BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Monday, March 26, 2012

कर्मचारियों को रिझाने में जुटी सरकार

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कर्मचारियों को रिझाने में जुटी सरकार


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राजकोषीय घाटा कम करने के दबाव और आर्थिक सुधार तेज करने के एजंडे के मध्य अचानक सरकार को बजट के बाद सरकारी कर्मचारियों को रिझाने की क्यों जरुरत आन पड़ी? राजनीतिक विश्लेषक कुछ भी कहें, बाजार को अब मध्यावधि चुनाव की आहट सुनायी पड़ने लगी है। वैसे भी यूपीए सरकार की राजनीतिक ​​बाध्यताओं के चलते उद्योग जगत को अब नये विकल्प की तलाश है।

केंद्रीय कैबिनेट ने अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में सात प्रतिशत की बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। बैठक में हिंदू विवाह कानून में बदलाव को भी मंजूरी दी गई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया।

कर्मचारियों का महंगाई भत्ता उनके मूल वेतन से 58 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत किया गया है। महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी एक जनवरी 2012 से लागू होगी। सरकार के इस फैसले से सरकारी खजाने पर सालाना 750 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पडे़गा।​

​बजट की पूर्व संध्या पर वित्त मंत्रालय ने भविष्यनिधि की ब्यज दरों में कटौती कर दी, रंग बिरंगे शुल्कों के जरिये मामूली आयकर राहत​ ​ को बेमायने कर दिया।आपातकाल में सोना गिरवी रखकर कर्ज लें, मौद्रिक नियम बदलकर वह भी मुश्किल कर दिया। योजना आयोग ने गरीबी की परिभाषा बदल दी तो राजकोषीय घाटा छुपाने के लिए प्रभावी राजस्व घाटा की अवधारणा पेश करते हुए तमाम सामाजिक योजनाओं पर सरकारी खर्च को अनुदान में श्रेणीबद्ध कर दिया।

इसके बावजूद सुधारों के भविष्य के बारे में सरकार इंडस्ट्री और कारपोरेट इंडिया को आश्वस्त नहीं कर ​​पायी बाजार डांवाडोल है। इस बीच साहसी बजट पेश करने के जुर्म में रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी विदा कर दिये गये। बजरिए मुकुल राय रेलवे को ममता बनर्जी ने अपने दामन में  समेट लिया।

रही सही कसर पूरी हो गयी। राज्यसभा चुनाव में ममता के इशारे पर कांग्रेस उम्मीदवार को हटाने के बाद तो केंद्र की साझा सरकार की औकात खल गयी। जिस मुलायम पर सरकार की स्थिरता का दांव लगाया जा रहा था और ममता को दरवाजा​ ​ दिखाने के कयास लगाये जा रहे थे,उन्होंने अब मध्यावधि चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। इससे पहले हंगामाखेज बजट पेश करने से पहले दिनेश त्रिवेदी ने कह दिया था कि तृणमूल कांग्रेस मध्यावधि चुनाव के पक्ष में है, हातांकि तब दीदी ने इस बयान को खारिज कर दिया था।

हिंदू विवाद कानून में बदलाव को मंजूरी दे दी गई है। इसके बाद तलाक से पहले पति-पत्नी को दिया जाने वाला 6 महीने का वक्त जरूरी नहीं होगा। कोर्ट चाहे तो इस अवधि को कम कर सकती है। ये वक्त तय करने का अधिकार कोर्ट के पास रहेगा।

वैवाहिक जीवन व्यतीत न कर पाने वाली स्थिति को लेकर महिलाओं को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं। स्वाभाविक बच्चे और गोद लिए गए बच्चे का संपत्ति पर बराबर हक माना गया है। मंत्रिमंडल ने भोपाल गैस पीड़ितों के लिए भी 7500 करोड़ रुपये के मुआवजे देने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है।

केंद्र की यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार रहने का आह्वान करते हुए कहा कि चुनाव 2014 से पहले हो सकते हैं।

डॉक्टर राममनोहर लोहिया की 102वीं जयंती पर लोहिया पार्क में आयोजित समारोह में यादव ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2014 में प्रस्तावित हैं लेकिन समय से पहले अगले साल भी हो सकते हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं को इसके लिए पूरी तरह से तैयार रहना होगा।

सपा अध्यक्ष के अगला प्रधानमंत्री होने के कार्यकर्ताओं की नारेबाजी के बीच यादव ने कहा कि यह इतना आसान नहीं है। इसके लिए कार्यकताओं को अनुशासन में रहकर राज्य की जनता के लिए काम करना होगा।

चेक और बैंक ड्राफ्ट अगले माह की पहली तारीख से केवल तीन माह के लिए ही वैध होंगे। रिजर्व बैंक [आरबीआइ] इस संबंध में निर्देश पहले ही जारी कर चुका है। इस वैधता सीमा के दायरे में पे-ऑर्डर और बैंकर्स चेक भी आएंगे। इस कदम से चेक, ड्राफ्ट वगैरह के जरिए होने वाली धोखाधड़ी पर लगाम लगेगी।

केंद्रीय बैंक की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि एक अप्रैल से बैंक ऐसे चेक, ड्राफ्ट, पे-आर्डर या बैंकर्स चेक का भुगतान न करें, जो जारी करने की तारीख के तीन माह बाद पेश किया गया हो। रिजर्व बैंक को केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो की ओर से यह जानकारी मिली थी कि तमाम लोग इन

इंस्ट्रूमेंट की मौजूदा छह की वैधता का गलत फायदा उठा रहे हैं। इस दौरान इनका इस्तेमाल नकदी के रूप में किया जा रहा है। इसके चलते छह माह की अवधि में एक चेक या ड्राफ्ट कई हाथों में आता-जाता रहता है। आरबीआइ ने जनहित और बैंकिंग नीति का हवाला देते हुए वैधता अवधि को घटाने के फैसले को पूरी तरह उचित ठहराया है।

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