Wednesday, 24 April 2013 10:22 |
अरविंद कुमार सेन भारत-इयू मुक्त व्यापार समझौते की दूसरी सबसे स्याह तस्वीर वाहन उद्योग के खाते में आई है। इयू खासकर जर्मनी बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज बैंज, आॅडी और पोर्श जैसी दुनिया की विशाल वाहन कंपनियों का घर है। जर्मनी की अगुआई में इयू का कहना है कि भारत को पूरी तरह से बनी कारों (सीबीयू) पर लगने वाला आयात शुल्क खत्म करना चाहिए। सीबीयू का मतलब है कि बीएमडब्ल्यू या मर्सिडीज बैंज अपने जर्मनी स्थित संयंत्रों में कार का उत्पादन करती हैं और इस कार को पूरी तरह बने हुए रूप में भारत बेचने के लिए भेज देती हैं। चूंकि कार का निर्माण जर्मनी में हुआ है, लिहाजा इसके निर्माण से हासिल राजस्व वहां की सरकार को, नौकरी और रोजगार जर्मन नागरिकों को ही मिले हैं। मुनाफा कमाने की इस पतली गली पर रोक लगाने और अपने देश में रोजगार बढ़ाने के लिए दुनिया के कई देश ऐसी सीबीयू कारों पर ज्यादा आयात शुल्क लगाते हैं ताकि वाहन कंपनियां अपने मूल देश के बजाय कारोबार वाले देश में ही वाहन निर्माण संयंत्र लगाने को मजबूर हों। यूरोपीय कंपनियां भारत के बाजार में कार बेच कर मुनाफा तो कमाना चाहती हैं लेकिन कारों का निर्माण अपने ही देश में करना चाहती हैं, इसलिए भारत-ईयू समझौते के जरिए आयात शुल्क को साठ फीसद से घटा कर दस फीसद करने पर अड़ी हुई हैं। यूरोपीय वाहन कंपनियों को दी जा रही इस इकतरफा छूट के घातक परिणाम देखने को मिलेंगे और इसकी झलक मिलनी शुरू हो चुकी है। जापानी और अमेरिकी वाहन कंपनियों ने भारत में श्रीपेरेम्बदुर, पुणे-चाकन, साणंद और गुड़गांव-माणेसर में अपने वाहन निर्माण संयंत्रों में खासा निवेश कर रखा है। इन कंपनियों का कहना है कि आठ लाख से ज्यादा भारतीयों को नौकरी दिए जाने के बावजूद सरकार यूरोपीय वाहन कंपनियों को इकतरफा छूट दे रही है, जो पूरी तरह भारत में गाड़ियां बना रही देशी-विदेशी कंपनियों को बर्बाद करके रख देगी। जापानी कंपनियों का कहना है कि जब यूरोपीय कंपनियां अपने देश में गाड़ियां बना कर भारत में बेच सकती हैं तो बाकी कंपनियों को भी ऐसी छूट मिलनी चाहिए। भारत-इयू समझौते में पुरानी यूरोपीय कारों का भारत में आयात करने पर लगने वाले शुल्क में भी छूट दिए जाने का प्रावधान किया जा रहा है। जब यूरोप की सड़कों पर पुरानी पड़ चुकी कारें सस्ते दाम पर भारत में बेचने की आजादी हो तो कोई कंपनी क्यों भारत में वाहन निर्माण संयंत्र लगाना चाहेगी! याद रहे, यूरोप का बाजार विकास की चरम अवस्था देखने के बाद अब ढलान की तरफ है जबकि भारत में आमदनी बढ़ने के साथ वाहनों की मांग बढ़ती जा रही है। प्रस्तावित सौदे से केवल यूरोपीय वाहन कंपनियों को फायदा होगा। हर कोई जानता है कि वैश्वीकरण के बाद केवल दो क्षेत्रों (सूचना प्रौद्योगिकी और दवा) में भारतीय कंपनियां बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मुकाबला कर पाई हैं। दोनों ही क्षेत्रों की कंपनियां सरकारी समर्थन के बिना आगे बढ़ी हैं। अब यूपीए सरकार ने इन दोनों क्षेत्रों की सफलता को भी यूरोपीय कंपनियों के पास रेहन रखने का इरादा कर लिया है। कैंसर-रोधी दवा ग्लीवेक का मुकदमा उच्चतम न्यायालय में हारने वाली स्विस कंपनी नोवार्तिस समेत भीमकाय यूरोपीय दवा कंपनियां भारत-इयू समझौते की मार्फत अपनी पेटेंट वाली महंगी दवाएं भारतीय बाजार में बेचने के लिए इकतरफा बौद्धिक अधिकार हासिल करना चाहती हैं, मगर यूरोपीय बाजार से भारत की जेनेरिक दवा कंपनियों को बाहर रखना चाहती हैं। ऐसे में समझौते के अमली जामा पहनने के बाद जहां भारत में दवाओं की कीमतों में इजाफा होगा वहीं भारतीय जेनेरिक कंपनियों के निर्यात बाजार में कटौती हो जाएगी। भारतीय आइटी कंपनियां चाहती हैं कि भारत-इयू समझौते के जरिए उनको यूरोप में डीएसएस (डाटा सिक्योर स्टैट्स) दर्जा दिया जाए। डीएसएस दर्जा मिलने के बाद भारतीय कंपनियां यूरोपीय देशों में होने वाली कारोबार नीलामी प्रक्रिया में भाग ले पाएंगी। मगर इयू भारतीय आइटी कंपनियों को यह दर्जा देने की बात से पीछे हट चुका है। कई दरबारियों के विरोध के बावजूद जहांगीर ने अंग्रेजों को पूरे भारत में कारोबार का अधिकार दे दिया। परिणाम, एक जमाने में भारत का गौरव माने जाने वाले बंगाल, बिहार और ओड़िशा को इस कदर लूटा गया कि ये तीनों सूबे आज तक उस लूट से पैदा हुई गरीबी और भुखमरी से नहीं उबर पाए हैं। वक्त का आईना भारत-इयू मुक्त व्यापार समझौते से मचने वाली लूट की काली तस्वीर दिखा रहा है। मगर अफसोस, हमारी सरकार इसे देखने से इनकार कर रही है। http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/20-2009-09-11-07-46-16/43061-2013-04-24-04-54-59 |
BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7
Published on 10 Mar 2013
ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH.
http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM
http://youtu.be/oLL-n6MrcoM
Thursday, April 25, 2013
मुक्त व्यापार का हथियार
मुक्त व्यापार का हथियार
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