बंद कल कारखानों की जमीन पर लगेंगे नये उद्योग,पैमाइश जारी
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
बंगाल में बंद पड़े कलकारखानों की जमीन पर नेय उद्योग लगेंगे।इसकी प्रक्रिया सुरु कर दी है राज्य सरकार ने। सरकार को उम्मीद है कि इससे उद्योगों के लिए जमीन का संकट कापी हद तक सुलझ जायेगा और निवेशकों की आस्था भी बहाल होगी।मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देसानुसार भूमि व भूमि सुदार विबाग ने ऐसे पचास बंद और रुग्ण कारखानों की कई हजार एकड़ जमीन चिन्हित की है,जहां नये उद्योग लगाये जा सकते हैं।इसके अलावा विबाग ने गैरकानूनी तरीके से कंपनियों द्वारी हड़पी गयी 1900 एकड़ जमीन को खास करार दिया है।इन कंपनियों में गेरकानूनी चिटफंड कंपनियों के साथ रियल एस्टेट कंपनियां भी शामिल हैं।
बंद कल कारखानों की जिस जमीन पर नये उद्योग लगने हैं,उसकी पैमाइश भी शुरु हो गयी है।उत्तर 24 परगना के तीन बंद कारखानों की 141 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया चालू है।इसी तरह हुगली और हावड़ा जिले में आछ बंद कल कारखानों की जमीन की पैमाइश जारी है।वर्दमान भूमि दफ्तर ने ऐसे 25 बंद कारखानों की सूची राइटर्स को भेजी है,जहां नये उद्योग लगने हैं।कुल मिलाकर उत्तर व दक्षिण 24 परगना,हावड़ा,हुगली ौर वर्दमान जिले में ही हजारों एकड़ जमीन है,जहां नये उद्योग लगाये जाएंगे।गौरतलब है कि बंद व रुग्न औद्योगिक इकाइयां इन्हीं पांच जिलों में सबसे ज्यादा हैं।
जहां उद्योग लगने हैं
राइटर्स के सूत्रों के मुताबिक उत्तर 24 परगना की गौरी जूट मिल की 110 एकड़ और कैलकाटा सिल्क व जेनसन एंड निकलसन का क्रमशः 7.6 व 23. 76 एकड़ जमीन की वापसी प्रस्तावित है।
हावड़ा में जीकेडब्लू,भारत आइरन एंड स्टील और बाली जूट मिल,हुगली में ब्रेकमैंस ब्रदर,यंग इंडिया काटन मिल,बेंगल फाइन स्पिनिंग एंड विभिंग मिल,युनाइटेड वैजिटेविल और एशिया बेल्टिंग की जमीन वापस ली जायेगी।वर्द मान में साइकिल कारपोरेशन,रेकिट कोलमैन,बेंगल पेपर मिल और चार राइस मिलों की जमीन वापस ली जानी है। इन तमाम कारखानों की जमीन की पैमािश चल रही है।
पुराना कार्यक्रम,अमल अभी
गौरतलब है कि नंदीग्राम सिंगुर भूमि आंदोलन के दौरान ममता बार बार बंद कल कारखानों की जमीन पर नये उद्योग लगाने की मांग करती रही हैं। चुनाव से पहले उन्होंने जनता से ऐसा करने का वायदा भी किया ता जिसे वाम सासकों ने सिरे से खारिज कर दिया था।अब प्रबल जन समर्थन के बल पर दीदी अपना पुराना कार्यक्रम कार्यान्वित करने की दिशा में तेजी से बढ़ रही हैं।
बड़े उद्योग लग नहीं सकते
समस्या यह है कि यह जमीन कानूनी लफड़ों के पार हासिल भी हो गयी तो वहां बड़े उद्योग लगाने की संभावना नहीं है। लेकिन छोटे और मंझौले उद्योग मजे में लगाये जा सकते हैं।दीदी .ही करके फिलहाल सुरसामुखी बेरोजगारी की समस्या से दो दो हाथ करना चाहती हैं।
गैरकानूनी कब्जा
गौरतलब है कि कागजाती तौर पर जिस 1900 एकड़ जमीन के भूमि व भूमि सुधार विबाग ने कास करार दिया है,उस पर दखलदारों का कब्जा बना हुआ है।बेदखली की कार्रवाई अभी शुरु ही नहीं हो सकी है।चहारदीवारी डालकर इस जमीन पर कब्जा के लिए लैंड रिकार्ड और सर्वे विबाग ने दो दो बार हालांकि राइयर्स को चिट्ठी बेज दी है।दरअसल बेदखली के पहले दखलदारों की सुनवाई अभी बाकी है और सुनवाई भूमि सचिव करेंगे। लेकिन भूमि सचिव ने अभी किसी को बुलाया नहीं है।
बंद होगा गोरखधंधा
ममता बनर्जी गैरकानूनी ढंग से हजारों एकड़ जमीन हड़पने के इस गोरखधंधे के खिलाफ हमेशा मुखर रही हैं।अब वह इस गोरखधंधे को बंद करके हड़पी गयी जमीन पर उद्योग लगाने की योजना को अमल में ला रही हैं।सत्ता में आते ही उन्होंने ऐलान कर दिया था कि उद्योग लगाने के लिए ली गयी जमीन पर अगर उद्योग न लगे।अगर उसी जमीन पर उद्योग लगाने की मंसा हो तो वह जमीन दीर्घकालीन लीज पर भी दी जा सकती है।गौरतलब है कि इसी बीच चौदह संस्थाओं को इसी शर्त पर जमीन लीज पर दी गयी है और 29 संस्ताओं के प्रस्ताव विचाराधीन हैं।
सरकारी इजाजत जरुरी
राज्य सरकार ने फैसला किया है कि बिना सरकारी इजजत के भविष्य में इस तरह जमीन खरीदने वाली संस्ताओं को कोई जमीन लीज पर नहीं दी जायेगी।जमीन की खरीद की इजाजत देने से पहले सरकार यह जरुर देकेगी कि वह जमीन कृषि योग्य तो नहीं है। इसके साथ ही जमीन खरीदने वालों को यह हलफनामा बी दायर करना पड़ेगा कि जमीन मालिक पर किसी किस्म का दबाव नहीं डाला गया है।
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