PUCL कानपुर तसलीमा नसरीन के फेसबुक अकाउंट बंद किये जाने का विरोध करता है |
फेसबुक कंपनी द्वारा तसलीमा नसरीन के फेसबुक अकाउंट को बंद किया जाना न सिर्फ अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का हनन है बल्कि सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी उल्लंघन है जिसके तहत सुप्रीम कौर्ट ने धारा 66 A को असंवैधानिक माना है | फेसबुक विचार और भावनाए प्रस्तुत करने का एक सार्वजानिक स्पेस है जहाँ सभी को अपने विचार प्रस्तुत करने की आजादी है ऐसे में सिर्फ रुढ़िवादियों और कट्टरपंथियों की शिकायत पर एक लेखक को उसकी भावनाये व्यक्त करने से रोकना उचित नहीं लगता| इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है | तसलीमा नसरीन स्वतंत्र विचारों की लेखिका है जिसने इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा महिलाओं के साथ किये गए अत्याचार और शोषण को समाज के सामने लाया है | एक निर्वासित लेखिका होने के बाद भी तसलीमा ने धार्मिक अशहिष्णुता एवं कट्टरपंथ के खिलाफ लेखन बंद नहीं किया और इस्लामिक कट्टरपंथियों के खिलाफ अपने घुटने नहीं टेके तो ऐसे में इस्लामिक रुढ़िवादियों द्वारा उसे फेसबुक का इस्तेमाल करने से रोकना बेहद शर्मनाक मामला है |
PUCL कानपुर इकाई इस पूरे प्रकरण का विरोध करते हुए फेसबुक अधिकारियों से तसलीमा नसरीन के अकाउंट को पुनः संचालित करने की मांग करती है |
सम्बंधित ख़बरें -
द्वारा जारी -
के एम् भाई
No comments:
Post a Comment