हिंदू साम्राज्यवादी कारपोरेट शिकंजे में छटफटाती सोने की चिड़िया को रिहा करो देशभक्तोंं!
अभूतपूर्व हस्तक्षेप जनांदोलनों के खिलाफ न्यायप्रणाली में,अब एकसाथ खड़ा न हुए ,तो बचे हुए हैं वे मारे जायेंगे,प्रधानमंत्री ने फासिस्ट फतवे से अदालतों की सामूहिक अवमानना कर दी।
जजों के सम्मेलन में पीएम मोदी ने उठाया सवाल, पूछा-कहीं फाइव स्टार एक्टिविस्ट तो न्यायपालिका को चला नहीं रहे हैं?
हम आपके साथ हैं तो आप भी हमारा साथ दें।फिर देखिये कि हम लोग मिलकर आम जनता के बीच इन हत्यारों को कैसे बेनकाब करके उनकी ही पैदल सेनाओं को उनके खिलाफ लामबंद करते हैं।
यह हमारा खुला आवाहन है।जब तक जान है,हम लड़ेंगे साथी।
पलाश विश्वास
कारपोरेट एकाधिकार वर्णवर्चस्वी पीपीपी नरसंहारी विकास के लिए सत्रह सौ कानून खत्म करने के ऐलान के साथ कल्कि अवतार ने जनांदोलनों और आंदोलनकारियों की परवाह न करने का फरमान करते हुए भारत के इतिहास में खुलेआम न्यायपालिका में सबसे बड़ा हस्तक्षेप करते हुए भारत के तमाम न्याय़ाधीशों की अवमानना कर दी है और मीडिया में इसका गनीमत है कि प्रधानमंत्री का पक्ष महिमामंडित करते हुए खुलासा भी हो गया है।
अब वक्त है कि जनपक्षधर राजनीति अराजनीति को सारी अस्मिताएं तोड़कर इस अभूतपूर्व कयामत के खिलाफ खड़ा करने की और भारतीय जनगण को हकीकत बताने की।
कारपोरेट मीडिया इस मुक्तबाजारी तिलिस्म को मजबूत ही करेगा।हम वैकल्पिक मीडिया में अब भी बिना संसाधन खड़े हैं।
जनसंगठन ग्राउंड जीरों के हाल हकीकत भी हमें बताते रहें तो हम और कारगर तरीके से सच को सच बताने की मुहिम तेज कर सकते हैं।
जनादोंलनों और जनपक्षधर वैकल्पिक मीडिया की सारी ताकत एकजुट करके ही हम इस नरसंहारी कयामत का मुकाबला कर सकते हैं।
जनांदोलनों और जनपक्षधरता से जुड़े जनसंगठन खुलकर हमारा साथ दें तो हम हवा में बात नहीं कर रहे हैं,सालभर में कमसकम दस करोड़ लोगों को सीधे संबोधित करने और उन्हें सोने की चिड़िया भारत को हत्यारों के शिकंजे से निकालने की ठोस योजना हमारे पास है।आप साथ तो दें।
हम फिलहाल हस्तक्षेप,समकालीन तीसरी दुनिया और समयातंर की सम्मिलित रीडरशिप बढ़ाकर अपने छीजते हुए साधनों और सहयोग से वंचित होने के बावजूद निरंतर जनता के मुद्दों और जनांदोलन के जनपक्षधर ताकतों और जनपक्षधर विपक्ष के साथ खड़े हैं।आप हमारे साथ आ जायें।बढ़ायें हाथ।
इस मोर्चाबंदी को अगर हम जनांदोलनों और जनपक्षधर ताकतों के सक्रिय सहयोग से ठोस आधार दे सकें तो बाजार के व्याकरण और माध्यमों की,भाषाओं की सारी दीवारें हम यकीनन ढहा सकते हैं।जो देश जोड़ने के लिए अनिवार्य भी है।
हालात कितने संगीन हैं,कृपया इस पर गौर करें।भाषण पेलने का आत्ममुग्ध नपुंसक अभ्यास के बजाए ठोस एकता और सक्रियता जरुरी है।
हम आपके साथ हैं तो आप भी हमारा साथ दें।
फिर देखिये कि हम लोग मिलकर आम जनता के बीच इन हत्यारों को कैसे बेनकाब करके उनकी ही पैदल सेनाओं को उनके खिलाफ लामबंद करते हैं।
यह हमारा खुला आवाहन है।जब तक जान है,हम लड़ेंगे साथी।
With India Inc still wary of fresh investments, the government is pulling out all stops to get stalled public investments off the ground and expedite big-ticket greenfield projects that have been on the drawing board for years such as the Navi Mumbai International Airport.
In the weeks since it presented its first full-year Budget with a focus on reviving the economy through public investments, the Modi government has asked the Cabinet Secretariat to speed up implementation of over 135 public investment projects worth ` . 2.5 lakh crore by resolving red tape hurdles.
कानूनों के सरलीकरण का आह्वान करते हुए मोदी ने कहा कि संविधान में निर्थक कानूनों को समाप्त करना होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने समीक्षाधीन 700 पुराने कानूनों और अन्य 1,700 कानूनों को हटाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में प्रतिदिन एक कानून को हटाने की है।
जजों के सम्मेलन में पीएम मोदी ने उठाया सवाल, पूछा-कहीं फाइव स्टार एक्टिविस्ट तो न्यायपालिका को चला नहीं रहे हैं?
Times of India reports:
CJI Contradicts, Says Judges As Fearless As Ever
Prime Minister Narendra Modi on Sunday said judges must not fear the reaction of five-star activists while discharging their "divine" duty of dispensing justice as per the Constitution and law.
"The judiciary is not as fearless today as it used to be 10 years back. Are five-star activists not driving the judiciary?
Economic Times reports:
CLARION CALL PM urges judiciary to deliver on its `divine' role even as Wipro chief asks people working to improve India to join hands
Prime Minister Narendra Modi targeted what he described as "five-star activists driving the judiciary" and asked judges to introspect on whether they were delivering on their "divine" role in a manner that would safeguard the judicial system's credibility since they can't be criticised by outsiders.
यह मीडिया की खबर है और मीडिया की खबर यह भी है कि लंबित परियोजनाओं को फास्टट्रैक पर चालू किया जा रहा है और बेदखली के रास्ते आने वाले सारे अवरोध बेरहमी से अबाध पूंजी और पीपीपी माडल के हिंदु्त्ववादी नरसंहारी अश्ममेधी संस्कृति के तहत उड़ा दिये जायेंगे।
हम आपको यकीन दिलाते हैं कि इस देश के किसान,मजूर,कारोबारी और उद्यमी,आदिवासी और अल्पसंख्यक जब जाग खड़े होंगे तो यह हिंदू साम्राज्यवादी मुक्तबाजारी तिलिस्म किरचों की तरह बिखर कर चकनाचूर हो जायेगा।
अब वक्त का तकाजा है कि जनपक्षधर ताकतें फिलहाल जनजागरण के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दें,तो वर्गविहीन जातिविहीन स्वतंत्र संप्रभू सोने की चिड़िया भारत को मिलियनर बिलियनर नस्लवादी विध्वंसक नरभक्षी वर्णवर्चस्वी मुक्तबाजारी राष्ट्रद्रोही सत्ता वर्ग के शिकंजे से मुक्त किया जा सकता है।
बाकी आपकी मर्जी।
जैसा कि हम बार बार चेता रहे हैं कि इस हिंदू साम्राज्यवादी तूफान से जो कयामत आने वाली हैं,उससे वे भी नहीं बचेंगे,जिनके सुर्खाब के पर लगे हैं।
मित्रों, हम जमीन पर आसमान के नीचे बाबुलंद आवाज में कह रहे हैं कि देश भर के बहुजन बहुसंख्य जनगण इस निर्णायक लड़ाई के लिए एकदम तैयार हैं।
समस्या एकमात्र यही है कि हम अलग अलग द्वीपों में खड़े न जनता को जोड़ पा रहे हैं और न सोने की चिड़िया का पेट चीर रहे सत्तावर्ग के शिकंजे में वधस्थल में तब्दील इस देश के वध्य जनगण से कोई संवाद की स्थिति बना पा रहे हैं।
देश के हर कोने में हमारे स्वजन जख्मी लहूलुहान हैं और उनका सबकुछ लुट रहा है और अस्मिताओं के रंग बिरंगे चश्मे में इस कयामती मंजर में खून के समुंदरों से घिरे होने के बावजूद अपने ही दिल की धड़कनों को सुनने से साफ इंकार कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने जनपक्षधरता के खिलाफ खुले युद्ध का ऐलान कर दिया है और सेनाएं सजी हैं इस महाभारत में अभिमन्यु की तरह अलग अलग चक्रव्यूह में घिरी हुई हर जनपक्षधर ताकत के सफाये के लिए।जो राजनीति में हैं,जो संसदीय राजनीति में भी हैं,जो वाम हैं,जो आवाम के साथ हैं और जो बहुजनों के नुमाइंदे हैं,उनकी शामत भी आने वाली है।
फाइव स्टार आंदोलनकारियों को विकास का अवरोध बताते हुए पीपीपी माडल विकास,नरसंहारी अश्वमेध और एकमुस्त मनुस्मृति जायनी हिंदू साम्राज्यवाद के शत प्रतिशत केसरिया कारपोरेटराज की बहाली के लिए गूड फ्राइडे पर न्यायाधीशों को बुलाकर स्वतंत्र लोकगणराज्य के प्रधाननमंत्री ने जनांदोलनों की परवाह न करने का फरमान सुनाया है।हुक्मउदुली की आशंका जाहिर है,नहीं है।नहीं है।
इस खबर पर गौर करें कृपया
आज देशभर के शीर्ष न्यायाधीशों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने सवाल उठाते हुए कहा था कि कहीं फाइव स्टार एक्टिविस्ट तो न्यायपालिका को चला नहीं रहे हैं?
इसके बाद मोदी के इस बयान पर चर्चा हो गई थी कि क्या हमारी न्यायिक व्यवस्था में किसी प्रकार का हस्तक्षेप हो रहा है ये चर्चा अभी गर्म ही है कि भारत के पूर्व चीफ जस्टिस और प्रेस काउंसिल के चेयरमैन रह चुके मारकंडे काटजू ने इस संदर्भ में बड़ा बयान दिया है, काटजू ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि, आज की तारीख में भारत में लगभग 50 फीसदी जज भ्रष्ट हैं.
इस पोस्ट में काटजू ने लिखा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली में जजों की कॉन्फेंस को संबोधित करते हुए कहा हमारे यहां जजों को बेहद पवित्र आत्मा वाला और भगवान के बाद का दर्जा दिया गया है,
मैं चाहता हूं कि काश ये शब्द सच होते, पर सच ये है कि आज न्यायिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार का अंबार फैला हुआ है, और एक भ्रष्ट इंसान की आत्मा आखिरकार पवित्र कैसे हो सकती है.
जब मैंने इलाहाबाद 1971 में लॉ की प्रैक्टिस शुरु की थी तो उस वक्त कोई भी भ्रष्ट जज हाई कोर्ट में नहीं था और शायद भारत के किसी भी हाईकोर्ट में नहीं था.
कोई जज बेहद शालीन तो कोई बेहद अभद्र थे, कोई काफी बुद्धिजीवी तो कोई काफी थोड़े कम थे पर इस बात में कोई शक नहीं है कि हाईकोर्ट में कोई भी भ्रष्ट नेता रहा हो.
1994 में जब जस्टिस वेंकटचालीभारत के चीफ जस्टिस थे उस वक्त भ्रष्टाचार के आरोप में हाईकोर्ट में भारी तादाद में जजों के तबादले हुए और ये तबादले तब तक जारी हैं.
साल 2001 में जस्टिस भरुचा ने कहा था , लगभग 20 फीसद हाईकोर्ट जज भ्रष्ट हैं, और म्छे लगता है अब ये आकड़ा 40 से 50 फीसद तक पहुंच चुका होगा.'
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