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अब दौलताबाद से दिल्ली वापसी की तैयारी,
बलि के बकरे भी तैयार
मोदी दीदी ध्रूवीकरण सबसे खतरनाक
भारतीय बैंकिंग हिंदुत्व के एजंडे के सौजन्य से दिवालिया है और देश लगातार 12 दिनों से कैश की कमी से जूझ रहा है। भारत अब कैशलेश पेटीएमइंडिया है।जिसमें भारत और इंडिया के लोग अलग अलग दो कौमें हैं।इंडिया के लोग जीने के लिए चुन लिये गये हैं और भारत के लोग बेमौत मारे जायेंगे।
किसी धर्मस्थल पर जमा अकूद नकदी सोना चांदी वगैरह वगैरह जो देश की कुल नकदी और संपदा है,किसी छापेमारी की कोई खबर नहीं है।
सफेज धन से का मोहताज आम जनता और कालाधन को सफेद करने की संसदीय सर्वदलीय राजनीति तेज
पलाश विश्वास
2000 और 500 रुपए के नए नोट में पीएम मोदी की स्पीच के वीडियो की बातें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। दावा है कि नए नोट को स्मार्टफोन से स्कैन करने पर पीएम की वह स्पीच सुनी जा सकती है जो उन्होंने ब्लैक मनी और करप्शन को लेकर दी थी। dainikbhaskar.com ने नए नोट को लेकर इस दावे को क्रॉस चेक किया। हमारी जांच में दावा सच पाया गया। साभार दैनिक भास्कर।
इससे पहले एबीपी न्यूज ने भी अपनी जांच में इस वीडियो को सौ टका सही पाया है।यह नोटबंदी का असल मकसद है कि गांधी फिलहाल जायें न जायें,अशोक चक्र रहे न रहें,हर नोट के साथ मोदी महाराज का वीडियो जरुर चस्पां हो।
हिंदुत्व का नोटबंदी एजंडा दरअसल यही
रुपए के नए नोट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण।
सुनने में यह अचरज से भरता है, लेकिन है सोलह आने सच। बस इसके लिए आपको "मोदी के नोट" एप डाउनलोड करना होगा।
अब दौलताबाद से दिल्ली वापसी की तैयारी।
इसी बीच भारतीय बैंकिंग हिंदुत्व के एजंडे के सौजन्य से दिवालिया है और देश लगातार 12 दिनों से कैश की कमी से जूझ रहा है।
भारत अब कैशलेश पेटीएमइंडिया है।
जिसमें भारत और इंडिया के लोग अलग अलग दो कौमें हैं।
इंडिया के लोग जीने के लिए चुन लिये गये हैं
और भारत के लोग बेमौत मारे जायेंगे।
बलि के बकरे भी तैयार।
सफेज धन से का मोहताज आम जनता और कालाधन को सफेद करने की संसदीय सर्वदलीय राजनीति तेज।
मोदी दीदी ध्रूवीकरण।
नोटबंदी का फैसला जैसे औचक हुआ वैसे ही अब नोटबंदी का फैसला वापस हो सकता है।सर्वदलीय सहमति की राजनीति इसी दिशा में बढ़ रही है।
ममता बनर्जी नोटबंदी के खिलाफ विपक्ष को गोलबंद कर रही हैं तो मोदी महाराज को अब चिटफंड की याद आयी है ,जिसे बंगाल में कांग्रेस और माकपा का नामोनिशां मिटाने की मोदी दीदी युगलबंदी के तरह रफा दफा कर दिया गया है और सीबीआई जांच का नतीजा चूंचू का मुरब्बा है।
नारदा में घुसखोरी के थोक वीडियो फुटेज मिलने पर भी खामोश रहे मोदी अब फिर 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार चिटफंड के शिकार लोगों के लिए आंसू बहाने लगे हैं।
अभी अभी हुए बंगाल विधानसभा चुनाव में किसी संघी या भाजपाई को चिटफंड की याद नहीं आयी।मोदी या शाह को शारदा का नाम लेते किसी ने नहीं सुना।
किसी धर्मस्थल पर जमा अकूद नकदी सोना चांदी वगैरह वगैरह जो देश की कुल नकदी और संपदा है,किसी छापेमारी की कोई खबर नहीं है।
धार्मिक ध्रूवीकरण की तरह यह दीदी मोदी ध्रूवीकरण बेहद खतरनाक है।अब बैंक आफिसर्स एसोसियोसिएशन ने नोटबंदी प्रबंधन में नाकामी के लिए रिलायंस ठप्पे वाले रिजर्व बैंक के गवर्नर को हटाने की मांग भी कर दी है।
खाताधारकों,आयकरदाताओं को पिछले दस दिनों से उनका पैसा वापस देने में नाकाम भारतीय बैंकिंग प्रणाली अक्षरशः दिवालिया है और इसकी वजह हर नये नोट में चस्पां हिंदुत्व का एजंडा है और इसका राजनीतिक प्रबंधन है।जिसमें न अर्थव्यवस्था के हित हैं और न अर्थशास्त्र है।
वित्तीय प्रबंधन उसी तरह नहीं है जिस तरह सवा अरब नागरिकों की जानमाल की कोई परवाह नहीं है।उनकी आजादी और उनकी संप्रभुता की कोई परवाह नहीं है।
आधार के जरिये बूंद बूंद नकदी जो दी जा रही है,उस आधार का क्या क्या इस्तेमाल होने जा रहा है,कोई नहीं जानता।
कालाधन के लिए किसी राजनेता,हथियारों के सोदागर,निजीकरण के दलाल,कारपोरेट घराने के वारिशान को आयकर नोटिस गया हो या नहीं,कतारबद्ध होकर किसी आपातकाल के लिए निकाले पैसे फिर बैंक में जमा करने वालों को थोक आयकर नोटिस का चाकचौबंद इंतजाम है।
अकेले विजय माल्या को अकेले एसबीआई ने दोहजार करोड़ का कर्ज माफ कर दिया तो कितने और माल्या को कितने बैंकों ने कितने हजार या लाख करोड़ माफ कर दिये हम नहीं जानते।
आम जनता के पास अब धेला भी नकद बचा नहीं है।
अब पुराने पांच सौ और हजार के नोट जो करीब दस से बारह ट्रिलियन जमा नहीं हुए,वैध करार दिये गये,तो आम जनता को कोई राहत मिलने वाली नहीं है।
यह दौलताबाद से दिल्ली की कवायद दस बारह ट्रिलियन कालाधन को सफेद बनाने के लिए शुरु हो गयी है।सर्वदलीय संसदीय राजनीति इसका माहौल बना रही है मोदी दीदी ध्रूवीकरण के तहत।यह फासीवादी राजकाज की तस्वीर का दूसरा पहलू है।
कैश संकट का कमाल यह है कि दस रुपये के सिक्के असली बता दिये गये हैं।
10 रुपये के जिन सिक्कों पर रुपये के चिह्न (₹) बने हैं और जिन सिक्कों पर रुपये के चिह्न नहीं बने हैं, वे सभी सही हैं। रिजर्व बैंक ने 10 रुपये के सिक्कों को लेकर लगातार फैल रहे अफवाह पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि जुलाई 2011 के बाद के सिक्कों में रुपये के चिह्न बने हैं जबकि उससे पहले के सिक्कों में रुपये के चिह्न नहीं हैं। केंद्रीय बैंक के मुताबिक दोनों तरह के सिक्के बिल्कुल सही हैं और किसी को भी इनके लेनदेन से परहेज नहीं करना चाहिए। आरबीआई के मुताबिक, चूंकि 10 रुपये के सिक्के लंबे समय से प्रचलन में हैं।
मौजूदा संकट से कल्कि महाराज बैंकिग प्रणाली को दिवालिया बनाकर साफ बच निकले हैं और उन्हें कोई कटघरे में खड़ा भी नहीं कर रहा है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर और बाकी बैंकों के गवर्नर और बाकी बैंकों के टाप अफसरान बैंको के दिवालिया बनने के हादसेके बाद बलि के बकरे बनकर कतारबद्ध हैं तो आम जनता को राहत देने की राजनीति कुल मिलाकर यह है कि नोटबंदी फिर वापस ले ली जाये तो कालाधन जो अभी नकदी में है,उसे उन्हें कारपोरेट चंदा बतौर मिल जाये।यह नोटबंदी से भी ज्यादा खतरनाक खेल है।
इस खेल का ताजा नजारा मसलन लोकसभा में विपक्ष की बैठक खत्म हो गई है। नोटबंदी पर विपक्ष राष्ट्रपति भवन तक मार्च करेगा और संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के पास धरना देगा।
लोकसभाः पीएम के सभा में बयान देने को लेकर विपक्ष का हंगामा जारी। राज्यसभाः राज्यसभा हंगामे में चलते हुआ स्थगित; राज्यसभा में 'नरेंद्र मोदी शर्म करो' के नारे लगा रहे हैं विपक्षी सांसद।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि विपक्ष सदन की कार्यवाही बाधित करने के लिए रोज नए पैंतरे ला रहा है। अरुण जेटली ने कहा कि विपक्ष नोटबंदी को लेकर शुरू हुई बहस से भाग रहा है।
अब दौलताबाद से दिल्ली वापसी की तैयारी है।
नोटबंदी के फैसले के औचित्य पर अब कोई बहस नहीं हो रही।मीडिया,राजनीति और आम जनता भी नोटबंदी प्रबंधन को मौजूदा संकट के लिए जिम्मेदार बता रही हैं।इसका सीधा मतलब है कि कुल मिलाकर नोटबंदी को जायज ठहराने की कवायद सर्वदलीय है और इस सर्वदलीय राजनीति को देश के वित्तीय प्रबंधन या अर्थव्यवस्था या मुक्तबाजार से कोई शिकायत नहीं है।जाहिर है कि कल्कि महाराज का छप्पन इंच का सीना पता नहीं कितने इंच का हो गया होगा जबकि ग्लोबल हिंदुत्व का ट्रंप कार्ड चल चुका है।प्रधानमंत्री का ताजा बयान यह है कि वे जब चाहेंगे,नीति बदल देंगे।
भयानक त्रासदियों का यह दुस्समय प्राकृतिक आपदाओं पर भारी है।अंटार्टिका पिघल जाये या हिमालय के सारे ग्लेशियर एक मुश्त बहकर मैदानों का नामोनिशां मिटा दें,उससे भारी यह कयामत है जब करदाताओं के बैंकों में अपने खाते में जमा पैसा देने में असमर्थ है भारतीय बैंकिंग प्रणाली।
इस जमापूंजी का बाकायदा इनकाम टैक्स भुगतान हो चुका है।रिटर्न दाखिल हो चुका है।बैंक खाते में जमा वेतन, पेंशन, भत्ता, पीएफ,ग्रेच्युटी से लेकर सब्सिडी सबकुछ सफेद है।फिभी आपको साबित करना है कि यह कालाधन नहीं है।
चार पांच लाख ट्रिलियन रुपये बैंकों में जो जमा हुआ है,वह जाहिर है सफेद है।इसके बाहर जो दस बारह लाख रुपये अभी जमा नहीं है,उस कालाधन को सफेद में बदलने की अब संसदीय राजनीति है।सावधान।
कानपुर में ट्रेन हादसे में सवासौ लाशों की गिनती हो चुकी है,जिनके नाम रेलवे और यूपी सरकार ने मुआवजे का ऐलान कर दिया।भारतीय बैंकिंग नेटवर्क से बाहर जो वर्गहीन समाज है,जिसका न बैंक खाता है,न आधार कार्ड है,उसमें शामिल हर हतदरिद्र मनुष्य की जिंदगीभर की जमापूंजी एक झटके से कालाधन में तब्दील है।
मेहनत मजदूरी करके घर चला रही स्त्रियां,माताएं,बहनें,पत्नियां जो अपीने कुसल वित्तीय प्रबंधन से जिंदगीभर जोड़ा है,रातोंरात वह कालाधन है।
आयकर छापे से पहले ही उन्हें वह रकम बैंक में लाइन लगाकर जमा करना पड़ा या परिजनों को सौंप देना पड़ा।
उनकी आर्थिक स्वतंत्रता और उनका आत्मविश्वास एक झटके से खत्म हो गया। ये जिंदा लाशें हैं हर घर में,जिनकी गिनती किसी ने नहीं की है।
नोटबंदी संकट में जो लोग बेमौत मारे गये हैं और आगे भी मारे जायेंगे,उनके लिए मुआवजे का कोई ऐलान अभीतक हुआ है कि नहीं,नहीं मालूम है।
प्रधानमंत्री के भाषण का वीडियो दिखाने वाला नया नोट अब भी अतिदुर्लभ है।पांच सौ और हजार के नोट रद्द हो गये तो नया कालाधन बनाने,चलाने और जमा करने के लिए भाषम चस्पां हिंदुत्व का एजंडा जेब में हुआ तो उसके बदले खुदरा सामान खरीदने का उपाय नहीं है क्योंकि छुट्टा आम दुकानदारों के पास नहीं है।
फिर जो पेटीएम से कारोबार नहीं करते,जो कार्ड स्वाइप नही करते ,उन करोडो़ं लोगों का कारोबार बंद है और वे बाजार से बाहर हैं और उनका कोई वैकल्पिक रोजगार भी नहीं है।
वे तमाम लोग जब आहिस्ते आहगिस्ते मारे जायेंगे या अलग अलग खुदकशी करेंगे,तो हम किसी भी सूरत में इसकी वजह नोटबंदी साबित नहीं कर
के लिए मुआवजे का ऐलान हो भी जाये तो जिनके सर पर अभी मौत मंडरा रही है और देर सवेर जो मारे जाएंगे,उन्हें कानपुर की रेल दुर्घटना की तरह कोई मुआवजा नहीं मिलेगा।खेतों और चाय बागानों और कल कारखानों में नवउदारवाद के अस्वमेधी अबियान के बलि करोड़ों लोगों की मौत का कोई लेखा जोखा कहीं नहीं है।
अब पेटीएम चालू है और देस डिजिटल है।इस सिलसिले में हमने पहले ही लिखा है कि चार महीने से आम आदमी के डेबिट कार्ड एटीएम पिन चोरी हो रहे थे।
बैंकों को इस बात की जानकारी भी थी, मगर उन्होंने यह जानकारी अपने ग्राहकों से छिपा ली।साइबर क्राइम से बड़ा अपराध तो भारतीय वित्त मंत्रालय,रिजर्व बैंक और बैंकिग प्रबंधन का है।
जबकि बैंकिंग के नियमानुसार आरबीआई के ड्राफ्ट के मुताबिक, खाता धारकों द्वारा धोखाधड़ी की सूचना दिए जाने पर बैंक को 10 कार्यदिवसों के अंदर ग्राहक के खाते से गायब हुआ पैसा वापस करना होगा। इसके लिए ग्राहक को तीन दिन के अंदर ही धोखाधड़ी की सूचना देनी होगी और उसे यह दिखाना होगा कि उसकी तरफ से किसी तरह का लेनदेन नहीं किया गया और पैसा बिना उसकी जानकारी के गलत तरह से गायब हुआ है।
आरबीआई का निर्देश है कि बैंक यह सुनिश्चित करें कि ग्राहक की शिकायत का निपटारा 90 दिनों के अंदर हो जाए. क्रेडिट कार्ड से पैसे गायब होने की हालात में बैंक यह सुनिश्चित करें कि कस्टमर को किसी भी तरह का ब्याज न देना पड़े।
बैंकों से समय के भीतर सूचना नहीं मिली तो पैसे वापस लेने के लिए तीन दिनों में शिकायत भी नहीं कर सकते ग्राहक।
इस हादसे के बावजूद पेटीएम इंडिया के हिंदुत्व एजंडे के तहत यह नोटबंदी, नोटबंदी नहीं भोपाल गैस त्रासदी है और इस गैस चैंबर में मौत बरसाने वाली गैस सुगंधित नहीं है और उसका कोई रासायनिक नाम भी नहीं है।
किसके लिए
नोटबंदीके बाद बैंकिंग प्रणाली में जो अतिरिक्त नकदी रही है, वह जल्द वापस नहीं निकलेगी। इससे भविष्य में ब्याज दरों को नीचे लाने में मदद मिलेगी। देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने यह बात कही। एसबीआई के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि सरकार के हालिया नोटबंदी कदम स्वागत योग्य है। भारी मात्रा में पैसा बचत और चालू खातों में रहा है। इस भारी राशि से प्रणाली में अधिशेष तरलता की स्थिति बनी है। हमारा मानना है कि यह जल्दबाजी में नहीं निकलेगा। इससे ब्याज दरें और नीचे आएंगी।
चेतावनीः
दूसरों के अकाउंट में अपनी बेहिसाबी रकम जमा कराने वाले अब सरकार की पकड़ से नहीं बच पाएंगे क्योंकि नोटबंदी के बाद एेसे लोगों को आयकर विभाग ने चेतावनी दी है। ऐसे लोगों के खिलाफ बेनामी लेनदेन कानून के तहत कार्रवाई की जा सकती है। दोषी पाए जाने पर जुर्माना और अधिकतम सात साल की कठोर कैद की सजा हो सकती है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक आयकर विभाग ने आठ नवंबर के बाद से बंद हो चुके नोटों के संदिग्ध इस्तेमाल को लेकर 80 से अधिक सर्वे किए और लगभग 30 तलाशियां लीं। इनमें 200 करोड़ रुपए से अधिक की अघोषित आय पकड़ी गई है।
इस नजारे पर गौर करेंः
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार तड़के सुबह पैसे के लिए एटीएम की लाइन में लगे लोगों से मिलने के लिए दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में पहुंच गए. जहांगीरपुरी के बाद राहुल गांधी इंद्रलोक, आनंद परबत, आजाद मार्केट और इंदर लोक इलाके में भी एटीएम के बाहर लोगों से मिले और उनकी परेशानियां जानीं. संबंधित खबरें. तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी को बताया संवेदनहीन, कहा- कर रहे वोटों की खेती · PM मोदी ने लोगों को किया आगाह, कहा- बहकावे में अकाउंट का ना करें दुरुपयोग. सुबह-सुबह पहुंचकर राहुल गांधी ने यहां लोगों से बात की. लोग पैसे निकालने के लिए एटीएम के बाहर लाइन में खड़े हुए थे.साभारःगुगल
एनडीवी की इस रपट के जरिये कयामती फिजां पर गौर फरमायेंः
केन्द्र के नोटबंदी के निर्णय से पश्चिम बंगाल के ऐसे कारोबारियों की मानसिक परेशानी बढ़ गई है, जिनकी पूरी बिक्री ही नकदी में होती है. नोटबंदी की घोषणा के एक दो दिन तक आलू विक्रेता बहुत परेशान हो रहा, क्योंकि उसके पास कोल्डस्टोर में करीब 50 से 60 लाख रुपये तक की सब्जी पड़ी हुई थी.
कारोबारी ने थोक आलू उधार में खरीदा था, जबकि वह इसे छोटे कारोबारियों को नकदी में बेचता था, लेकिन अब नकदी की कमी के कारण खरीदार ही नहीं आ रहे हैं.
वरिष्ठ सलाहकार मनोचिकित्सक संजय गर्ग ने प्रेट्र से कहा, ''थोक विक्रेताओं को डर है कि उनका पूरा भंडार बर्बाद हो जाएगा, जिससे उन्हें भारी नुकसान होगा. उनमें तनाव और परेशानी है और नोटबंदी के कारण मरने की बात सोच रहे हैं.'' मनोचिकित्सक के अनुसार सरकार द्वारा नोटबंदी के निर्णय के बाद उनके पास मानसिक तनाव वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है.
गर्ग ने बताया कि इनमें से ज्यादातर मरीज मध्यम और उच्च मध्यम परिवारों के हैं. यह सभी लोग बंगाल के ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, जहां प्लास्टिक मनी का इस्तेमाल बहुत सीमित है.
एक अन्य महिला चिकित्सिक संतश्री गुप्ता ने कहा, ''उनके पास एक 50 वर्षीय विधवा महिला आई, जिसके पास अपने मृत पति का 30 लाख रुपये नकदी में था.'' गुप्ता ने कहा, ''वह एक फ्लैट खरीदने की योजना बना रही थी. जबकि शेष राशि को अपने पुत्र की शादी में खर्च करना चाहती थी. अब वह बहुत असुरक्षित महसूस कर रही है.'' उन्होंने बताया कि उसे कुछ दिनों के लिए चिकित्सकीय देखरेख में रखा गया है.''
कोलकातासे मीडिया की खबर: नोटबंदी पर कोलकाता हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है और सरकार के इस निर्णय को बिना सोचा समझा फैसला करार दिया है. कोर्ट ने कहा, "केंद्र ने सही तरीके से सोच विचार कर ये फैसला नहीं लिया है."
नोट बदलने को लेकर सरकार की तरफ हर रोज़ कुछ न कुछ बदले जा रहे नियम पर भी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा है कि इससे साबित होता है कि सरकार ने बिना होमवर्क किए है ये बड़ा फैसला लिया है.
हाईकोर्ट ने जनता को आसानी से पैसा मुहैया नहीं कराने के लिए बैंक कर्मचारियों की भी आलोचना की है.
हाईकोर्ट ने कहा, "मैं सरकार के फैसले को बदल नहीं सकता, लेकिन बैंक कर्मचारियों की प्रतिबद्धता होनी चाहिए."
नोटबंदी पर पीआईएल की सुनवाई करते हुए बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस ने कहा, "लोग पैसा निकाले के लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़े हैं और अस्पताल में इलाज नहीं मिल रहा है. इस फैसले ने सब की ज़िदगी बदलकर रख दी है, जो सही नहीं है."
जस्टिस ने कहा कि उनका बेटा बीमार है और उसे डेंग्यू है, लेकिन अस्पताल कैश में पैसा नहीं ले रहा है. हालांकि, कोर्ट ने इस अर्जी पर कोई फैसला नहीं सुनाया. इसपर अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.
पीएम के हमले पर ममता बनर्जी, मायावती ने किए पलटवार, कहा - जनता माफ नहीं करेगी
आगरा: विमुद्रीकरण या नोटबंदी को लेकर संसद में विपक्षी दलों द्वारा किए जा रहे ज़ोरदार हमले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को उत्तर प्रदेश के आगरा में हुई अपनी रैली के दौरान पलटवार किया, और किसी का भी नाम लिए बिना पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा, और शारदा चिटफंड घोटाले के चार साल से जेल में बंद मास्टरमाइंड सुदीप्तो सेन से उनके ताल्लुकात का ज़िक्र किया.
उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के संदर्भ में आयोजित भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की 'परिवर्तन रैली' के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "मैं जानता हूं कि किस तरह के लोग मेरे खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं... क्या देश नहीं जानता कि चिटफंड व्यापार में किन लोगों का पैसा निवेश किया गया...? करोड़ों लोगों ने अपना पैसा इन चिटफंड में लगाया... लेकिन नेताओं के आशीर्वाद से इन चिटफंड से सैकड़ों करोड़ गायब हो गए..." उन्होंने यह भी कहा, "चिटफंड में हुए नुकसान की वजह से सैकड़ों परिवारों ने खुदकुशी कर ली..."
गौरतलब है कि शारदा चिटफंड घोटाले में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के कई विधायकों-सांसदों के नाम आए, और कुछ को जेल भी जाना पड़ा.
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ने इन आरोपों को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री पर पलटवार किया. उन्होंने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर कहा, "प्रधानमंत्री जी, आप भ्रष्टाचार को उन सभी से जोड़ रहे हैं, जो आपकी नीतियों का विरोध करते हैं... क्या आप ही अकेले जादूगर हैं...? जनता की आवाज़ को सुनिए, उनके दर्द को महसूस कीजिए... वे परेशानियां झेल रहे हैं, और वे इसके लिए आपको माफ नहीं करेंगे..."
वैसे, प्रधानमंत्री ने सिर्फ तृणमूल कांग्रेस प्रमुख पर ही निशाना नहीं साधा था. उन्होंने कहा था कि उनके कदम (नोटबंदी) को वे राजनैतिक दल पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं, जो "अपने विधायकों से नोट लेकर चुनाव का टिकट बेचा करते हैं", और "देश 70 साल तक चुप रहा है..." उनका इशारा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दो पूर्व सदस्यों के बयानों की तरफ था, जिनमें उन्होंने पार्टी प्रमुख मायावती पर उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए टिकट बेचने का आरोप लगाया था. पिछले लोकसभा चुनाव की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश ने एक भी ऐसे नेता को नहीं चुना, जो बिकाऊ हो..." गौरतलब है कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मायावती की बसपा का एक भी प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाया था.
इसके लगभग तुरंत बाद मायावती ने भी कानपुर के निकट पुखरायां में हुई ट्रेन दुर्घटना स्थल पर जाने की जगह रैली करने पहुंचने को लेकर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा. मायावती ने प्रधानमंत्री की रैली के बाद कहा, "आने वाले चुनाव में लोग उन्हें नहीं बख्शेंगे, और यह पीएम मोदी के लिए 'बुरे दिनों' की शुरुआत है..."
अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने दोहराया था कि वह विपक्ष के दबाव के आगे नहीं झुकेंगे. उन्होंने कहा था, "यह बहुत लंबी लड़ाई है, लेकिन मैं गरीबों के लिए लड़ता रहूंगा, क्योंकि गरीबों के लिए लड़ते रहने का आनंद ही कुछ और है..." प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार द्वारा काले धन के खिलाफ उठाए गए नोटबंदी के फैसले से मध्यम वर्ग तथा गरीबों को मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने से अघोषित धन बाहर आया है, और इससे आखिरकार ईमानदारों को ही फायदा होगा.
उन्होंने कहा था, "मैं गरीबों, मध्यम वर्ग था ईमानदार लोगों के सामने सम्मान के साथ सिर झुकाता हूं, और उन्हें प्रणाम करता हूं... वे मुश्किलें झेल रहे हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने इस कदम का समर्थन किया..." उन्होंने जनता से 50 दिन तक सब्र रखने की अपनी अपील को भी दोहराया, और कहा कि तब तक नकदी संकट खत्म हो जाएगा.
साभारःएनडीटीवी
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