भीष्म करगेती गढ़वाली के प्रतिष्ठित लेखक हैं जिनका शोध पहाड़ों के इतिहास के संदर्भ में भी दिलचस्प है।सुनंदा पुष्कर की हत्या हुई या नहीं या बंगाल में आर्थिक दुर्दशा के लिए कौन से राजनीतिक दल जिम्मेदार हैं,इन दो मुद्दों पर उन्होंने भारतीय मीडिया के बेसिक मुद्दों को छोड़कर मनोरंजन और सनसनी पैदा करके सूचनाओं से आम जनता को वंचित करने वाले भारतीय मीडिया की नकारात्मक भूमिका खूब उकेरा है।
गढ़वाली देवनागरी में लिखी जाती है,थोड़ी सी कोशिश करें तो हिंदी की दूसरी तमाम बोलियों की तरह गढ़वाली कुमांयूनी और गुर्खाली ,यहां तक कि डोगरी भाषाएं भी अबूझ नहीं लगेगी और हम खुद को हिमालयी जनता से जोड़ पायेंगे।हिमालय चूंकि देश के वजूद का अहम हिस्सा है ,इसलिए इस अनिवार्य कार्य़भार को अब हम और चाल नहीं सकते।
9/1/15, Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
पलाश विश्वास
धार्मिक उछद्यूं , न्यायिक अव्यवस्था अर घपरोळयौं की खबर कामक खबर खाणा छन !
गमगीन : भीष्म कुकरेती
ब्याळि परसि भारत मा कुछ इन घटना , इवेंट्स व्हेन जौं पर टीवी माध्यमुं , अखबारुं अर चौंतरौं (चौपाल ) मा छ्वीं लगण छे पर दुर्भाग्य बल छ्वीं बेकारै बत्तुं पर लगिन।
कोलकत्ता मा बंगाल निवेश सम्मेलन ह्वे जखमा केंद्रीय वित्त मंत्री अर परिवहन मन्त्रीन भाग ले। असल मा टीवी माध्यम मा बंगाल की आर्थिक कुदशा का बारा मा छ्वीं लगण चयाणी छे पर सरा दिन छ्वीं लगिन कि सुनंदा थरूर की मौत कनै हवे।
एकाद टीवी वाळ छोड़िक कै बि टीवी वाळ तै नि पड़ीं छे कि पता लगाये जाव कि बंगाल की आर्थिक मौत का जुम्मेवार क्वा मानसिकता छे , बंगाल की बेकारी , बदहाली , बदरंगी आर्थिक कमजोरी वास्ता उत्तरदायी कु छया अर कौंक कुकर्मुं से एक बगत इंडियन कॉमर्शियल कैपिटल कोलकत्ता का कुहाल ह्वेन। किन्तु सबि टीवी वळु तैं पड़ीं छे कि जांच पड़ताल करे जाव कि पाकिस्तानी पत्रकार की सुनंदा की मौत मा क्या भूमिका च ? बंगाल की खुशहाली की मौत पर सुनंदा की मौत भारी पड़ गे। टीवी चैनलुं मा बहस हूण चयेणी छे कि ममता बनर्जी का नेतृत्व मा नंदीग्राम मा खूनी करतब खिले गे छौ अर टाटा मोटर्स तैं बंगाल छोड़िक गुजरात मा फैक्ट्री लगाण पोड़। पर सरा दिन चैनलुं मा बहस का मुद्दा छौ कि शशि थरूर का नौकरों से सुनंदा की मौत बारा मा पुलिस क्या पूछलि। वाह रे ! नकारत्मक मीडिया ! भारत मा अब क्या तेरी भूमिका ?
एकाद टीवी वाळ छोड़िक कै बि टीवी वाळ तै नि पड़ीं छे कि पता लगाये जाव कि बंगाल की आर्थिक मौत का जुम्मेवार क्वा मानसिकता छे , बंगाल की बेकारी , बदहाली , बदरंगी आर्थिक कमजोरी वास्ता उत्तरदायी कु छया अर कौंक कुकर्मुं से एक बगत इंडियन कॉमर्शियल कैपिटल कोलकत्ता का कुहाल ह्वेन। किन्तु सबि टीवी वळु तैं पड़ीं छे कि जांच पड़ताल करे जाव कि पाकिस्तानी पत्रकार की सुनंदा की मौत मा क्या भूमिका च ? बंगाल की खुशहाली की मौत पर सुनंदा की मौत भारी पड़ गे। टीवी चैनलुं मा बहस हूण चयेणी छे कि ममता बनर्जी का नेतृत्व मा नंदीग्राम मा खूनी करतब खिले गे छौ अर टाटा मोटर्स तैं बंगाल छोड़िक गुजरात मा फैक्ट्री लगाण पोड़। पर सरा दिन चैनलुं मा बहस का मुद्दा छौ कि शशि थरूर का नौकरों से सुनंदा की मौत बारा मा पुलिस क्या पूछलि। वाह रे ! नकारत्मक मीडिया ! भारत मा अब क्या तेरी भूमिका ?
अंतर्राष्ट्रीय बजार मा पेट्रोल का दाम रोज घटणा छन। भारत बि पेट्रो पॉलिटिक्स अर पेट्रो इकोनोमिक्स से प्रभावित हूण वाळ च। इन स्थिति मा भारतीय ग्रामीण आर्थिक दशा माँ त्वरित सुधार आवश्यक च। इन स्थिति मा ग्रामीण आर्थिक स्थिति तैं सुदृढ़ बढ़ाणो बान हरेक भारतवासी तैं व्यक्तिगत योगदान आवश्यक च। बहस का मुद्दा हूण चयेणु छौ कि ये अवसर पर हरेक भारतीय ग्रामीण आर्थिक दशा सुधरण मा क्या क्या योगदान दे सकुद। किन्तु एकाद चैनेल छोड़िक हरेक टीवी चैनेल बेचैन छौ अर हरेक भारतीय तैं बेचैन करणु छौ कि ओएसिस न क्या ब्वाल अर साक्षी महाराजन क्या ब्वाल। टीवी चैनेल अब रोड छाप जासूसी -सेक्स की किताब ह्वे गेन जु अब बस जयिं -बितीं बत्तों तैं बहस का मुद्दा बणाणा छन।
अबि गुजरात मा प्रवासी दिवस मनाये जाणु च अर प्रवास्युं प्रवास मा तकलीफ , प्रवास्युं सफलता अर प्रवास्युं योगदान पर चर्चा आवश्यक विषय छौ किंतु टीवी चैनेलुं मा चर्चा का विषय छौ मणिशंकर को मुस्लिम आतंकवाद पर उटपटांग बयान, अर करीना कपूर की एक कटटर हिन्दू पत्रिका मा कवर फोटो । मुख्य समाचार मणी शंकर का बयान अर लव जिहाद ह्वे गे अर प्रवासी भारतीयों छ्वीं कै बि टीवी चैनेल मा नि लग। नकारात्मक मीडिया भारतौ भाग्यविधाता बण गे।
आज न्यूज मेकर याने नेता बि उटपटांग ह्वे गेन अर टीआरपी का गुलाम मीडिया बि पागल ह्वे गे।टीवी मीडिया यूजलेस मीडिया ह्वे गे। मीडिया उटपटांग नेताओं से बि फंड ह्वे गे।
धार्मिक उछद्यूं , न्यायिक अव्यवस्था अर घपरोळयौं की खबर कामक खबर खाणा छन !
धार्मिक उछद्यूं , न्यायिक अव्यवस्था अर घपरोळयौं की खबर कामक खबर खाणा छन !
9/1/15, Bhishma Kukreti , Mumbai India
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