BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Saturday, August 31, 2013

बिना प्रतिरोध आत्मसमर्पित यह देश डालर राज का युद्धबंदी आज कहीं नहीं है वह आत्मीय पुकार चैचान मंडल की वह चीख स्वजनों की गोलबंदी खातिर बसंतीपुर में तो क्या देशभर में कहीं भी नहीं देश अब अघोषित आपातकाल है अनंत


बिना प्रतिरोध आत्मसमर्पित

यह देश डालर राज

का युद्धबंदी आज


कहीं नहीं है वह आत्मीय पुकार

चैचान मंडल की वह चीख

स्वजनों की गोलबंदी खातिर

बसंतीपुर में तो क्या

देशभर में कहीं भी नहीं

देश अब अघोषित

आपातकाल है अनंत

पलाश विश्वास


पेट्रोल 2.35 रुपए, डीजल 50 पैसे प्रति लीटर महंगा, बड़ी वृद्धि जल्द


*

Livemint

See realtime coverage

Petrol dearer by Rs.2.35,diesel by 50 paise; bigger hikes soon

Livemint

- ‎11 minutes ago‎







New Delhi: Petrol price was hiked by a steep Rs.2.35 per litre on Saturday and diesel by 50 paise ahead of a bigger increase in rates planned for next month that may also include LPG as falling rupee has made imports costlier.

In-depth:Diesel price may be hiked by Rs 3-5 a litre, LPG by Rs 50



*

Live हिन्दुस्तान

अमेरिका ने भारतीय व्यापार नीतियों की जांच शुरू की

Live हिन्दुस्तान

- ‎4 घंटे पहले‎








एक अमेरिकी संघीय जांच एजेंसी ने भारतीय व्यापार की कथित भेदभावपूर्ण नीतियों की जांच करनी शुरू कर दी है। एजेंसी विशेष तौर पर उन नीतियों की जांच कर रही है जिनसे अमेरिकी व्यापार और निवेश को कथित तौर पर नुकसान पहुंच रहा है। सीनेट की वित्तीय मामलों की समिति और निचले सदन की राजस्व समिति दोनों ने ही मिलकर इस जांच का आग्रह किया था। शुरू की गई जांच भारत में व्यापार, निवेश और औद्योगिक नीति (अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव) विषय पर केंद्रित है। यूएसआईटीसी हाल में भारत में अपनाई गई उन नीतियों और उपायों के बारे में रिपोर्ट करेगी जिनसे अमेरिका का निर्यात और निवेश ...



चैचान मंडल दिवंगत हुए

सत्तर दशक में ही

आपात काल के मध्य और

आपात काल के बाद भी

बसंतीपुर में गूंजती थी उनकी आवाज


उनकी मौत के घर घर जाकर

जब बुलाना पड़ा लोगों को


तब समझ में आया

कितनी बेशकीमती थी

चैचान मंडल की आवाज


चैचान का मतलब ही है चीख

आम जनजीवन की रोजमर्रे

में कितनी जरुरी है वह चीख

हमने तब जाना


हालांकि जनमने के बाद से

उनके अंतिम दिन तक

उस चीख के साथ जीते रहे हम

अपने गांव बसंतीपुर में


उस गांव से भी हम

स्वेच्छा निर्वासित

पैंतीस साल हुए

बंगाल में वामशासन के बराबर


अब वह चीख कहीं नहीं है


कहीं नहीं है वह आत्मीय पुकार

चैचान मंडल की वह चीख

स्वजनों की गोलबंदी खातिर


बसंतीपुर में तो क्या

देशभर में कहीं भी नहीं


देश अब अघोषित

आपातकाल है अनंत


आपातकाल का अवसान हुए

चार दशक बीतने को है


लेकिन हकीकत यह है कि भइया

आपातकाल में यह देश

जितना मुखर हुआ

उतना फिर हुआ नहीं कभी


बल्कि एक खामोशी पसराया है

बहुत डरावनी, हालांकि शोर बहुत है


बोलते बहुत हैं लोग

लेकिन कुछ भी नहीं बोलते लोग

कुछ भी असुविधाजनक


सुधारों के खिलाफ

कारपोरेट राज के खिलाफ

हर आवाज राष्ट्रद्रोह है

और राष्ट्र भी अब सैन्य राष्ट्र


वह चीख कहीं नहीं है

बसंतीपुर में तो क्या

देशभर में कहीं भी  नहीं


आपातकाल जारी है

हर जुबान तालाबंद


हालांकि हम बोल बहुत रहे हैं

नेट पर,मोबाइल पर


और बाजार भी है बूम बूम

चारों तरफ बस खरीद फरोख्त की धूम


लेकिन बेजुबान है देहात इनदिनों

बेजुबान है जनमत इन दिनों


बेजुबान है संविधान इन दिनों

बेजुबान है कानून का राज भी


और तो और, सड़क से लेकर संसद तक

धर्मतल्ला और शिवाजी पार्क से लेकर

राजधानी के जंतर मंतर तक

मोमबत्ती जुलूस खूब है


खूब है हंगामा,स्थगन,बहिर्गमन

स्थगन से लेकर सत्रावसान तक


लेकिन देश खामोश हो गया है

मर गयी है वह चीख


मर गयी स्वजनों के लिए

वह गगनभेदी पुकार अंतरंग


जो जाति भाषा क्षेत्र के बाड़े तोड़

गोलबंद कर दें यह देश

चैचान मंडल अब कहीं नहीं है


2


बसंतीपुर की बसावट

भी गजब की थी


उत्तर दक्षिण

पूरब और पश्चिम

में बन हुए थे हमारे घर

हर घर में अबाध प्रवेश


तमाम घर कतारबद्ध

कहीं नहीं थी

कोई चहारदीवार

भरपूर साझा परिवार


बीच में था बड़ा सा मैदान

उस मैदान का जंगल

भी हमने देखा है


देखा है खरगोश

और हिरण भी तमाम


चप्पे चप्पे पर

बसते थे सांप जहरीले


और सांप तो अब भी हैं

हमारे घर में कही भी

कभी भी देख सकते हैं सांप


एक से बढ़कर एक जहरीले

लेकिन सांपों ने हमें काटा नहीं कभी

हम इंसानी जहर के हो गये शिकार


घर आंगन में सांपों को देख

डरे नहीं कभी हम


बिस्तर में, मच्छरदानी में भी

कितनी दफा तो घुस आये सांप


लेकिन सर्पदंश के शिकार नहीं हुए हम


पांवों से लिपट गये सांप जहरीले

सर पर लटकते रहे सांप जहरीले

फिर भी सांप ने डंसा नहीं कभी


हम तो बाजारदंश के शिकार हो गये

हम शिकार हो गये ग्लोबीकरण के


हम वध्य हुए इस वधस्थल में


हम बना दिये गये असुर और राक्षस

दैत्य और दानव


हम समाज, राजनीति और अर्थव्यवस्था

से हो गये बाहर


हरित क्रांति ने कर दी तबाह खेती

बाकी जो कुछ बचा

छीन लिया डालर राज ने


हमने बाघों का आतंक भी जिया है

तराई में बहुत थे बाघ

जैसे नदियों में थीं मछलियां बहुत


वह आतंक आज के आतंक के मुकाबले

में कुछ भी नहीं है भइया


तब नरभक्षी थे अनेक

जो भटक आते थे कभी कभार


शिकार करते थे

और मारे भी जाते थे बार बार


अब इस देश में नरभक्षी

कोई कहीं नहीं मारा जाता


नरभक्षियों का अभयारण्य

बन गया है सारा देश


बीच मैदान खड़े

चैचानमंडल की एक चीख पर


जो भी जहां हो,जिस हाल में हो

तुरंत आ जाता था गांव के बीचोंबीच


किसी को अलग से

न्योतने का रिवाज न था


चैचान मंडल की चीख पर

हो जाते थे बड़े बड़े फैसले


हो जाता था विवादों का निपटारा

चीख नही ंथी जैसे जादू की

कोई छड़ी थी वह चीख


बहुत काले थे चैचान मंडल


इतने काले थे कि जैसे

मार्टिन लूथर किंग

या अपने बाराक ओबामा


इतने काले थे चैचान मंडल कि

अंधेरा में पहचानना हो मुश्किल

लेकिन बसंतीपुर की आवाज थे चैचान मंडल


जैसे कोई शक्ल नहीं

वजूद में सिर्फ आवाज थे चैचान मंडल


बैठक हो या पूजा का आयोजन

पंचायत हो या जात्रा का रिहर्सल


संकट हो या उत्सव हो कोई

चैचान मंडल की चीख पर ही

लोग घरों से निकलते थे


पूजा की अंजलि के लिए भी

गांव भर की महिलाओं को

मंडप में ले आती थी वह चीख


3

भद्रजन काजी नजरुल के लिखे को

कोलाहल का साहित्य बताते हैं

उन्होंने सुनी नहीं

चैचान मंडल की वह चीख


अग्निवीणा जब पढ़ता हूं


पढ़ता हूं,

बलो वीर चिर उन्नत मम सिर

सिर नेहारि मम नत सिर

शिखर हिमाद्रिर,

मुझे नजरुल नहीं, चैचान मंडल

की याद आती है


याद आती है

वह चीख


साम्राज्यवाद के खिलाफ

वह चीख  बेहद जरुरी थी


चीखते चीखते पागल हुए नजरुल


न पहचाना इस पार बंगाल ने

न उस पार बंगाल ने


आर पार बंगाल रावीन्द्रिक है

बंगाल चीख नहीं सकता

काजी नजरुल की तरह


न चीख सकता है बांग्लादेश

और न लोकतांत्रिक भारतवर्ष


हमने भी कोशिश की थी

गला फाड़कर चीखने की


नजरुल हम बन नहीं सकते थे

हम चैचान मंडल की तरह

चीखना चाहते थे


नजरुल की तर्ज में

साम्राज्यवाद के विरोध में


1991 में ही लिखना

शुरु किया हमने

अमेरिका से सावधान


खूब छपा भी अमेरिका सावधान


विद्वतजनों ने कह दिया

बहुत लाउड है


हम तो चैचान मंडल की तरह

तजिंदगी कोशिश करते रहे

लाउडस्पीकर बनने की


लेकिन वह चीख

हमारी विधाओं और व्याकरण,

भाषा और सौंदर्यशास्त्र के बाहर है


अब खेतों तक पहुंचने वाली

चीख कहीं भी संभव नहीं दोस्तों


अब देहात भारत भी खुल्ला

बाजार हुआ दोस्तों


खेत नहीं रहे

खेतों की मेढ़ पर खड़े

किसे आवाज लगाओगे दोस्तों


हर कोई मोबाइल है इन दिनों

हर कोई आनलाइन है इन दिनों


हर कोई बाजार में है इन दिनों

खुद को बेचना का दौर है यह दोस्तों


वे देश बेच रहे हैं

बेच रहे हैं हमारी जमीन


बेच रहे हैं हमारी प्राकृतिक संपदा सारी


वे बेच रहे हैं हिमालय

बेच रहे हैं नदियां सारी

और तमाम जल स्रोत


वे बेच रहे हैं सुंदर वन

बेच रहे हैं समुंदर भी


वे बेच रहे हैं संविधान


बेच रहे हैं

नागरिकों की निजता


बेच रहे हैं


देश की एकता और अखंडता

लोकगणराज्य की संप्रभुता


बदले में देश को बना रहे हैं

अनंत वधस्थल


जहां न कोई नजरुल हो सकता है

और न कोई चैचान मंडल


डिजीटल हैं, बायोमेट्रिक

और आनलाइन रोबोटिक भी हैं हम


लेकिन हम नागरिक नहीं हैं कहीं भी


हम मिमियाते बकरे हैं दोस्तों

अपने ही वध के लिए आकुल व्याकुल


अपने वध का दुर्गोत्सव

मना रहे हैं हम लोग


चीखने का नहीं वक्त यह दोस्तों

संवाद का भी यह वक्त नहीं दोस्तों


न बहस की कोई गुंजाइश है


विचार प्रतिबंधित है

और सपनों पर पहरा प्रिज्म


देश अब सैन्य राष्ट्र है


अंतरिक्ष में भी सेट है

नाटो और पेंटागन का सैट


सबकुछ सेट है


सिर्फ सौदेबाजी और

कमीशनखोरी का वक्त है यह दोस्तों


पूरा देश अब चोर बाजार है दोस्तों


चोरी करो खुलकर

बेच डालो खुलकर


और इसी को

आर्थिक सुधार कहते हैं दोस्तों


अब अपना दाम हासिल करने का वक्त है

खुद को बेचते कबंधों का देश है यह


सारे लोग मूक वधिर हैं

तमाशबीन है पूरा देश दोस्तों


चैचान मंडल होते

तो सदमे से मर जाते


बसंतीपुर में भी

इन दिनों हर घर एक

चहारदिवारी है


जहा ंसाझा था हमारा बचपन

और उसी बचपन का

अटूट अनिवार्य हिस्सा थे

काला सा दीखता चैचानमंडल


हमने मार्टिन लूथर किंग का

भाषण नहीं सुना था तब


नहीं सुना था ओबामा का कृष्ण संदेश


लेकिन हमने तब

चैचान मंडल को सुना था


अब हम कभी कहीं भी

नहीं सुन सकते

किसी चैचान मंडल को


देश अब आभिजात्य का पर्याय है

लाउडस्पीकर की क्या औकात है

अत्याधुनिक तकनीक के आगे


हम भी फेसबुक में हैं

लाइक करने के सिवाय

आजतक कोई हलचल नहीं देखी


ज्यादा बोले, बोल दिये कटु सत्य तो

फौरन डीफ्रेंड कर दिये जाते हैं


मुद्दे उठाओ बार बार तो मेल भी ब्लाक

स्काइपी से कैसे गांव देहात

होंगे संबोधित हालांकि हम नहीं जानते

मोमबत्ती जुलूस का संवाद भी हम नहीं जानते


करोड़ों हाथों में मोबाइल के भरोसे

हमसोचते रहे

आवाज

हो जायेगी प्रसारित


लिंक डीलीट करके

चतुर्आयामी फिल्मों और संगीत

में निष्णात हैं हमारे लोग


अब  अग्नि वीणा पढ़ता नहीं कोई

किसी बच्चे के लिए अनिवार्य नहीं अग्निवीणा


जैसे हमारे लिए थी अनिवार्य अग्निवीणा


घर घर गाया जाता नजरुल संगीत

प्रेम और विरहे के गीत खूब सुहाते हैं


विद्रोही के चीखते बोल के लिए

दारुण दुष्काल है यह


धर्मोन्मादी देश में

अग्निवीणा के बदले

बहुत लोकप्रिय है

नजरुल का श्यामा संगीत

उनके ही धर्म संगीत


हमारा बचपन भी अजब था


रोज शाम हमें चीख चीखकर

पढ़ने का हुक्म था


ताकि हम सर उठाकर जी सकें

रीढ़ के बल दौड़ सकें

अपने लोगों की पुकार पर कहीं भी, कभी भी


जैसे मेरे पिता दौड़ते थे

रीढ़ में कैंसर को साधे हुए


हमारी रीढ़ में हालांकि

कोई कैंसर नहीं है दोस्तों


लेकिन हमारे बीच अब

कहीं नही ंहोते नजरुल दोस्तों


नहीं होता कोई चैचान मंडल

न होती है कोई चीख कहीं


न कहीं वह पुकार है अंतरंग


जो निनानब्वे फीसद

वंचित कृषिजीवियों को एक कर दें


जैसे कभी चैचान मंडल अक्सर

कर देते थे बसंतीपुर में


बिना प्रतिरोध आत्मसमर्पित

यह देश डालर राज का युद्धबंदी आज


NDTV

3 hours ago  -  Google+

Oil companies today hiked the price of petrol by Rs. 2.35 perlitre, without taxes on firming international oil prices and the free-falling rupee. The price of diesel was also raised by 50 paise per l…


*

BBC News

*

Economic Times

Montek Singh Ahluwalia rules out approaching IMF over economic woes

Financial Express

- ‎2 hours ago‎







The two-day summit which will be attended by PM is to be held in Hit by a currency crisis and poor growth, India today ruled out approaching the International Monetary Fund (IMF) for assistance, saying the economic situation has not reached a point where ...


*

Sahara Samay

दिल्ली में LPG उपभोक्ताओं को नकद सब्सिडी एक जनवरी से

Palpalindia

- ‎30-08-2013‎







नई दिल्ली. दिल्ली में एलपीजी उपभोक्ता अगले साल एक जनवरी से आधार से जुड़े अपने बैंक खाते में सीधा नकदी सब्सिडी हासिल करेंगे. वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा, दिल्ली में नौ जिले हैं. दिल्ली के जिले एक जनवरी 2014 से (प्रत्यक्ष नकदी अंतरण योजना) के तहत आ रहे हैं. उन्होंने कहा, मैं आश्वस्त हूं कि दिल्ली निवासी बेहद खुश होंगे कि (डीबीटी) एक जनवरी 2014 से आ रहा है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि योजना के तहत नकदी सब्सिडी का लाभ हासिल करने के लिए दिल्ली के निवासियों को अपने बैंक खाते को आधार कार्ड से जोडने के लिए तीन महीने की ...



सरकार ने ही बिगाडे़ आर्थिक हालात: सुब्बाराव

सरकार ने ही बिगाडे़ आर्थिक हालात: सुब्बाराव

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आर्थिक नीतियों को लेकर केंद्र सरकार पर अब तक सिर्फ विपक्ष और उद्योग जगत ही हमले कर रहा था। अब रिजर्व बैंक के निशाने पर भी सरकार आ गई है। कार्यकाल समाप्त होने से एक हफ्ते पहले आरबीआइ गवर्नर डी सुब्बाराव ने मौजूदा आर्थिक दुश्वारियों के लिए सरकार को सीधे तौर पर दोषी ठहराया है। मुंबई में गुरुवार को अपने अंतिम भाषण में सुब्बा ने एक तरह से आईना दिखाते हुए संकेतों में कहा कि अगर दो वर्ष पहले सरकार ने राजकोषीय घाटे को काबू में करने के सही कदम उठाए होते तो आज अर्थव्यवस्था के ये हालात नहीं होते।

सख्त मौद्रिक नीति को लेकर सरकार और उद्योग जगत अक्सर आरबीआइ गवर्नर की आलोचना करते रहे हैं। इसे स्वीकार करते हुए सुब्बाराव ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2009 से वर्ष 2012 के बीच अगर चालू खाते के घाटे को कम करने के लिए कदम उठाए होते तो ब्याज दरों को लेकर यह स्थिति नहीं होती। चालू वित्त वर्ष के दौरान भी चालू खाते के घाटे के नियंत्रण को लेकर सरकार के कदमों पर संशय जताते हुए उन्होंने कहा कि इसके सामान्य स्तर से ज्यादा ही रहने के आसार हैं।

सुब्बा के मुताबिक, ब्याज दरों में वृद्धि या इसमें पर्याप्त कमी नहीं होने का असर विकास दर पर पड़ा है। मगर सिर्फ इस वजह से आर्थिक विकास दर नहीं घटी है। आपूर्ति पक्ष और गवर्नेस की कमियां भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। इसका फायदा आगे दिखाई देगा। आगे विकास दर प्रभावित न हो इसके लिए जरूरी है कि अभी महंगे कर्ज को वहन किया जाए। सबसे बड़ी बात यह है कि ब्याज दरों को लेकर रिजर्व बैंक के हाथ सरकार की गलत वित्ताीय नीतियों ने बांध दिए। वित्ताीय हालात में तेजी से सुधार होते मौद्रिक नीतियों को भी उसी हिसाब से बदला जाता।

सुब्बा ने कुछ भी अलग नहीं कहा : चिदंबरम

वित्ता मंत्री पी चिदंबरम ने सुब्बाराव की आलोचना को लेकर कहा कि इसमें कुछ भी नई बात नहीं है। उन्होंने मंगलवार को संसद में कहा था कि मौजूदा हालात के लिए विदेशी वजहों के अलावा घरेलू कारण भी जिम्मेदार हैं। वर्ष 2009-11 के दौरान लिए गए निर्णयों के चलते ही सरकार का राजकोषीय घाटा और चालू खाते का घाटा सीमा पार कर गया। यह वही वक्त था, जब प्रणब मुखर्जी वित्ता मंत्री थे। उन्होंने संसद को आश्वस्त भी किया कि वर्ष 2013-14 के दौरान चालू खाते के घाटे को 70 अरब डॉलर से ऊपर जाने नहीं दिया जाएगा। इससे रुपये को मौजूदा स्तर से नीचे लाने में मदद मिलेगी। वैसे, चिदंबरम ने बीते साल अक्टूबर में कहा कि अगर आर्थिक विकास की चुनौतियों से अकेले निपटना पड़ा तो यही सही।

''उम्मीद है कि वित्ता मंत्री एक दिन कहेंगे कि मैं अक्सर रिजर्व बैंक से परेशान हो जाता हूं। इतना परेशान कि पैदल टहलने के लिए निकल जाना चाहता हूं, भले ही अकेले जाना पड़े। लेकिन भगवान का शुक्र है कि रिजर्व बैंक मौजूद है।''

डी सुब्बाराव

गवर्नर, रिजर्व बैंक

http://www.jagran.com/news/business-rbi-governor-d-subbarao-blames-upa-for-mess-indian-economy-10683370.html



*

Dainiktribune

आसान सुधारों का दौर खत्म, अब मुश्किल समय आया

Dainiktribune

- ‎22 घंटे पहले‎







यी दिल्ली, 30 अगस्त (भाषा)। अर्थव्यवस्था को 'अल्पकालिक झटकों' के प्रति आगाह करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज मौजूदा आर्थिक मुश्किलों के लिए पूरी तरह से भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने मुख्य विपक्षी दल पर संसद में गतिरोध पैदा कर सुधार संबंधी महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में बाधा डालने व निवशकों का उत्साह तोडऩे का आरोप लगाया। अर्थव्यवस्था की स्थिति और रुपए में भारी गिरावट पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए उन्होंने संसद के दोनों सदनों में विस्तृत बयान दिया, जिसमें उन्होंने अर्थव्यवस्था को उच्च वृद्धि की राह पर वापस लाने के लिए राजनैतिक सहमति की ...


*

नवभारत टाइम्स

1 लाख मर्दों के साथ सेक्स करना चाहती है पोलैंड की युवती

नवभारत टाइम्स

- ‎4 घंटे पहले‎







वरसा।। पोलैंड की एक युवती अपने अजीबोगरीब शौक को पूरा करने के लिए दुनिया के लगभग हर बड़े शहर में जाना चाहती है। वह ऐसा इसलिए करना चाहती है, ताकि 1 लाख पुरुषों के साथ हमबिस्तर होने के अपने सपने को पूरा कर सके। न्यूज पोर्टल हफिंगटन पोस्ट के मुताबिक पोलैंड के वरसा की रहने वालीं 21 साल की एन्या लिशेव्श्का ने एक अनोखे मिशन की शुरुआत की है। पिछले महीने से लेकर अब तक वह 284 मर्दों के साथ हमबिस्तर हो चुकी हैं। वह चाहती हैं कि 1 लाख अलग-अलग मर्दों के साथ सेक्स करें। इसके लिए एन्या ने एक फेसबुक पेज और वेबसाइट भी सेटअप की है।


मंदिरों से सोना लेने के सरकार के कदम का विरोध करेगी भाजपा: स्वामी

Last Updated: Saturday, August 31, 2013, 19:41

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने आज यहां कहा है कि कुछ मंदिरों का सोना अपने कब्जे में लेने के सरकार के किसी भी कदम का भारतीय जनता पार्टी विरोध करेगी।



डीजल के दाम में एकमुश्त बड़ी वृद्धि की चर्चा के बीच तेल कंपनियों ने शनिवार को पेट्रोल का दाम 2.35 रुपए और डीजल का दाम 50 पैसे प्रति लीटर बढ़ा दिया। डॉलर के मुकाबले कमजोर पड़ते रुपये से बढ़ते बोझ को देखते हुये डीजल के साथ-साथ अगले महीने घरेलू रसोई गैस के दाम भी बढ़ाये जा सकते हैं।


तेल कंपनियों के अनुसार पेट्रोल और डीजल की यह मूल्यवृद्धि उनमें मूल्यवर्धित कर (वैट) के बिना है। वैट शामिल होने के बाद वृद्धि ज्यादा होगी। पेट्रोल के दाम में पिछले तीन महीनों में यह छठी वृद्धि है जबकि डीजल के दाम में जनवरी के बाद से आठवीं वृद्धि है। ताजा मूलय वृद्धि शनिवार मध्यरात्रि से लागू होगी।


संसद के मौजूदा मानसून सत्र के समाप्त होने पर डीजल के दाम में तीन से पांच रुपये की एकमुश्त वृद्धि की जा सकती है। इसके अलावा राशन में बिकने वाले मिट्टी तेल के दाम 2 रुपये और घरेलू इस्तेमाल के गैस सिलेंडर का दाम 50 रुपये तक बढ़ सकता है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर स्थिति से निपटने के लिये कदम उठाने का आग्रह किया है।


अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के ऊंचे दाम और कमजोर पड़ते रुपये की वजह से तेल कंपनियों पर सब्सिडी का बोझ 1,80,000 करोड़ रपये तक पहुंच सकता है।डीजल के दाम में आज की वृद्धि सहित जनवरी से यह आठवीं मूल्यवृद्धि है। डीजल पर तेल कंपनियों को जितना नुकसान हो रहा था, इस वृद्धि के साथ उसमें काफी बड़े हिस्से की भरपाई हो जाती लेकिन डॉलर के मुकाबले रुपये में आई करीब 25 प्रतिशत की गिरावट से स्थिति और बिगड़ गई।


इस समय तेल कंपनियों को डीजल पर उसके वास्तविक दाम के मुकाबले 12.12 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है। हालांकि, पिछले आठ महीनों में इसमें केवल 4.75 रुपये की मूल्यवृद्धि हुई है। तेल कंपनियों ने पहली जून को पेट्रोल के दाम 75 पैसे लीटर बढ़ाये थे। उसके बाद 16 जून को दाम 2 रपये प्रति लीटर और बढ़ाये गये। 29 जून को 1.82 रुपये और फिर 15 जुलाई को 1.55 रुपये और एक अगस्त को 70 पैसे प्रति लीटर दाम बढ़ाये गये।


माना जा रहा है कि संसद का चालू मानसून सत्र समाप्त होने के बाद डीजल के दाम में 3 से 5 रुपये की एकमुश्त वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा मिट्टी तेल के दाम में दो रुपये लीटर और घरेलू गैस सिलेंडर का दाम 50 रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।


पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री वीरप्पा मोइली ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर स्थिति की गंभीरता से उन्हें अवगत कराया है और कदम उठाने का आग्रह किया है। विश्व बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दाम और डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती दर को देखते हुये चालू वित्त वर्ष के दौरान तेल कंपनियों को 1,80,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है।



*

नवभारत टाइम्स

इंटरनेट 30 फीसदी तक हो सकता है महंगा

नवभारत टाइम्स

- ‎11 घंटे पहले‎







नई दिल्ली।। इंटरनेट का इस्तेमाल 30 फीसदी तक महंगा हो सकता है। टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने इन सेवाओं से मिलने वाले रेवेन्यू को अपने उपकर (सेस) के दायरे में लाते हुए नए टेलिकॉम लाइसेंस अग्रीमेंट के लिए शुद्धिपत्र जारी किया। दो अगस्त को जारी यूनिफाइड लाइसेंस के शुरुआती वर्जन के मुताबिक टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने इंटरनेट सर्विसेज़ से रेवेन्यू को अजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) से मुक्त रखा था। इसने कहा था कि इंटरनेट सेवाओं से आय घटाने के बाद एजीआर कैलकुलेट किया जाएगा। हालांकि एजीआर के कैलकुलेशन पर शुद्धिपत्र में टेलकॉम डिपार्टमेंट ने कहा है, 'विशुद्ध इंटरनेट सेवा से आय को ...

लैंड बिल: किसान को राहत न इंडस्ट्री खुश

लखनऊ/मनोज श्रीवास्तव | अंतिम अपडेट 31 अगस्त 2013 10:47 AM IST परसरकार ने नया भूमि अधिग्रहण बिल लोकसभा में पारित कराने के साथ उम्मीद जताई है कि नया कानून बन जाने से किसानों को जमीन का उचित मुआवजा मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।


इसके अलावा उद्योगों को विकास के लिए जमीन की कमी नहीं रह जाएगी, लेकिन हकीकत इसके उलट है। इस बिल को लेकर किसान से लेकर उद्यमी तक माथा पकड़ कर बैठ गए हैं।


दोनों ही मानते हैं कि वे ठगे गए हैं, उनकी अपेक्षाओं को बिल में जगह ही नहीं मिली। पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स के सीनियर सेक्रेटरी (इन्फ्रास्ट्रक्चर) डॉ. रंजीत मेहता कहते हैं कि इस समय देश में करीब छह लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट जमीन की अनुपलब्धता के कारण फंसे हैं।


नए बिल के बाद उनके अस्तित्व में आने पर ही सवाल खड़ा हो गया है। भूमि अधिग्रहण की समस्या के कारण ही दक्षिण कोरिया की स्टील प्लांट लगाने वाली कंपनी पास्को अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर ओडिशा से जा रही है।


कंपनी वहां 24 लाख करोड़ की लागत से स्टील प्लांट लगाना चाहती थी, पर दस साल में जमीन के झमेले खत्म ही नहीं हुए। क्या आप समझते हैं कि नए भूमि अधिग्रहण कानून के बाद और बड़ी कंपनियां देश में बनी रहेंगी?

हालांकि चिंताएं किसान नेताओं की भी कम नहीं हुई हैं।


भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर किसान जागरण यात्रा पर निकले मनवीर सिंह तेवतिया कहते हैं कि इस बिल से उनकी यात्रा को और जनसमर्थन व बल मिलेगा क्योंकि साफ हो गया है कि इससे किसानों का भला नहीं होने वाला।


मायावती के शासनकाल में टप्पल और भट्टा पारसौल में भूमि अधिग्रहण के सवाल पर जबर्दस्त आंदोलन चला चुके तेवतिया कहते हैं कि यूपी, बिहार, उत्तराखंड, हरियाणा व दिल्ली की पदयात्रा के बाद जब वे 30 जनवरी को दिल्ली पहुंचेंगे तो किसानों का इस मुद्दे पर उबाल सरकार की नींद हराम कर देगा।


बिल पेचीदा, किसान विरोधी

लोकसभा में पेश किया गया नया भूमि अधिग्रहण बिल पूरी तरह किसान विरोधी है। बिल इतना पेचीदा है कि सरकार या प्राइवेट पार्टी को भी किसान से जमीन लेकर निर्माण कराना बहुत मुश्किल हो जाएगा।


जमीन अधिग्रहण को लेकर पहले के मुकाबले ज्यादा कानूनी मुश्किलें खड़ी होंगी। बिल में सबसे गलत बिंदु यह है कि सर्किल रेट को ही मार्केट रेट बताया जा रहा है। हकीकत में सर्किल रेट और मार्केट रेट में काफी फर्क होता है।


होना यह चाहिए कि जिस काम के लिए जमीन ली जा रही हो, उसके लिहाज से जो रेट बनता हो उसका 60 फीसदी किसान को दे दिया जाए। प्रावधान यह भी होना चाहिए कि प्रस्तावित परियोजना के लिए जितनी जमीन की जरूरत हो, उसकी दोगुनी जमीन अधिगृहीत की जाए।


फिर अतिरिक्त अधिगृहीत जमीन का आधा हिस्सा किसानों को विकसित करके� दे दिया जाए। फिर उस विकसित जमीन में किसान को 25 फीसदी तक ही निर्माण कराने की कानूनी बंदिश लगा दी जाए।


शेष 75 फीसदी जमीन पर खेती होती रहे। सबसे बड़ी मुश्किल है कि जिन लोगों ने बिल बनाया है उन्हें किसान, जमीन और अधिग्रहण से किसानों और प्राइवेट कंपनियों को होने वाली दिक्कतों की कोई जानकारी ही नहीं है।

मनवीर सिंह तेवतिया

भट्टा पारसौल आंदोलन में 23 महीने जेल में रहे किसान नेता


नई इंडस्ट्री का रास्ता ही बंद हो जाएगा

नया बिल इंडस्ट्री के लिए न तो मुफीद है और न व्यावहारिक। कोर्ट-कचहरी में ज्यादा फंसाने वाला है। दिक्कत वाला पहला प्रावधान यह है कि जमीन के अधिग्रहण के लिए संबंधित इलाके� के 80 फीसदी लोगों की सहमति अनिवार्य कर दी गई है।


समाज के लोगों का जो हाल है, उस दृष्टि से यह प्रावधान नितांत अव्यावहारिक है। दूसरी दिक्कत मुआवजे को लेकर है। जमीन की कीमतों की जो स्थिति है, उसमें अगर कोई उद्यमी चलन में रेट का चार गुना मुआवजे में ही दे देगा तो वह बड़ी मुश्किल में फंस जाएगा।


उस इंडस्ट्री का जल्द मुनाफे में आना टेढ़ी खीर होगा। कोई इंडस्ट्री अगर किन्हीं कारणों से नहीं चल पाती है और मजबूरी में जमीन किसी को बेचती है, तो उस समय जमीन बेचने से होने वाले फायदे में से 40 फीसदी मूल विक्रेता को देने का प्रावधान भी अव्यावहारिक है।


कुल मिलाकर नए कानून के बाद सड़क, रेल, बिजली, बिजली और रियल एस्टेट के तमाम प्रस्तावित प्रोजेक्ट का अस्तित्व में आना मुश्किल होगा। मेरी राय में भूमि अधिग्रहण के मामलों में राज्य सरकारों का दखल बढ़ना चाहिए।


राज्य सरकारों को इंडस्ट्री के लिए अलग से लैंड बैंक बनाकर रखना चाहिए और उसे जमीन खुद मुहैया करानी चाहिए। अर्थव्यवस्था और औद्योगिकीकरण में रफ्तार तभी आएगी।


डॉ. रंजीत मेहता

सीनियर सेक्रेटरी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, पीएचडी चैम्बर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री

http://www.lucknow.amarujala.com/news/city-news-lkw/analysis-of-land-acquisition-bill/


डीजल, केरोसिन व एलपीजी पर सब्सिडी से 1.8 लाख करोड़ का नुकसान!

Last Updated: Saturday, August 31, 2013, 20:02

रुपये में गिरावट और कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी की दोहरी मार के बीच पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर बताया है कि सुधारात्मक कदम नहीं उठाये गये तो सब्सिडी वाले ईंधन की बिक्री पर नुकसान बढ़कर 1,80,000 करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है।


*

इकनॉमिक टाइम्स

इस दीपावली पर नहीं मिलेगी 'छूट, छूट, छूट'

इकनॉमिक टाइम्स

- ‎7 घंटे पहले‎







नई दिल्ली।। दीपावली में डिस्काउंट का मजा लेने वालों के लिए यह खबर निराश करने वाली है। दीपावली के दौरान डिस्काउंट की आस लगाए लोगों को कन्ज़यूमर ड्यूरेबल्स कंपनियां जोरदार झटका देने वाली हैं। डॉलर के मुकाबले 66 के स्तर तक पहुंचे रुपए की वजह से कंपनियों पर अपने प्रॉडक्ट्स की कीमतों में बढ़ोतरी का जबर्दस्त दबाव बना है। जानकारों की मानें तो, रुपए की बढ़ती कमजोरी के कारण कन्ज़यूमर ड्यूरेबल्स कंपनियां अपने प्रॉडक्ट्स के दाम बढ़ाने की तैयारी में हैं। मतलब यह कि दीपावली के वक्त डिस्काउंट पर कार, फ्रिज, एसी, वॉशिंग मशीन, टीवी, मोबाइल, टैब्लेट, प्रिंटर और दूसरे गैजेट्स


सोने की कीमत में 275 रुपए की गिरावट, 31425 रुपए/10 ग्राम

Last Updated: Saturday, August 31, 2013, 19:47

कमजोर वैश्विक रूख के बीच मौजूदा उच्चस्तर पर मांग कमजोर पड़ने से दिल्ली सर्राफा बाजार में आज लगातार तीसरे दिन सोने, चांदी में गिरावट दर्ज की गयी। सोने के भाव 275 रुपये की गिरावट के साथ 31425 रुपये प्रति दस ग्राम रह गये। जबकि चांदी के भाव 70 रुपये टूट कर 53930 रुपये किलो बंद हुए।




US launches investigation against Indian trade practices

A US Federal agency has launched an investigation into Indian trade policies which allegedly discriminate against the American trade and investment.

The investigation, "Trade, Investment and Industrial Policies in India: Effects on the US Economy", was requested jointly by the Senate Committee on Finance and the House Committee on Ways and Means.

USITC will report on recent policies and measures in India that affect US exports and investment and evaluate the effects of such barriers on US firms and the economy, the federal agency has said in a statement on Thursday.

In its examination, the USITC will enumerate restrictive trade and investment policies that India maintains or has recently adopted, determine which sectors of the US economy are most affected by these policies, and describe the competitiveness of Indian firms in these sectors.

The USITC will provide several case studies of US firms or industries that have been particularly affected by India's restrictions.

As requested, by the Congress, the USITC will also perform a quantitative analysis of the effects of such measures.

The USITC will survey a sample of US firms to measure perceptions of India's policies and the impact of those policies on firms' strategies toward India.

The survey results will complement the quantitative analysis of the effects of these policies on trade, investment, and the US economy.

The USITC will deliver the report to the Committees by November 30, 2014, the statement said, adding that it will hold a public hearing in connection with the investigation on February 13, 2014.


Govt mulling Rs 5 a litre hike in diesel prices as fuel subsidy bill balloonsLoss on subsidised fuel sale could touch Rs 1.8 lakh crore, says Oil Minister M Veerappa Moily. Reuters


Diesel prices may be hiked by Rs 3-5 per litre, kerosene by Rs 2 and LPG by Rs 50 per cylinder as Oil Minister M Veerappa Moily urged Prime Minister Manmohan Singh to take steps to tackle a record Rs 180,000 crore of losses arising from dipping rupee and surging oil rates.

Moily, who had on Thursday met Finance Minister P Chidambaram on the issue, on August 30 wrote to Singh saying without a price increase the government will have to shell out a record Rs 97,500 crore to subsidise diesel and cooking fuel.

"If the present position persists, the total under-recovery (revenue loss) would reach to a level of Rs 180,000 crore in the current financial year as compared to Rs 161,000

crore during 2012-13," he wrote to the Prime Minister.

A 25 per cent drop in rupee value has resulted in losses on diesel sales widening to Rs 10.22 per litre despite prices being raised by 50 paise a litre every month since January.

Diesel price may be hiked by Rs 3 a litre after monsoon session ends

This coupled with Rs 33.54 a litre loss on kerosene and Rs 412 on sale of ever 14.2-kg cooking gas (LPG) cylinder, the total revenue loss this fiscal comes to Rs 180,000 crore, he said adding even after upstream firms like ONGC chip in Rs 70,500 crore, a gap of Rs 97,500 crore would be left.

An increase in rates is possible after monsoon session of Parliament ends on September 6.

Moily, who sent an almost identical note to Chidambaram, said a one rupee increase in diesel price will cut loss by Rs 4,522 crore in remainder of current fiscal while a Rs 3 per litre increase would trim losses by Rs 13,565 crore. If rates are raised by a one-time Rs 5 per litre, the losses would be cut to Rs 29,390 crore.




Companies Bill 2013 receives President's assentThe Companies Bill 2013 has received assent from the President Pranab Mukherjee. (Reuters)

The new Companies Bill has received President's assent, that will make it into a law replacing the nearly six-decade old regulations that govern corporates in the country.

The Companies Bill 2013 received assent from the President Pranab Mukherjee on August 29, a government official said.

The new Bill, providing for sweeping changes in the way companies operate and are regulated in the country, received Parliamentary approval earlier this month. It would replace the Companies Act 1956.

The Corporate Affairs Ministry is in the process of making the rules for the new legislation.

The draft rules, expected to be ready in two weeks, would be put out on the Ministry's website. After this, stakeholders and general public, among others, would have up to 60 days to provide their comments.

Corporate Affairs Minister Sachin Pilot had earlier said the government plans to adopt a transparent and interactive process to finalise a detailed set of rules to be adopted under the new Companies Bill.

The new Bill requires companies to spend on social welfare activities, empowers investors against any frauds committed by promoters, encourages companies to have women directors, and seeks to bring in greater transparency in corporate governance matters.

It also provides about three dozen new definitions, including for terms such as frauds, promoters, turnover, small companies, associate companies and employee stock options.


Arvind Mayaram meets treasury heads of foreign banks on Indian rupee



The meeting assumes importance as foreign banks are big players in the NDF market. Reuters

Economic Affairs Secretary Arvind Mayaram on Saturday discussed the continuing Indian rupee fall and the resultant macro-economic impact with the treasury heads of leading foreign banks.

The closed-door meeting held at the LIC headquarters here was attended by treasury heads of foreign banks like Standard Chartered, HSBC, among others.

Though Mayaram spoke to the waiting reporters, he refused to talk about the outcome of the meeting. Similarly, the participants also refused to speak.

According to sources, he discussed the crucial NDF (non- deliverable forwards) market, which largely influences the movement of rupee in the domestic market.

"What is significant is that the RBI does not have any control on this market. In the RBI's annual report released recently, it has admitted that there is deeper correlation between the rupee movement in the on-shore and offshore market.

"During the period of rupee depreciation, shocks originating in the NDF market may carry more information which gets reflected in the onshore segments of the market through mean and volatility spillovers," the RBI said in its annual report quoting its internal research, released on August 22.

After sinking to a record low of 68.85 against the US dollar on August 28, it stabilised yesterday to close at 65.70.

The meeting assumes importance as foreign banks are big players in the NDF market and its influence of the market is high as volumes are too large in comparison to domestic.

NDF deals are forward transactions settled in dollars because the rupee, being not fully convertible, cannot be delivered outside the country.

On the June quarter GDP numbers, he said the reading was expected, but said there are chances of revival in the second half.

The economic growth slipped to the lowest since the 2008 crisis to 4.4 per cent in the first quarter against 5.4 per cent in the same quarter last fiscal.


Technology »

*

Times of India

It's official: Indian consumers love phablets

Times of India

- ‎Aug 29, 2013‎







NEW DELHI: The latest numbers for Indian smartphone market are out. And, they show a steep growth in the phablet category in the country.


*

The Hindu

Nokia launches Lumia 925, 625 in Chennai

The Hindu

- ‎7 hours ago‎







Finland-based handset maker Nokia on Friday launched its Lumia range of smartphone in Chennai with introduction of latest Lumia 925 and Lumia 625.





No comments:

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...