चिटफंड कंपनियों की संपत्ति पर बस्ती वालों को बसाने का ऐलान और वाम वापसी का आखिरी मौका
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन निर्मायक मोड़ पर है।जनांदोलनों से बेदखल वाम का जनाधार भी खिसक गया है और देशभर में केसरिया कारपोरेट राज के समामने उसकी जन प्रतिबद्ध विचारधारा अपनी धार खो चुकी है।करीब चार दशक तक संसदीय राजनीति के दलदल में फंसी वाम राजनीति अब अवसान की ओर तेजी से बढ़ती नजर आ रही है।जिस बंगाल में केन्द्रित रही है पिछले चार दशकों की वाम राजनीति,वहां उसकी साख खत्म है।लेकिन अब शारदा फर्जीवाड़े के बाद परिवर्तन के तहत विपुल जनसमर्थन के साथ ममता बनर्जी के नेतृत्व में मां माटी सरकार के भ्रष्ट चेहरे के बेनकाब हो जाने के बाद बंगाल में एकदफा फिर वाम की वापसी की सरगर्मी तेज होने लगी है।जो देश के लिए अहम भी है।
बंगाल में जिस तेजी से सारे राजनीतिक कार्यकर्ताओं,नेताओं और समर्थकों का केसरिया कायाकल्प हुआ है,उससे पैतीस साल के वामजमाने में बंगाली राष्ट्रवाद में तब्दील वम राजनीति का सबसे बड़ा हाथ है।समाचार माध्यमों से लेकर साहित्य और संस्कृति जगत में जो तंत्र मंत्र यंत्र और धार्मिक क्रियाकर्म की राजनीति का वर्चस्व बना है,उसी जमीन से पद्म प्रलय की नींव बनी है।
जाहिर है कि बंगाल की जागीर मुफ्त में हासिल करने की पूरी तैयारी में हैं अमित साह।तो इसी बीच ममता बनर्जी ने अदृश्य आत्मसमर्पण कर दिया है।
वोट बैंक समीकरण को छेड़े बिना राज्यसभा में भाजपा सरकार को समर्थन देकर और बंगाल में पीपीपी माडल लागू करके अघोषित तौर पर ममता बनर्जी,उनकी सरकार और उनकी पार्टी अपने दागी चेहरों को बचाने की फिराक में हैं,जबकि अगली विधानसभा चुनाव में बंगाल दखलकी उज्ज्वल संभावनाओं के मद्देनजर संघ परिवार दीदी के बचाव का कोई फतवा जारी करेगा,नागपुर से ऐसे संकेत अब तक न मिले हैं और न सीबीआई जांच में कोई ढील दी जा रही है।यह वाम की वापसी का सबसे बेहतरीन मौका है।
पैतीस साल के सत्ताभोग और सत्ता से बेदखली के तीन वर्ष बाद माकपा की ओर से आपरेशन बर्गा के तहत जोतदारों की जमीन दखल की तर्ज पर चिटफंड कंपनियों की संपत्ति दखल अभियान आगामी 11 सितंबर से शुरु करने का ऐलान करके माकपा ने फिर 1977 से पहले की वाम राजनीति की वापसी की याद दिला दी है।
वाम नेता गौतम देब ने विचित्र अंगभंगी सबहकारे शारदा फर्जीवाड़े मामले में अमित शाह की शाही रणनीति के खुलासे के बाद चिटफंड कंपनियों की इमारतों में रेलवे लाइन,नदीकिनारे,नालों के आरपार और झील क्षेत्रों में किसी तरह गुजर बसर करने वाले लाखों लोगों को बसाने का ऐलान करके सनसनी फैला दी है।
वाम राजनीति ने आपरेशन वर्गा से भी पहले भारत विभाजन के बाद बंगाल भर में पूर्वी बंगाल से आये शरणार्थियों का जबर दखल कालोनियां थोकदरों पर बसायी थीं।
दरअसल कामरेड तो यह भूल ही गये ते कि आपरेशन वर्गा और शरणार्थी कालोनियां वाम कैडरकी प्रजनन भूमि रही है।
बेहतर होता कि यह ऐलान पोलित ब्यूरो का कोई नेता,या राज्यमाकपा सचिव या फिर सूर्य कांत मिश्र स्वयं करते क्योंकि प्रेस कांफ्रेस में जंगी वाम आंदोलन की इस नई शुरुआत का आगाज गौतम देव ने अपनी जिस विशिष्ट शैली में किया,उससे उसकी प्रमाणिकता कम होती है।टीवी पर लाइव यह प्रेसकांफ्रेस देखना उनकी अंगभंगिमाओं की वजह से काफी कष्टकर रहा।लेकिन इससे इसका महत्व कम नहीं हो जाता।
A senior CPI(M) leader today threatened "active resistance" against the Trinamool Congress and chit fund companies inWest Bengal while claiming that the ruling party should not misconstrue time given to it to work by the Left as its weakness.
"We will launch active resistance against Trinamool Congress and the chit fund companies in order to highlight the nexus between the two," party Central Committee member Goutam Deb told newspersons at Barasat district party office here.
"Chit fund companies have flourished under this regime and public money has been misused by these," he claimed.
"As a responsible opposition, we had given the Trinamool Congress time to work and see what it does for public good, but now we will take to the streets to protest against its misrule and conduct," he said.
Regarding the CBI investigation into the Saradha chit fund scam, Deb said, "I feel that the way investigation is advancing, it will reach a logical conclusion."
Talking about BJP's prospects at Basirhat South Assembly constituency bye-election in North 24-Parganas district, of which he is the party district president, Deb said "though they had garnered a percentage of votes in the Lok Sabha elections from here, it will be a different ball game in the Assembly polls."
Bye-elections are scheduled on September 13 at Basirhat South and Chowringhee Assembly seats.
माकपा नेता गौतम देव ने भी दावा किया है कि इमरान जेआईबी का सक्रिय सदस्य है। संगठन प्रमुख मतिउर रहमान निजामी से इमरान के करीबी संबंध हैं।
देव ने कहा कि वर्ष 2011 में ही उन्होंने यह खुलासा किया था। उस समय उनकी बात को कोई महत्व नहीं दिया गया था। देव ने कहा कि सारधा घोटाले की जांच अगर सही ढंग से हुई तो तृणमूल के सभी नेता जेल जाएंगे।
तृणमूल कांग्रेस ने जब इमरान को राज्यसभा सदस्य के लिए चयनित किया गया था, उस समय भी मीडिया में इमरान के बांग्लादेश के कटरपंथी संगठनों से संबंध होने की खबर आई थी। लेकिन, तृणमूल कांग्रेस ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया था।
वामदलों को दो करोड़ वोट बंगाल में विधानसभा चुनाव में मिले हैं।लोकसभा चुनाव के मुकाबले विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के वोट काफी घटे हैं।
हालत यह कि पालतू अखबारों और टीवी चैनलों कि चिटफंड प्रायोजित जब्रदस्त प्रकाशन और प्रसारण के बावजूद,दीदी के विधानसभा क्षेत्र भवानीपुर में सत्ताइस क्लबों को सुदीप्त सेन की ओर से करोड़ों की खैरात बाटने के बावजूद भाजपा को बढ़त मिल गयी।
कांग्रेसी और तृणमूली कैडरों के फेंस के आर पार जाने की यह प्रक्रिया विधानसभा चुनावों में और तेज हो ,अमितसाह और बंगाल में उनके सिपाहसालार जाहिर है कि इसमें कोई कसर नहीं छोड़ेगे।
दीदी की साख तेजी से खत्म होती जा रही है और बंगाल में गायपट्टी के पापुलर चरित्र हननकारी नारे गूंजने लगे हैं।रोज नये खुलासे में तृणमूली संगठन के लोग फंसे जा रहे हैं तो कांग्रेस साइन बोर्ड में तब्दील है।
जनांदलन की पहल जाहिर है कि वाम को ही करना होगा और जनांदोलन के रास्ते ही बंगाल में केसरिया बढ़त रोकी जा सकती है।लगता है,पार्टी संगठन और नेतृत्व में परिवर्तन से सिरे से इंकार कर रहे नेतृत्व ने बचाव का यह आखिरी आक्रामक रणनीति अपनायी है।
बंगाल में अगर वाम आंदोलन नये सिरे से शुरु हो जाने के हालात बनते हैं और उसे जनता का व्यापक समर्थन मिलता है तो गठबंधन और सौदे की राजनीति से शायद ज्यादा कारगर हो सकती है यह रणनीति और निर्णायक तरीके से महज बंगाल में नहीं,बाकी देश में भी ऴाम वापसी की संभावना बन सकती है,बशर्ते कि संघ परिवार की तरह माकपा संगठन में जरुरी फेरबदल हो जाये और नेतृत्व में सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व मिले।
अब देखना है कि ऐसा किस हद तक हो पाता है।दूसरी ओर,करोड़ों रुपये के शारदा चिटफंड घोटाले की आंच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक पहुंचती देख तृणमूल कांग्रेस बेचैन हो रही है।
गौरतलब है कि मामले की जांच कर रही सीबीआई ने ममता बनर्जी के रेलमंत्री रहते इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईआरसीटीसी) और सारधा समूह के बीच तार जुड़े होने का खुलासा किया है। इसके बाद विरोधी दल माकपा, कांग्रेस व भाजपा बंगाल मुख्यमंत्री पर हमलावर हो गए हैं।
सीबीआई के खुलासे के बाद मंगलवार को तृणमूल ने कहा कि केंद्र जांच एजेंसी का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के रूप में कर रही है। तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल राय ने कहा कि सीबीआई एक राजनीतिक संगठन की तरह काम करती है। इसके अलावा मामले में ममता के परिवहन मंत्री मदन मित्र को भी सीबीआई द्वारा तलब किए जाने की उम्मीद में विपक्ष खुश है और बंगाल सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है।
चिटफंड कंपनी शारदा समूह की काली कमाई का एक मोटा हिस्सा बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमायत-ए-इस्लामी बांग्लादेश (जेआईबी) को जाता था। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य अहमद हसन इमरान के मार्फत भारतीय नोट बांग्लादेशी मुद्रा में तब्दील कर सीमा पार भेजे जाते थे।
सीबीआई को सोमवार को शारदा चिटफंड घोटाले में गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस से निष्कासित राज्यसभा सदस्य कुणाल घोष से पूछताछ में यह सनसनीखेज जानकारी हाथ लगी है।
दो दिन पहले ही कुणाल घोष ने तृणमूल सुप्रीमो व राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सारधा समूह से सर्वाधिक लाभान्वित शख्स बताया था। कुणाल घोष के इस नए खुलासे से आरोप को लेकर पहले से ही सकते में आई तृणमूल कांग्रेस की परेशानी और बढ़ गई है। इस संबंध में अब तक तृणमूल की ओर से कोई बयान नहीं आया है।
सीबीआई सूत्रों के अनुसार कुणाल ने बताया कि सारधा समूह के चेयरमैन सुदीप्त सेन के उर्दू दैनिक के संपादक इमरान का इस्लामिक मूवमेन्ट ऑफ इंडिया (सिमी) से करीबी संबंध है। बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ आंदोलन के लिए इमरान सुदीप्त सेन से पैसे लेकर जेआईबी को भेजते थे।
इमरान के कहे अनुसार एम्बुलेंस में नकदी भर कर बांग्लादेश सीमा से सटे शारदा समूह के कलेक्शन सेन्टर पर भेजा जाता था। वहां कोलकाता का एक व्यवसायी भारतीय मुद्रा को बांग्लादेशी एवं अन्य यूरोपीय देशों की मुद्रा में बदल देता था। फिर जेआईबी की सशस्त्र वाहिनी की निगरानी में उसे सीमा पार ले जाया जाता था।
सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि कुणाल के इस आरोप की जांच की जा रही है। अगर यह साबित होता हो तो इस मामले में जुड़े सभी लोगों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मामला चलेगा।
शारदा घोटाले की जांच में जुटे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक अधिकारी ने बताया कि इमरान से पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि उर्दू दैनिक कलम को इमरान ने सुदीप्त सेन को कितने रूपए में बेचा था। वो रकम कहां गई।
गौरतलब है कि करोड़ों रुपये के शारदा चिटफंड घोटाले के आरोपी व तृणमूल कांग्रेस के निलंबित राज्यसभा सदस्य कुणाल घोष ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सारधा से सबसे ज्यादा लाभ उठाया। उसने दावा कि सारधा समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन व मुख्यमंत्री के सामने मुझसे पूछताछ की जाए तो सच्चाई सामने आ जाएगी।
शनिवार को अदालत में पेशी के दौरान कुणाल के विस्फोटक बयान से बंगाल का राजनीतिक माहौल गर्मा उठा।
आईआरसीटीसी व शारदा के बीच करार की जानकारी के लिए कुणाल को 12 सितंबर तक सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया है।
कुणाल के बयान को सही ठहराते हुए माकपा के वरिष्ठ नेता व सांसद मुहम्मद सलीम ने कहा कि एक समय ममता, कुणाल व सुदीप्त एकसाथ थे, कुणाल का आरोप सही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री व सुदीप्त सेन के साथ कुणाल से पूछताछ की जानी चाहिए। भाजपा नेता तथागत राय ने कहा कि मुख्यमंत्री का नाम सामने आया है तो उन्हें जांच का सामना करना चाहिए।
मुख्यमंत्री का बचाव करते हुए तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि कुणाल घोष सजा के डर से ममता बनर्जी का नाम ले रहे हैं। उन्होंने मीडिया द्वारा मुख्यमंत्री को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मीडिया संस्थानों द्वारा विज्ञापन के नाम पर चिटफंड कंपनियों से लिए गए पैसों की भी जांच होगी।
गौरतलब है कि इसी बीच भाजपा के लिए जमीन विस्तार का लक्ष्य लेकर पश्चिम बंगाल पहुंचे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख पर निशाना साधा। करोड़ों रुपये के सारधा चिटफंड घोटाले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम आने के बाद उनकी चुप्पी पर शाह ने सवाल उठाए। कहा, घोटाले में अपने लोगों को फंसता देख दीदी ने चुप्पी साध ली है। उन्होंने चुनौती के अंदाज में कहा कि मुख्यमंत्री भाजपा के लिए बंगाल का रास्ता छोड़ दें। ऐसा नहीं किया तो अगले विधानसभा चुनाव में जनता उन्हें खुद रास्ते से हटा देगी। घुसपैठ के मुद्दे पर कहा कि दीदी को प्रदेशवासियों से ज्यादा बांग्लादेशियों की चिंता है।
दैनिक जागरण के मुताबिक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनौती देते हुए कहा कि वह राज्य को नहीं चला पा रही हैं तो रास्ता छोड़ दें, भाजपा बंगाल में सुशासन देगी। अगर दीदी जगह नहीं छोड़ती है तो राज्य की जनता उन्हें 2016 में हटा देगी। साह ने रविवार को बहूबाजार में विधानसभा उप चुनाव में चौरंगी से पार्टी उम्मीदवार रितेश तिवारी के समर्थन में आयोजित चुनावी सभा को संबोधित करते हुए यह बातें कही।
उन्होंने कहा कि माकपा ने 30 वषरें से अधिक समय के शासन में बंगाल को नुकसान पहुंचाया। बंगाल की जनता ने सिंगुर और नंदीग्राम में किसानों की जमीन के लिए परिवर्तन के नाम पर ममता बनर्जी को जिताया लेकिन सही मायने में यहां कोई परिवर्तन नहीं हुआ। माकपा और तृणमूल कांग्रेस मौसेरी बहनें है। एक की जगह दूसरी चली आयी लेकिन राज्य की जनता की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। गुंडागर्दी, बेरोजगारी और उद्योगों के उजड़ने में कोई कमी नहीं आई। दीदी राजनीति करने में व्यस्त रहीं। उन्हें राज्यवासियों की नहीं बल्कि बांग्लादेशी घुसपैठिये की चिंता है। ममता के तीन वर्षों के शासन में बांग्लादेशी घुसपैठिये की संख्या में पांच गुणा वृद्धि हुई है।
शाह ने कहा कि सिंगुर और नंदीग्राम में 2 हजार लोगों की जमीन के लिए ममता ने अनशन किया था लेकिन सारधा घोटाला में राज्य के 17 लाख लोगों का पैसा डूबा है। 17 लाख लोगों के पैसा के लिए ममता सड़क पर नहीं उतरी। इसलिए कि घोटाले में उन्हीं के चेले चपाटे लिप्त हैं। घोटाले में जो दोषी हैं सभी जेल में डाले जाएंगे।
शाह ने ममता सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को सबके साथ समान समान व्यवहार करना चाहिए तभी जाकर बंगाल जैसे सीमावर्ती राज्य में शांति आ सकती है। निर्दोष लोगों पर तृणमूल कांग्रेस के लोग जो हमले कर रहे हैं वह तुरंत बंद होना चाहिए।
भाजपा अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव में दो सीटें जिताने के लिए राज्य की जनता के प्रति आभार व्यक्त किया और विधानसभा उप चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों को जिताने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि अगले साल कलकत्ता कार्पोरेशन का चुनाव तथा 2016 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत होगी। साह ने बंगाल की जनता से एक बार भाजपा को मौका देने की अपील की।
शाह ने केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के 100 दिनों की उपलब्धियां गिनायी।
उन्होंने कहा कि देश का औद्योगिक विकास, कृषि विकास तथा गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाने सहित कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की गयी है। महंगाई पर नियंत्रण के प्रयास किए गए हैं। 100 दिनों में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता का भरोसा जीता है। प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के प्रमुखों को आमंत्रित कर साफ कर दिया गया कि भारत पड़ोसी देशों के साथ चलना चाहता है। भारत की पहल पर पाकिस्तान के साथ सचिव स्तर की वार्ता शुरू हुई। लेकिन पाकिस्तान ने जब अलगाववादियों से बातचीत शुरू की तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्पष्ट कह दिया कि दोनों एक साथ नहीं चल सकता। मोदी ने दो टूक शब्दों में कहा दिया कि या तो पाकिस्तान अलगावदियों के साथ ही बातचीत करे या सरकार से करे। लंबे समय के बाद देश में इस तरह की मजबूत विदेश नीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनायी। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि देश की सुरक्षा से बड़ा कुछ नहीं है। भारत सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं कर सकता है।
TMC Chief Knows Where the “LOST” Money has Gone: Gautam Deb
'Mamata Banerjee knows very well where the “lost” money of the Saradha Scam has gone', remarked Gautam Deb, Central Committee member of the CPI (M) and North 24 Parganas District Secretary, at a press conference on 10thMay, 2014. He said that the CM Mamata Banerjee held a secret meeting with Sudipto Sen, the chief accused, at the Delo Bungalow of Kalimpong. She even met Gautam Kundu, owner of another chit fund, Rose Valley, at the same bungalow. He questioned why government money was spent to save TV channels owned by chit funds; why the channel owned by Sudipto Sen changed hands illegally while he was in prison; how could she deny selling her painting whiach she publicly announced as auctioned off; why the amount it was auctioned at is shown as 3 crores somewhere and 10 crores somewhere else; where did the 16 lakhs allotted to each candidate in the last Assembly elections come from; Why are Srinjoy Basu, Kunal Ghosh, KD Singh, Ahmed Hossain (Imran) who all are openly involved in the Chit Funds, were selected as TMC candidates and why the Chit Fund owned magazine “Kalam” was purchased with public funds.
Gautam Deb said that the TMC led terror in North 24 Parganas has been reigned in to a certain extent. The election commission has been informed of high-risk booths. He also lodged a complaint about sending EVM machines in the custody of armed home guards and not with state police or central forces. He also elaborated about the measures that the party has planned in the North 24 Parganas to resist rigging, including spy cameras and vigilance on waterways.
Gautam Deb sent out a clear message to the people at large that the Left Front will not give up on the struggle to defend the rights of the people to exercise their democratic will. The Left Front in all the constituencies will stand up and resist any attempt to thwart the election process and will fight against it.
May 10, 2014
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