BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Friday, January 30, 2015

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा भारतीय जनता पार्टी की मूलभूत आपत्ती Representation Of People Act मे किये गये इस संशोधन को है. क्योंकी भविष्य मे कोई व्यक्ती या संस्था अदालत मे ये साबित कर दे की, भारतीय जनता पार्टी के सांसद चुनाव आयोग को दिये हुए हलफनामे के अनुसार व्यवहार नही कर रहा है और धार्मिक विद्वेष को बढावा दे रहा है,धर्मनिरपेक्षता,समाजवाद और देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता इन संवैधानिक मुल्यो से प्रतिबद्ध नही है, तो उस सांसद की संसद सदस्यता खतरे मे आ सकती है.इसलिये संविधान की प्रास्तविका मे निहित धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद ये शब्दो को हटाने के प्रयास RSS और BJP ने पिछले कुछ सालो से शुरू किया है.



सुनील खोपड़ागड़े मराठी दैनिक महानायक के संपादक हैं तो रिपब्लिकन पार्टी के एक बड़े धड़े के नेता भी हैं।वे देवयानी खोपड़गड़े के बाई भी है।

अभी अकस्मात जो दलित व महिला विदेश सचिव सुजाता सिंह को विदेश सचिव पद से अपमानजनक तरीके से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को अंधेरे में रखकर बर्खास्त किया गया है,देवयानी उसकी पहली कड़ी है।

सुनीलजी मराठी में ही लिखते हैं और उन्होंने यह टिप्पणी हिंदी में की है।जाहिर है कि वे हिंदी भाषी जनता से संवाद करना चाहते हैं और चूंकि वे रिपब्लिकेन पार्टी के नेता भी हैं एक लोकप्रिय मराठी दैनिक के संपादक होने के अलावा,जो महाराष्ट्र में बहुजन समाज का प्रतिनिधित्व करता है और नियमित निकलता है दूसरे अखबारों का पेशेवर तरीके से मुकाबला करते हुए,उनके इस वक्तव्य पर 30 जनवरी के खास दिन संघ परिवार के एजंडे की सही समझ के लिे नाथूराम गोडसे के महिमामंडन समय में गौर करना जरुरी है।

हमने उनकी वर्तनी सुधारी नहीं है और उनका लिखा जस का तस पेश कर रहे हैं।हूबहू।
पलाश विश्वास
सुनील खोपड़ागड़े ने लिखा हैः
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भारतीय जनता पार्टी ने धार्मिक विद्वेष की राजनीती को और प्रखर करणे की कोशिश शुरू की.इसे रोकने के लिये तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने 1989 मे भारतीय लोकप्रतिनिधित्व कानून 1951 ( Representation Of People Act )मे संशोधन किया.इस संशोधित धारा का मुलभूत आधार संविधान की प्रास्ताविका है.इस संशोधित धारा के अनुसार देश के हर राजनीतिक दलोंको , भारतीय संविधान की प्रास्ताविका मे निहित, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, देश की संप्रभुता,एकता और अखंडता इन सिद्धान्तो के प्रती प्रतिबद्ध रहने का हलफनामा चुनाव आयोग को देने के लिये बाध्य किया है.चुनाव लडनेवाले हर उम्मिद्वार को चुनाव पर्चा दाखील करते वक़्त ऐसा हलफनामा देना जरुरी है.राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा भारतीय जनता पार्टी की मूलभूत आपत्ती Representation Of People Act मे किये गये इस संशोधन को है. क्योंकी भविष्य मे कोई व्यक्ती या संस्था अदालत मे ये साबित कर दे की, भारतीय जनता पार्टी के सांसद चुनाव आयोग को दिये हुए हलफनामे के अनुसार व्यवहार नही कर रहा है और धार्मिक विद्वेष को बढावा दे रहा है,धर्मनिरपेक्षता,समाजवाद और देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता इन संवैधानिक मुल्यो से प्रतिबद्ध नही है, तो उस सांसद की संसद सदस्यता खतरे मे आ सकती है.इसलिये संविधान की प्रास्तविका मे निहित धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद ये शब्दो को हटाने के प्रयास RSS और BJP ने पिछले कुछ सालो से शुरू किया है.इसके तहत संघ परिवार से नाता रखनेवाली एक गैर सरकारी संघटन Good Governance India Foundation द्वारा 2007 में सुप्रीम कोर्ट में एक मामला दायर किया गया था और संविधान की प्रास्तविका मे निहित धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद ये शब्दो को हटाने और Representation Of People Act मे किये गये उपरोल्लिखित संशोधन को निरस्त करने की मांग की थी. तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने देश के नामचीन विधीद्न्य फली नरिमन को अनुबंधित कर इस मांग का दृढ़ता से विरोध किया था.फलस्वरूप इस संस्था ने यह मामला छोड दिया और सुप्रीम कोर्ट ने इसे 2010 में खारीज किया. अब, देश में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार की स्थापना होने के बाद RSS और BJP अपना यह अजेंडा अंमल मे लाने के लिये जमीन तलाश रही है.गणतंत्र दिन की विज्ञापन से धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद ये शब्दो को हटाने की वजह इस पर जनता की प्रतिक्रियाओं का जायजा लेना है.

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