सेटटाप लगाया तो क्या हुआ टीवी देखने से वंचित हो सकते हैं कोलकाता मेट्रो इलाके के 19 लाख उपभोक्ता!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
केबल टीवी ग्राहकों को कस्टमर एप्लीकेशन फॉर्म (सीएएफ) जमा करवाना जरुरी है।पसंदीदा चैनल चुनने के वायदे के साथ केबल टीवी नेटवर्क को डिजिटल बनाने के देश व्यापी मुहिम के तहत अंततः कोलकाता और उपनगरों में दूदर तक आम लोगों ने टीवी देखन के लिए सेट टाप बाक्स लगा लिया। ऐसे सेटटाप बाक्स चीन से मंगाया घटिया बक्सा है जो कभी भी किसी को बी दगा दे सकता है। वायदे के मुताबिक लेकिन पसंदीदी चेनल चुनने की छूट नहीं मिली है ग्राहकों को। जो चैनसल डेढ़ सौ रुपये में देख रहे थे उन्हें देखते रहने के लिए तीन सौ रुपये का पैकेज भी कम पड़ रहा है। अलग अलग पैकेज में मुफ्त क्षेत्रीयचैनलों को ठूंस दिया गया है,जिनकी भाषा लोगों को समझ में ही नहीं आती।पसंदीदा चैनल पर बने रहने के लिए मंहगे पैकेज का कोई विकल्प नहीं है।लेकिन ऐलसे पैकेज में बी दर्शकों को अपना चैनल चुनने का हक नहीं है।जिनके घर डिश टीवी है,उनके साथ अब क्या सलूक होगा ,वह कोई नहीं जानता पर। लेकिन सरकार बनाम एमेसओ बनाम केबल ापरेटर इस त्रिमुखी संघर्ष में किसी भी दिन कोलकाता मेट्रो इलाके के 19 लाख और उपनगरों में उससे कई गुणा ज्यादा केबल उपभोक्ताओं के घर टीवी पर कभी भी जारी हो सकता है ब्लैकआउट।जिन ग्राहकों ने कस्टमर एप्लीकेशन फॉर्म जमा नहीं करवाया उनका केबल कनेक्शन काट दिया जाएगा।इस फॉर्म में व्यक्तिगत जानकारियां और पसंद के चैनलों की सूची मांगी गई है। टेलीकॉम नियामक ट्राई ने यह आदेश जारी किया है।
ट्राई के चेयरमैन राहुल खुल्लर ने कहा कि यह कानून एक नवंबर, 2012 से ही लागू है। ग्राहकों को यह फॉर्म स्थानीय केबल ऑपरेटर के पास जमा करने हैं। ये ऑपरेटर इन फॉर्म को एमएसओ के पास जमा करेंगे। एमएसओ ने अब तक केबल ग्राहकों से नरमी बरतते हुए कनेक्शन बंद नहीं किए हैं। खुल्लर ने कहा कि एमएसओ पर शिकंजा कसने के हालात बन रहे हैं। ट्राई के पास और कोई विकल्प नहीं है। नियामक कानून के तहत स्थानीय केबल ऑपरेटरों और एमएसओ पर मुकदमे की तैयारी कर रहा है। कानून में एमएसओ के लिए ग्राहकों द्वारा भुगतान की गई रकम का बिल देने का प्रावधान है। ट्राई ने पिछले महीने एक नया प्रावधान भी जोड़ा है। इसके तहत केबल टीबी ग्राहकों को सेट टॉप बॉक्स लगवाने के लिए एकमुश्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ग्राहकों को यह लाभ डिजिटल एड्रेसेबल केबल टीवी सिस्टम [डास] के तहत दिया जाएगा।
बंगाल के केबल आपरेटर सेटटाप बाक्स लगाने के बादअंधाधुंध सुल्क वृद्धि का लगातार विरोध इस लिए कर रहे हैं कि लोग जेबों की सेहत के फिक्रमंद होकर डिसकनेक्ट होने का विकल्प भी अपनाने लगे हैं और केबल के बजाय तेजी से डिश के पड़ाव तक पहुंचने लगे हैं और उन्हें आशंका है कि यह मसला हल न हुआ तो देल सवेर उनका कारोबार ठप ही हो जायेगा। ज्यादातर इलाकों में अभी कोई पैकेज लागू नही हुआ है और सेट टाप बाक्स लागू होने से पहले जो चैनल चालू थे,वे बंद हो गये हैं।फ्री चैनलों के जरिये कोबल कारोबार बिना पैकेज चलाने की कोशिश हो रही है। सैफ कैफ फार्म के बारे में आपरेटरों ने अभी उपभोक्ताओं को अंधेरे में ही रखा हुआ है।ज्यादातर इलाकों में आपरेटरों ने ट्राई के नये निर्देशनामा के बारे में कुछ भी उपभोक्ताओं को नहीं बताया है।वे हर महीने पहले की तरह केबल की फीस वसूल कर ले दजा रहे हैं। उपभोक्ताओं को भनक भी नहीं लगी है कि इसतरह लगातार भुगतान करते रहने के बावजूद किसी भी दिन बेरोशन हो टायेगा उनका टीवी।
ट्राई के निर्देशानुसार सेट टाप बाक्स लगाने के बाद सभी उपभोक्ताओं के लिए सबस्क्राइबर एप्लिकेशन फार्म सैफ भरना अनिवार्य है।इसका मकसद सेट टाप कनेक्शन की वास्तविक संख्या का पता लगाकर आपरेटरों से फीस वसूलना है। आपरेटर कोई फीस देने को तैयार नहीं हैं और इसीलिए उन्होंने शुरु से सेट टाप बाक्स लगाने से परहेज किया। अब जब बुद्धुबक्सा पर यह वेताल सवार हो ही गया है, तो सैफ भरवाने से आपरेटर परहेज करने लगे हैं और इसका खामियाजा उपभोक्तचाओं को ही भुगतना होगा।उपभोक्ता से संबंधित सारी जानकारियां सैफ में दर्ज होती है और इसके बिना कायदे से सेट टाप बाक्स चालू ही नहीं होने चाहिए।ट्राई के मुताबिक कोलकाता मेट्रो इलाके में 28 लाख सेट टाप बाक्स लगे हैं,जबकि सैफ फारम जमा हुए हैं मात्र नौ लाख।यानी 19 लाख सेटटाप बाक्स गैरकानूनी हैं।
ट्राई ने धमकी दी है कि आगामी 23 अगस्त तक जिन उपभोक्ताओं के सैफ जमा नहीं होंगे,उनके लिए केबल से प्रसारण बंद कर दिया जायेगा।ट्राई ने डाइरेक्ट टु होम (डीटीएच) सेवाओं के लिए डिजिटल ऐडूसेबल केबल टीवी प्रणालियों (डीएएस) और उपभोक्ता परिसर उपकरणों (सीपीई) के लिए सेट टाप बाक्सेज के मानक शुल्क पैकेज के बारे में आदेश जारी कर दिए हैं।इन शुल्क आदेशों का मुख्य उद्देश्य प्रभावी वाणिज्यिक अतंरप्रचालन सुनिश्चित करना है। यह शुल्क आदेश एसटीबी/सीपीई उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने तथा सेवा प्रदाताओं के हितो की सुरक्षा के लिए है। यह संचालकों में स्वस्थ प्रतिस्वर्धा को बढ़ावा देगा जिससे सभी को लाभ होगा।
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