपए पर बंद हुआ। बजाज ऑटो में 2255 रुपए पर 3.61 प्रतिशत अर्थात 78.60 रुपए का फायदा रहा।

एचडीएफसी, महिन्द्रा एंड महिन्द्रा, भेल, सिप्ला लिमिटेड, सत्यम कंप्यूटर, रैनबैक्सी लैब, टाटा स्टील, विप्रो लिमिटेड, एचडीएफसी बैंक, ग्रासिम इंडस्ट्रीज, एनटीपीसी लिमिटेड़ टाटा मोटर्स, मारुति सुजूकी, भारती एयरटेल, एलएंडटी, टीसीएस लिमिटेड, आईटीसी और हिन्दुस्तान यूनीलीवर के शेयर फायदे वाले शेयरों में शामिल रहे।

गुजरात दंगों में मारे गए मुस्लिमों को शहीद दर्जा

गुजरात दंगों में मारे गए मुस्लिमों को शहीद दर्जा
Feb 27, 11:02 pm

देवबंद[जासं]। दारुल उलूम ने गुजरात दंगों में मारे गए मुसलमानों को विशुद्ध रूप से शहीद का दर्जा देकर नई बहस को जन्म दे दिया है। दारुल उलूम ने एक सवाल पर यह आनलाइन फतवा दिया है।

भारत के ही किसी हिस्से से ई-मेल के जरिए दारुल उलूम के आनलाइन फतवा विभाग से पूछा गया था, 'जो लोग गुजरात दंगों में मारे गए हैं, वे किस श्रेणी में हैं? क्या हम उन्हें इस्लाम के मुताबिक शहीद कह सकते हैं?' इस पर दारुल उलूम के फतवा के मुताबिक कुरआन और हदीस के हवाले से कहा गया है कि, 'गुजरात दंगों के दौरान जो लोग मारे गए हैं, वे वास्तविक शहीद हैं। इन्हें शहीद कहकर पुकारा जा सकता है।'

इस बाबत दारुल उलूम के शेखुल हदीस मौलाना अंजर शाह कश्मीरी, फतवा विभाग के नायब प्रभारी मुफ्ती अहसान कासमी और महाद-ए-अनवर के मुफ्ती शादान जामी से 'जागरण' ने विस्तार से पूछा तो उन्होंने कहा, 'हदीस और कुरआन में स्पष्ट उल्लेख है कि जो लोग अपनी जान, माल, बीवी और बच्चों की सुरक्षा करते हुए मारे जाएंगे, वे शहीद कहलाएंगे। सबसे बड़ा शहीद धर्म की रक्षा करते हुए मारा गया व्यक्ति होता है।' इन्होंने कहा कि गुजरात में दंगों के दौरान जो लोग मारे गए वे बेकसूर थे। इसलिए उन्हें शहीद का दर्जा मिलेगा। इन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ जंग के मैदान में पीठ दिखाकर भागने वाला व्यक्ति यदि मारा जाता है तो उसे शहीद का दर्जा नहीं दिया जा सकता। बेकसूर और निहत्थे व्यक्ति के अलावा यदि धर्म, संपत्ति और परिवार की रक्षा के उद्देश्य से लड़ते हुए भी कोई व्यक्ति मारा जाता है तो वह शहीद कहलाएगा।

लगातार तीसरे दिन नहीं चली संसद

लगातार तीसरे दिन नहीं चली संसद
Feb 28, 12:29 pm

नई दिल्ली। किसानों के कर्जे माफ करने तथा उनकी विभिन्न समस्याओं को लेकर विपक्षी राजग तथा यूएनपीए ने लगातार तीसरे दिन संसद में भारी हंगामा किया और एक बार के स्थगन के बाद लोकसभा और राज्यसभा की बैठकें शुक्रवार अपराह्न एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

संसद का बजट सत्र शुरू हुए तीन दिन हो चुके हैं, लेकिन किसानों के मुद्दे पर सदस्यों के रवैये के कारण लगातार तीसरे दिन दोनों सदनों में प्रश्नकाल नहीं हो सका। लोकसभा में बुधवार को जहां वर्ष 2007-08 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने तथा आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाने के बाद हंगामे के कारण बैठक बृहस्पतिवार तक के लिए स्थगित कर दी गई, वहीं राज्यसभा में कामकाज के नाम पर केवल राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव ही पेश किया जा सका।

लोकसभा में एक बार के स्थगन के बाद सदन की बैठक जब 12 बजे दोबारा शुरू हुई तो वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा आर्थिक सर्वेक्षण पेश किए जाने तथा आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए जाने के तुरंत बाद राजग तथा यूएनपीए सदस्य किसानों की समस्या का मुद्दा उठाने लगे।

भाजपा शिवसेना तथा समाजवादी पार्टी और अकाली दल सदस्य नारेबाजी करते हुए अध्यक्ष के आसन के समक्ष आ गए। उधर सत्तारूढ़ संप्रग के प्रमुख घटक राष्ट्रीय जनता दल के सदस्य महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के खिलाफ कथित अत्याचार का मामला उठाते हुए अगली पंक्ति के करीब आ गए।

अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने सदस्यों से अपने स्थान पर जाने का अनुरोध करते हुए कहा कि वह उन लोगों को अपनी बात रखने की अनुमति देने को तैयार हैं जिन्होंने नोटिस दिए हैं, लेकिन सदस्यों पर उनकी बात का असर नहीं हुआ। अध्यक्ष ने यह कहते हुए कि लगता है आप लोग काम नहीं करना चाहते सदन की बैठक शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी।

इससे पहले सुबह भी सदन की बैठक शुरू होते ही समाजवादी पार्टी, अकाली दल तथा भाजपा और शिवसेना सदस्य किसानों के मुद्दे को लेकर आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे। अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने सदस्यों के इस व्यवहार पर भारी दुख, निराशा तथा क्षोभ जताते हुए कहा कि आज राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होनी है और उन्हें सदस्यों के बर्ताव के चलते सदन को स्थगित करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

उधर, राज्यसभा में सुबह बैठक शुरू होते ही राजग तथा यूएनपीए सदस्यों ने किसानों का मुद्दा उठाया और नारेबाजी शुरू की। सभापति मोहम्मद हामिद अंसारी ने हंगामा बढ़ते देख कुछ ही मिनट बाद बैठक 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। सदन के दोबारा बैठने पर भी हंगामे की स्थिति रही। हंगामे के बीच ही अंसारी ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए तथा वित्त राज्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने वर्ष 2007-08 का आर्थिक सर्वेक्षण और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जनार्दन द्विवेदी ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया। हंगामा थमता न देख सभापति ने बैठक सदन शुक्रवार अपराह्न एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

करार की समय सीमा पता है: भारत

करार की समय सीमा पता है: भारत
Feb 28, 03:26 pm

नई दिल्ली। असैनिक परमाणु करार को यथाशीघ्र संपन्न करने के लिए अमेरिका के जोर दिए जाने के बीच भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह समय सारिणी से वाकिफ है, लेकिन बातचीत अपना समय लेती है।

विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने कहा कि हम किसी समयसीमा पर गौर नहीं कर रहे हैं। हमें समय-सारिणी के बारे में पता है हम जानते हैं कि क्या करना है। उनका ध्यान इस ओर दिलाया गया कि अमेरिका करार को यथाशीघ्र संपन्न करने के लिए भारत पर जोर डाल रहा है। अमेरिकी उप वाणिज्य मंत्री मारियो मानकुसो से यहां उच्च-प्रौद्योगिकी निर्यात पर बातचीत के बाद मेनन ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार कोशिश कर रही है और उसे उम्मीद है कि यथाशीघ्र आईएईए के साथ समझौता हो जायेगा। उन्होंने कहा कि लेकिन ये वार्ताएं हैं। तालियां दोनों हाथों से बजती हैं।

अमेरिकी रक्षा मंत्री राबर्ट गेट्स ने बुधवार को ही कहा था कि समय बीत रहा है और भारत को आईएईए के साथ बातचीत संपन्न करने तथा यथाशीघ्र परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह [एनएसजी] से छूट का प्रयास करने की जरूरत है।

गेट्स ने यहां कहा कि किसी समझौते के सभी विभिन्न पहलुओं के क्रियान्वयन के लिए कितना समय है, इसे देखते हुए समय बीतता जा रहा है। उन्होंने समयसीमा यह कहते हुए स्पष्ट की कि चुनाव का वर्ष होने के कारण यह खुला प्रश्न है कि इस गर्मियों के बाद और सितंबर में सीनेट का सत्र कितना लंबा चलेगा।

पिछले साल सीनेट के तीन सांसदों, जान केरी, जोसेफ बिडेन तथा चुक हागेल ने कहा था कि भारत को आईएईए के साथ बातचीत सम्पन्न करने की और मई तक एनएसजी से छूट हासिल करने की जरूरत है।

लेफ्ट ने की आर्थिक सर्वेक्षण की निंदा

लेफ्ट ने की आर्थिक सर्वेक्षण की निंदा
Feb 28, 05:11 pm

नई दिल्ली। वित्तमंत्री पी चिदंबरम द्वारा संसद में पेश किए गए वर्ष 2007-08 के आर्थिक सर्वेक्षण की वामपंथी दलों ने आलोचना की है। वाम दलों ने कहा है कि सरकार भले ही लाख दावे करे कि लेकिन सच्चाई यही है कि देश का आर्थिक स्वास्थ्य अच्छा नहीं है।

मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और राज्य सभा सदस्य सीताराम येचुरी ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार ने अपने आर्थिक सर्वेक्षण में वर्ष 2007-08 के लिए विकास की दर 8.7 फीसदी बताया है, जबकि जनवरी के महीने में विकास की दर 9.6 फीसदी तक पहुंच गई थी। उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति की वास्तविकता क्या है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है।

येचूरी ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र की हालत खस्ता है, किसान आत्महत्याएं कर रहा है और सेवा क्षेत्र में चल रही योजनाओं का हाल किसी से छुपा नहीं है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर देखा जाए तो देश का आर्थिक स्वास्थ्य अच्छा नहीं है। आर्थिक सर्वेक्षण पर सवाल उठाते हुए येचुरी ने कहा कि रोजगार बढ़ाने की दिशा में सरकार की ओर से कोई पर्याप्त कदम नहीं उठाया गया है और जो उठाया भी गया है वह रोजगार बढ़ाने के लिए नाकाफी है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार बचत का दावा तो कर रही है लेकिन बचत के सही इस्तेमाल की कोई योजना उसके पास नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार मौके का फायदा नहीं उठा पा रही है।

सरकार पर कृषि क्षेत्र को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए येचुरी ने कहा कि सरकार ने कृषि क्षेत्र के विस्तार की कोशिश ही नहीं की। उन्होंने कहा कि यह खतरनाक है क्योंकि अनाज के उत्पादन में लगातार कमी आ रही है।

लोकतंत्र के खात्मे में लगे है सांसद

लोकतंत्र के खात्मे में लगे है सांसद
Feb 28, 06:34 pm

नई दिल्ली। भारी हंगामा और नारेबाजी कर सदन की बैठक को लगातार तीसरे दिन बाधित करने वाले सदस्यों के व्यवहार से बेहद दुखी लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने बड़े निराशाजनक लहजे में कहा कि सदस्य लोकतंत्र को खत्म करने के लिए ओवरटाइम कर रहे हैं।

बृहस्पतिवार को सदन की बैठक शुरू होते ही किसानों के कर्जे माफ किए जाने की मांग करते हुए राजग घटक भाजपा, शिवसेना तथा समाजवादी पार्टी और अकाली दल सदस्य अध्यक्ष के आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे।

राजग के बाकी सहयोगी दल बीजू जनता दल तथा जनता दल यू सदस्य अपने स्थानों पर खड़े होकर उनकी मांग का समर्थन करते देखे गए। अध्यक्ष ने सदस्यों से कहा कि उन्होंने कभी भी किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा कराने से इनकार नहीं किया है लेकिन उसके लिए उचित माध्यम अपनाया जाना चाहिए लेकिन सदस्यों ने उनकी इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और वे नारेबाजी करते रहे।

इस पर अध्यक्ष ने बेहद निराशा के साथ कहा कि आप लोग इस देश के लोकतंत्र को समाप्त करने के लिए ओवरटाइम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सदस्यों ने विभिन्न मुद्दों पर ढेरों नोटिस दे रखे हैं लेकिन उनका यह व्यवहार चर्चा में बाधक है।

अध्यक्ष ने कहा कि आज सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश होना है। उन्होंने कहा कि बेहद दुख, उदासी तथा गहरी नाराजगी के साथ मुझे सदन की कार्यवाही स्थगित करने को मजबूर होना पड़ रहा है। अब देश फैसला करेगा। उन्होंने साथ ही नारेबाजी कर रहे सदस्यों के नाम भी मांगे। इसके बाद उन्होंने सदन की बैठक 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। गौरतलब है कि संसद का बजट सत्र शुरू होने के बाद से इस मुद्दे पर आज लगातार तीसरे दिन भी सदन में हंगामा हुआ और इसके चलते सदन सामान्य रूप से नहीं चल सका।

सेतुसमुद्रम पर काम जारी-केन्द्र

सेतुसमुद्रम पर काम जारी-केन्द्र


नई दिल्ली (भाषा), बुधवार, 27 फरवरी 2008( 18:04 IST )






सरकार ने बुधवार को कहा कि मई 2005 में मंजूर किए गए सेतुसमुद्रम नहर परियोजना पर काम जारी है। बहरहाल उच्चतम न्यायालय के आदेश के मद्देनजर 'एडम्स ब्रिज' क्षेत्र ड्रेजिंग कार्य को रोक दिया गया है।

पोत परिवहन, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री टीआर बालू ने अधलराव पाटील, शिवाजीराव आनंदराव विठोबा अडसूल और रविप्रकाश वर्मा के सवाल के लिखित जवाब में लोकसभा में यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि सेतुसमुद्रम परियोजना से संबंधित कुछ मामलों और रिट याचिकाओं के संबंध में सरकारी वकील के उच्चतम न्यायालय के समक्ष 14 सितंबर 2007 को किए गए निवेदनों के तहत सरकार ने 5 अक्टूबर 2007 को प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक समिति का गठन किया।

उन्होंने कहा कि समिति का काम सभी संबंधित पक्षों से आपत्तियाँ और सुझाव आमंत्रित करना और उनकी निजी सुनवाई के बाद सभी संबंधित पक्षों से आपत्तियाँ और सुझाव आमंत्रित करना और उनकी निजी सुनवाई के बाद सभी सुझावों प्रस्तावों और दस्तावेजों पर विचार करना था।

इस समिति ने 29 नवंबर 2007 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। समिति की रिपोर्ट विचाराधीन है। बालू ने कहा कि इस परियोजना पर नवम्बर 2008 में काम शुरू होने की उम्मीद है, परन्तु यह उच्चतम न्यायालय के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा।

चुनावी नहीं है रेल बजट-लालू

चुनावी नहीं है रेल बजट-लालू


पटना (भाषा), बुधवार, 27 फरवरी 2008( 23:15 IST )






रेलमंत्री लालू प्रसाद ने मंगलवार को लोकसभा में रेल बजट पेश करने के बाद बुधवार को कहा कि उनके द्वारा पेश किया गया यह बजट 'चुनावी बजट' नहीं बल्कि ऐतिहासिक बजट है।

साथ ही उन्होंने विपक्षी राजग द्वारा इस बजट की आलोचना को पूरी तरह से नकार दिया और कहा कि विभिन्न उद्योग और वाणिज्य विशेषज्ञों ने इस बजट की काफी प्रशंसा की है और इससे शेयर बाजार में भी तेजी आई है।

लालू ने कहा कि यह बजट कतई चुनावी नहीं है। इस बजट की चारों तरफ प्रशंसा हुई है और इससे आम जनता को कोई निराशा नहीं हुई है, लेकिन जो मेरे राजनीतिक विरोधी हैं वे मेरी क्षमता के प्रति जलन के चलते इसका विरोध कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह बजट चुनाव को ध्यान में रखकर नहीं पेश किया गया है बल्कि जब से उन्होंने रेल मंत्रालय का कार्यभार संभाला है तब से इस मंत्रालय की दशा सुधारने के लिए वह लगातार प्रयास कर रहे हैं और यह बजट भी उसी की एक कड़ी है।

रेलमंत्री ने कहा कि रेलवे के लाखों कर्मचारियों की कड़ी मेहनत और एकजुट प्रयास की बदौलत रेलवे को मुनाफा कमाने वाली संस्थान बनाया गया है।

कांग्रेस ही धर्मनिरपेक्ष पार्टी-मनमोहन

कांग्रेस ही धर्मनिरपेक्ष पार्टी-मनमोहन
शिलांग की चुनाव रैली में प्रधानमंत्री

शिलांग (भाषा), गुरूवार, 28 फरवरी 2008( 09:32 IST )

प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने बुधवार को कहा कि संप्रग सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग जिंदगी का भरपूर लुत्फ उठाएँ और देश के अन्य लोगों के साथ मिलकर समृद्धि की ओर अग्रसर हों। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है, जो धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखती है।

सिंह ने एक चुनावी रैली में कहा कि हम क्षेत्र के कई राज्यों में नाराज संगठनों के साथ बातचीत कर शांति के रास्ते पर अग्रसर हुए हैं और पूरे क्षेत्र में शांति लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग जिंदगी का भरपूर लुत्फ उठाएँ और देश के अन्य लोगों के साथ मिलकर समृद्धि की ओर अग्रसर हों।

उन्होंने कहा कि क्षेत्र के युवाओं ने कठिन मेहनत के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है, लेकिन नौकरी की तलाश में उन्हें अपना राज्य छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम यह प्रयास कर रहे हैं कि ऐसे युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार के अवसर तैयार किए जाएँ। संप्रग ने क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के लिए ठोस कदम उठाए हैं। इससे क्षेत्र में रोजगार का सृजन होगा। उन्होंने क्षेत्र में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों की शैक्षणिक स्तर की सराहना की।

मनमोहन सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर औद्योगिक और निवेश नीति से क्षेत्र में होटल, अस्पताल, नई बिजली परियोजना समेत अन्य क्षेत्रों में निवेश बढ़ेगा।

उन्होंने दावा किया देश में मौजूद विविधता में एकता का सम्मान करने वाली एकमात्र पार्टी कांग्रेस ही है। उन्होंने कहा कांग्रेस ने ही एक तरफ क्षेत्र के लोगों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश की, वहीं दूसरी ओर इस क्षेत्र की अनूठी संस्कृति, इतिहास और पहचान को बनाए भी रखी।

उन्होंने कहा कोई भी दूसरा दल धर्मनिरपेक्षता में उस कदर विश्वास नहीं करता, जितना हम करते हैं। कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जिसने नाराज संगठनों के साथ बातचीत कर कई राज्यों में शांति कायम की।

शिलांग को पूर्वोत्तर क्षेत्र की रानी बताते हुए सिंह ने कहा कि जब भी कोई पूर्वोत्तर क्षेत्र के बारे में सोचता है, जो सबसे पहला स्थान जेहन में आता है वह है शिलांग। पर्यटन के क्षेत्र में इसकी असीम संभावनाएँ हैं।

उन्होंने कहा कि लेकिन इसके लिए जरूरी है कि सड़क संपर्क और अन्य बुनियादी ढाँचे को मजबूत बनाया जाए। इस दिशा में संप्रग सरकार प्रयत्नशील है।

'रोजगार गारंटी' में भ्रष्‍टाचार का ब्रेक

'रोजगार गारंटी' में भ्रष्‍टाचार का ब्रेक

-मिथिलेश कुमार
केन्‍द्र की संप्रग सरकार के महत्‍वाकांक्षी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का एक अप्रैल 2008 से देश के बाकी सभी जिलों में विस्‍तार किया जाएगा।

दो वर्षों के अल्‍प समय में इस योजना को पूरे देश में लागू किया जाना सरकार का एक महत्‍वपूर्ण उपलब्‍धि होगी। क्‍योंकि योजना बनाए जाने के पहले इसकी काफी आलोचना की गई थी, जिसमें योजना के लिए धन कहाँ से आएगा, यह सबसे बड़ा सवाल था?

सरकार ने योजना के लिए पर्याप्‍त धन उपलब्‍ध कराकर अपनी प्रतिबद्धता दिखा दी है। यह अकेली ऐसी योजना है, जिसने ढाई करोड़ से ज्‍यादा लोगों को रोजगार मुहैया कराया है। भले ही इसकी सीमाएँ हैं। यह मात्र 100 दिन के रोजगार की गारंटी देता है। अभी तक केवल 330 जिलों के लोग ही इसका लाभ उठा पाए हैं, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद भारी भ्रष्‍टाचार की शिकायतों का दौर नहीं थमा है, जो योजना के शुरुआती समय से ही उठता रहा है।

ग्रामीण क्षेत्र के असंगठित मजदूरों के हित में कदम उठाने के लिए राष्‍ट्रीय सलाहकार परिषद ने दो साल चली व्‍यापक बहस के बाद राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी का मसौदा तैयार किया था। इस योजना को 2 फरवरी 2006 को देश के 200 चुनिंदा जिलों में शुरू किया गया था, जिसमें अगले वर्ष और 130 जिलों को शामिल किया गया। अब इन दो सालों में जो नतीजे मिले हैं, उसे देखते हुए ही इसे देश के बाकी सभी जिलों में लागू किए जाने का फैसला किया गया है।

यह अधिनियम 7 सितंबर 2005 को इस उम्‍मीद से अधिसूचित किया गया कि अकुशल शारीरिक श्रम के इच्‍छुक प्रत्‍येक परिवार के वयस्‍क सदस्‍यों को वित्तीय वर्ष में कम से कम सौ दिन का रोजगार मुहैया कराने की गारंटी दी जाएगी।

सरकार ने इस योजना के 2 वर्ष पूरे होने पर इसकी सफलता के जो दावे किए हैं, उसे मानें तो वर्ष 2007-08 के दिसंबर तक 2.57 करोड़ परिवारों को रोजगार दिया गया और इससे रोजगार के 85.51 करोड़ श्रम दिवस सृजित किए गए, जबकि अभी एक तिमाही के आँकड़े आने बाकी है।

इसके पहले 2006-07 में इस योजना में 2.10 करोड़ परिवारों को रोजगार दिया गया था और 90 करोड़ श्रम दिवस सृजित किए गए थे। तब मात्र 200 जिलों के लोगों को इसका लाभ मिला था और इस मद में 8823.35 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे, जबकि वर्तमान वित्त वर्ष में दिसंबर 2007 तक 9105.74 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। योजना के अंतर्गत 13 लाख से अधिक छोटे-बड़े काम कराए गए हैं, जिसमें आधे से अधिक जल संरक्षण से संबंधित कार्य हैं।

काम पाने में महिलाओं की हिस्‍सेदारी भी उल्‍लेखनीय रही है। 2006-07 में इस योजना में महिलाओं की भागीदारी 41 प्रतिशत थी, वह चालू वर्ष में 44 प्रतिशत हो गई है। योजना से लाभान्‍वित होने वालों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों की हिस्‍सेदारी भी वर्ष 2006-07 में 61.79 प्रतिशत थी, वह चालू वर्ष में 58.29 प्रतिशत रही है। इसे और भी बढ़ाया जा सकता है और इसमें सिविल सोसायटी संगठनों की भूमिका और उल्‍लेखनीय हो सकती है। ये संगठन राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 के अंतर्गत समुदायों को अपने अधिकारों के प्रयोग के प्रति जागरूक बना सकते हैं।

भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के हाल ही में जारी रिपोर्ट कार्ड के अनुसार, गुजरात, हरियाणा, महाराष्‍ट्र, मेघालय, पंजाब और तमिलनाडु ने तो रोजगार की माँग करने वाले सभी परिवारों को रोजगार उपलब्‍ध कराया है। महाराष्‍ट्र में उपलब्‍ध 44678.41 लाख रुपए की निधि में से 9877.46 लाख रुपए व्‍यय करके काम माँगने वाले सभी लोगों को रोजगार उपलब्‍ध करा दिया है जबकि कुल 8110 कार्यों में से अभी मात्र 1397 कार्य पूरे किए गए हैं, शेष कार्य चल रहे हैं।

इसी तरह पंजाब में योजना के लिए उपलब्‍ध 4339.68 लाख रुपए की निधि में से 1277.74 लाख रुपए व्‍यय कर 701 कार्य पूरे किए गए हैं। जबकि इससे अधिक कार्य चल रहे हैं।

हालाँकि पूर्वोतर राज्‍यों में योजना ने अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं किया है। मणिपुर में रोजगार की माँग करने वालों में अधिकांश को रोजगार तो उपलब्‍ध करा दिया गया है, लेकिन वहाँ चल रहे 1232 कार्यों में से 2 कार्य ही पूरे हो सके हैं। नगालैंड में चल रहे 102 कार्यों में एक भी पूरा नहीं हुआ है और उपलब्‍ध 2309.72 लाख रुपए में से अभी 327.84 लाख रुपए खर्च हुए हैं। जाहिर है वहाँ पूरी राशि व्यय नहीं हो पाएगी। वैसे सरकार को इन राज्‍यों की समीक्षा करनी चाहिए।

योजना के लिए वित्तीय मदद में 90 फीसदी केन्‍द्र सरकार और शेष 10 फीसदी राज्‍य सरकार को वहन करना होता है। इसमें अधिकांश राज्‍य सरकार के खर्च का ब्‍योरा बताता है कि पिछड़े माने जाने वाले राज्‍यों की सरकारों ने भी अपनी हिस्‍सेदारी में कोताही नहीं बरती है।

केरल, आंध्रप्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, प. बंगाल और अन्‍य राज्‍यों में इस योजना के तहत काम करने वालों की मजदूरी के भुगतान में पारदर्शिता के लिए बैंकों और डाकघरों में 64 लाख खाते खोले गए हैं। राज्‍य और केन्‍द्र सरकारों के वरिष्‍ठ अधिकारियों द्वारा तथा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा कार्यों की गहन जाँच की जा रही है। परियोजना के नियोजन, कार्यान्‍वयन और निगरानी में ग्राम पंचायतों, मध्‍य स्‍तरीय पंचायतों ओर जिला पंचायतों को शामिल किया गया है ताकि वे ही योजनाएँ बनाएँ और उनका क्रियान्‍वयन किया करें।

सरकार इसे ग्रामीण श्रमिकों के लिए पूरक मजदूरी आय के रूप में प्रचारित कर रही है। क्‍या वाकई इस पूरक मजदूरी से ग्रामीणों की आय में अंतर आ पाया है? इसका कोई अध्‍ययन सामने लाया जाना चाहिए। इस योजना से जुड़ने के बाद किसी बेरोजगार आदमी के जीवन में किस तरह की आर्थिक उन्‍नति हुई है।

आँकड़ों की हकीकत के बीच आलोचनाएँ : मध्‍यप्रदेश में रोजगार गारंटी को लेकर खुशी का माहौल है। राज्‍य सरकार की जहाँ देशभर में सबसे अधिक रोजगार उपलब्‍ध कराने को लेकर बाँछें खिली हुई हैं, वहीं लोगों के सामने भी इस मिथ्या को बढ़ा-चढ़ाकर परोसा जा रहा है। असल में हकीकत इससे कोसों दूर है।

भारत सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट कार्ड में मध्‍यप्रदेश सरकार को अच्‍छा काम करते हुए बताया गया। योजना के लिए कार्य पर व्‍यय करने, पूर्ण करने और श्रम दिवस सृजित करने में मध्‍यप्रदेश अव्‍वल रहा है लेकिन भोजन का अधिकार अभियान की प्रदेश इकाई ने अपने अध्‍ययन रिपोर्ट में कई खामियाँ गिनाईं, जिनके निराकरण की बात इन दो सालों में बार-बार दोहराई गई हैं।

शिकायतें भी वही जो शुरू से की जा रही हैं- जरूरतमंद ग्रामीण मजदूरों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ बरती जा रही हैं। कार्यस्‍थल पर मजदूरों के लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव पाया गया है। समय पर मजदूरी का भुगतान नहीं हो रहा है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के दावों के उलट कई लोगों को माँगने के ‍बाद भी काम नहीं मिला। जॉब कार्ड में गलत इंट्री करने, बिना काम दिए जॉब कार्ड में काम करने का ब्‍योरा दर्ज करना या 2006 में कराए गए कार्यों का भुगतान अब तक न हो पाना, विकास योजनाएँ के लिए ग्राम सभा की बैठक न बुलाए जाने जैसी शिकायतें मिली हैं।

दिल्‍ली स्‍थित पर्यावरण और खाद्य सुरक्षा केन्‍द्र ने भी उड़ीसा के ग्रामीण इलाकों में अध्‍ययन के दौरान इसी तरह की शिकायतें पाकर सरकार के दावों पर सवालिया निशान लगाया था। राजस्‍थान के झालावाड़ में जनसुनवाई कर रहे अरुणा राय और निखिल डे के सामने भी वही शिकायतें आती हैं जो मध्‍यप्रदेश में इस योजना के संयुक्‍त सचिव एके सिंह के सामने टीकमगढ़, पन्‍ना, छतरपुर या सतना से आए लोग करते हैं।

उत्तरप्रदेश के उरई, जालौन, महोबा या बाँदा में भी योजना की खामियों के मुद्दे अलग नहीं हैं। कहीं फर्जी फर्म के नाम पर बिल बनाकर भुगतान उठा लिए जाने का मामला है तो कहीं एक ही दिन में एक ही जगह पर कराए जा रहे काम के लिए लाए गए सामानों की दर अलग-अलग रसीदों में अलग-अलग पाई गई हैं।

भ्रष्‍टाचार की तमाम शिकायतें जो आ रही हैं। इससे कैसे निपटा जाए, इस अहम सवाल का समाधान कर सरकार अपने दावों को गंभीरता से रख सकती है। भ्रष्‍टाचार पर अंकुश के उपाय किए बिना इसकी सफलता पर सवाल उठते ही रहेंगे। वैसे भी योजना की आलोचनाएँ इसे सशक्‍त बनाने में मदद करेंगी, इसमें लगातार सुधार की गुंजाइश बताती रहेगी। लेकिन इन शिकायतों के आधार पर ऐसा तो नहीं माना जा सकता कि योजना अपने उद्देश्‍यों से भटक गई है क्‍योंकि शिकायतें तभी आ रही हैं जब कुछ हुआ है और यह कुछ न होने से बेहतर है।

राष्ट्रहित में थीं शिवाजी की नीतियाँ

राष्ट्रहित में थीं शिवाजी की नीतियाँ
शिवाजी जयंती पर विशेष
-विके डांगे
अर्थनीति का सार राजनीति व राज्य का सामर्थ्य कोष के आधार से होता है, यह सर्वज्ञात है। राज्य की आर्थिक स्थिति अच्छी तो राज्य की सेना भी संतुष्ट व सक्षम होती है, परंतु आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करना सामान्य काम नहीं है। भारत में 17वीं शताब्दी में राज्यकोष प्राप्तियाँ कृषि राजस्व, व्यापार-कर, युद्ध में लूट व नगरों की लूट- इन चार मार्गों से मुख्यतः होती थीं।

इसमें कृषि राजस्व प्रायः कभी भी सीधे किसानों से न आकर बड़े जागीरदारों से आता था, जो राजस्व वसूली के लिए, राज्य के प्रति उत्तरदायी थे। भारत में प्रायः सभी राज्यों में यह प्रथा थी। यह प्रथा दीर्घावधि तक कायम रहने का कारण यह था कि राज्य को प्रत्येक कृषक से अलग-अलग राजस्व वसूल न करना पड़ता था व राज्य के पास एकमुश्त रकम आती थी।

जागीरदार (वतनदार) अपने क्षेत्र में कानून व व्यवस्था के लिए भी जिम्मेदार रहता था, परंतु इस व्यवस्था में यह दोष था कि इन 'वतनदारों' का 'राज्य के अंदर राज्य' इस स्वरूप की थी- मूल राज्य सत्ता को न मानना, विद्रोह करना व प्रसंगवश गद्दारी करना, ये दुष्कर्म प्रायः होते थे।

इसके अतिरिक्त एक बड़ा दोष इस व्यवस्था में यह था कि वतनदार अपनी आर्थिक व सैनिक स्थिति द्वारा राज-सत्ता के निर्णयों को प्रभावित करते थे और सबसे बड़ा दोष यह था कि सामान्य कृषक प्रजा का राज्य से सीधा संपर्क नहीं रहता था।

शिवाजी के प्रशासनिक गुरु दादोजी कोंडदेव ने यह ढाँचा बदल दिया- वतनदारियाँ कम की गईं व प्रजा से सीधे कर वसूली की व्यवस्था की गई। इससे प्रजा के कष्टों की सुनवाई सरल होकर राज्य व प्रजा के संबंध स्नेहपूर्ण व दृढ़ हुए। इस ढाँचे को शिवाजी ने और भी दृढ़ बनाया।

योरप में 15वीं-16वीं शताब्दी में यह नई आर्थिक वृत्ति बन रही थी कि राज्य का आर्थिक सामर्थ्य व राजस्व का स्रोत बड़े वतनदार/ जागीदार/ भू-स्वामी आदि न होकर, व्यापारी वर्ग होना चाहिए, क्योंकि इन वतनदारों-जागीरदारों से सत्ताधीश भी कम परेशान न थे।

इस स्थिति का अप्रत्यक्ष प्रभाव भारत में भी हुआ। शिवाजीकालीन 'आज्ञापत्रों' में, 'साहूकार विषयक राजनीति (अर्थनीति)'- एक स्वतंत्र अध्याय है; यहाँ साहूकार शब्द से, केवल ब्याज का व्यवसाय करने वाला, यह तात्पर्य मात्र न होकर, व्यापार करने वाला, यह अर्थ भी है। केवल कृषि राजस्व पर निर्भर न रहकर, व्यापार को प्रोत्साहित करके, व्यापारिक कर के रूप में राजस्व प्राप्ति से कोष भरने की नई व्यवस्था शिवाजी ने स्थापित की।

यह व्यवस्था योरप में 16वीं शताब्दी में प्रारंभ हो चुकी थी। वहाँ अर्थव्यवस्था में कृषि-राजस्व से व्यापार-राजस्व का महत्व बढ़ गया था। साहूकारों व व्यापारियों को प्रोत्साहन व राजाश्रय देकर राज्य के सम्मान व संपत्ति में वृद्धि होगी, यह दूरदर्शिता शिवाजी ने दिखाई। राज्य के हित में आर्थिक रूप से निष्क्रिय वतनदारों से सक्रिय व्यापारियों द्वारा अधिक योगदान हो सकेगा, यह उन्होंने जान लिया था।

आज्ञापत्रों में कहा गया है 'साहूकार यानी राज्य व राज्यश्री की शोभा है। इनसे (साहूकारों से) राज्य आबाद (बस्तीवाला) होता है। जो वस्तुजात हमारे यहाँ नहीं मिलती वह दूर से आती है। कठिन प्रसंगों पर कर्ज (ऋण) प्राप्त होकर संकट निवारण होता है।'

साहूकारों के साथ राज्य कर्मचारियों का व्यवहार अत्यंत सहानुभूतिपूर्ण हो, यह कहा गया है। साहूकार को दी सुरक्षा से बहुत फायदा है। अतः साहूकार का बहुमान करें व उसे किसी तरह 'जलाल' (जलील) अथवा अपमानित न करें। साहूकारों व व्यापारियों को बुलाकर बाजार/ मंडी ('पेठ') बसाएँ।

शासकीय बाजार में भी बड़े-बड़े साहूकारों को बसाएँ। वार्षिक उत्सव व विवाहादि प्रसंगों पर उनकी योग्यतानुसार उन्हें प्रतिष्ठापूर्वक बुलाएँ व वस्त्र-पात्रादि देकर उन्हें सम्मानित करें। अन्य मुल्कों में जो साहूकार होंगे, उन्हें प्रेमपूर्वक बसाहट हेतु बुलाएँ।

इससे यह स्पष्ट होता है कि शिवाजी कितने दूरदर्शी थे- खासकर अँग्रेजों पर उनकी कड़ी निगाह थी। व्यापारी राजनीति में न पड़ें, यह सिद्धांत अँग्रेजों ने शिवाजी के विषय में भंग किया। जेजिरा (मुंबई से 45 मील दक्षिण में) के सिद्दी, बीजापुर की आदिलशाही व औरंगजेब इन्हें अँग्रेज शिवाजी के विरुद्ध खुली व छुपी मदद देते थे, इसीलिए शिवाजी ने अँग्रेजों की राजापुर छावनी लूटी व उन्हें राज्य से बाहर किया (1664)। अँग्रेजों का प्रादुर्भाव-प्रभाव बढ़ने के सौ वर्ष पूर्व ही उनके इरादों को भाँपना यह शिवाजी की कूटनीतिक सफलता थी।

आधुनिक समय के संदर्भ में भारत में विदेशी व बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रवेश संबंधी यह नीति अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि व्यापारिक संबंध बढ़ाना है, तो विदेशी कंपनियाँ तो भारत में आएँगी ही, परंतु उन्हें कितना निकट या दूर रखना, यह निर्णय उनके राजकीय इरादों को भाँपकर ही किया जा सकता है। हमें भारतीय व विदेशी कंपनियों के बीच राष्ट्रहित का विचार करके अंतर करना ही होगा।

कस्बों से कम्प्यूटर क्रांति के मीठे फल

कस्बों से कम्प्यूटर क्रांति के मीठे फल
भारतीय भाषाओं के साथ विदेशों में स्वदेशी डंके






आलोक मेहता
संपादक, आउटलुक हिंदी साप्ताहिक




PR PR

बात 1985 की है। राजीव गाँधी के कम्प्यूटर प्रेम की आलोचना होने पर हम जैसे पत्रकारों को भी लगता था कि भारत जैसे गरीब पिछड़े देश में कम्प्यूटर क्रांति से कितना लाभ होगा। फ्रांस और अमेरिका की यात्रा के दौरान अमेरिका ने उन्नत कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी (सुपर कम्प्यूटर) के लिए राजीव गाँधी को साफ कह दिया, लेकिन राजीव गाँधी ने भारत के हजारों युवाओं की आँखों में आधुनिक 'कम्प्यूटर क्रांति का सपना भर दिया। वह सपना न केवल पूरा हुआ, अब जॉर्ज बुश और बिल गेट्स भी कम्प्यूटर क्रांति और अंतरराष्ट्रीय बाजार में सॉफ्टवेयर की सफलता के लिए भारतीय युवाओं की मेहरबानी पाने को तरसने लगे हैं।



वेबदुनिया ने सबसे पहले ऐसी तकनीक उपलब्ध कराई, जिससे अंग्रेजी को रोमन लिपि में टाइप करते हुए स्क्रीन पर हिन्दी लिखी हुई पढ़ने को मिले। पंजाबी, मराठी, गुजराती, मलयालम, असमिया, बांग्ला, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, तथा उड़िया में बाकायदा ई-मेल किया जा सकता है



राजीव गाँधी की तरह ही इंदौर जैसे शहर के प्रतिभाशाली युवा विनय छजलानी ने एक सपना बुना था। पिलानी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई में टॉप करने के बाद विनय छजलानी ने 1985-86 में अमेरिका जाकर प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी तथा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के जरिए भाषायी कम्प्यूटर क्रांति का दृढ़ निश्चय किया। पहले अमेरिका में ही कंपनी बनाई और फिर 1999 में विश्व का पहला बहुभाषी पोर्टल तथा भाषाई टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराने वाली कंपनी वेबदुनिया डॉट कॉम (इंडिया) स्थापित की। इंदौर के नईदुनिया अखबार में रहने के कारण मैंने विनय को बचपन में देखा था फिर दिल्ली में पिलानी से आते-जाते कभी-कभार मिलने के अवसर आए।

पारिवारिक स्नेह के कारण 1986 से 1999-2000 के बीच भी यही लगता रहा कि पता नहीं विनय कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी से हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के लोगों को कैसे लाभान्वित कर सकेंगे, लेकिन वह तो धुन के पक्के थे, अपने मार्ग पर बढ़ते रहे। पिछले दिनों उज्जैन यात्रा के समय उन्होंने समय निकालकर इंदौर आने का निमंत्रण दिया। संयोग से समय मिला। हम इंदौर पहुँचे, थोड़ी देर गपशप के बाद विनय ने जानना चाहा कि क्या हम वेबदुनिया का कामकाज देखना चाहेंगे। मेरी पहली प्रतिक्रिया थी कि देख सकते हैं, लेकिन देखना क्या है- आजकल 5 कम्प्यूटर रखकर अखबार और पोर्टल के काम चल जाते हैं। लेकिन चलते समय दोबारा पूछने पर हमने दूसरी बिल्डिंग तक जाने की हाँ कर दी।

तब पता चला कि वेबदुनिया कंपनी का काम तो तीन इमारतों में चल रहा है। अंदाजा था कि 15-20 मिनट से अधिक समय नहीं लगेगा लेकिन कम्प्यूटर और सॉफ्टवेयर के इस भारतीय साम्राज्य को देखने-समझने में दो घंटे से अधिक समय लग गया। सुखद आश्चर्य यह था कि विनय छजलानी की इस कंपनी में लगभग 700 ऐसे युवाओं को रोजगार मिला हुआ है जो तकनीकी ज्ञान के साथ हिन्दी तथा 11 से अधिक भारतीय भाषाओं एवं विदेशी भाषाओं पर अच्छा अधिकार रखते हैं। इंदौर जैसे शहर में कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर की ऐसी अंतराष्ट्रीय कंपनी का मुख्यालय है, जिसकी एक शाखा न्यूयॉर्क में है और जो वहाँ भी 300 युवाओं को रोजगार दे रही है।



WD WD

वेबदुनिया के प्रबंध निदेशक के नाते विनय छजलानी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तथा कम्प्यूटर टर्मिनल से ही न्यूयॉर्क शाखा का कामकाज भी संभालते हैं। मध्यप्रदेश वालों को ही नहीं, हर भारतवासी को यह गौरव हो सकता है कि माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के प्रमुख बिल गेट्स ने भारतीय भाषाओं में कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर विकसित करने के लिए स्वयं विनय छजलानी को सम्मानित किया। आखिरकार भारत के हर कोने को कम्प्यूटर सुविधा से जोड़ने के लिए अंग्रेजी नहीं, भारतीय भाषाओं की जरूरत है। यह काम भारतीय युवा ही कर सकते हैं।

वेबदुनिया ने सबसे पहले ऐसी तकनीक उपलब्ध कराई, जिससे अंग्रेजी को रोमन लिपि में टाइप करते हुए स्क्रीन पर हिन्दी लिखी हुई पढ़ने को मिले। उनके सॉफ्टवेयर से हिन्दी, पंजाबी, मराठी, गुजराती, मलयालम, असमिया, बांग्ला, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, तथा उड़िया में बाकायदा ई-मेल किया जा सकता है, शुभकामना कार्ड भेजे जा सकते हैं, उत्तर मँगवाए जा सकते हैं, खबरें लिखी और पढ़ी जा सकती हैं। दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने वेबदुनिया की सहायता से ही ऐसे कुंजी पटल (की-बोर्ड) को विकसित किया तथा विश्व को अधिकाधिक भारतीयों से जोड़ा।

यह सूचना क्रांति निश्चित रूप से कस्बों और गाँवों को अधिक जागरूक बना सकेगी। ऐसे ही युवा इंजीनियर बिजली के बिना बैटरी से चल सकने तथा कम कीमत वाले कम्प्यूटर बनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। हम जैसे कई पत्रकार यह आशंका भी व्यक्त करते रहे हैं कि कम्प्यूटर क्रांति से कहीं रोजगार के अवसर तो कम नहीं होंगे, लेकिन अब तो यह साबित हो रहा है कि इससे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है। भारत से लेकर अमेरिका, जर्मनी, जापान, चीन तक सॉफ्टवेयर कंपनियों में भारतीय युवा तकनीकी विशेषज्ञों की माँग बढ़ती जा रही है। फिर हमारी धारणाएँ इसलिए भी बदली हैं कि अब ये सॉफ्टवेयर केवल कम्प्यूटर के लिए नहीं, टेलीविजन, वीडियो, रेडियो, मोबाइल, वायरलेस सेवाओं तक के लिए उपयोगी हो गए हैं।

(साभार : 'आउटलुक' हिन्दी साप्ताहिक 3 मार्च 2008 के अंक से)

Wednesday, February 27, 2008

कुलियों ने कहा-वाह लालू, तेरा जवाब नहीं

कुलियों ने कहा-वाह लालू, तेरा जवाब नहीं
याहू! भारत - 16 घंटे पहले
रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव का रेलवे बजट सुनने के बाद कुलियों की खुशी का ठिकाना न रहा। जैसे ही रेलमंत्री ने कुलियों को गैंगमेन की नौकरी देने की घोषणा की वैसे ही पूरा टाटानगर स्टेशन 'वाह लालू तेरा जवाब नहीं..' के नारों से गूंज उठा। स्टेशन में ही कुली खुशी के मारे होली-दिवाली सब साथ मनाने लगे। खूब रंग-अबीर खेला गया, पटाखे भी खूब फोड़े गये। कुलियों को मिली लालू की इस सौगात के बाद दैनिक जागरण ने जब टाटानगर स्टेशन में उनसे, ...
रेलवे स्टेशन पर ढोल की थाप जमकर नाचे कुली याहू! भारत
कुली अब बनेंगे गैंगमैन याहू! भारत
दो हजार से अधिक कुली बनेंगे रेलकर्मी हिन्दुस्तान दैनिक
सिफी - राजस्थान पत्रिका
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याहू! भारत महिलाओं पर मेहरबान हुए रेलमंत्री
याहू! भारत - 26 फ़र 2008
रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव मंगलवार को अपना पांचवां रेल बजट पेश करते हुए आधी दुनिया यानी महिलाओं पर खासा मेहरबान दिखे। महिलाओं के लिए उन्होंने रेल बजट में ढेर सारी सुविधाओं की घोषणा की। इसमें भारतीय रेल और राजीव गांधी फाउण्डेशन द्वारा सात बोगियों की मदर चाइल्ड ट्रेन चलाने का प्रस्ताव शामिल है, जिसमें प्रसूति, आपरेशन व बाल स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा इस ट्रेन में होगी। वहीं छात्राओं को स्नातक की पढ़ाई तक व छात्रों को ...
लेडीज के लिए जेंटलमैन लालू दैनिक भास्कर
रेल बजट का ‘वैलकम’ राजस्थान पत्रिका
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सबने जोड़ा रेल बजट को चुनावों से
बीबीसी हिन्दी - 9 घंटे पहले
दिल्ली से प्रकाशित होने वाले अख़बारों ने लालू प्रसाद यादव के रेल बजट को आगामी चुनावों से जोड़ कर देखा है और ज़्यादातर अख़बारों ने इस बजट की तारीफ़ की है. हालांकि कुछ अख़बारों ने रेल बजट में किए गए वादों और रेलमंत्री के बजट भाषण की पड़ताल करने की कोशिश भी की है. बजट की प्रति के साथ रेलमंत्री की परंपरागत तस्वीर प्रकाशित करने की जगह ज़्यादातर अख़बारों ने लालू प्रसाद यादव का 'कैरिकैचर' या व्यंग्य चित्र प्रकाशित करना पसंद ...
किया सम्मान, दिया आमान
राजस्थान पत्रिका - 10 घंटे पहले
गत माह रेलमंत्री लालू यादव की उदयपुर यात्रा के दौरान भी यह मुद्दा छाया रहा। पालीवाल समाज ने पोस्टकार्ड अभियान व अन्य कई तरह के प्रयास किए। सिंधी समाज भी इस गाड़ी की मांग को लेकर लगातार आंदोलनरत रहा। राजसमंद से चले अभियान बड़ीसादड़ी-मावली-मारवाड़ आमान परिवर्तन के लिए लोक अधिकार मंच के नेतृत्व में विभिन्न संगठनों और संस्थाओं ने गत माह ही नाथद्वारा में श्रीनाथजी के दर्शन को गए रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव को ज्ञापन दिया। ...

सिफी रेल बजट पर बरसे वामपंथी, भाजपा, सपा
सिफी - 8 घंटे पहले
भारतीय जनता पार्टी के संसदीय दल की प्रवक्ता सुषमा स्वराज ने केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव पर भाजपा शासित राज्यों से सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया। बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश और गुजरात के साथ बजट में भ्ोद-भाव बरता गया है। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों में रेल से अपार फायदा कमाया जा सकता है लेकिन रेलमंत्री ने इन राज्यों को नजरअंदाज किया है। भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना शिवसेना ...

दैनिक भास्कर कुछ नहीं मिला खास रेल बजट में
दैनिक भास्कर - 7 घंटे पहले
केंद्रीय रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा मंगलवार को पेश किए बजट ने लोगों को निराश किया है। प्रदेश के औद्योगिक और शैक्षणिक मानचित्र पर चमकती पहचान रखने वाले हिसार जिले को इस बार के रेल बजट में भी कुछ नहीं मिलने का मलाल लोगों की बातचीत में साफ दिखा। सभी वर्गो के लोगों ने दैनिक भास्कर से बातचीत में क्षोभ जताया। केंद्रीय रेल बजट में हिसार को इस बार भी कुछ खास नहीं मिला, जिससे यहां की लोग निराश हैं। इस बारे में विभिन्न ...
रेल बजट निराशाजनक: भाजपा याहू! भारत
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जोश 18 मैं अपनी जेब से कुछ नहीं देता- लालू
जोश 18 - 5 घंटे पहले
नई दिल्ली। रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कल लोकसभा में उनके बजट भाषण के दौरान अपने क्षेत्रों की कथित उपेक्षा को लेकर शोरशराबा कर बाधा डालने वाले सदस्यों की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसी बातों से कुछ हासिल नहीं होता। यादव ने वर्ष 2008-09 का रेल बजट पेश करने के बाद आयोजित यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किसी कार्य के लिए हम अपनी जेब से कुछ नहीं देते। प्रत्येक योजना के लिए विचार विमर्श और अध्ययन किया जाता है और व्यावहारिक होने ...
रेल बजट से वाम खफा Pressnote.in
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लालू की रेल : रियायतों का खेल
दैनिक भास्कर - 16 घंटे पहले
नई दिल्ली रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने लगातार अपने पांचवें बजट में लोकप्रियता और विकास का करिश्मा कर दिखाया। जहां लंबी दूरी की ट्रेनों में दूसरे दर्जे और वातानुकूलित दर्जे के किराए घटा दिए हैं, वहीं दस नए गरीब रथ, 53 नई ट्रेनों, ग्रेजुएशन तक पढ़ने वाली लड़कियों व 12वीं तक के छात्रों को मुफ्त मासिक सीजन टिकट के साथ ही रेलवे के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी सालाना योजना की घोषणा उन्होंने रेल बजट 2008-09 में की है। ...

सिफी रेल बजट में उत्तर पूर्व के लिए विश्ोष विकास कोष
सिफी - 8 घंटे पहले
रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2008-09 का रेल बजट पेश करते हुए विश्ोष उत्तर-पूर्व विकास कोष के माध्यम से देश के उत्तर-पूर्व में रेल संरचनाओं के विकास घोषणा की। रेल बजट पेश करते हुए लालू प्रसाद यादव ने लोकसभा में कहा कि वे प्रधानमंत्री से देश के उत्तर-पूर्व में रेल परियोजनाओं के लिए आवश्यक धन मुहैया कराने का अनुरोध करेंगे। उनके अनुसार इस कोष में रेल मंत्रालय 25 फीसदी योगदान करेगा। उन्होंने केंद्र सरकार ...
लालू फीलगुड के शिकार:नीतीश हिन्दुस्तान दैनिक
फिर होगा जन रेल बजट हिन्दुस्तान दैनिक
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रेल बजट भाषण के मुख्य अंश

रेल बजट भाषण के मुख्य अंश
नई दिल्ली- रेल मंत्री लालूप्रसाद यादव ने संसद में वर्ष 2008-09 का रेल बजट पेश करते हुए रेलयात्रियों के लिए सुविधाओं का पिटारा खोल‍ दिया। यादव ने कहा कि इसके लिए कंप्यूटर और इंटरनेट प्रौद्योगिकी के जरिए आरक्षित और सामान्य टिकट बेचने की सुविधा मुहल्लों-मुहल्लों तक पहुँचाई जाएगी।

बजट भाषण के मुख्य अंश :

*10 नए गरीब रथ चलेंगे
*53 नई गाडियाँ चलेंगी
*16 गाड़ियों का विस्तार होगा
*रेल कारखानों के लिए 200 करोड़
*रेल कारखानों का आधुनिकीकरण होगा

*केरल में नई कोच फैक्टरी बनेगी
*भाप इंजनों के माध्यम से हेरीटेज रेलवे को बढ़ावा
*गैंगमैन को गेटमैन बनाया जाएगा
*कुलियों को गैंगमैन बनाया जाएगा
*चाइना रेलवे से समझौता
*सभी क्वार्टरों में सीएफएल बल्ब
*उर्दू के अखबारों में भी विज्ञापन दिए जाएँगे
*विदेशों से भी रेलवे कोच सप्लाई ऑर्डर
*सभी स्नातक छात्राओं को किराए में रियायत

*वीआरएस के लिए 7000 करोड़
*ट्रेक की जाँच के लिए नए डिवाइस
*पटना, सिकंदराबाद स्टेशन विश्वस्तरीय होंगे
*दुर्घटना टालने के लिए नए उपकरण
*मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग पर गार्ड लगेंगे
*अशोक चक्र के पास शताब्दी और राजधानी में मान्य होंगे
*एड्‍स पीड़ितों को आधा किराया देना होगा
*वरिष्ठ नागरिकों को 50 फीसदी छूट
*मदर चाइल्ड हेल्थ एक्सप्रेस चलेगी
*रेलवे में उर्दू को बढ़ावा, ग्रुप डी की परीक्षा अब उर्दू में भी
*बोनस 65 से बढ़ाकर 70 दिन का मिलेगा


*5700 नए सुरक्षाकर्मी भर्ती होंगे
*निजी कंपनियाँ टर्मिनल बना सकेंगी
*पाँच साल में ढाई लाख करोड़ का निवेश
*रेलवे विजन 2025 छह माह में तैयार होगा
*रेलगाड़ियों में इंटरनेट की सुविधा मिलेगी
*विश्वस्तरीय स्टेशनों के लिए 15 हजार करोड़
*नई दिल्ली रेलवे स्टेशन विश्व स्तरीय होगा
*छत्रपति शिवाजी टर्मिनल विश्वस्तरीय होगा


*195 स्टेशनों पर पैदल यात्री पुल
*50 बड़े स्टेशनों पर एस्केलेटर
*3 साल में 200 मिलियन टन सीमेंट ढुलाई का लक्ष्य
*कंटेनर रेलगाड़ियों को मंजूरी
*2000 वैगन बनाए जाएँगे
*2011 तक शताब्दी में नए डिब्बे
*2 साल में पाँच हजार कंप्यूटर टिकट काउंटर
*कुछ एक्सप्रेस गाड़ियों में पब्लिक एक्सप्रेस सिस्टम
*कंटेनर कारपोरेशन के आठ नए डिपो
*बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए 75 हजार करोड़

*30 स्टेशनों पर मल्टी लेवल पार्किंग
*कोयला परिवहन के लिए नए ट्रैक
*उड़ीसा में महानदी पर दूसरा पुल
*गाँधीधाम-पालनपुर पर नया गेज
*ऑटोमैटिक सिगनलिंग पर जोर
*1000 मिलियन टन ढुलाई का लक्ष्य

*मुंबईवासियों के लिए 'गो मुंबई कार्ड'
*2009 तक मुकम्मल होगा रेलवे कॉल सेंटर
*2010 ने राजधानी में नए तरह के डिब्बे
*2009 से स्टील डिब्बों का निर्माण
*2010 से सभी डिब्बे स्टील के
*मोबाइल पर टिकट देने का विचार
*6000 ऑटोमैटिक मशीनें लगेंगी
*चलती गाड़ियों से मैला गिरने से रोकने का इंतजाम करेंगे

*इंटरनेट से भी वेटिंग लिस्ट टिकट मिलेगा
*रेल संपत्तियों का सही इस्तेमाल किया
*जन साधारण टिकट काउंटर का विस्तार होगा
*स्मार्ट कार्ड से खरीद सकते हैं टिकट
*रेलवे कॉल सेंटर हकीकत में बदला
*मेल-एक्सेप्रेस ट्रेनों में डिस्प्ले सुविधा
*गाड़ियों की आवाजाही की पूरी जानकारी

*रेलवे को 25 हजार करोड़ का मुनाफा
*5 साल में 68 हजार करोड़ का मुनाफा
*माल ढुलाई से 2000 करोड़ की कमाई
*रेलवे को घाटे से उबारा- लालू
*आमदनी बढ़ाने पर ध्यान-यादव
*चार साल से किराया नहीं बढ़ाया
*यात्री किराया आमदनी 14 फीसदी बढ़ी
*यात्री गाड़ियों की लंबाई बढ़ाई गई
*लालू का पाँचवाँ रेल बजट

आम लोगों के लिए लालू का खास बजट

आम लोगों के लिए लालू का खास बजट
http://hindi.in.msn.com/news/national/article.aspx?cp-documentid=1263554
रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने रेल किरायों में लगातार पाँचवें साल भी कोई वृद्धि नहीं कर भारतीय रेल के इतिहास में मंगलवार को एक नया कीर्तिमान स्थापित किया वहीं आम लोगों को खुश करने वाला खास चुनावी बजट पेश किया।

उलटे उन्होंने 2008-09 के बजट में किरायों में पाँच से सात प्रतिशत की कमी करने और माल भाड़े में चौतरफा वृद्धि न करने के साथ-साथ बुजुर्ग महिलाओं, छात्राओं-छात्रों, एड्स रोगियों और अशोक चक्र विजेता सैनिकों के लिए यात्रा में अनेक रियायतें देने की घोषणा की।

लोकसभा में भारी हंगामे के बीच अपना भाषण पूरा करते हुए रेलमंत्री ने 50 किलोमीटर तक की गैर उपनगरीय यात्रा पर प्रति टिकट एक रुपया छूट देने और उससे ऊपर के किराए में पाँच प्रतिशत की कमी करने का भी ऐलान किया।

उन्होंने एसी प्रथम श्रेणी का किराया सात प्रतिशत और एसी द्वितीय श्रेणी का किराया चार प्रतिशत सस्ता कर दिया है, जिससे रेलवे सस्ते किरायों पर सेवा देने वाली एयरलाइनों को टक्कर दे सकेगी। रेलमंत्री ने लगातार दूसरे साल वातानुकूलित श्रेणी के किरायों में कटौती की है।

यादव ने कहा कि ज्यादा स्लीपर बर्थों वाले नई डिजाइन के आरक्षित सवारी डिब्बों में छूट में बढ़ोतरी की जाएगी। रेलमंत्री ने उद्योग जगत को माल भाड़े के मामले में राहत देते हुए भाड़ा दरों में सामान्य रूप से कोई वृद्धि नहीं की है। उन्होंने पेट्रोल और डीजल के भाड़े में पाँच प्रतिशत तक की कमी करने की घोषणा की जिससे पेट्रोलियम पदार्थों में हाल में की गई मूल्यवृद्धि का असर कुछ कम करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने फ्लाई ऐश के भाड़े में 14 प्रतिशत की भारी कमी करने की घोषणा की जिससे ट्रक मालिकों को रेलवे से बड़ी चुनौती मिलेगी। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए माल भाड़े में 6 प्रतिशत की एक और छूट देने का बजट में प्रस्ताव है।

यादव ने अपनी नई खोज गरीब रथ एक्सप्रेस गाड़ियों का काफिला और बढ़ाते हुए 2008-09 में इस तरह की 10 नई गाड़ियाँ चलाने की घोषणा की। उन्होंने 53 नई यात्री गाड़ियाँ शुर करने, 16 गाड़ियों की मंजिल बढ़ाने और 11 गाड़ियों के फेरे बढ़ाने की भी घोषणा की।

रेलमंत्री ने मुंबई की जान कही जाने वाली उप नगरीय गाडियों में 300 नई सेवाएँ जोड़ने की भी घोषणा की। यादव ने इस बार के बजट में अपने गृह राज्य बिहार का पहले की तरह खास ध्यान रखने के साथ-साथ महाराष्ट्र और वामपंथी शासित केरल, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों का भी ध्यान रखा है।

उन्होंने अल्पसंख्यकों, दलितों और पिछड़ों के कल्याण के नाम पर लाइसेंसधारी कुलियों को गैंगमैन जैसे चतुर्थ श्रेणी के पदों पर शामिल करने, रेलवे में अल्पसंख्क प्रकोष्ठों की स्थापना तथा रेलवे भर्ती की परीक्षाएँ उर्दू में लेने जैसी घोषणाएँ कीं, जो चुनावी वर्ष की घोषणाएँ मानी जा रही हैं।

रेलमंत्री ने कहा कि रेलवे में दो वर्ष के अंदर टिकट खिड़कियों पर लाइन की समस्या को खत्म कर दिया जाएगा। इसके लिए संचार और कंप्यूटर प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर मोहल्ले-मोहल्ले में टिकट बिक्री सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी तथा लोगों को मोबाइल पर टिकट बुक कराने की भी सुविधा मिलेगी।

रेल मंत्री ने यात्री सुविधाओं को आधुनिक बनाने के लिए सन 2012 तक 36 हजार सवारी डिब्बों में हवाई जहाजों जैसे डिस्चार्ज फ्री शौचालय लगाने पर 4000 करोड़ रुपए खर्च करने, चलती गाड़ियों में यात्रा के दौरान भी साफ सफाई की व्यवस्था और प्रमुख स्टेशनों पर स्वचालित सीढ़ियों और लिफ्ट आदि का इंतजाम करने की घोषणा की।

उन्होंने रेल सुरक्षा बढ़ाने के लिए रेलवे सुरक्षा बल के सिपाहियों के 5700 और उप निरीक्षकों के 993 पद भरने तथा आतंकवादी हमलों से बचाव के लिए प्रमुख स्टेशनों पर क्लोज सर्किट टेलीविजन, मेटल डिटेक्टर, माल की स्कैनिंग और विस्फोटकों का पता लगाने के लिए एकीकृत सुरक्षा व्यवस्था शुरू करने की भी घोषणा की।

बजट में दूरदराज के इलाकों में जच्चा-बच्चा सेवाओं के विस्तार के लिए 'मदर चाइल्ड हेल्थ एक्सप्रेस ट्रेन' चलाई जाएगी। सात डिब्बों की यह सेवा राजीव गाँधी फाउंडेशन के सहयोग से शुरू होगी।

चार स्टेशन बनेंगे विश्वस्तरीय : रेलमंत्री ने वर्ष 2008-09 का रेल बजट पेश करते हुए चार स्टेशनों को विश्वस्तीय बनाने का ऐलान किया। उन्होंने घोषणा की कि राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली, मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल, पटना और सिंकदराबाद स्टेशनों को विश्वस्तरीय बनाया जाएगा। इसके लिए खुली निविदा जारी की जाएगी।

कुलियों को किया खुश : लोकसभा में रेलवे बजट पेश करते हुए लाइसेंसधारी कुलियों की गैंगमैन के पद पर नियुक्ति के अवसरों को हरी झंडी दिखा दी। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में गैंगमैनों के प्रमोशन से उनके जो पद रिक्त होंगे, उन्हें लाइसेंसधारी कुलियों से भरा जाएगा। उन्हें रेलवे में चतुर्थ श्रेणी के अन्य पदों पर भी रखा जाएगा।

टिकट लाइन से निजात : रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने संसद में वर्ष 2008-09 का रेल बजट पेश करते हुए रेल यात्रियों को टिकट की लम्बी लाइनों की समस्या से निजात दिलाने की घोषणा की। यादव ने कहा कि इसक लिए कंप्यूटर और इंटरनेट प्रौद्योगिकी के जरिए आरक्षित और सामान्य टिकट बेचने की सुविधा मुहल्लों-मुहल्लों तक पहुँचाई जाएगी। इसके अलावा लोगों को मोबाइल फोन से टिकट खरीदने की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।

53 नई गाड़ियाँ 10 गरीब रथ : रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने मंगलवार को लोकसभा में अगले वर्ष दस नए गरीब रथ तथा 53 नई गाड़ियाँ चलाने की घोषणा की। यादव ने अगले वर्ष का रेल बजट पेश करते हुए 16 गाड़ियों का विस्तार करने तथा 11 गाड़ियों के फेरे बढ़ाने की भी घोषणा की।

यात्री किराया छूट : साधारण और मेल, एक्सप्रेस गाड़ियों में 50 रुपए तक के किराए में प्रति यात्री एक रुपए और 50 रुपये से अधिक के किराये में 5 प्रतिशत की छूट। नए डिजाइन के अधिक बर्थ संख्या वाले स्लीपर क्लास कोच के किराए में छूट को को चार से बढ़ाकर छह प्रतिशत किया गया। वातानुकूलित श्रेणी के किराए को युक्तिसंगत बनाने की प्रक्रिया पूरी की गई। वातानुकूलित प्रथम श्रेणी के किरायों में 7 प्रतिशत और द्वितीय श्रेणी के किराए में 4 प्रतिशत तक कमी। लोकप्रिय गाड़ियों और व्यस्त अवधि के दौरान वातानुकूलित गाड़ियों में मिली कटौती आधी रहेगी, जैसा कि पिछले वर्ष भी था।

आम लोगों के लिए लालू का खास बजट

आम लोगों के लिए लालू का खास बजट
http://hindi.in.msn.com/news/national/article.aspx?cp-documentid=1263554
रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने रेल किरायों में लगातार पाँचवें साल भी कोई वृद्धि नहीं कर भारतीय रेल के इतिहास में मंगलवार को एक नया कीर्तिमान स्थापित किया वहीं आम लोगों को खुश करने वाला खास चुनावी बजट पेश किया।

उलटे उन्होंने 2008-09 के बजट में किरायों में पाँच से सात प्रतिशत की कमी करने और माल भाड़े में चौतरफा वृद्धि न करने के साथ-साथ बुजुर्ग महिलाओं, छात्राओं-छात्रों, एड्स रोगियों और अशोक चक्र विजेता सैनिकों के लिए यात्रा में अनेक रियायतें देने की घोषणा की।

लोकसभा में भारी हंगामे के बीच अपना भाषण पूरा करते हुए रेलमंत्री ने 50 किलोमीटर तक की गैर उपनगरीय यात्रा पर प्रति टिकट एक रुपया छूट देने और उससे ऊपर के किराए में पाँच प्रतिशत की कमी करने का भी ऐलान किया।

उन्होंने एसी प्रथम श्रेणी का किराया सात प्रतिशत और एसी द्वितीय श्रेणी का किराया चार प्रतिशत सस्ता कर दिया है, जिससे रेलवे सस्ते किरायों पर सेवा देने वाली एयरलाइनों को टक्कर दे सकेगी। रेलमंत्री ने लगातार दूसरे साल वातानुकूलित श्रेणी के किरायों में कटौती की है।

यादव ने कहा कि ज्यादा स्लीपर बर्थों वाले नई डिजाइन के आरक्षित सवारी डिब्बों में छूट में बढ़ोतरी की जाएगी। रेलमंत्री ने उद्योग जगत को माल भाड़े के मामले में राहत देते हुए भाड़ा दरों में सामान्य रूप से कोई वृद्धि नहीं की है। उन्होंने पेट्रोल और डीजल के भाड़े में पाँच प्रतिशत तक की कमी करने की घोषणा की जिससे पेट्रोलियम पदार्थों में हाल में की गई मूल्यवृद्धि का असर कुछ कम करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने फ्लाई ऐश के भाड़े में 14 प्रतिशत की भारी कमी करने की घोषणा की जिससे ट्रक मालिकों को रेलवे से बड़ी चुनौती मिलेगी। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए माल भाड़े में 6 प्रतिशत की एक और छूट देने का बजट में प्रस्ताव है।

यादव ने अपनी नई खोज गरीब रथ एक्सप्रेस गाड़ियों का काफिला और बढ़ाते हुए 2008-09 में इस तरह की 10 नई गाड़ियाँ चलाने की घोषणा की। उन्होंने 53 नई यात्री गाड़ियाँ शुर करने, 16 गाड़ियों की मंजिल बढ़ाने और 11 गाड़ियों के फेरे बढ़ाने की भी घोषणा की।

रेलमंत्री ने मुंबई की जान कही जाने वाली उप नगरीय गाडियों में 300 नई सेवाएँ जोड़ने की भी घोषणा की। यादव ने इस बार के बजट में अपने गृह राज्य बिहार का पहले की तरह खास ध्यान रखने के साथ-साथ महाराष्ट्र और वामपंथी शासित केरल, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों का भी ध्यान रखा है।

उन्होंने अल्पसंख्यकों, दलितों और पिछड़ों के कल्याण के नाम पर लाइसेंसधारी कुलियों को गैंगमैन जैसे चतुर्थ श्रेणी के पदों पर शामिल करने, रेलवे में अल्पसंख्क प्रकोष्ठों की स्थापना तथा रेलवे भर्ती की परीक्षाएँ उर्दू में लेने जैसी घोषणाएँ कीं, जो चुनावी वर्ष की घोषणाएँ मानी जा रही हैं।

रेलमंत्री ने कहा कि रेलवे में दो वर्ष के अंदर टिकट खिड़कियों पर लाइन की समस्या को खत्म कर दिया जाएगा। इसके लिए संचार और कंप्यूटर प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर मोहल्ले-मोहल्ले में टिकट बिक्री सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी तथा लोगों को मोबाइल पर टिकट बुक कराने की भी सुविधा मिलेगी।

रेल मंत्री ने यात्री सुविधाओं को आधुनिक बनाने के लिए सन 2012 तक 36 हजार सवारी डिब्बों में हवाई जहाजों जैसे डिस्चार्ज फ्री शौचालय लगाने पर 4000 करोड़ रुपए खर्च करने, चलती गाड़ियों में यात्रा के दौरान भी साफ सफाई की व्यवस्था और प्रमुख स्टेशनों पर स्वचालित सीढ़ियों और लिफ्ट आदि का इंतजाम करने की घोषणा की।

उन्होंने रेल सुरक्षा बढ़ाने के लिए रेलवे सुरक्षा बल के सिपाहियों के 5700 और उप निरीक्षकों के 993 पद भरने तथा आतंकवादी हमलों से बचाव के लिए प्रमुख स्टेशनों पर क्लोज सर्किट टेलीविजन, मेटल डिटेक्टर, माल की स्कैनिंग और विस्फोटकों का पता लगाने के लिए एकीकृत सुरक्षा व्यवस्था शुरू करने की भी घोषणा की।

बजट में दूरदराज के इलाकों में जच्चा-बच्चा सेवाओं के विस्तार के लिए 'मदर चाइल्ड हेल्थ एक्सप्रेस ट्रेन' चलाई जाएगी। सात डिब्बों की यह सेवा राजीव गाँधी फाउंडेशन के सहयोग से शुरू होगी।

चार स्टेशन बनेंगे विश्वस्तरीय : रेलमंत्री ने वर्ष 2008-09 का रेल बजट पेश करते हुए चार स्टेशनों को विश्वस्तीय बनाने का ऐलान किया। उन्होंने घोषणा की कि राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली, मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल, पटना और सिंकदराबाद स्टेशनों को विश्वस्तरीय बनाया जाएगा। इसके लिए खुली निविदा जारी की जाएगी।

कुलियों को किया खुश : लोकसभा में रेलवे बजट पेश करते हुए लाइसेंसधारी कुलियों की गैंगमैन के पद पर नियुक्ति के अवसरों को हरी झंडी दिखा दी। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में गैंगमैनों के प्रमोशन से उनके जो पद रिक्त होंगे, उन्हें लाइसेंसधारी कुलियों से भरा जाएगा। उन्हें रेलवे में चतुर्थ श्रेणी के अन्य पदों पर भी रखा जाएगा।

टिकट लाइन से निजात : रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने संसद में वर्ष 2008-09 का रेल बजट पेश करते हुए रेल यात्रियों को टिकट की लम्बी लाइनों की समस्या से निजात दिलाने की घोषणा की। यादव ने कहा कि इसक लिए कंप्यूटर और इंटरनेट प्रौद्योगिकी के जरिए आरक्षित और सामान्य टिकट बेचने की सुविधा मुहल्लों-मुहल्लों तक पहुँचाई जाएगी। इसके अलावा लोगों को मोबाइल फोन से टिकट खरीदने की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।

53 नई गाड़ियाँ 10 गरीब रथ : रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने मंगलवार को लोकसभा में अगले वर्ष दस नए गरीब रथ तथा 53 नई गाड़ियाँ चलाने की घोषणा की। यादव ने अगले वर्ष का रेल बजट पेश करते हुए 16 गाड़ियों का विस्तार करने तथा 11 गाड़ियों के फेरे बढ़ाने की भी घोषणा की।

यात्री किराया छूट : साधारण और मेल, एक्सप्रेस गाड़ियों में 50 रुपए तक के किराए में प्रति यात्री एक रुपए और 50 रुपये से अधिक के किराये में 5 प्रतिशत की छूट। नए डिजाइन के अधिक बर्थ संख्या वाले स्लीपर क्लास कोच के किराए में छूट को को चार से बढ़ाकर छह प्रतिशत किया गया। वातानुकूलित श्रेणी के किराए को युक्तिसंगत बनाने की प्रक्रिया पूरी की गई। वातानुकूलित प्रथम श्रेणी के किरायों में 7 प्रतिशत और द्वितीय श्रेणी के किराए में 4 प्रतिशत तक कमी। लोकप्रिय गाड़ियों और व्यस्त अवधि के दौरान वातानुकूलित गाड़ियों में मिली कटौती आधी रहेगी, जैसा कि पिछले वर्ष भी था।

नेपाल में मधेशियों से बातचीत नाकाम

नेपाल में मधेशियों से बातचीत नाकाम


नेपाल के दक्षिणी इलाकों में पुलिस गश्त तेज़ कर दी गई है
नेपाल सरकार और मधेशी फ्रंट के बीच चल रही बातचीत नाकाम रही है. इसके बाद मधेशी फ्रंट ने कहा है कि वो अपना बंद और हड़ताल जारी रखेगा.
इस बीच मधेशियों और नेपाल पुलिस के बीच हुई झड़प के दौरान पुलिस की गोली से एक व्यक्ति की मौत हो गई है.

पिछले दो हफ्ते से नेपाल के दक्षिणी हिस्से में मधेशी आंदोलन जारी रखे हुए हैं.

इस बंद के दौरान पूरे नेपाल में पेट्रोल और डीज़ल की क़िल्लत हो गई है. सड़क मार्ग बंद होने की वजह से नेपाल के दूसरे हिस्सों में तेल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.

हाल ही में नेपाल मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले मधेशी फ्रंट के नेता राजेंद्र महतो ने बातचीत नाकाम होने के लिए नेपाल सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है. महतो का कहना है, "सरकार को मधेशियों की मांग की कोई चिंता ही नहीं है."

क्या है मधेशी आंदोलन ?

मधेशी नेपाल में एक अलग मधेशी राज्य की मांग कर रहे हैं.

नेपाल में मधेशियों की आबादी तक़रीबन 33 प्रतिशत है.


नेपाल में मधेशी फ्रंट और सरकार के बीच बातचीत नाकाम रही है

मधेशियों की ज़्यादातर आबादी नेपाल के दक्षिणी हिस्से में भारत से लगी हुई सीमा के पास बसती है.

इनका कहना है कि वर्षों से मधेशियों को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है.

मधेशियों का मानना है कि उन्हें सरकार में राजनीतिक अधिकार कभी नहीं दिए गए.

वहीं मधेशी फ्रंट का एक और गुट चाहता है कि अप्रैल में होने वाले चुनावों को और कुछ दिनों के लिए टाला जाए.

इस गुट के एक नेता का कहना है, "बातचीत नेपाल सरकार के ग़ैरज़िम्मेदार रवैये की वजह से ये बातयीत कामयाब नहीं हो सकी."

दूसरी तरफ़ नेपाल की ज़्यादातर आबादी का मानना है कि चुनावों को टालना ख़तरनाक हो सकता है.

उनका कहना है कि नेपाल सरकार भाषा और धर्म के आधार पर किसी राज्य का गठन नहीं करना चाहती.

नेपाल में हिंसा जारी

पिछले दो हफ्तों से जारी हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है.

नेपाल में पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प में एक शख्स मारा गया है.

इससे पहले भी इसी तरह की एक झड़प में एक प्रदर्शनकारी और एक पुलिसवाले की मौत हो गई थी.

दक्षिणी हिस्से में ग़ैर-मधेशी राजनीतिज्ञों के घरों को निशाना बनाया गया है. प्रदर्शनकारियों ने कई नेताओं के घरों में आग भी लगा दी.


दक्षिणी नेपाल के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा हुआ है

घायलों को अस्पताल ले जा रही कई एंबुलेंसों को भी निशाना बनाया गया है. कई इलाकों में कर्फ्यू लगा हुआ है.

इन हिंसक प्रदर्शनों और बंद की वजह से पेट्रोल, डीज़ल और एलपीजी की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है.

दरअसल, नेपाल में तेल और गैस की आपूर्ति भारत की सीमा की तरफ़ से होती है.

इस आंदोलन ने ईंधन की भारी क़िल्लत पैदा कर दी है.

इसके चलते स्कूलों और अस्पतालों के अलावा आम जनजीवन भी इस हड़ताल की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

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