BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Wednesday, March 28, 2012

कोयले की आग फिलहाल भूमिगत

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कोयले की आग फिलहाल भूमिगत



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कोयले की यह आग फिलहाल भूमिगत है पर जमीन की परतें खुलने लगी हैं। कभी भी धंसान की आशंका है। कोयला आवंटन के लिए अपनाई गई नीति पर चल रहे विवाद के बीच सरकार ने अब कोयला ब्लॉकों में काम नहीं शुरू करने वाली कंपनियों से इन्हें वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अगर लीक  हुई रपट में कोई सच नहीं छुपा है तो आनन फानन आवंटित कोयला ब्लाकों को वापस लेने की यह कार्रवाई क्यों ?

कोयला खदानों के आवंटन पर सीएजी की ड्राफ्ट रिपोर्ट को लेकर जोरदार  हंगामा मचने के बाद अब सीएजी ने सफाई देते हुए कहा है कि यह रिपोर्ट उसकी नहीं है।

सीएजी ने कहा है कि कोल ब्लॉक आवंटन पर वह अपनी फाइनल रिपोर्ट 1 महीने में पेश करेगा। जानकारी के मुताबिक सीएजी ने ड्राफ्ट रिपोर्ट लीक होने पर कोयला मंत्रालय को जिम्मेदार ठहराया है, वहीं सीएजी ने इसकी जांच कराने की मांग भी की है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की हाल में लीक हुई रिपोर्ट से कुछ दिन पहले ही कोयला मंत्रालय ने करीब 58 कंपनियों को आवंटन रद्द किए जाने की धमकी वाले नोटिस जारी किए।

इस पर संसद के दोनों सदनों में काफी हंगामा हुआ, जिस पर सफाई देते हुए सरकार ने कहा कि कम दाम में कोयला ब्लॉक आवंटित करने का मकसद बिजली, इस्पात और सीमेंट क्षेत्र के उत्पादों के दाम नियंत्रण में रखना था। सरकार के इस कदम से कोयला आपूर्ति का संकट बढ़ा है। पहले निजी खदानों से उत्पादन का लक्ष्य 5.1 करोड़ टन रखा गया था, जिसे मार्च 2012 में घटाकर 3.6 करोड़ टन कर दिया गया है।

खास बात तो यह है कि कोयले की कालिख से किसी शिबू सोरेन नहीं, आर्थिक सुधारों के मसीहा डा.मनमोहन सिंह  के चेहरे को बचाना है​ ​ वरना सुधारों की आड़ में घोटालों की महागंगा पाताल फोड़कर अब बस निकलने ही वाली है देश के 155 कोयला-ब्लॉक के आवंटन में हुए 'खेल' पर सीएजी की प्राथमिक रिपोर्ट के खुलासे केंद्र सरकार की सांसें फूलने लगी हैं।

इसके मुताबिक इन आवंटनों में सरकारी खजाने को १० लाख ६७ हजार करोड़ रुपए की चपत लगी है। विपक्ष सरकार पर वार के लिए एक और धारदार हथियार मिल गया।रेल बजट और आम बजट को कम समय में दोनों सदनों से पारित कराने की दुहाई लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ने विपक्षी दल की नेता सुषमा स्वराज को दी तो संसद के दोनों सदनों में मामला ठंडा हुआ। सदन के बाहर जरूर भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने समूचे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की।

शुक्रवार से तीन दिन के लिए अवकाश के बाद 30 तारीख तक चलने वाले बजट सत्र के पहले सत्रावसान तक कई विधायी कार्य निपटाए जाने हैं।

उनमें से रेल बजट और आम बजट पर संसद की मुहर लगनी है।कोल ब्लाक आवंटन पर कैग की रिपोर्ट संसद में आना अभी बाकी है, इसमें बड़े घोटाले की चर्चा तेज हो गई है। शुक्रवार को भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर व हंसराज अहीर ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि 2006-09 के बीच 140 निजी कंपनियों को लगभग 51 लाख करोड़ रुपये का कोल ब्लाक आवंटित किया।

2006 में कोयला मंत्रालय खुद प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अधीन था, जबकि 2008 में संसद में विधेयक पेश किया गया था। इस बीच, भाजपा ने कई बार सरकार को आगाह किया था लेकिन उनके कानों पर जूं नहीं रेंगी। अहीर ने मांग की कि वर्ष 2010 तक के काल की विशेष जांच होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में सीएजी ने कहा कि कोयले के आवंटन पर उसकी ऑडिट रपट अभी तैयार हो रही है और यह विचार उसका नहीं है कि 'आवंटी को अप्रत्याशित लाभ सरकारी खजाने को हुए नुकसान के बराबर है।'

सीएजी ने कहा, "इस मामले में जो विवरण बाहर लाए जा रहे हैं वे अनुमान हैं, जिनपर अभी बहुत ही प्रारम्भिक चरण पर चर्चा चल रही है, और यहां तक कि ये हमारा प्री-फाइनल मसौदा भी नहीं है और इसलिए यह व्यापक रूप से भ्रामक है।"

इस बीच कोयला घोटाले से मचे हड़कंप से बाजार लगता है थोड़ा उबरने लगा है , पर कोयला ब्लाकों की वापसी की कार्रवाई का बाजार पर ​​क्या असर होगा कहना मुश्किल है।यूरोपीय बाजारों में मजबूती आने से घरेलू बाजारों ने भी रफ्तार पकड़ ली है। दोपहर 2:32 बजे, सेंसेक्स 250 अंक चढ़कर 17446 और निफ्टी 78 अंक चढ़कर 5306 के स्तर पर हैं।

ब्रोकिंग फर्म्स और रेटिंग एजेंसियों को अब भारत में संभावनाएं दिखाई देने लगी है। जिसके चलते ये एजेंसिया भारत को अपग्रेड कर रही हैं।दिग्गज ब्रोकिंग फर्म गोल्डमैन सैक्स ने मार्च 2013 तक निफ्टी का लक्ष्य 6,100 कर दिया है। गोल्डमैन के अनुसार उत्तर प्रदेश में चुनाव और बजट खत्म होने के बाद बाजार से अनिश्चितता का दौर खत्म हो गया है। वहीं भारतीय बाजार अब सकारात्मक दिखाई दे रहे हैं।

गोल्डमैन सैक्स के अनुसार भारत में महंगाई तेजी से घट रही है, जिसके आगे सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। वहीं वित्त वर्ष 2013 में आरबीआई रेपो रेट में 1.5 फीसदी की कटौती कर सकता है।रेटिंग एजेंसी यूबीएस ने भी भारत पर अपने नजरिए को बदला है। यूबीएस के मुताबिक भारतीय बाजार सकारात्मक स्थिति में हैं, वहीं वैल्युएशन के लिहाज से भी काफी आकर्षक दिखाई दे रहे हैं।

गौरतलब है कि कोयला ब्लॉकों के आवंटन में कथित घोटाले के कारण शेयर बाजार में जारी तेजी गुरुवार को नदारद हो गई। रुपये के फिर से कमजोर पडऩे और विदेशी शेयर बाजारों से तेज उतार-चढ़ाव के समाचार मिलने के चलते भी घरेलू बाजार में बिकवाली बढ़ गई। ऐसे में बॉम्बे शेयर बाजार का सेंसेक्स भी 405.24 अंकों का गहरा गोता खाकर 17,196.47 अंक पर आ गया।

विवादित कोयला ब्लॉकों का आवंटन 1996 से लेकर 2009 के बीच जांच समिति के जरिये किया गया था न कि नीलामी के जरिये। यह कदम कोयला मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव जोहरा चटर्जी की अध्यक्षता में गठित समीक्षा समिति की सिफारिशों के आधार पर उठाया गया है। समिति ने जनवरी में हुई दो दिवसीय बैठक में कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर यह पूछने की सिफारिश की थी कि उन्हें किया गया आवंटन रद्द क्यों नहीं किया जाए?

मंत्रालय ने आर्सेलर मित्तल, जीवीके, आदित्य बिड़ला समूह की हिंडाल्को, टाटा पावर, रिलायंस पावर, मॉनेट इस्पात ऐंड एनर्जी, जिंदल स्टील ऐंड पावर लिमिटेड, जेएसडब्ल्यू स्टील, नाल्को और एमएमटीसी उन कंपनियों में शामिल हैं, जिन्हें नोटिस जारी किए जाने थे।

भारत इस समय कोयला आपूर्ति की समस्या से जूझ रहा है। देश में 53 करोड़ टन कोयले का उत्पादन हुआ है, जो कुल मांग से 8 करोड़ टन कम है। इस कमी की भरपाई आयात के जरिये पूरी की जा रही है। कोयला खनन में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के एकाधिकार को समाप्त करने और उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने 1993 से 2009 के बीच कोयला ब्लॉक आवंटित किए थे।

इन ब्लॉक में करीब 3,500 करोड़ टन कोयला भंडार होने का अनुमान था। इसमें से ज्यादातर निजी क्षेत्र की कंपनियों को दिए गए थे।

यह विवाद उस आरोप से उपजा है, जिसमें कहा गया है कि सरकार ने इन कंपनियों को बेहद कम कीमत पर कोयला ब्लॉक आवंटित कर उन्हें मोटा मुनाफा कमाने में मदद की। कैग की एक रिपोर्ट में कोयला ब्लॉक आवंटन से सरकार को 10.6 लाख करोड़ रुपये का घाटा होने की बात कही गई है।

हालांकि रिपोर्ट का मसौदा सार्वजनिक होने के बाद कैग ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर स्वीकार किया था कि यह मसौदा शुरुआती है और तस्वीर बदल भी सकती है।

प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखी चिट्ठी में सीएजी ने कहा है कि रिपोर्ट में जो तथ्य छपे हैं वो उसके नहीं हैं। सरकार ने सीएजी की ओर से आई सफाई जारी करते हुए कहा है कि कोल ब्लॉक्स के आवंटन से सरकार को जो 10.7 लाख करोड़ रुपये के घाटे की बात कही गई है वो गुमराह करने वाली है। क्योंकि सीएजी के मुताबिक कोल ब्लॉक्स के आवंटन से सरकार को कोई नुकसान नहीं हुआ है।

प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखी चिट्ठी में सीएजी ने कहा है कि ऑडिट रिपोर्ट अभी तैयार ही नहीं हुई है, उस पर काम जारी है। लेकिन ये सारे बयान प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी किए गए हैं, अभी तक सीएजी ने खुद सामने आकर कोई सफाई नहीं दी है।

निजी ब्लॉक समीक्षा का यह दूसरा चरण है। पिछले साल शुरू किए गए पहले चरण में मंत्रालय ने 84 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

कंपनियों द्वारा ब्लॉक विकसित करने में हुई देरी पर संतोषजनक जवाब नहीं दिए जाने के बाद 14 ब्लॉक आवंटन और एक लिग्नाइट ब्लॉक रद्द कर दिया गया था। सरकार के इस फैसले की मार एनटीपीसी समेत सार्वजनिक क्षेत्र की 6 कंपनियों पर पड़ी थी। हालांकि एनटीपीसी को बाद में तीन ब्लॉक लौटा दिए गए थे। कुल मिलाकर 31 दिसंबर 2011 तक करीब 25 ब्लॉक आवंटन रद्द किए जा चुके हैं।

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