BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Thursday, February 28, 2008

विकास पर 'लगाम'

विकास पर 'लगाम'

आर्थिक विकास की दर या जीडीपी को लेकर चर्चा पिछले साल नवंबर के बाद ही शुरू हो गई थी जब औद्योगिक उत्पादन के मासिक आँकड़ों में कमी दर्ज की गई थी और उसके बाद अमरीकी सब प्राइम संकट की ख़बर से दुनिया भर में चिंता की लहर दौड़ गई.

अब आर्थिक सर्वेक्षण में भी वैश्विक बाज़ार के असर को स्वीकार किया गया है कि और जीडीपी दर मौजूदा वित्त वर्ष में 8.7 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई है.

अनुमान लगाया गया है कि महँगाई की दर 4.1 प्रतिशत रहेगी. हालाँकि रोज़मर्रा की ज़रुरतों के सामान के दाम बढ़ने पर चिंता जताई गई है.

विकास दर प्रभावित होने की आशंका

हालाँकि वित्त मंत्री को अभी भी उम्मीद है कि इससे आगे निकला जा सकता है. उनका कहना था, "हम दसवीं पंचवर्षीय योजना में 8.7 फ़ीसदी विकास दर हासिल करने में सफल हुए हैं. अर्थव्यवस्था की बुनियाद पक्की है, इसलिए मुझे पूरा भरोसा है कि ग्यारहवीं योजना में नौ फ़ीसदी का लक्ष्य हासिल होगा."

हम दसवीं पंचवर्षीय योजना में 8.7 फ़ीसदी विकास दर हासिल करने में सफल हुए हैं. अर्थव्यवस्था की बुनियाद पक्की है, इसलिए मुझे पूरा भरोसा है कि ग्यारहवीं योजना में नौ फ़ीसदी का लक्ष्य हासिल होगा
वित्त मंत्री पी चिदंबरम


आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने की बात करते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि आर्थिक मंदी के प्रभाव और बुनियादी ढांचागत बाधाएं अर्थव्यवस्था के समक्ष बड़ी चुनौतियां हैं.

विकास दर को दोहरे अंकों में ले जाने को बड़ी चुनौती बताया गया है. सरकार का रिपोर्ट कार्ड मानी जाने वाली समीक्षा में अमेरीकी सब प्राइम संकट, कृषि क्षेत्र के ख़राब प्रदर्शन, रुपये की मज़बूती, भारत की घटती प्रतिस्पर्धा, औद्योगिक विकास में मंदी और पूंजी प्रवाह के प्रबंधन का ज़िक्र प्रमुखता से किया गया है.

सुधार का सुझाव

आर्थिक सुधारों के लिहाज़ से समीक्षा में जो उपाय सुझाए गए उनमें रिटेल कारोबार में विदेशी निवेश की अनुमति, बीमा क्षेत्र में एफडीआई बढ़ाना, नए निजी ग्रामीण कृषि बैंकों में शत प्रतिशत एफडीआई और नवरत्न सरकारी कंपनियों की दस प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना शामिल है.

समीक्षा में जिन नीतिगत सुधारों की बात की गई है, उनमें कोयला खनन क्षेत्र में निजी क्षेत्र के प्रवेश, चीनी, उर्वरक और दवाओं पर नियंत्रण चरणबद्ध ढंग से समाप्त करना भी शामिल है. साथ ही पुराने तेल क्षेत्रों को निजी हाथों में बेचने का भी सुझाव है.।

हालाँकि वामपंथी दलों के विरोध को देखते हुए इन सुधारों पर सरकार कैसे आगे बढ़ेगी, ये देखने वाली बात होगी.

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