BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Friday, August 2, 2013

कंपनी किसी और की, डोमेन वाला कोई और है!

 

जगमोहन फुटेला


 

इंटरनेट की दुनिया भले ही कंप्यूटर से आगे बढ़ कर टैब और एंडरायड फोन तक बढ़ गई हो, लेकिन कंपनियों के मालिकों का वेब ज्ञान अभी भी पेजर युग से आगे नहीं बढ़ा है. हज़ारों करोड़ की कंपनियों में लाखों रूपये के बंदों की रती के बावजूद हालत ये है कि कंपनी किसी और की है और उस के डॉट कॉम नाम की वेबसाईट कोई और इस्तेमाल करता है. उस शे'र की तरह कि...'मैं ख़्याल हूं किसी और का, मुझे चाहता कोई और है'.

 

याद होगा आप को कि कांग्रेस ने bjp.com नाम का डोमेन खरीदा किसी से तो बवाल मच गया था. भाजपा ने हाय तौबा मचाई. इस डोमेन खरीद को अन-एथिकल बताया. मुझे याद आई एक घटना...बजाज ने सन '88 के आसपास एक एड निकाली थी अपने स्कूटर की. 'जनसत्ता' के कोई सौ किलो के विद्यासागर को अपने स्कूटर पे बिठाया. नीचे लिखा, 'चंडीगढ़ के श्री विद्यासागर ने 18 साल बजाज स्कूटर चलाया और वो फिर भी बिकने की हालत में था.' ये एड पूरे देश के अखबारों में पहले पेज पे छपी...चार साल बाद वेस्पा के जीएम भंडारी मिले चंडीगढ़ में. प्रेस कांफ्रेंस में विद्यासागर जी को ढूंढते हुए. बोले, बजाज की उस एड ने वेस्पा का बैंड बजा दिया. मैंने कहा, भाई जी अगर आप के चंडीगढ़ डीलर के किसी गार्ड ने भी विद्यासागर जी का घर या दफ्तर देख लिया होता तो एक बार तो जवाबी एड ये भी हो सकती थी कि श्री विद्यासागर ने 18  साल बजाज चलाया तो, लेकिन नया स्कूटर खरीदने की बारी आई तो खरीदा उन्होंने बजाज नहीं, वेस्पा स्कूटर था !

 

मैंने और मेरे एक दोस्त इस के बाद जो खाली पड़े डोमेन बुक कि उन में आप यकीन करें 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' डोमेन भी था.  ये डोमेन तब भी खाली पड़ा था कि जन 'इंडियनयूथकांग्रेस.कॉम' किसी ने बुक कर लिया था और कांग्रेस उस से वो एक केस लड़ के वापिस लाई थी. ये ही नहीं, एक समय पे सपा, डीएमके, एआईडीएमके समेत इस देश की लगभग सभी पार्टियों के डॉट कॉम डोमेन हमारे पास थे.

 

अपने जीवन की एक बड़ी सीख लेने के लिए कुछ समय तक मैं लैंडमार्क नाम की कंपनी में था. उन्होंने अपने हिंदी में आने वाले चैनल का अंग्रेज़ी नाम रखा हुआ था, आई विटनेस. नाम कोई मेरे वहां जाने से भी कोई डेढ़ साल पहले से तय था. जब वेबसाईट बनवाने की बात चली तो पता चला कि आईविटनेस.कॉम नाम से तो कोई मोबाइल बेचता है सिएटल में. चैनल की चतुर सीओओ किरन के काटो तो खून नहीं. आखिर  '.कॉम' से पहले 'आईविटनेस' के साथ 'चैनल' शब्द और लगाना पड़ा.खोल के देखता तो शायद कोई 'आईविटनेस' भी नहीं, 'चैनल' साथ लगा के तो खैर क्या क्या ही देखेगा. किसी भी साईट के हिट्स में सब से बड़ा योगदान तो की-वर्ड का ही है.

 

ये चक्कर आजसमाज अख़बार के साथ भी चला. उन्होंने 'समाज' में एम के डबल 'ए' वाला आजसमाज.कॉम तो बुक कर लिया. लेकिन सिंगल 'ए' वाला छोड़ दिया. सो अब आज समाज नाम से नेट पे वेबसाईट किसी और की भी खुलती है. पंजाब केसरी अख़बार मूल रूप से जालंधर वाला है. एक ही परिवार से अलग हो के जब एक भाई ने दिल्ली का इलाका पकड़ लिया तो उस ने डोमेन बुक कर लिया '.कॉम' नाम से. जालंधर वाले मूल अख़बार अख़बार की वेबसाईट तभी से '.इन' से खुलती है.  मानो, न मानों भारत नहीं दुनिया में शायद सब से बड़े पंजाबी अख़बार 'डेली अजीत' की वेबसाईट भी डेलीअजीत.कॉम के नाम से बुक नहीं है.

 

मैं सोचता हूं कि सारे सयाने कौव्वे गू पे ही क्यों गिरे रहते हैं? आदमी की तरह कभी अपने गिरेबान में झाँक के क्यों नहीं देखते? कंपनी बना लेते हैं, लोगो बनवा के कॉपीराइट भी ले लेते हैं, अपने नाम का डॉट कॉम क्यों, किस के लिए छोड़ देते है?

No comments:

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...