# हो हो होलक रे
मां की अस्मत के सौदागरों जी रौ लाख बरीस!
बहरहाल अर्थशास्त्र बाजार का है।हम बाजार से बाहर खड़े लोग हैं।
अर्थशास्त्र धन पैदा करने का मुनाफे का शास्त्र है।
जो धन पैदा कर रहे हैं और मुनाफा कमा रहे हैं,जाहिर हैं, वे अर्थशास्त्र बेहतर समझते होंगे।
यह अर्थशास्त्र न जनता का है और न हमारा है।यह बजट न जनता का है और न हमारा है।
#कारपोरेट द्वारा #कारपोरेट के लिए# कारपोरेट का यह बजट है।
पलाश विश्वास
# हो हो होलक रे
मां की अस्मत के सौदागरों जी रौ लाख बरीस!
नैनीताल समाचार का होली अंक आ गया है।
हमारे फिल्मकार मित्र जोशी जोसेफ ने अपनी ताजा फिल्मों की सीडी भेज दी है।
समांतर और समकालीन तीसरी दुनिया के अंक आ चुके हैं।
पढ़ने देखने का वक्त निकालना मुश्किल हो रहा है।
पहाड़ों में हामेर तमाम मित्र अभी से छलड़ी के मूड में हैं।नैनीताल में राजीवदाज्यू ने अपना होलियार प्रोफाइल जारी कर दिया है।एक से बढ़कर होली के गीत शेयर हो रहे हैं।
सफेद टोपी और सफेद कुर्ता पाजामा में रंग के छींटे और मालरोड होकर तल्ली मल्ली तक गिरदा के हुड़के की थाप पर मस्त होलियारों के जुलूस का वह नजारा फिर आंखों में दर्ज हो रहा है।
वृंदावन में लट्ठमार होली की तस्वीरें अखबारों में छपने लगी हैं।
वसंत बहार है।जंगल जंगल खिले पलाश,बुरांश हैं।
धनबाद में हम होली के दिन भंग छानने वाले मित्रों की सोहबत में रहे हैं तो मेरठ में तो बाकायदा भंग छानकर अखबार तब तक निकालते रहे हैं,जबतक न एक होली ऐसी आय़ी कि मसीनमैन रातभर हंसता रहा और रोता रहा।बाहर से किसीको बुलाकर अखबार छापना पड़ा।
बिन होली भंग का मजा बनारस के घाटों में हिंदी के दिग्गज कवि ज्ञानेंद्रपति और उनकी टोली के साथ गंगाघाट पर गंगा आरती के मध्य बीच गंगा में उन्ही के तब ताजा गंगाघाट की कविताओं को उनकी जुबानी सुनकर लिया है।
अब सारा देश होली के मोड में है।
हकीकत यह है कि असली होली तो विदेशी निवेशकों की है।होली से पहले होली और दिवाली से पहले होली।होली बाजार के तेज सरपट दौड़ते सांढ़ों की है या अश्वमेधी घोड़ों की है।बुलरन से भंग का रंग निराला है।भारत जागा है आठ की विकास दर पर।मेकिंग इन टनाटन है।रस्सी जिनकी हो गयी,वे इस टनटनाहट को साझा कर लें तो ययाति कायाकल्प हो जाये शर्तिया।
# हो हो होलक रे
मां की अस्मत के सौदागरों जी रौ लाख बरीस!
बहरहाल अर्थशास्त्र बाजार का है।हम बाजार से बाहर खड़े लोग हैं।
अर्थशास्त्र धन पैदा करने का मुनाफे का शास्त्र है।
जो धन पैदा कर रहे हैं और मुनाफा कमा रहे हैं,जाहिर हैं, वे अर्थशास्त्र बेहतर समझते होंगे।
यह अर्थशास्त्र न जनता का है और न हमारा है।यह बजट न जनता का है और न हमारा है।
#कारपोरेट द्वारा#कारपोरेट के लिए# कारपोरेट का यह बजट है।
आज सुबह सुबह वित्त विधेयक और डाउ कैमिक्लस का बहले से लीक हो गया बजट भाषण पाठ किया।
इस डाउ कैमिकल्स बजट और मनसेंटो अर्थव्यवस्था से देश निर्माण का जो कार्निवाल विविध भाषाओं में प्रिंट मीडिया में दर्ज है,उसकी झांकियां अपने ब्लागों पर जारी करता रहा दिनभर ताकि सनद रहे कि हमउ बजट पढ़त रहे।
बीबीसी ने एक सर्वे कराया है,जिसमें सारे आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों ने इस बजट के सर्जक को दस में से नौ से लेकर सात अंक दिये हैं।इतनी कवायद के बावजूद दस में दस क्यों नहीं है,इसपर ताज्जुब हुआ।
दिन में रवीश कुमार का एक ट्वीट शेयर हुआ फेसबुक पर कि कारपोरेट के कंधे कमजोर है ,इसलिए उनको कारपोरेट टैक्स में एक मुश्त पांच फीसद छूट है।कि कारपोरेट पर बोझ भारी है ,इसलिए वेल्थ टैक्स की जगह एक करोड़ की आय पर दो फीसद सरचार्ज। मध्यवर्ग की रीढ़ मजबूत है,इसलिए इनकाम टैक्स में छूट है।
भाई रवीश दो टुक मंतव्य और सीधे सवाल करने के विशेषज्ञ है और हमें हैरत हुई नहीं।
शाम तलक एक रवीश हितैशी ने सूचना दी है कि यह ट्वीट फर्जी है और रवीश के नाम का एकाउंट भी फर्जी है।
# हो हो होलक रे
मां की अस्मत के सौदागरों जी रौ लाख बरीस!
बहरहाल अर्थशास्त्र बाजार का है।हम बाजार से बाहर खड़े लोग हैं।
अर्थशास्त्र धन पैदा करने का मुनाफे का शास्त्र है।
जो धन पैदा कर रहे हैं और मुनाफा कमा रहे हैं,जाहिर हैं, वे अर्थशास्त्र बेहतर समझते होंगे।
यह अर्थशास्त्र न जनता का है और न हमारा है।यह बजट न जनता का है और न हमारा है।
#कारपोरेट द्वारा#कारपोरेट के लिए# कारपोरेट का यह बजट है।
सुबह सुबह नींद खुली मुंबई से कर्नल साहेब के फोन पर।वे बोले कि बजट कुछ समझ में नहीं आ रहा है
हमने कहा ,समझने की क्या बात है,इंफ्रास्ट्रकक्चर बूम बूम है। साढ़े आठ फीसद विकास दर है।राजस्व घाटा वित्तीयघाटा कम है।मंहगाई शून्य है।उत्पादन के आंकड़े बढ़त पर है।गरीबी हॉा दी गयी है।अब बजट सोच है।अफसोस नहीं है।कि विकास का हीकर राजमार्ग पर दनादन चल निकला है देश।
हमने उनसे पूछा कि कर्नल साहेब,हमने हाई स्कूल के बाद कभी हिसाब किया नहीं है।जोड़ तोड़ घटत बढ़त में समझिये,कच्चे हैं।अब हमें आप समझाइये कि ट्रिलियन डालर की इकोनामी में यह जो च्रिलियन डालर है,वह किस किस बंदे के एकाउंट में है,बाकी जो आधी जनता है ,उनका तो खाता ही मोदी महाराजज्यू ने खुलवाया है।बाकी जो मध्यव्रग के लोग हैं,निम्नमध्य वर्ग के कर्मचारी कारोबारी किसान इत्यादि हैं,जो सब्सिडी खातिर निराधार से आधार बनने को बेताब कतारबद्ध है,उनका कितना फीसद हिस्सा है इस ट्रिलियन डालर में।
हमने उनसे पूछा कि विदेशी निवेशक जो होलियार हैं,जिनका पिछला सारा चैक्स एक झटके से वोडाफोन हो गया,जिनके लिए हांगकांग और मारीशस अब गुजरात में है,जिन्हें अब स्विस खातों की जरुरत भी नहीं है,जिनका सारा कालाधन सफेद है और जनता के हर काते में पंद्रह लाख जमा करने का वादा एक मजाकिया जुमला है,कल फिर न कह दें कि बजट में कालाधन लाने का वादा भी मजरको ठैरा,वैसे जो पकड़े जाएंगे,वे कड़ी सजा के हकदार होंगे,उन होलियारों की जो निरंकुश विदेशी पूंजी अबाध प्रवाह है,जिसपर नाचै है सेनसैक्स साढ़ों तमाम और अश्वमेधी घोड़ों का दानापानी भी उनके जिम्मे है,उनन को कितना टैक्स लगा है।
हमने पूछा कि गार जो खत्म हो गया, लाखों करोड़ की जो लंबित परियोजनाों की हरी झंडी है,जो मेकिंग इन अमेरिका है,जो मनसेंटो डाउकैमिक्लस कायाकल्प है,जो डीटीसी खत्म है,जीएसटी लागू है,उसमें राजस्व प्रबंधन औरक संशोधित कर ढांचे के देश निर्माण प्रकल्प के तहत बिलियनर मिलियनर तबके पर किताना कितना टैक्स लगा है और टैक्स छूट कितना है।
अरबों की जिनकी परियोजनाएं हैं,तमाम संसाधन,जल जंगल जमीन जिवनके हवाले हैं और जो हर घर को रोजगार देंगे,रोटी देंगे,पांच फीसद कारपोरेट टैक्स में उनके खाते में जो बचत और मुनाफा है और बाकी जो चैक्स छूट है,वह सारी रकम राष्ट्रनिर्माण में कहां कहां लगेगी।
कर्मचारियों का जिनका वेतन औसत चालीस हजार है,वे आखिर कितना रकम बचा सकते हैं और बचत माध्यमे कितना जमा करके वे करमुक्त बचत योजना का लाभ कमा सकते हैं.यह सवाल लेकिन अपने चैनल में लाइव कर विशेषज्ञों से रवीश कुमार ने ही पूछा था। न चैनल फर्जी था और रवीश फर्जी थे और न सवाल फर्जी है।
मीडिया वालों को अभी अभी आधा अधूरा मजीठिया मिला है।एरीयर मिला नहीं है।दो दो प्रमोशन बी नहीं मिला है।कैटेगरी मालिकान की मर्जी मुताबिक है।चंद महीने में पुराना कर्जा निबटाकर हमारे गुरुजी जो कुंवारे हैं,वे भी टैक्स बचाने के लिए काफी बचत नहीं कर पा रहे हैं।
हम तो अलग पागल हैं जो मानते हैं कि बचत से हम जो बचाते हैं,मुद्रास्फीति से वह बचत जब बाजार की सुनामी के पार हमारे खाते में आय़ेगी ,तब उसका मूल्याज से कम ही होगा।फिर जो बचत का शारदा फर्जीवाड़ा है,जो बीमा ,पेंशन पीएफ तक बाजार में झोंकने की तैयारी है,बेहतर है कि हम चैक्स का नकद भुगतान कर दें।
हमने कर्नल साहेब से पूछा कि जब सबकुछ निजीकरण है,जब सबकुछ एफडीआई है,जब सारा खेल विनिवेश और नीलामी का है,सारा विकास पीपीपी और विदेशी पूंजी की बहार है,जब सबकुछ विनियंत्रित है,जब सबकुछ क्रयशक्ति निर्भर है और निरंकुश बाजार है,तब आयकर जस का तस,सीमाशुल्क में कटौती और सर्विस टैक्स में इजाफा,जीएसटी के तहत बिक्रीकर में इजाफा, उपभोक्ता बाजार में आग है और जनपद देहात श्मशान है, ऐसे में लीक हुए बजट पर कारपोेरेट जश्न के बावजूद हमें समझना पड़ेगा कि यह देश की आम जनता का कल्याणकारी बजट है।
पांच फीसद कारपोरेट टैक्स में छूट और वेल्थ टैक्स के बदले दे फीसद सरचार्ज और सालाना चैक्स फोरगन का कोई हिसाब न बजट भाषण में है और न वित्त विधेयक में।
किन्हीं अर्थ विशेषज्ञ जोशी जी ने हमारे लिखे पर मंतव्य किया हैःअबे मूरक,इकोनामिक्स पढ़ा भी है जो बकवास किये जा रहा है।
इकोनामिक्स जो पढ़े हैं,वे बाग बाग हैं।कि देश का कायाकल्पहो गया और देश को पहला रियल बजट डाउ कैमिक्लस और मनसैंटो का मिल गया है।
बंगाल और बिहार को स्पेशल पैकेज से साफ है कि डील हो चुकी है संसदीय सहमति की,साझा तस्वीरें हुलियार हैं और घाटी पर जम्मू से केसरिया राजकाज है।प्रधानमंत्री विपक्ष का सम्मान करते हुए संशोधन को तैयार हैं। सारे अध्यादेश अब कानून बनकर लहलहायेंगे।फिर विकास ही विकास।
संसद में सारे फैसले होते नहीं हैं।सारा राजकाज कानून मुताबिक होता नहीं है।सारा कानून संविधान के दायरे में भी होता नहीं है।कानून का राज सीबीआई तिलिस्म है।
बजट में जो हुआ नहीं है,जिसकी शिकायत की वजह से किसी अर्थ विशेषज्ञ ने डाउ कैमिकल्स के मनसैंटो बजट को दस में पूरे दस नंबर दिये नहीं हैं,वह गुंजाइश बाकी है।
बहरहाल अर्थशास्त्र बाजार का है।हम बाजार से बाहर खड़े लोग हैं।
अर्थशास्त्र धन पैदा करने का मुनाफे का शास्त्र है।
जो धन पैदा कर रहे हैं और मुनाफा कमा रहे हैं,जाहिर हैं, वे अर्थशास्त्र बेहतर समझते होंगे।
यह अर्थशास्त्र न जनता का है और न हमारा है।यह बजट न जनता का है और न हमारा है।
कारपोरेट द्वारा,कारपोरेट के लिए, कारपोरेट का यह बजट है। बाकी कुछ हम समझ नहीं रहे हैं।
जैसे पहाड़ों में छलड़ी के मूड में सफेद टोपी झकाझक हैं,वैसे ही कारपोरेट राज की राजधानी में भी सफेद टोपियों की बहार है।बहरहाल कारपोरेट राज के मामले में कारपोरेच घरानों के खिलाफ इन टोपियों के मोर्चे पर सन्नाटा बटा दो है।बजच पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी मिली नहीं है।भूमि अधिग्रहण के खिलाफ अन्ना के सत्यग्रह के मोर्चे में शामिल चेहर न सांप्रदायिकता के खिलाफ बोल रहे हैं, न बोल रहे हैं जनसंहारी नीतियों और आर्थिक मुद्दों पर।हिंदू साम्राज्यावद का यही विकल्प है बहरहाल।
कारपोरेट कर कटौती घोषणा के बाद सेंसेक्स 340 अंक ऊपर
Sahara Samay - Feb 28, 2015
वित्त मंत्री अरुण जेटली के बजट में कारपोरेट कर में कटौती के प्रस्ताव के बाद बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स सकारात्मक दायरे में आ गया और मध्य सत्र तक यह 340 अंक ऊपर चल रहा था. का बजट भाषण जारी है. दोपहर के कारोबार में सेंसेक्स 340.20 अंक या 1.16 प्रतिशत चढ़कर 29,560.32 अंक पर चल रहा था. एक समय यह 29,201.88 अंक के निचले स्तर तक चला गया था. वहीं नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी 86.05 अंक या 0.97 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 8,930.65 अंक पर था. एक समय यह 8,834.65 अंक के निचले स्तर पर आ गया था. ब्रोकरों ने कहा कि कारपोरेट कर को 30 प्रतिशत से घटाकर 25 फीसद करने के प्रस्ताव से धारणा मजबूत हुई.
कारपोरेट कर कटौती प्रस्ताव के बाद सेंसेक्स 340 अंक ऊपर
Mahanagar Times - Feb 28, 2015
मुंबई। वैसे तो शेयर बाजार कारोबार शनिवार को बंद रहता है। लेकिन देश में आज वित्त मंत्री जेटली बजट के मौके पर आज बाजार में कारोबार हो रहा है। आज सेंसेक्स और निफ्टी में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है। वित्त मंत्री अरुण जेटली के बजट में कारपोरेट कर में कटौती के प्रस्ताव के बाद बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स सकारात्मक दायरे में आ गया और मध्य सत्र तक यह 340 अंक ऊपर चल रहा था। दोपहर के कारोबार में सेंसेक्स 340.20 अंक या 1.16 प्रतिशत चढ़कर 29,560.32 अंक पर चल रहा था। एक समय यह 29,201.88 अंक के निचले स्तर तक चला गया था। वहीं नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी 86.05 अंक या 0.97 प्रतिशत की बढ़ोतरी ...
जेटली के बजट के हैं कई सियासी मायने
- एनडीटीवी खबर-28-Feb-2015
- वित्तमंत्री अरुण जेटली के इस बजट ने आने वाले चार साल के लिए सरकार के चाल, चरित्र और चेहरे को तय कर दिया है। भूमि अधिग्रहण ... लिए ये ज़रूरी है। विपक्ष के मुताबिक़ इससे साबित होता है कि सरकार सिर्फ कारपोरेट के लिए काम कर रही है।
सर्विस टैक्स बढ़ाएगी महंगाई
- दैनिक जागरण-16 hours ago
- मगर, चार साल का समय लिए जाने और एक्साइज व सर्विस टैक्स में बढ़ोतरी नेकारपोरेट सेक्टर की उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है। पंजाब कारपोरेट ने इसबजट को अपेक्षाओं के विपरीत बताया है। पंजाब कारोपेरट सेक्टर को इस बार पंजाब की ...
बजट से बढ़ेगा महंगाई का बोझ
- दैनिक जागरण-10 hours ago
- ऐसे में इस बजट से आम लोग निराश हैं। सर्विस टैक्स में की गई बढ़ोतरी से महंगाई ही बढ़ेगी। साफ पानी पीने से लेकर खाने-पीने के सामान तक पर टैक्स बढ़ाया गया है। सिर्फ कारपोरेट जगत को सुविधाएं देने के मकसद से ही ऐसाबजट पेश किया गया ...
केंद्र सरकार का बजट किसान विरोधी
- दैनिक जागरण-1 hour ago
- मैनपुरी : कांग्रेस की बैठक में केंद्र सरकार के बजट को लेकर रोष व्यक्त किया गया। ... पूर्व जिलाध्यक्ष गोपाल कुलश्रेष्ठ के आवास पर हुई बैठक में प्रदेश सचिव प्रकाश प्रधान ने कहा कि भाजपा हमेशा से कारपोरेट जगत को राहत देती रही है।
स्वास्थ्य बजट में कटौती
- दैनिक जागरण-17 hours ago
- राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : केंद्रीय बजट से स्वास्थ्य जगत नाखुश है। ... डॉक्टर का कहना है कि बजट निराश करने वाला है। ... हालांकि, डॉक्टरों ने कारपोरेट टैक्स में कमी को सही फैसला बताते हुए कहा कि इससे निजी अस्पतालों में इलाज कराने ...
जेटली ने रखी अच्छे दिनों की बुनियाद, बढ़ी ...
- दैनिक जागरण-12 hours ago
- मध्य वर्ग को अरुण जेटली का यह बजट कुछ कसैला लगेगा, लेकिन वंचित तबके को ताकत का टॉनिक देने की कोशिश जरूर है। ... कारपोरेट टैक्स में पांच फीसद की कमी का ऐलान कर उद्योग जगत की मन की मुराद पूरी कर दी है, जबकि देश में घरों की ...
बजट से उद्योग जगत में निराशा
- दैनिक जागरण-28-Feb-2015
- बेहद आशा भरी नजरों से केंद्रीय बजट का इंतजार कर रहे उद्योग जगत को निराशा हाथ लगी है। कारपोरेट व हायर इंडस्ट्री को तमाम छूट देते हुए आम उद्योग का गला घोंटने वाले बजट को लेकर युवा उद्योगपतियों का कहना है कि लोगों को मोदी ...
आम बजट 2015-16 : सर्विस टैक्स में बढ़ोतरी, GDP ...
- प्रभात खबर-14 hours ago
- नयी दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पूर्ण बहुमत प्राप्त एनडीए सरकार का पहला आम बजट आज पेश किया. चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ ... -कारपोरेट कर की दर चार साल में 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत लायी जायेगी. -डाकघर भुगतान बैंक का ...
- Zee News हिन्दी-28-Feb-2015
- Explore in depth (7 more articles)
बचत का यह फंडा फर्जीवाड़ा है, यह बजट शारदा ...
- hastakshep-28-Feb-2015
- कल हमने लिखा कि अफसोस के साथ लिखना पढ़ रहा है कि चूंकि बजट सीधे तौर पर कारपोरेटदस्तावेज हैं जिसे कारपोरेट के सबसे विशेषज्ञ दक्ष लोगों ने तैयार किया है तो या तो लोग बजट समझ नहीं रहे हैं या फिर जानबूझकर असलियत बताने के ...
सही इरादे का प्रदर्शन
- दैनिक जागरण-15 hours ago
- वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मोदी सरकार के लिए जो पहला पूर्ण बजट लोकसभा में प्रस्तुत किया वह कई मायनों में ... मोटे तौर पर जो सबसे बड़ी बात बजट में उभरकर आती है वह यह है कि सरकार ने केवल उद्योगपतियों और कारपोरेटजगत का साथी होने ...
जनविरोधी मोदी सरकार का बजट मोदी सरकार के चरित्र ...
- hastakshep-9 hours ago
- एस0 आर0 दारापुरी ने कहा कि बजट में कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए टैक्स में पांच प्रतिशत की छूट और उन पर लगने वाले वेल्थ टैक्स को समाप्त कर दिया गया है। इसके साथ ही उन्हें 6 लाख करोड़ रुपए का इन्सेन्टिव सब्सिडी के ...
उद्योगों की रफ्तार बढ़ाने को कारपोरेट टैक्स की दर ...
- दैनिक जागरण-28-Feb-2015
- यही वजह है कि अपने बजट भाषण में ही वित्त मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि दरों में कमी अगले चार साल में होगी। वित्त मंत्री के मुताबिक अपने देश में कारपोरेटटैक्स की मौजूदा दर दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले अधिक है। इसके चलते ...
बाजार विशेषज्ञांs ने बजट को सराहा
- Veer Arjun-20 hours ago
- शेयर बाजार के भागीदारें ने वित्त वर्ष 2015-16 के बजट की सराहना की है। कुछेक ने तो इसे `स्वप्निल बजट' बताया है। बजट में कारपोरेट कर में कटौती व गार को टालने का प्रस्ताव किया गया है। कैपिटलविया ग्लोबल रिसर्च के संस्थापक एवं सीईओ ...
बजट में ''निवेश'', ''कारोबार में सुगमता'' शब्दों का हुआ ...
- प्रभात खबर-28-Feb-2015
- वित्त वर्ष 2015-16 के बजट भाषण में रोजगार (जॉब्स), कौशल (स्किल), युवा (यूथ), कारपोरेट तथा गरीब (पूअर) आदि शब्दों का भी कई बार उल्लेख हुआ. लेकिन संकट (क्राइसिस) शब्द का एक बार भी प्रयोग नहीं किया गया. हालांकि, पूर्व के बजट भाषणों ...
नया आर्थिक अध्याय
- दैनिक जागरण-15 hours agoShare
- वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मोदी सरकार के पहले पूर्ण आम बजट के जरिये देश की अर्थव्यवस्था में नए अध्याय की शुरुआत की है। ... बजट की एक बड़ी बातकारपोरेट टैक्स को अगले चार वषरें में 30 से घटाकर 25 प्रतिशत किया जाना है। फिर यह दर दूसरे ...
10 करोड़ की कमाई पर लगेगा ढाई करोड़ का टैक्स यानी 50 लाख का फायदा. हालांकि इसे ...
नमो सरकार के पहले बजट में सब कुछ मंहगा
अमर उजाला - 12 hours ago
कास्मेटिक, इलेक्ट्रिानिक्स के सामान में छूट की उम्मीद भी पूरी नहीं हुई। विपक्षियों ने कहा निकलेगी जनता की आह तो फर्रुखाबाद। आमबजट को विपक्षियों ने बेहद खराब करार दिया है। उनका कहना है कि आम बजट में किए गए प्रावधानों से हर व्यक्ति दुखी होगा। सरकार मुद्री स्फीर्ति बढ़ाने का दावा कर रही है, लेकिन महंगाई की चोट गहरी होगी। जनता की यह आह भाजपा के पतन का कारण बनेगी। दूसरी तरफ भाजपा ने आम बजट को दूरगामी करार दिया है। � बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रामनरेश गौतम का कहना है कि इस बजट में केवल सपने दिखाए गए हैं। इसमें आम व निम्न तबके के लिए कुछ नहीं है। केवल कारपोरेट जगत को राहत ...
UnionBudget2015 बजट में कंपनियों और अमीरों के लिए अरबों डालर का वारा न्यारा
hastakshep - Feb 28, 2015
बजट समझने से पहले, आयकर दरों में नया छूट न मिलने और बचत के नये छूट के मुताबिक जरुरी बचत का हिसाब जोड़ने से पहले हिसाब लगायें कि जो आर्थिक समीक्षा के बाद शेयर सूचकांक तीस हजारी दौड़ लगा रहा है, जो कारपोरेट कहे मुताबिक विकास का फंडा है, जो पीपीपी माध्यमें विकास के लिए जनता की जमा पूंजी बाजार में झोकने की तैयारी है, जो जीएसटी डीटीसी लागू है, जो नया टैक्स स्ट्रक्चर है, उसके मद्दे नजर सीमा शुल्क में कमी, पांच फीसदकारपोरेट टैक्स में कमी, विदेशी निवेश का सरलीकरण, पीएफ न जमा करने का विकल्प, स्वच्छता फंड के जरिये कालाधन सफेद करने का राजमार्ग, कुड़ंनकुलम में एक और ...
सर्विस टैक्स बढ़ाएगी महंगाई
दैनिक जागरण - 16 hours ago
कारपोरेट सेक्टर को लुभाने के लिए भले ही केंद्र सरकार की ओर से कारपोरेट टैक्स को आगामी चार साल में पांच फीसद कम करने का दांव फेंका हो। मगर, चार साल का समय लिए जाने और एक्साइज व सर्विस टैक्स में बढ़ोतरी ने कारपोरेट सेक्टर की उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है। पंजाब कारपोरेट ने इस बजट को अपेक्षाओं के विपरीत बताया है। पंजाब कारोपेरट सेक्टर को इस बार पंजाब की पोर्ट से दूरी और प्रदेश व केंद्र सरकार एक होने से अच्छे लाभ मिलने की उम्मीद थी। इस बार बजट में कारपोरेट टैक्स को चार साल में पांच फीसद कम किए जाने की बात कही गई है। मगर, दूसरी ओर सुपर रिच टैक्स को एक से बढ़ाकर दो फीसद कर ...
बजट- पेश होना है जनसंहार की नीतियों का कारपोरेट ...
- hastakshep-27-Feb-2015
- ऐसा भी लग रहा है कि जैसे बगुला जमात कारपोरेट है, उसीतरह कारपोरेट प्रबंधन के लोग अपनी पूरी विशेषज्ञता और दक्षता के साथ नीति निर्धारण के साथ साथ बजट भी बना रहे हैं, जिसे हमारे बिलियनर मिलियनर जन प्रतिनिधि या तो सिरे से समझ ...
बजट गरीब विरोधी, कर्मचारी विरोधी और कारपोरेट ...
- आर्यावर्त-2 hours ago
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने केन्द्रीय सरकार के 2015-16 के बजट की आलोचना करते हुए कहा है कि यह बजट गरीब विरोधी, कर्मचारी विरोधी और कारपोरेट पक्षी बजट है। वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली द्वारा ...
आम बजट जनविरोधी और कारपोरेट के हित में : भाकपा ...
- Instant khabar-28-Feb-2015
- लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने नरेंद्र मोदी सरकार के पहले आम बजट को जनविरोधी और कारपोरेट के हित में बताया है। बजट महंगाई बढ़ाने वाला है। राज्य सचिव रामजी राय ने कहा कि वित्त मंत्री जेटली ने बजट में सेवा कर जैसे ...
आम आदमी को नहीं पचा आम बजट
- दैनिक जागरण-11 hours agoShare
- दिन भर टीवी देखकर बजट की समीक्षा करने वाले आम औ खास को बजट ने निराश किया। यह तो माना कि इससे दीर्घगामी सुधार होंगे, लेकिन तात्कालिक लाभ न मिलने से निराश व्यक्त की। वहीं महंगाई और बढ़ने की आशंका जताई।बजट में कारपोरेट ...
कारपोरेट टैक्स में कमी से बढ़ेगा विकास
- दैनिक जागरण-28-Feb-2015
- मोदी सरकार के वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा प्रस्तुत आम बजट पर शनिवार को जिले के उद्यमी वर्ग की नजरें भी टिकी रही। बजट में कारपोरेट टैक्स में पांच प्रतिशत कमी करने की घोषणा से उद्योग धंधों को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही ...
बजट 2015 : जानें किसने कहा खराब और किसने की सराहना
- Inext Live-28-Feb-2015
- लोस चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने के बाद मोदी सरकार का पहला आम बजट आज पेश हो गया. ... एक ओर जहां अरुण जेटली संसद में बजट पेश कर रहे थे, तो वहीं दूसरी ओर शेयर मार्केट में उछाल जारी रही. ... यह पूरी तरह सेकारपोरेट बजट है. इसमें ...
किसी ने बजट को सराहा तो किसी ने नकारा
- दैनिक जागरण-20 hours ago
- मुजफ्फरनगर : आम बजट को हर वर्ग ने अपने-अपने नजरिये से देखा है। आमबजट को किसी ने सराहा तो कुछ ने नकारा। आम बजट पेश होने के बाद दोनों तरह के पहलू सामने आए। हालांकि ज्यादातर जनता ने आम बजट को कारपोरेटव उच्च श्रेणी के लोगों का ...
BUDGET 2015: कारपोरेट जगत के लिए राहत भरा बजट!
By एबीपी न्यूज
Saturday, 28 February 2015 08:10 PM
फिलहाल 10 करोड़ की कमाई पर लगता है 3 करोड़ का टैक्स और मौजूदा दर है 30 फीसदी लेकिन अब अगले चार साल में ये घटकर 25 फीसदी हो जाएगा यानी 10 करोड़ की कमाई पर लगेगा ढाई करोड़ का टैक्स यानी 50 लाख का फायदा
हालांकि इसे 4 साल में धीरे धीरे कम किया जाएगा लेकिन विपक्ष इस ऐलान को लेकर हमलावर हो गया है, लेकिन कार्पोरेट जगत इस ऐलान से बेहद खुश है
दरअसल वित्त मंत्री का दावा है कि इससे जो विदेशी निवेश ज्यादा कार्पोरेट टैक्स होने की वजह से दूसरे देशों में जा रहा था वो अब भारत में होगा और नौकरियां बढ़ेंगी.
कार्पोरेट टैक्स तो कम किया गया है लेकिन भारत में कारोबार करने वाली घरेलू कंपनियों के मुनाफे पर ज्यादा टैक्स वसूलने वाली है सरकार.
घरेलू कंपनियों के लिए 1 से 10 करोड़ की कमाई पर सरचार्ज 5 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया गया है लेकिन विदेशी कंपनियों के लिए ये सरचार्ज सिर्फ 2 फीसदी ही है, वहीं 10 करोड़ से ज्यादा कमाई करने वाली कपंनियों पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया है जबकि विदेशी कंपनियों के लिए सिर्फ 5 फीसदी साफ है कि यहां भी वित्त मंत्री को आमदनी बढ़ाने की तो चिंता है लेकिन वो विदेशी कंपनियों को भारत आने का खुल न्योता देने से नहीं चूके हैं.
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कारपोरेट सेक्टर की लंबी पारी के लिए पिच तैयार
नई दिल्ली, पंकज कुमार पाण्डेयFirst Published:28-02-15 05:34 PMLast Updated:28-02-15 05:34 PM
एनडीए सरकार का पहला पूर्ण बजट यूपीए सरकार की सोच से कई मायनों में अलग है। यूपीए का सबसे ज्यादा फोकस सोशल सेक्टर, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि व ग्रामीण क्षेत्र पर होता था। प्रो कारपोरेट छवि से दूर रहने की ललक में यूपीए सरकार प्रमुख सुधारों को चाहकर भी लागू नहीं कर पाई थी। दूसरी ओर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने पहले पूर्ण बजट में ही करपोरेट सेक्टर की लंबी पारी की लिहाज से पिच तैयार कर दी है। कारपोरेट टैक्स में छूट को औद्योगिक निवेश के लिहाज से बड़ा कदम माना जा रहा है। जबकि आम आदमी को छूट की गुगली में उलझाकर महंगाई से हिट विकेट करने का प्लान भी सरकार ने पेश कर दिया है। सेवा कर में वूद्धि और स्वच्छता सेस लोगों को उस वक्त हिट विकेट करेगा जब वे अपनी खरीदारी व अर्जित की गई सेवाओं की देनदारी करते वक्त पहले से ज्यादा बिल चुकता करेंगे। चतुराई भरा बजट विशेषज्ञों का मानना है कि यह चतुराई भरा बजट है। कारपोरेट कर में दी गई छूट का सीधा असर निवेश पर दिखेगा। बजट में सुधारों का आधार तो बनाया गया है लेकिन इसकी रफ्तार काफी धीमी होगी। कारपोरेट कर में छूट को लागू करने में ही चार साल लग जाएंगे। यूपीए सरकार के दौरान शुरू की गई अहम योजनाओं को इस सरकार ने भी जारी रखा है। मनरेगा का बजट बढ़ाया है, लेकिन इसका फोकस बदल दिया है। मनरेगा के तहत अब मजदूरों को काम के बदले पारिश्रमिक देने से ज्यादा ध्यान स्थाई किस्म की आधारभूत ढांचा का निर्माण व सिंचाई आदि योजनाओं पर दिया जाएगा। अदलाबदली या बाजीगरी स्वास्थ्य व शिक्षा में हर साल होने वाली बढमेत्तरी से अलग एनडीए सरकार ने चुपके से कैंची चला दी है। यूपीए कार्यकाल में लगातार एसएसए, मिड डे मील जैसी योजनाओं का पैसा बड़े पैमाने पर बढ़ता था। सामाजिक सुरक्षा का दायरा यूपीए जैसा ही है। गरीबों के लिए कई ऐलान ने विपक्ष को बहुत बोलने का मौका नहीं दिया। इस बार बीमा व पेंशन योजनाओं को थोड़ा बेहतर बनाकर नए नाम व आकार के साथ विस्तारित कर दिया गया है। केंद्र से राज्यों की ओर रुख यूपीए सरकार की केंद्र पोषित व्यवस्था का शिफ्ट एनडीए सरकार में राज्य केंद्रित व्यवस्था की ओर करने की योजना पर बजट में मुहर लगा दी गई है। आर्थिक मामलों के जानकारों की मानें तो यह यूपीए की तुलना में व्यापक सोच वाला बजट है। इसमें गरीब,अमीर,और मध्यमवर्ग के बीच संतुलन साधने का प्रयास किया गया है। योजनाओं के लिहाज से बहुत नयापन न होते हुए भी नए तरीके से रंग भरने का प्रयास किया गया है। - See more at: http://www.livehindustan.com/news/business/businessnews/article1-finance-minister-arun-jaitley-manmohan-singh-budget-planning--45-45-472679.html#sthash.cyiNaVHk.dpuf
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