BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Thursday, February 28, 2008

चुनावी रोशनी में बेरोजगारों की छाया

चुनावी रोशनी में बेरोजगारों की छाया
Feb 28, 06:34 pm

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अपने कार्यकाल के दौरान रोजगार सृजन के मोर्चे पर यूपीए सरकार भले ही कुछ खास न कर पाई हो, लेकिन अब चुनावों से ठीक पहले वह इस मसले पर लंबी-चौड़ी घोषणाएं करने के मूड में है। लिहाजा, बेरोजगारों की फौज को कम करने के लिए सरकार जल्द ही कौशल विकास के लिए अहम कदम उठाने के साथ-साथ अन्य संबंधित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव भी कर सकती है। इस आशय के ठोस संकेत बृहस्पतिवार को संसद में वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा पेश आर्थिक समीक्षा में दिए गए हैं।

मानव संसाधन की कमी से जूझ रहे विभिन्न उद्योगों की मांग को भी पूरा करने के लिए समीक्षा में कौशल विकास को सबसे ऊपर रखा गया है। योजना आयोग ने कौशल विकास मिशन का प्रारूप पहले से ही घोषित कर रखा है।

जनतांत्रिक व्यवस्था की सीमाएं चाहे जो भी हों, फिलहाल इस मोर्चे पर अपने इस महत्वपूर्ण दस्तावेज में चिदंबरम ने आगे के लिए सुधारवादी रोडमैप निर्धारित करने का भी जोखिम उठाया है। 'अतिरिक्त सुधारों' पर जोर देते हुए समीक्षा ने नौकरियों के व्यापक अवसर सृजित करने के लिए अन्य विभिन्न क्षेत्रों में नीतिगत सुधारों का ब्लूप्रिंट सामने रख दिया है। संभव है इसकी थोड़ी छाया शुक्रवार को पेश हो रहे आम बजट में भी दिखे। इसके तहत कौशल विकास के मामले में निजी क्षेत्र की भूमिका को बढ़ाने पर जोर दिया गया है।

समीक्षा के मुताबिक नौकरियां पाने के लिए जरूरी कौशल विकास सिर्फ सरकारी एजेंसियों के भरोसे नहीं हो सकता है, लिहाजा निजी क्षेत्र का दखल अनिवार्य है। निजी क्षेत्र स्वतंत्र नियमन ढांचे के अंतर्गत निजी शैक्षिक संस्थान और कौशल विकास संस्थान स्थापित कर सकता है।

मानव संसाधन मंत्रालय की खींचतान के बावजूद समीक्षा ने साफ कहा है कि 'ए' श्रेणी के अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों को भारत में जरूर लाना चाहिए। इनके प्रवेश में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। वहीं, दूसरी ओर 'बी' और 'सी' श्रेणी के अंतरराष्ट्रीय कालेजों व विश्वविद्यालयों को प्रवेश की अनुमति के साथ-साथ अपेक्षाकृत कठोर नियमन ढांचे के तहत रखा जा सकता है। समीक्षा के अनुसार कौशल के मानकीकरण [स्टैंडर्डाइजेशन] के लिए पूरा सिस्टम तैयार करने की जरूरत है।

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