Mamata announces Rs 500 cr relief, attacks Centre
सुदीप्तो ने लिखा खत, तृणमूल सांसदों पर लगाया ब्लैकमेलिंग का आरोप
सुदीप्तो को आज हवाई जहाज से दिल्ली लाया जाएगा और ट्रेन से गुरुवार को कोलकाता ले जाया जाएगा। सुदीप्तो ने कोर्ट से कहा है कि वह कोलकाता पुलिस के साथ पूरा सहयोग करेगा। सुदीप्तो पर लाखों लोगों की जमा पूंजी हड़पने का आरोप है। जम्मू-कश्मीर के सोनम में सुदीप्तो के साथ उसके दो सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया, इनमें सुदीप्तो का दोस्त अरविंद और देबजानी शामिल हैं।
वहीं एक अंग्रेजी अखबार (इंडियन एक्सप्रेस) के हवाले से खबर है कि सुदिप्तो सेन सीबीआई को एक 18 पेज का खत लिखा है। सूत्रों का कहना है कि इस पत्र में कई नेताओं और अधिकारियों के नाम हैं, जिन्होंने कंपनी का बेजा इस्तेमाल किया।
(इंडियन एक्सप्रेस की खबर पढ़ें)
माना जा रहा है कि इससे बंगाल के कई नेताओं और अधिकारियों की चिटफंड कंपनी में सांठगांठ के बारे में खुलासा होगा। साथ ही साथ सुदिप्तो ने सीबीआई को लिखे इस खत में कई मंत्रियों पर ब्लैकमेलिंग के आरोप भी लगाए हैं।
सूत्रों के मुताबिक,शारदा ग्रुप के मीडिया कारोबार के सीएमडी और राज्यसभा सांसद कुणाल घोष और सृंजॉय घोष पर आरोप लगाए हैं।
अब जब तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के सामने अपने सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है, ऐसे में बोस का कहना है कि उनका चिटफंड कंपनी के साथ कोई संबंध नहीं है।
राज्यसभा के सांसद सृंजॉय बोस ने कहा कि जिस समाचार पत्र के वह मालिक थे वह शारदा ग्रुप द्वारा चलाए जा रहे चैनल को सामग्री उपलब्ध करा रहे थे। यह सब एक समझौते के तहत हो रहा था जो पिछले वर्ष मई में समाप्त हो गया क्योंकि शारदा ग्रुप द्वारा दिए गए चैक बाउंस हो रहे थे। उन्होंने कहा कि यह सब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इसलिए नहीं बताया गया क्योंकि यह एक व्यावसायिक समस्या थी और ममता बनर्जी को बताने का मतलब होता कि पार्टी प्रमुख का गलत इस्तेमाल।
पिछले वर्ष अप्रैल तक कुणाल घोष शारदा के मीडिया समूह के प्रमुख रहे हैं। उनका तर्क है कि वह एक वेतन लेने वाले कर्मचारी से ज्यादा कुछ नहीं थे। उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी के चिट फंड की गड़बड़ी के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी।
कई निवेशखों और एजेंटों का कहना है कि उन्होंने कंपनी में पैसे इसलिए लगाए क्योंकि ऐसा लगा था कि कंपनी के पीछे तृणमूल कांग्रेस है। ममता बनर्जी ने कहा कि शारदा ग्रुप से उनकी पार्टी का कोई नाता नहीं है और जो लोग यह बोल रहे हैं वह उनके विरोधी दल लेफ्ट के लोग हैं। बता दें कि पिछले वर्ष शारदा ग्रुप के दो प्रकाशनों के कार्यक्रमों में मौजूद थीं।
West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee on Wednesday defended her government in the chit fund scam and lauded the police force for doing a "good job". She also announced a Rs 500 crore relief fund for the small and medium-term investors hit by the scam. She said that Rs 150 crore of the fund would be raised through a 10 per cent surcharge on cigarettes and the rest through other means.
Mamata attacked the Left saying its members would be exposed soon and warned that if anybody from the Trinamool Congress "has done an illegal thing, legal remedy will be taken".
She did not spare the Centre either asking why it hadn't acted against the ponzi schemes earlier. "When Centre can take money from state as interest on loans, how can they not act on chit fund companies?" Mamata asked. She further said that she would call a special Assembly session to enact a law to regulate chit funds.
Mamata Banerjee said that Rs 150 cr of the fund would be raised through a 10 pc levy on cigarettes and the rest through other means.
"I request all people to carefully invest their money in future. We seek your cooperation in this. Do not politicise the issue. Instead, stand by the people," she added.
TMC seeks probe, says it's up to party MPs to quit
The Trinamool Congress, under fire from the Congress and the Left over the West Bengal chit fund scam, has said that it had no role to play in it. Party leader Saugata Roy said, "The TMC as a party is not involved in the scam. This has been done by a scamster. I have no knowledge of any personal connection between the TMC and the Saradha group."
He, however, said that the charges levelled against the TMC MPs were serious and the state government was handling "the investigation with all seriousness". "A judicial commission has been formed. The state government is planning to call a special Assembly session to enact a law against chit fund," he said.
He added that it would be "nice if they step down, but it's according to them and what our party leadership decides". "The MPs should defend themselves," he added.
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সারদা কেলেঙ্কারির দায় এড়াতে গরীব মানুষদের জন্য ৫০০ কোটি টাকার রিলিফ ফান্ডের ঘোষণা করলেন মুখ্যমন্ত্রী। বুধবার সন্ধেবেলা মহাকরণে সাংবাদিক সম্মলনে করে মুখ্যমন্ত্রী বলেন, গরীব মানুষদের জন্য ৫০০ কোটি টাকার রিলিফ ফান্ডের পাশাপাশি তামাক জাতীয় দ্রব্যের ওপর ১০ শতাংশ কর বসিয়ে ক্ষতিপূরণের চেষ্টা করবে সরকার। বাকি টাকা সাধারণ মানুষের ওপর চাপ না দিয়ে অন্য উপায়ে তোলা হবে বলে আশ্বাস দেন মুখ্যমন্ত্রী। সেইসঙ্গেই চিট-ফান্ডে কেন্দ্র-বামেদের ঘাড়েও দোষ চাপান মুখ্যমন্ত্রী।
এ দিন সাংবাদিক সম্মেলনে মুখ্যমন্ত্রী বলেন, কমিশনের জন্য গেজেট নোটিফিকেশন দেওয়া হবে। সেই সঙ্গেই সারদা কান্ডের তদন্তের ভার শ্যামল সেন কমিশন নেবে বলেও আরও একবার জানান তিনি। সাফাই গেয়ে মুখ্যমন্ত্রী বলেন, সারদা কাণ্ডের সঙ্গে সরকারের কোনও যোগাযোগ নেই। রাজ্য সরকারের কোনও আইনও নেই। ৮ ফেব্রুয়ারি চিঠি পাঠানো হয়েছে কেন্দ্র সরকারকে। পুলিসও দায়িত্ব নিয়েই কাজ করছে। আইন পাশ করতে আগামী ২৯ থেকে ৬ তারিখের মধ্যে যে কোনও দিন সংসদে অধিবেশন ডাকা হবে বলে জানিয়েছেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়।
তৃণমূল নেতাদের দিকে অভিযোগের আঙুল তুলে সিবিআইকে ১৮ পাতার চিঠি দিয়েছেন সারদা গোষ্ঠীর কর্ণধার সুদীপ্ত সেন। চিঠিতে অভিযোগ করেছেন, তৃণমূলের রাজ্যসভার দুই সাংসদ তাঁকে নানাভাবে ব্ল্যাকমেল করেছেন। ব্ল্যাকমেলের অভিযোগ আনা হয়েছে অসমের এক মন্ত্রীর বিরুদ্ধেও।
ইতিমধ্যেই চিঠির প্রতিলিপি এসে পৌঁছেছে বিধাননগর কমিশনারেটে। চিঠিতে ২২ জনের নাম উল্লেখ করেছেন সুদীপ্ত সেন। এঁদের মধ্যে বেশ কয়েকজন প্রভাবশালী রাজনীতিকও রয়েছেন।
চিঠিতে কলকাতার এক বড় ফুটবল ক্লাবের কর্তারও নাম রয়েছে। সিবিআইকে লেখা চিঠিতে সুদীপ্ত সেন দাবি করেছেন, সরকারি আশ্বাসে বিভিন্ন প্রকল্প কিনতে বাধ্য হন তিনি।
অন্যদিকে শাসকদলের সঙ্গে ঘনিষ্ঠতার অভিযোগ উঠল সারদা গোষ্ঠীর ভাইস প্রেসিডেন্ট সোমনাথ দত্তের। আজ তাকে জেরা করে পুলিস। সোমনাথ দত্ত সল্টলেক পুরসভার ভাইস চেয়ারম্যান কৃষ্ণা চক্রবর্তীর অত্যন্ত ঘনিষ্ঠ ছিলেন বলে জানা গেছে।
সূত্রের খবর সল্টলেক পুরবোর্ড গঠনের পর কলকাতার একটি পাঁচতারা হোটেলে পার্টির আয়োজন করেন সারদা গোষ্ঠীর কর্ণধার সুদীপ্ত সেন। তৃণমূল কংগ্রেসের জয়ী কাউন্সিলরদের নিয়ে সেই পার্টির আয়োজনের যাবতীয় দায়িত্ব সোমনাথ দত্তের ওপরেই ছিল বলে জানা গেছে।
সূত্রের খবর, এছাড়াও একাধিকবার সল্টলেকের পাঁচতারা হোটেলে পার্টি দেন সারদা গোষ্ঠীর কর্ণধার। সেই সব পার্টিরও দায়িত্ব এই সোমনাথ দত্তই সামলেছিলেন বলে জানা যাচ্ছে।
তবে তৃণমূল নেতাদের দিকে অভিযোগের আঙুল তুলে সিবিআইকে লেখা সুদীপ্ত সেনের চিঠির অস্তিত্ব নিয়েই সংশয় প্রকাশ করলেন সৌগত রায়। আমানতকারীদের টাকা ফেরত দেওয়া সম্ভব নয় বলেও জানিয়েছেন তিনি।
সিবিআইকে লেখা সুদীপ্ত সেনের চিঠির পরিপ্রেক্ষিতে মুখ্যমন্ত্রীকে চিঠি দিলেন তৃণমূলের ৮ সাংসদ। যেই দুজন তৃণমূল সাংসদের নামে ব্ল্যাকমেলের অভিযোগ তুলেছেন সুদীপ্ত সেন তাঁদের অবিলম্বে সরিয়ে দেওয়ার দাবি তোলা হয়েছে চিঠিতে। ৮ সাংসদ ছাড়াও কিছু মন্ত্রীও চিঠি দিয়েছেন মুখ্যমন্ত্রীকে।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में 20 हजार करोड़ का चिट फंड घोटाला सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन गया है। शारदा ग्रुप के डूबने के कारण लाखों निवेशकों की पूंजी इस घोटाले की बलि चढ़ चुकी है। चिट फंड कंपनी के मालिक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी से ही जुड़े हैं और फरार भी हैं। शारदा ग्रुप के एमडी और ममता की पार्टी से सांसद सुदीप्तो सेन फरार हैं। कंपनी के दफ्तर के बंद होने के बाद इससे प्रभावित लोग तृणमूल को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
कैसे आया मामला सामने?
वकील बसाबी रॉय चौधरी ने कलकत्ता हाई कोर्ट में इस मामले में सीबीआई जांच के लिए जनहित याचिका दायर की थी। उनके वकील सुब्रतो मुख्योपाध्याय ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने कुनाल घोष की गिरफ्तारी की भी मांग की है। तृणमूल कांग्रेस के एमपी कुनाल घोष इस चिट फंड कंपनी की मीडिया ईकाई से जुड़े थे। हालांकि उन्होंने यह कहा कि उस वक्त वह सिर्फ एक पत्रकार थे। शारदा ग्रुप पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी चिट फंड कंपनियों में से एक है। यह कंपनी निर्माण, अचल संपत्ति, पर्यटन, आतिथ्य, कृषि व्यवसायों और मीडिया से जुड़ी है। जैसे ही बाजार नियामक सेबी ने इस चिट फंड कंपनी के खिलाफ कार्यवाही शुरू की वैसे ही ग्रुप की वित्तीय हालत और लोगों का पैसा असुरक्षा के घेरे में आ गया।
कंपनी बंद होने से 1000 पत्रकार सड़कों पर
इस ग्रुप पर वित्तीय संकट मंडराया और इसको अपने 10 मीडिया संगठनों पर ताला डालने का निर्णय लेना पड़ा। करीब 10 मीडिया संगठन, अखबार और चैनल बंद हुए। इसके कारण करीब 1,000 पत्रकारों और सहकारी लोगों की नौकरी चली गयी।
निवेशक और एजेंट कर रहे आत्महत्या
ग्रुप का तो बंटाधार हुआ ही सही इस ग्रुप में पैसा लगाने वाले निवेशकों के पैरों तले जमीन खिसक गयी। कुछ निवेशक विरोध कर रहे हैं तो कई निवेशकों ने आत्महत्या करने की कोशिश की है। इस ग्रुप में अपना पैसा लगाने वाली 50 साल की वृद्ध औरत ने खुद को आग के हवाले कर दिया। 30000 रुपए तक का निवेश करने वाली उर्मिला प्रमानिक ने भी शनिवार को खुद को आग लगा ली। रविवार को इस महिला की मौत हो गयी। लक्ष्मण घोरोई डायमंड हार्बर ने जहर खा कर आत्महत्या कर ली।
एक चेयरमैन पकड़ा, एक फरार
चिट फंड कंपनी का एक निदेशक शनिवार को पुलिस की गिरफ्त में आ गया। मनोज कुमार नगेल ने कहा नामक इस निदेशक भिंडानगर से पकड़ा गया। पुलिस को अभी चेयरमैन सुदिप्ता सेन की तलाश है। उसे पकड़ने के लिए पुलिस ने एयरपोर्ट और दूसरी जगहों पर चौकसी बढ़ा दी है। ममता बनर्जी ने कहा कि भिंडानगर पुलिस स्टेशन, सीआईडी, कोलकाता पुलिस सुदीप्ता सेन की गिरफ्तारी के पीछे पड़ी है।
ममता ने मंत्रियों का किया बचाव
इस घोटाले में तृणमूल कांग्रेस के सांसद के मिले होने का प्रशन पूछने पर उन्होंने कहा कि वह तब सांसद नहीं थे। इस घोटाले में जिनकी संलिप्तता होगी उनको कानून के मुताबिक सजा मिलेगी। अभी इस मामले में पूर्व सीपीआई मंत्री और बाकी पत्रकार भी शंका के घेरे में है।
वामपंथी दलों ने ममता पर साधा निशाना
इस मुद्दे के उजागर होने के बाद ही सत्तारूढ और विपक्षी पार्टी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप मढ़ना शुरु कर चुकी हैं। सीपीआई लीडर सीताराम येचुरी ने तृणमूल पर निशाना साधते हुए कहा है कि ज्यादातर चिटफंड कंपनियां तृणमूल कांग्रेस से संबंधित हैं। एक सांसद तो ग्रुप का ब्रांड एंबसेडर है और दो सांसद भी इन कंपनियों से जुड़े हैं। यूपीए को समर्थन देने वाली तृणमूल कांग्रेस को सरकार ने अब तक इस मामले में बचा कर रखा है। ममता बनर्जी ने इन सारे आरोंपो को सिरे से खारिज कर दिया है।
ममता ने बुलाई उच्च स्तरीय जांच
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने करोड़ों रुपए के चिट फंड घोटाले में उच्चस्तरीय जांच का ऐलान किया है। साथ ही चिट फंड कंपनी शारदा ग्रुप के ढहने की जांच के लिए विशेष जांच दल बनाया है। बनर्जी ने सोमवार को यह जानकारी दी। कलकत्ता हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस श्यामल कुमार सेन पांच सदस्यीय एसआईटी (विशेष जांच दल) के अध्यक्ष होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार इस संबंध में एक अध्यादेश लाने पर भी विचार कर रही है। ऐसे घोटालों पर रोक के लिए उनकी सरकार सख्त कानून लाने के हक में है। इस सिलसिले में एक कानून का मसौदा केंद्र सरकार को भेजा है। ममता ने बताया कि कुछ और चिट फंड कंपनियों के घोटालों की जांच राज्य के पुलिस महानिदेशक एन. मुखर्जी की अध्यक्षता में गठित समिति कर रही है।
राज्य सरकार ने केंद्र पर मढ़ा दोष
बनर्जी ने कहा कि चिट फंड कंपनियां केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती है। बंगाल में श्रद्धा ग्रुप नाम की जिस चिट फंड कंपनी ने करोड़ों का घोटाला किया है उसे राज्य की पूर्ववर्ती वाम सरकार से मंजूरी मिली थी, लेकिन राज्य सरकार ने तब इसके लिए राष्ट्रपति से अनुमति लेना जरूरी नहीं समझा।
ज़ी मीडिया ब्यूरो
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की चिट फंड कंपनी के मालिक सुदीप्ता सेन ने गिरफ्तारी के बाद ममता बनर्जी की सरकार के कुछ नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सुदीप्तो ने टीएमसी नेताओं पर पैसे मांगने और ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि टीएमसी के 22 नेताओं को उन्होंने पैसे दिए हैं।
सुदीप्ता ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता मुझे ब्लैकमेल करते थे। उन्होंने कहा है कि हर नेता को वह प्रत्येक महीने 80 लाख रुपये देते थे। उन्होंने टीएमसी सांसद सुजॉय घोष और कुणाल घोष का नाम लिया है और पैसे लेने के आरोप लगाए हैं। हालांकि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।
इस बीच शारदा कंपनी में धोखाधड़ी के शिकार हुए हजारों निवेशकों की ओर से बढ़ते विरोध प्रदर्शन के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने बुधवार को कंपनी के 35 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया। चिटफंड घोटाले को लेकर शारदा ग्रुप के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने कंपनी के चेयरमैन एवं एमडी सुदीप्ता सेन के 36 कारों को जब्त कर लिया है।
इसके अलावा, कोलकाता के आसपास स्थित शारदा समूह के चार ऑफिस बिल्डिंग को भी जब्त कर लिया है। इस बीच, पश्चिम बंगाल सरकार ने एक न्यायिक आयोग का गठन किया है, जो सोमवार से निवेशकों की तरफ से शिकायतों को स्वीकार करेगी। गौर हो कि शारदा कम्पनी ने हजारों निवेशकों से कथित रूप से धोखाधड़ी की है।
शारदा समूह के बंद होने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने चिटफंड कम्पनियों की जांच के लिए विशेष जांच दल के गठन और उच्च स्तरीय जांच की घोषणा की है। http://zeenews.india.com/hindi/news/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6/tmc-%E0%A4%95%E0%A5%87-22-%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%93%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%8F-%E0%A4%B9%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A5%87-80-%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%96-%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8B/167347
এদিকে, দেবযানী মুখোপাধ্যায়ের বোনের দাবি, তাঁর দিদি কোনও ভাবেই দোষী নয়, তাঁকে ফাঁসানো হয়েছে৷ সুদীপ্ত সেন যা বলতেন, দেবযানী তা-ই করতেন৷ পেশাগত কারণেই তাঁকে কর্তার ইচ্ছায় কর্ম করতে হত বলে দাবি দেবযানীর বোনের৷
সুদীপ্ত সেনের লেখা চিঠির প্রতিলিপি এসেছে বিধাননগর কমিশনারেটের কাছে৷ জানা গিয়েছে, চিঠিতে ২২ জনের নাম রয়েছে, যার মধ্যে বেশ কয়েক জন প্রভাবশালী রাজনৈতিক নেতাও রয়েছেন৷ কলকাতার একটি নামী ক্লাবের শীর্ষ কর্তার কথাও উল্লেখ করেছেন সুদীপ্ত৷ তাঁর দাবি, সরকারি আশ্বাস পেয়েই বিভিন্ন প্রকল্পে বিনিয়োগ করতে বাধ্য হয়েছিলেন৷ তাতে তিনি আরও লিখেছেন, 'যে কোনও সময়ে আমি আত্মহত্যা করতে পারি৷ আমি অসহায় বোধ করছি৷' যদিও এই অভিযোগ খারিজ করে সৌগত রায় বলেছেন, তাঁর দলের সঙ্গে সুদীপ্ত সেনের কোনও যোগাযোগ নেই৷
ঘটনাচক্রে শাসকদলের সঙ্গে সারদা গোষ্ঠীর ভাইস প্রেসিডেন্ট সোমনাথ দত্তের ঘনিষ্ঠতার অভিযোগও উঠেছে৷ বুধবারই পুলিশ সোমনাথ দত্তকে জেরা করেছে৷ অভিযোগ, সল্টলেক পুরসভার ভাইস চেয়ারম্যান কৃষ্ণা চক্রবর্তীর সঙ্গে তাঁর অত্যন্ত ঘনিষ্ঠতা ছিল৷ জানা গিয়েছে, সল্টলেক পুরবোর্ড গঠনের পর কলকাতার একটি পাঁচতারা হোটেলে জয়ী কাউন্সিলরদের নিয়ে পার্টির আয়োজন করেছিলেন সোমনাথ৷
TMC MPs told me they will protect my business, alleges Sudipta Sen
Kolkata: CNN-IBN has accessed West Bengal chit fund scam accused Saradha group promoter Sudipta Sen's letter to the Central Bureau of Investigation (CBI) dated April 6. Sen's letter to the CBI names top politicians, journalists, lawyers as having benefited from his company. Sen, in his letter, alleges that he forayed into the media business because he initially came under vicious attack from Bengal's Pratidin newspaper represented by TMC MP Kunal Ghosh and Srinjoy Bose.
Sen, in the letter, also writes that that he entered into an agreement with Pratidin, after he bought Channel 10, that he "shall pay Rs 60 lakh per month to Pratidin and apart from that Kunal Ghosh will also be appointed as the CEO of the channel at a salary of Rs 15 lakh per month".
Sen alleges that Pratidin assured him that because of his agreement, "they will protect my business from the state and central governments" and will grant him "smooth passage to chief minister Mamata Banerjee".
Sen alleges that Kunal Ghosh, the CEO of his media business attacked him and forcefully made him sign papers which said that he had "sold Channel 10 to them for a meagre amount of Rs 55 lakh, which can never happen".
In the letter, Sen threatens to commit suicide as he is "feeling helpless because of unscrupulous persons and cheats" who have collected public money in his name. Sen says he "cannot live in a society where people call me cheat or fraud or use slang against me".
The Left and the Congress have demanded a probe into the matter. Congress leader Pradeep Bhattacharya said, "We had said earlier also said that some TMC leaders were behind Saradha group. We had earlier demanded a CBI probe into this."
Left leader Gurudas Dasgupta said that both TMC MPs Kunal Ghosh and Srinjoy Bose should step down.
The TMC, however, insisted it was not involved. Party leader Saugata Roy said, "The TMC as a party is not involved in the scam. This has been done by a scamster. I have no knowledge of any personal connection between the TMC and the Saradha group."
He, however, said that the charges levelled against the TMC MPs were serious and the state government was handling "the investigation with all seriousness". "A judicial commission has been formed. The state government is planning to call a special Assembly session to enact a law against chit fund," he said. He added that it would be "nice if they step down, but it's according to them and what out party leadership decides". "The MPs should defend themselves," he added.
Meanwhile, the Centre has clarified on chit funds saying, "Under the Chit Funds Act, 1982, chit fund businesses can be registered and regulated only by the respective State Governments. In case of failure of a chit fund business, the responsibility for winding up such a business also vests with the respective State Governments."
প্রতিশ্রুতি ছিল, রাজ্যে শিল্পে বিনিয়োগ বাড়বে। শিল্পপতিদের আগ্রহ বাড়াতে তাঁদের জন্য তৈরি করা হবে তথ্যভাণ্ডার। তাতে থাকবে শিল্প গড়তে কোথায়, কত জমি পাওয়া যাবে সেই সমস্ত তথ্য। কিন্তু সরকারের দু-বছর পূর্ণ হতে চললেও শিল্প মহল এখনও অন্ধকারে। প্রতিশ্রুতি পালনে ব্যর্থ সরকার। সঙ্কটে রাজ্যে শিল্পের ভবিষ্যৎ।
রাজ্যে বিনিয়োগের পরিমাণ বাড়াতে বেশ কিছু উদ্যোগের কথা শুনিয়েছিল নতুন সরকার। তৈরি করার কথা ছিল নতুন শিল্পনীতি, জমিনীতি, ল্যান্ডব্যাঙ্ক সহ অনেক কিছুই। কিন্তু সরকারের দু-বছর পূর্ণ হতে চললেও এখনও বাস্তবায়িত হয়নি এর কোনওটাই।
রাজ্যে শিল্পে খরার মূল কারণ হিসেবে জমিনীতির পাশাপাশি শিল্পনীতিকেও দূষছে শিল্প মহল। শিল্পনীতির মতো জমিনীতি তৈরির কাজও দুবছরে অসম্পূর্ণ। তৈরি করা যায়নি ল্যান্ড ব্যাঙ্ক। কারণ কোন দফতরের হাতে কত জমি আছে সেটাই পরিস্কার নয় জমি দফতরের কাছে। অন্যদিকে, রুগ্ন ও বন্ধ কলকারখানার জমির পরিমাণ কত তার তালিকা তৈরির দায়িত্ব দেওয়া হয়েছিল একটি বেসরকারি সংস্থাকে। ওই সংস্থাও এখনও পর্যন্ত রিপোর্ট দিতে পারেনি। ফলে প্রতিশ্রুতিমতো শিল্পপতিদের হাতে সঠিক তথ্য তুলে দিতে ব্যর্থ রাজ্য সরকার।
উল্টে প্রকাশ্যে চলে এসেছে শিল্প দফতরে পার্থ চট্টোপাধ্যায়-সৌগত রায় কাজিয়া। যার জেরে শেষপর্যন্ত উপদেষ্টা পদ থেকে সরে যেতে হয়েছে সৌগত রায়কে। আরেকদিকে, পার্থ চট্টোপাধ্যায়ের তৈরি করা শিল্পনীতির খসড়াও অনুমোদন করেননি অর্থমন্ত্রী অমিত মিত্র। যদিও মুখ্যমন্ত্রীর নির্দেশমতো, শিল্পনীতির খসড়া খতিয়ে দেখে অর্থমন্ত্রীরই তা চূড়ান্ত করার কথা। গুজরাত, মহারাষ্ট্র সহ বেশ কয়েকটি রাজ্যের শিল্পনীতি খতিয়ে দেখে শিল্পমন্ত্রী বেশকিছু শিল্পে অতিরিক্ত ইনসেন্টিভ দেওয়ার প্রস্তাব দিয়েছিলেন নিজের খসড়ায়। কিন্তু রাজ্যের আর্থিক অবস্থার কারণে তা মঞ্জুর করেনি অর্থ দফতর।
এইসব টানাপোড়েনের মধ্যেই সরকারের গত দুবছরের কাজের মূল্যায়ণ নিয়ে নতুন পুস্তিকা প্রকাশ হতে চলেছে। এর জন্য বিভিন্ন দফতরের কাছে রিপোর্ট চেয়ে পাঠিয়েছে মুখ্যমন্ত্রীর সচিবালয়। যে সব দফতরের মূল্যায়ণে মুখ্যমন্ত্রী অসন্তুষ্ট তার মধ্যে অন্যতম শিল্প দফতর।
চিট ফান্ড খুলে মিডিয়া ব্যারন হওয়ার স্বপ্ন দেখেছিলেন সারদা গোষ্ঠীর কর্ণধার সুদীপ্ত সেন৷ কিন্তু মিডিয়া ব্যবসাই কি তাঁর পতনের কারণ? পুলিশ সূত্রের খবর, এমন স্বীকারোক্তি করেছেন খোদ সুদীপ্ত সেন৷
বেহালায় জমির কারবারি থেকে সারদা গোষ্ঠীর কর্ণধার৷ আকাশ ছুঁতে চেয়েছিলেন সুদীপ্ত সেন৷ কিন্তু শেষ পর্যন্ত তাসের ঘরের মতো ভেঙে পড়ল তাঁর সাম্রাজ্য৷
কিন্তু কেন এমন হল? পুলিশ সূত্রে খবর, পতনের জন্য নিজের মিডিয়া ব্যবসাকেই কাঠগড়ায় দাঁড় করিয়েছেন সুদীপ্ত সেন৷ বিধাননগর পুলিশের দাবি, কলকাতায় আনার আগে জেরার মুখে সুদীপ্ত জানান,মিডিয়া ব্যবসায় নেমে বিপুল ক্ষতি হয়েছে৷ সেজন্যই আজ এই অবস্থা৷
অথচ, সুদীপ্ত সেনের ঘনিষ্ঠদের একাংশের দাবি, গত বছর সংস্থার বার্ষিক সাধারণ সভায় তিনি বলেছিলেন, 'কোনও সংবাদসংস্থা সারদা গোষ্ঠীর বাইরে থাকবে না৷ আমি এখন যে সংবাদ সংস্থাই দেখছি, সেটাই কিনে ফেলতে ইচ্ছা করছে৷ আপনারা সঙ্গে থাকলে আগামী দিনে হয়ত সবই কিনে ফেলতে পারব।'
হয়েওছিল তাই৷
বাংলা সংবাদমাধ্যমের জগতে আচমকাই প্রবেশ করে রাতারাতি প্রায় ডজন খানেক সংবাদপত্র, নিউজ চ্যানেল, ম্যাগাজিনের মালিক হয়ে যান সুদীপ্ত সেন৷
তারা মিউজিক,তারা নিউজ, সাউথ এশিয়া টিভি,চ্যানেল টেন-এর মতো টিভি চ্যানেল এবং বাংলা দৈনিক সকালবেলা, কলম,বাংলা ম্যাগাজিন পরমা, ইংরেজি দৈনিক বেঙ্গল পোস্ট, উর্দু দৈনিক আজাদ হিন্দ,হিন্দি দৈনিক প্রভাত বার্তা এবং গুয়াহাটি থেকে প্রকাশিত সেভেন সিস্টার্স পোস্ট সারদা গোষ্ঠীর মালিকানাধীন হয়ে যায়৷
পুলিশের দাবি, সারদা একটি সংস্থার রিসেপসনিষ্ট রেশমি লাহিড়ি জানিয়েছেন, সারদার সঙ্গে যুক্ত এক তৃণমূল সাংসদ এবং তাঁর ঘনিষ্ঠ সারদার মিডিয়া গ্রুপের ভাইস প্রেসিডেন্ট সোমনাথ দত্ত মাসখানেক আগে মিডল্যান্ড পার্কের সদর দফতরে আসেন৷ সেখানে সুদীপ্ত সেনকে হুমকি দেন তাঁরা৷ দাবি করেন, চ্যানেল টেন তাঁদের নামে লিখে দিতে হবে৷ রাজি হননি সুদীপ্ত৷ চাপের মুখে কেঁদে ফেলেন তিনি৷ বলেন, আমি এতদিন ভাল ছিলাম, তোমাদের জন্য মিডিয়া ব্যবসায় ঢুকতে হল৷ আমাকে চাপ দিও না,তাহলে তোমাদের নাম বলে দেব৷
গোয়েন্দারা তাই মনে করছেন, সারদা গোষ্ঠীর মিডিয়া গ্রুপের কাউকে জেরা করতে পারলেই জানা যাবে আরও অনেক তথ্য৷ আর এই সূত্রেই উঠে আসছে একটি নাম - সোমনাথ দত্ত৷
কে এই সোমানাথ দত্ত? পুলিশ সূত্রে খবর, সোমনাথ দত্তর বাড়ি বাউবাজার এলাকায়৷ লন্ড্রির ব্যবসা দিয়ে শুরু, তারপর ধাপে ধাপে সারদা গোষ্ঠীর মিডিয়া গ্রুপের ভাইস প্রেসিডেন্ট৷ সূত্রের খবর, বাম আমলে উত্তর ২৪ পরগনার এক সিপিএম নেতার অত্যন্ত ঘনিষ্ঠ ছিলেন তিনি৷ তখন থেকেই উত্থান শুরু৷ গত লোকসভা নির্বাচনের সময়
সারদা ঘনিষ্ঠ এক তৃণমূল সাংসদেরও ঘনিষ্ট হয়ে ওঠেন সোমনাথ৷ ব্যাপক যোগাযোগ গড়ে ওঠে টালিগঞ্জের তারকাদের সঙ্গে৷
২০০৯ লোকসভা নির্বাচনের সময় যখন বীরভূমের তৃণমূল প্রার্থীর নাম ঘোষণা হয়, তখন অভিনেত্রী শতাব্দীর সঙ্গেই সোমনাথ দত্ততে প্রথম দেখেন এলাকার মানুষ৷ শতাব্দী এবং রামপুরহাটের তৃণমূল বিধায়ক আশিস বন্দ্যোধ্যায়ের সঙ্গে হুডখোলা গাড়িতে রোড শোও করতে দেখা যায় তাঁকে৷যদিও শতাব্দীর দাবি, সোমনাথের সঙ্গে তাঁর সম্পর্ক পারিবারিক৷
সারদা গোষ্ঠীর ব্রোসিওরে গ্লোবাল অটোমোবাইলের পাতায় ছাপা শতাব্দী রায়ের ছবি দেখিয়ে বিরোধীদের দাবি, সারদার ব্র্যান্ড অ্যাম্বাসাডর ছিলেন শতাব্দী৷ যদিও সেই অভিযোগ অস্বীকার করেছেন সাংসদ৷
সারদা গোষ্ঠীর মিডিয়া গ্রুপের ভাইস প্রেসিডেন্ট সোমনাথ দত্ত এখন থাকেন সল্টলেকে৷ ঠিকানা, আই এ ২৯৬৷ এই বহুতলের তৃতীয় তলে সোমনাথ দত্তর বাড়িতে মঙ্গলবার তল্লাশি চালায় পুলিশ৷ জেরা করা হয় সোমনাথকে৷
মিডিয়ার অনুষ্ঠান হোক বা অন্য কোনও অনুষ্ঠান৷ সুদীপ্ত সেনের জায়গায় প্রায়ই দেখা যেত সোমনাথ দত্তকে৷ বিধাননগর পুরসভার চেয়ারপার্সন কৃষ্ণা চক্রবর্তীর সঙ্গেও বিভিন্ন অনুষ্ঠানে দেখা গিয়েছে তাঁকে৷ মহাকরণের সামনে অ্যাম্বুলেন্স উদ্বোধনে দেখা গিয়েছে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের সঙ্গে৷ পুলিশের অনুমান, সোমনাথ দত্তকে জেরা করলেই মিলতে পারে সুদীপ্ত সেন সম্পর্কে জরুরি তথ্য৷
http://www.abpananda.newsbullet.in/state/34/36013
কলকাতা: সপার্ষদ গ্রেফতার হয়েছেন নিজে কিন্তু রাজ্যে ক্ষমতাসীন দলকে প্রবল অস্বস্তিতে ফেলে দিলেন সুদীপ্ত সেন।গত ৬ এপ্রিল সিবিআইকে লেখা চিঠিতে সারদা-কর্তা তৃণমূলের দুই সাংসদের বিরুদ্ধে বিস্ফোরক অভিযোগ এনেছেন যাকে কেন্দ্র করে ব্যাপক শোরগোল, আলোড়ন ছড়িয়ে পড়েছে রাজনৈতিক মহলে।
সারদাকাণ্ডে প্রথম থেকেই এজেন্ট এবং আমানতকারীরা দাবি করছেন, সারদার নাম দেখে নয়, বরং ওই সংস্থার সঙ্গে শাসক দলের নেতাদের একাংশের ঘনিষ্ঠতা দেখেই তাঁরা লগ্নি করেছিলেন৷ এর জেরে অস্বস্তিতে পড়েছে রাজ্য সরকার৷ সেই অস্বস্তিকেই চরমে নিয়ে গেল সিবিআইকে লেখা সুদীপ্ত সেনের ওই বিস্ফোরক চিঠি৷ ১৮ পাতার চিঠিতে সুদীপ্ত সেন দাবি করেছেন, চাপে পড়েই তিনি চ্যানেল ১০ কিনতে বাধ্য হন৷ তাঁর আরও দাবি, ওই দুই তৃণমূল সাংসদ যে সংবাদসংস্থার সঙ্গে যুক্ত, বাধ্য হয়ে সেই সংস্থার সঙ্গে চুক্তি করতে হয় চ্যানেল ১০ কে৷ সেই চুক্তি অনুযায়ী ঠিক হয়, প্রতি মাসে ৬০ লক্ষ টাকা দিতে হবে ওই সংবাদ সংস্থাকে৷ তৃণমূলের দুই সাংসদের মধ্যে একজনকে চ্যানেল ১০ এর সিইও করা হয়৷ ঠিক হয়, তাঁকে প্রতি মাসে ১৫ লক্ষ টাকা করে দেওয়া হবে৷ এর পাশাপাশি গাড়ির জ্বালানি খরচ এবং অন্যান্য ব্যয় বাবদও ওই সাংসদকে দেওয়া হয় মাসে আরও দেড় লক্ষ টাকা৷ মুম্বই-এর এক অভিনেতার সঙ্গে চুক্তিও সই করতে হয় বলে দাবি সুদীপ্ত সেনের৷ তিনি বলেছেন, এর পরিবর্তে ওই দুই তৃণমূল সাংসদ তাঁকে আশ্বাস দেন, তাঁর চিট ফান্ডের ব্যবসা ঠিক মতো চালাতে, তাহলে কেন্দ্র এবং রাজ্য সরকারের কাছ থেকে নিরাপত্তা দেওয়া হবে৷ শুধু তাই নয়, সুদীপ্ত সেনের আরও দাবি, সম্প্রতি ওই দুই সাংসদের একজন তাঁর সল্টলেকের অফিসে এসে জোর করে তাঁকে দিয়ে কিছু কাগজে সই করান৷ ওই সাংসদ চলে যাওয়ার পর তিনি দেখেন, তাতে লেখা রয়েছে, মাত্র ৫৫ লক্ষ টাকায় তিনি চ্যানেল ১০ বিক্রি করে দিয়েছেন৷ রাজনৈতিক মহলের মত, সুদীপ্ত সেনের এই বিস্ফোরক চিঠি রাজ্য সরকারের শুধু অস্বস্তিই বাড়াল না, বিরোধীদের হাতে নতুন অস্ত্রও তুলে দিল৷ শুধু তা-ই নয়, তৃণমূলের অভ্যন্তরেও অশান্তির আগুনে এই চিঠি ঘি ঢালতে চলেছে বলে মনে করছে রাজনৈতিক মহল মঙ্গলবারই সংসদ ভবনে ঘরোয়া বৈঠকে তৃণমূলের সর্বভারতীয় সাধারণ সম্পাদক মুকুল রায়, রাজ্য সম্পাদক সুব্রত বক্সির সামনেই প্রাক্তন কেন্দ্রীয় মন্ত্রী তথা দলের সাংসদ শিশির অধিকারী দাবি তোলেন, সারদাকাণ্ডে যে সমস্ত নেতা-মন্ত্রীর নাম উঠে আসছে, তাঁদের দল থেকে পদত্যাগ করা উচিত৷ কারণ এই ঘটনায় সাধারণ মানুষের মধ্যে যেভাবে ক্ষোভ ছড়িয়ে পড়েছে, তাতে দলের ভাবমূর্তি নষ্ট হচ্ছে৷ সূত্রের খবর, সৌগত রায়, শুভেন্দু অধিকারী, সুদীপ বন্দ্যোপাধ্যায়ও দলের একাংশের সারদা ঘনিষ্ঠতার অভিযোগে চরম ক্ষুব্ধ৷ তাঁরাও জড়িতদের পদত্যাগ দাবি করেন৷ সূত্রের খবর, প্রকাশ্যে না বললেও দলের অনেক সাংসদই এর সঙ্গে সহমত৷ এই প্রেক্ষাপটে সুদীপ্ত সেনের চিঠিটিকে অস্ত্র করে সারদা-ঘনিষ্ঠদের বিরুদ্ধে দলের এই নেতা-সাংসদরা আরও সরব হতে পারেন।
http://www.abpananda.newsbullet.in/state/34-more/36018-2013-04-24-13-32-23
নয়াদিল্লি ও কলকাতা: সারদাকাণ্ডে রহস্যময়ী দেবযানী মুখোপাধ্যায়কে নিয়ে রহস্য বাড়াল তাঁর বোনের বক্তব্য৷ ফের তিনি দাবি করেছেন, আত্মসমর্পণ করতে চেয়েছিলেন তাঁর দিদি৷ তাঁকে ফাঁসিয়েছেন সুদীপ্ত সেনই৷ যদিও বিধাননগর পুলিশের পাল্টা দাবি, আত্মসমর্পণ নয়, গা ঢাকা দেওয়াই দেবযানীর মূল লক্ষ্য ছিল৷
সারদা সংস্থার ঘনিষ্ঠ সূত্রে জানা যাচ্ছে, ব্যবসায় বিপদের ছায়া ঘনিয়ে আসছে, এটা বুঝেই আস্তে আস্তে সরে পড়ার চেষ্টা করেন সংস্থার দুনম্বর ব্যক্তি অর্থাত দেবযানী৷ অবশেষে সুদীপ্ত সেনের সঙ্গেই বেপাত্তা হয়ে যাওয়া ও সোনমার্গে তাঁর সঙ্গেই গ্রেফতার হওয়ার পর দেবযানীর বিরুদ্ধেও টাকা আত্মসাতের অভিযোগ আরও জোরালো হয়৷ কিন্তু সেই অভিযোগ মানতে নারাজ তাঁর বোন৷ উল্টে তাঁর দাবি, দিদি সারদা গোষ্ঠীতে আগেই পদত্যাগপত্র পাঠিয়েছিলেন৷ দিদিকে ফাঁসানো হয়েছে বলে অভিযোগ করে তিনি বলেছেন, বৈঠকের আছিলায় তাঁকে দিল্লিতে ডেকে পাঠান সুদীপ্ত সেন৷ প্রথম থেকেই আত্মসমর্পণের কথা ভেবেছিলেন তাঁর দিদি৷ ।
এদিন আরও যে রহস্য সামনে এল, তা হল, দেবযানীর বোনও সারদা গোষ্ঠীর শিক্ষা প্রতিষ্ঠানের কর্মী৷ তিনি নিজেই জানান, শিলিগুড়ির ওই ইংরেজি মাধ্যম স্কুলে পড়াতেন তিনি৷ পেতেন ১০ হাজার টাকা৷
সারদা ঘনিষ্ঠ সূত্রের দাবি, দেবযানীর কল্যাণেই তাঁর বোন চাকরি পান৷ অবশ্য তাঁর বোনের দাবি, নামেই দেবযানী এক্সিকিউটিভ ডিরেক্টর ছিলেন, কোম্পানির চাবিকাঠি ছিলেন সুদীপ্ত সেনই৷ তবে দিদির ফ্ল্যাট বা বাড়ির সংখ্যা নিয়ে তিনি কিছুই জানেন না বলে দাবি করেন দেবযানীর বোন৷
দেবযানীর বোন আত্মসমর্পণ, ফাঁসানোর তত্ত্ব সামনে আনলেও তা মানতে নারাজ বিধাননগর পুলিশ৷ উল্টে তাঁদের দাবি, বিভিন্ন জায়গায় পালানোর ক্ষেত্রে তিনি অগ্রণী ভূমিকা নিয়েছিলেন৷ কলকাতা থেকে পালিয়ে দেরাদুনের হোটেলে কেনাকাটা থেকে শুরু করে কাশ্মীরের সোনমার্গে যাওয়ার প্ল্যান, সবই নাকি ছিল দেবযানীরই৷ আত্মসমর্পণের কথা বলে তিনি এখন নাটক করতে চাইছেন বলে অভিযোগ পুলিশের৷
ফলে সব মিলিয়ে দেবযানী-রহস্য ক্রমশ ঘনীভূত হচ্ছে৷
http://www.abpananda.newsbullet.in/kolkata/59-more/36011-2013-04-24-12-37-43
কলকাতা: পড়ে আছে রাজ প্রাসাদ, রাজাই শুধু নেই৷ রাজ্যে সুদীপ্ত সেনের অসংখ্য বাড়ি, বিপুল সাম্রাজ্য আছে বলে জানা গিয়েছে৷সল্টলেকে সারদা-কর্তার এমনই দুটি বাড়ির হদিশ পেয়েছে এবিপি আনন্দ৷ একটি সল্টলেকের এইচ এ ব্লকের ১১৫ নম্বর বাড়ি৷ বিশাল জায়গা জুড়ে দোতলা বাড়ি৷ বাড়ির বাসিন্দারা কেউ নেই৷ বসেছে পুলিশ প্রহরা৷ স্থানীয় থানা টাঙিয়ে দিয়েছে নোটিস৷ বাড়িতে ঢোকার আগে যোগাযোগ করতে হবে পুলিশের সঙ্গে৷
কারা থাকতেন এই বাড়িতে? মুখ খুলছেন না অভিজাত পড়শিরা৷ তবে আড়ালে তাঁরা বলছেন, বাড়িতে থাকতেন সুদীপ্ত সেন, তাঁর স্ত্রী, ছেলে-বৌমা ও তাঁদের সন্তানরা৷ সারদাকাণ্ডের খবর সংবাদমাধ্যমে সম্প্রচারিত হওয়ার পর থেকে সবাই উধাও৷ পাড়ার প্রায় কারও সঙ্গেই মিশতেন না সেন পরিবারের সদস্যরা৷ প্রচুর গাড়ি এসে দাঁড়াত রোজ৷ কারা আসতেন সেইসব গাড়িতে? নজর রাখার জন্য দরজার বাইরে বসানো রয়েছে বিশেষ যন্ত্র৷ দ্বিতীয় বাড়িটি এফডি ৪৫৬-এ৷ বিশাল আকৃতির দু'টি ফ্ল্যাট৷ পড়শিরা বলছেন, এখানে থাকতেন সুদীপ্তর অন্য স্ত্রী ও সংসার৷ ঘটনার পর থেকে খালি এই বাড়িটিও৷ ঘটনার কথা জানতে পারের পর অনেকে চড়াও হন এই বাড়িতে৷ ছেঁড়ার পর্দার ফাঁকে চোখ রাখলেই দেখা যায় ভিতরের বৈভব৷ দামি আসবাবে ঠাসা ঝাঁ চকচকে ঘর৷ ভেতরে একটি গাড়িও পড়ে আছে৷
http://www.abpananda.newsbullet.in/kolkata/59-more/35985-2013-04-23-15-05-25
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কলকাতা: ভুঁইফোঁড় অর্থলগ্নি সংস্থাগুলিকে নিয়ন্ত্রণের জন্য শক্ত আইন প্রণয়ন করা এখনও কেন সম্ভব হয়নি, তা নিয়ে বাম ও তৃণমূলের বিরোধ চরমে পৌঁছেছে৷ সোমবারই মহাকরণে দাঁড়িয়ে আত্মপক্ষ সমর্থনে একগুচ্ছ দাবি করেছেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়৷ কিন্তু মুখ্যমন্ত্রীর সেই দাবি ঘিরেই বিভ্রান্তি চরমে উঠেছে৷
মুখ্যমন্ত্রী দাবি করেছেন, "২০০৩ সালে বাম সরকার আইন পাশ করে কেন্দ্রকে অনুমোদনের জন্য পাঠিয়েছিল৷ ২০০৬ সালে ততকালীন রাষ্ট্রপতি চিঠি লিখে জানান, ওই বিলে খামতি রয়েছে৷ নতুন আইন তৈরি করতে হবে৷ কিন্তু তারপরও বামফ্রন্ট ওই আইন ফেরত নেয়নি৷ পুরনো আইন তুলে না-নিয়ে নতুন করে আইন করা যায় না৷ কিন্তু আগের আইন তুলে না-নিয়েই ২০০৮ সালে আবার আইন তৈরি করা হয়৷ ২০০৯ সালে ফের সেই আইন কেন্দ্রের অনুমোদনের জন্য পাঠানো হয়েছিল৷" কিন্তু, বাস্তব ঘটনা হল, ২০০৩-এ পশ্চিমবঙ্গ সরকার 'ওয়েস্ট বেঙ্গল প্রোটেকশন অফ ডিপোজিটর্স ইন্টারেস্ট ইন ফিনান্সিয়াল এসট্যাব্লিশমেন্ট বিল'-রাষ্ট্রপতির অনুমোদনের জন্য পাঠায়৷ তারপর কেন্দ্র-রাজ্যের মধ্যে একাধিকবার মত বিনিময় হয়৷ কয়েকটি বিষয়ে রাজ্যের কাছে ব্যাখ্যা চায় কেন্দ্র৷ কিন্তু রাষ্ট্রপতি ২০০৬-এ বিল প্রত্যাহার করতে বলেছেন, এমন কোনও নথি নেই বলে দাবি আইন দফতরের এক শীর্ষ আধিকারিকের৷ আরেক শীর্ষ আধিকারিকের দাবি, ২০০৯-এ রাষ্ট্রপতির তরফে রাজ্য সরকারকে চিঠি দিয়ে বিল প্রত্যাহার করতে বলা হয় এবং দু'টি পরিবর্তন করতে নির্দেশ দেওয়া হয়৷ সেইমতো ২০১০-এ একটি নতুন বিল তৈরি করে দিল্লি পাঠানো হয়৷ মুখ্যমন্ত্রীর দাবি, বাম আমলের বিলে সম্পত্তি বাজেয়াপ্ত করার ক্ষমতা ছিল না৷
কিন্তু বাস্তব বলছে, ২০০৯ সালের ২২ ডিসেম্বর বিধানসভায় পাশ হওয়া 'ওয়েস্ট বেঙ্গল প্রোটেকশন অফ ডিপোজিটর্স ইন্টারেস্ট ইন ফিনান্সিয়াল এসট্যাব্লিশমেন্ট বিল'-এর ৫ নম্বর ধারায় সম্পত্তি বাজেয়াপ্ত করার সংস্থান আছে৷ পাশাপাশি বিলের ৩ নম্বর ধারায় আমানতকারীদের টাকা ফেরত দিতে ব্যর্থ হলে সংস্থার আধিকারিকদের কড়া শাস্তি দেওয়ার কথাও বলা হয়েছে৷ সর্বোচ্চ শাস্তি যাবজ্জীবন কারাদণ্ড৷
মুখ্যমন্ত্রীর দাবি, সারদা গোষ্ঠীর অনিয়মের বিষয়ে দু'তিন মাসে আগে সেবি চিঠি দেওয়ার পরই জানতে পারেন তিনি৷ কিন্তু অর্থ ও স্বরাষ্ট্র দফতরের আধিকারিকদের একাংশের দাবি, ২০১১-র জানুয়ারি থেকেই ধারাবাহিকভাবে রাজ্য সরকারকে সতর্ক করে এসেছে সেবি৷ মুখ্যমন্ত্রীর দাবি, বামেরা বিল প্রত্যাহার না করাতেই তিনি নতুন আইন প্রণয়ন করতে পারছেন না৷
কিন্তু বাস্তব বলছে, ক্ষমতায় আসার পর গত বছর মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের সরকার কেন্দ্রকে চিঠি লিখে আগের বিল 'ফেরত' চায় এবং নতুন বিল পেশের ইচ্ছা প্রকাশ করে৷ কিন্তু তাতে পদ্ধতিগত ভুল ছিল কেননা বিল 'ফেরত' অর্থাত্ রিটার্ন এবং 'প্রত্যাহার' অর্থাত্ উইথড্রয়ালের মধ্যে আইনগত ফারাক আছে৷
http://www.abpananda.newsbullet.in/state/34-more/35991-2013-04-23-16-17-59
চিটফান্ড কেলেঙ্কারির নায়ক সুদীপ্ত সেনের ছায়াসঙ্গী৷ সারদা-সাম্রাজ্যের অলিখিত নম্বর টু৷ তিনি দেবযানী মুখোপাধ্যায়৷ সারদা গোষ্ঠীর একটি সংস্থায় কাজ শুরু করেছিলেন রিসেপশনিস্ট হিসেবে৷ কর্ণধারের নজরে পড়ে যান৷ তার জেরেই রিসেপশনিস্ট থেকে একেবারে এক্সিকিউটিভ ডিরেক্টর৷ এই দেবযানীকে সঙ্গে নিয়েই কাশ্মীরে পালান সুদীপ্ত৷ চিটফান্ড কেলেঙ্কারির নায়ক, সারদা-সাম্রাজ্যের বাদশা, সুদীপ্ত সেনের সবথেকে আস্থাভাজনের নাম দেবযানী মুখোপাধ্যায়৷ সারদাকাণ্ডের পর থেকেই দু'জনে উধাও হয়ে যান৷
কে এই দেবযানী মুখোপাধ্যায়? ঢাকুরিয়ার বাবুবাগানের বাসিন্দা বছর ২৭-এর দেবযানী মুখোপাধ্যায়৷ জানা গিয়েছে, বছর পাঁচেক আগে রিসেপশনিস্ট হিসেবে সারদা গোষ্ঠীর একটি সংস্থায় কাজ শুরু করেন দেবযানী৷ দ্রুত নজরে পড়ে যান সংস্থার কর্ণধার সুদীপ্ত সেনের৷ তারপর থেকেই জেট গতিতে উত্থান৷ রিসেপশনিস্ট থেকে ২০১১ সালে সংস্থার এক্সিকিউটিভ ডিরেক্টর৷ পুলিশ জানতে পেরেছে, ডিরেক্টর হওয়ার ২ সপ্তাহের মধ্যেই সংস্থার সাড়ে চার হাজার শেয়ার দেবযানীর নামে করে দেওয়া হয়৷ গত সোমবার দেবযানীর ঢাকুরিয়ার বাড়িতে তল্লাশি চালায় পুলিশ৷ পুলিশের দাবি, তল্লাশি চালিয়ে উদ্ধার হয় বেশ কিছু গুরুত্বপূর্ণ নথি৷
আগে ঢাকুরিয়ার বাবুবাগানে থাকতেন দেবযানী৷ পরে ঢাকুরিয়া স্টেশন রোডে ফ্ল্যাট কেনেন৷ এছাড়াও কলকাতার বেশ কয়েকটি জায়গায় দেবযানীর ফ্ল্যাট রয়েছে বলে খবর৷ দক্ষিণ কলকাতায়, শহরের সবথেকে উঁচু বহুতলেও ফ্ল্যাট কিনেছেন দেবযানী৷ জানা গিয়েছে, এ সব ফ্ল্যাটগুলি দেবযানীকে উপহার দেন সুদীপ্ত সেন৷
সূত্রের খবর, অল্পি দিনের মধ্যেই সুদীপ্ত সেনের ছায়াসঙ্গী হয়ে ওঠেন দেবযানী৷ আর্থিক লেনদেন-সহ অনেক গুরুত্বপূর্ণ কাজই তিনি সামলাতেন৷ সারদা গোষ্ঠীর মূল অফিস সল্টেলেকের মিডল্যান্ড পার্কে বেশিরভাগই মহিলা কর্মচারী৷ তাঁদের মধ্যে প্রধান ছিলেন দেবযানী৷ সারদা গোষ্ঠীর অলিখিত নম্বর টু৷ জানা গিয়েছে, গভীর রাত পর্যন্ত শীর্ষ কর্তাদের নিয়ে বৈঠক করতেন সুদীপ্ত সেন৷ তারপর গাড়ি করে দেবযানীকে বাড়ি ছেড়ে আসতেন সারদার কর্ণধার৷
রাজ্যের বাইরেও সুদীপ্ত সেনের সঙ্গে যেতেন দেবযানী৷ গত বছর ডিসেম্বরে বীরভূমে একটি রিসর্ট কেনে সারদা গোষ্ঠী৷ সেই রিসর্টের উদ্বোধনে একসঙ্গে দেখা গিয়েছিল দেবযানী ও সংস্থার এক অধিকর্তা মনোজ কুমার নাগেলকে৷ নাগেলকে ইতিমধ্যেই গ্রেফতার করেছে পুলিশ৷
জাহাজ ডুবছে দেখে দেবযানীকে সঙ্গে নিয়েই গা ঢাকা দিয়েছিলেন চিটফান্ড কেলেঙ্কারির নায়ক সুদীপ্ত সেন৷ এপ্রিল মাসের শুরু থেকেই আর দেবযনীকে দেখা যাচ্ছিল না৷ শেষমেশ দু'জনেই পুলিশের জালে৷
http://www.abpananda.newsbullet.in/state/34-more/35992-2013-04-23-16-32-45
সারদা গোষ্ঠীর আর্থিক অনিয়ম প্রকাশ্যে আসতেই বেরিয়ে আসছে একের পর প্রতারণার অভিযোগ৷ এবার সারদা গার্ডেন বা সারদা সিটি প্রকল্প৷ ২০ বছর আগে দক্ষিণ ২৪ পরগনার ডায়মন্ডহারবার রোডের ভাসা কনচৌকিতে কয়েকশো বিঘা জমির উপর শুরু হয় সারদা গোষ্ঠীর এই আবাসন প্রকল্পের কাজ৷ জমির প্লট, ফ্ল্যাট পেতে সারদা গোষ্ঠীর মাসিক সঞ্চয় প্রকল্পে টাকা জমা রাখেন অনেকে৷ কিন্তু ২০ বছর পরও খালি সারদা গার্ডেন৷ আবাসিকদের অভিযোগ, সারদা গার্ডেনে উপযুক্ত পরিষেবাই নেই৷ জল টেনে আনতে হয় দূর থেকে৷ রাস্তার অবস্থাও তথৈবচ৷
আবাসিকদের আরও অভিযোগ, জমির প্লট পাওয়ার জন্য যাঁরা টাকা জমা করেছিলেন, তাঁদের অধিকাংশই এখনও পর্যন্ত পুরো জমি পাননি৷ এই আবাসন প্রকল্পের ভিতর থেকেই ছিল সারদা গোষ্ঠীর একটি অফিস৷ কিন্তু কয়েকমাস হল সেই অফিসটিও তালাবন্ধ৷
http://www.abpananda.newsbullet.in/state/34-more/35987-2013-04-23-15-41-02
ব্যুরো রিপোর্ট,এবিপি আনন্দ
হাওড়া ও মালদাঃ সারদাকাণ্ডের জেরে অবরোধ - বিক্ষোভ অব্যাহত৷ আজ ফের হাওড়ার পাঁচলাতে ৬ নম্বর জাতীয় সড়ক অবরোধ করলেন সারদা গোষ্ঠীর এজেন্ট ও আমানতকারীরা৷ টাকা ফেরানোর দাবিতে আজ বেলা সাড়ে এগারোটা নাগাদ পাঁচলা মোড়ে ৬ নম্বর জাতীয় সড়ক অবরোধ করেন তাঁরা৷ বিক্ষোভকারীদের দাবি, মুখ্যমন্ত্রীকে গোটা ঘটনার দায় নিতে হবে৷ সাংসদ কুণাল ঘোষকেও গ্রেফতারের দাবি করেন তাঁরা৷ এদিকে, অবরোধের জেরে ৬ নম্বর জাতীয় সড়কে তীব্র যানজটের সৃষ্টি হয়৷ খবর পেয়ে ঘটনাস্থলে পৌঁছয় পাঁচলা থানার পুলিশ৷ বিক্ষোভকারীদের সঙ্গে কথা বলার পর দুপুর সাড়ে বারোটা নাগাদ অবরোধ উঠে যায়৷
এদিকে সারদা কাণ্ডের জেরে মালদায় ভাঙচুর করা হয়েছে সারদার নির্মীয়মাণ আবাসন ও স্কুলবাড়ি৷ আজ দুপুর ১২টা নাগাদ ইংরেজবাজারের লক্ষীপুর গ্রামের ওই আবাসন প্রকল্পে যান শতাধিক এজেন্ট ও আমানতকারী৷ মেন গেট ভেঙে ভিতরে ভাঙচুর চালিয়ে আগুন লাগিয়ে দেন বিক্ষোভকারীরা৷ এরপর ভাঙচুর চালানো হয় লক্ষীপুরেরই একটি নির্মীয়মাণ স্কুলবাড়িতেও৷ আমানতকারীদের দাবি, শাসক দলের নেতা-মন্ত্রীদের সঙ্গে সারদা গোষ্ঠীর ঘনিষ্ঠতা দেখেই লগ্নি করেছিলেন তাঁরা৷
http://www.abpananda.newsbullet.in/state/34-more/36007-2013-04-24-09-21-44
রাজ্য জুড়ে ত্রাসের রাজত্ব নয়া মহাজনের
কৌশিক সরকার
শিলিগুড়ির জারিনা বিবি (নাম পরিবর্তিত)৷ বছর কয়েক আগে ঋণ নিয়ে নিয়েছিলেন এক মাইক্রোফিনান্স সংস্থার কাছ থেকে৷ কিছু দিন ঠিকঠাক ঋণ পরিশোধ করার পর আর্থিক সমস্যায় পড়ে তাঁর পরিবার৷ তার পর থেকেই ঋণ পরিশোধের জন্য হুমকি ও ভয় দেখানোর অভিযোগ ওঠে ওই মাইক্রোফিনান্স সংস্থার বিরুদ্ধে৷
এ কোনও বিক্ষিপ্ত অভিযোগ নয়৷ বছর কয়েক আগেও হাওড়া জেলার গ্রামাঞ্চলে ঋণ পরিশোধের জন্য এমনই বেশ কয়েকটি অভিযোগ সামনে আসে৷ কোথাও অভিযোগ রয়েছে সামাজিক হেনস্থার৷ কোথাও বা সরাসরি শারীরিক ও মানসিক নির্যাতনের৷ ঋণগ্রহীতার উপর চাপ তৈরি করার জন্য উত্ত্যক্ত করার অভিযোগও রয়েছে এই ধরনের মাইক্রোফিনান্স সংস্থার বিরুদ্ধে৷ এ রাজ্যে, বিশেষত গ্রামাঞ্চলে যাদের ঋণের কবলে রয়েছেন অন্তত ৪৬ লক্ষ মানুষ৷ প্রতি বছরই যে সংখ্যাটা বাড়ছে লাফিয়ে লাফিয়ে৷
এই মুহূর্তে আর্থিক সংস্থার বিরুদ্ধে যেমন আমানতকারী ও এজেন্টদের বিক্ষোভে অগ্নিগর্ভ পরিস্থিতি তৈরি হয়েছে এ রাজ্যে, বছর তিনেক আগে মাইক্রোফিনান্স সংস্থা নিয়ে তেমনটাই হয়েছিল অন্ধ্রপ্রদেশে৷ জোর করে ঋণের টাকা আদায়, তা দিতে না পারায় ভীতি প্রদর্শনের মতো নানা উত্পাতের বড়সড় বেশ কিছু অভিযোগ জমা পড়েছিল সেখানে৷ এমনকি, ঋণ ফেরত দিতে না পারায় আত্মহত্যার ঘটনাও ঘটেছিল বেশ কয়েকটি৷ যার ভিত্তিতে ২০১০ সালে আইন করে রাজ্যে এমন ব্যবসার উপর বিধি নিষেধ জারি করে অন্ধ্রপ্রদেশ সরকার৷ তার জেরে ওই ব্যবসায় ব্যাপক ধসও নামে৷ ২০১১ সালের প্রথমার্ধে অন্ধ্রপ্রদেশে মাইক্রোফিনান্সের মাধ্যমে ঋণ দেওয়া হয়েছিল প্রায় ৪ হাজার কোটি টাকা৷ ওই বছরেরই দ্বিতীয়ার্ধে তারা ঋণ দিতে পেরেছিল মাত্র সাড়ে ৮ কোটি টাকা৷
অন্ধ্রপ্রদেশে এই প্রবণতা কমলেও পশ্চিমবঙ্গে এই ধরনের ক্ষুদ্র ঋণ সংস্থার দাপট ক্রমেই বেড়েছে৷ শুধু মাত্র অ্যাসোসিয়েশন অফ মাইক্রোফিনান্স ইনস্টিটিউটের (অ্যামফি) আওতাভুক্ত প্রতিষ্ঠানগুলিই ২০১১ সালে এ রাজ্যে ঋণ দিয়েছে প্রায় ৯ হাজার ৮১৪ কোটি টাকা৷ সে সময়ে তাদের অনাদায়ী ঋণের পরিমাণ ছিল ২ হাজার ৯ কোটি টাকা৷ রাজ্যে ১ হাজার ৭৩১টি শাখার মাধ্যমে ১২ হাজার ৫৭ জন কর্মচারী এবং এজেন্টের সাহায্যে প্রায় ৩৭ লক্ষ মানুষকে ঋণ দিয়েছিল৷ ২০১২ সালে অনাদায়ী ঋণের পরিমাণ বেড়ে হয় প্রায় ৪ হাজার কোটি টাকা৷ সবচেয়ে বড় কথা, আর্থিক সংস্থাগুলির মতোই মাইক্রোফিনান্স সংস্থাগুলি সম্পর্কেও পরিপূর্ণ কোনো তথ্য নেই সরকারের কাছে৷ তবে, এ রাজ্যে ক্ষুদ্র ঋণ সংস্থাগুলির সেল্ফ রেগুলেটরি সংস্থা অ্যামফির তরফে জানা গিয়েছে, তাদের নথিভুক্ত মাইক্রোফিনান্স প্রতিষ্ঠানের সংখ্যা এ রাজ্যে ২৫টি৷ ওয়াকিবহাল সূত্রের খবর, যদিও এ রাজ্যে কাজ করছে ১০০টিরও বেশি মাইক্রোফিনান্স সংস্থা৷
এ রাজ্যে মাইক্রোফিনান্সের ক্রমবর্ধমান দাপটের চিত্র স্পষ্ট হয় সাম্প্রতিক অতীতের তুলনামূলক চিত্রটি থেকেই৷ ২০০৯ সালে এই ধরনের সংস্থাগুলির আওতায় ছিলেন প্রায় ২৪ লক্ষ মানুষ, ২০১০ সালে সেই সংখ্যা বেড়ে হয় প্রায় ৩৫ লক্ষ, ২০১২-তে তা প্রায় ৪৬ লক্ষে পৌঁছেছে বলে রাজ্য সরকার সূত্রে জানা গেছে৷ তবে প্রাথমিক ভাবে অ্যামফির আওতায় রয়েছে যে সংস্থাগুলি, তাদের কাছ থেকে পাওয়া তথ্যের ভিত্তিতেই এই অনুমান করা হয়েছে৷ কিন্ত্ত এ ছাড়াও যে ৭০-৮০টি সংস্থা কাজ করছে তাদের ঋণগ্রহীতার সংখ্যা কত, ঋণের পরিমাণ কত, অনাদায়ী ঋণের পরিমাণই বা কত, কোন এলাকায় কোন সংস্থা কাজ করছে, রিজার্ভ ব্যাঙ্কের কোড অফ কন্ডাক্ট তারা মেনে চলছে কিনা, সে সম্পর্কে কোনো স্পষ্ট উত্তর নেই৷ ঋণ খেলাপিদের কাছ থেকে টাকা আদায়ে কোনও রকম জবরদস্তির অভিযোগ যে নেই, এমন কথা হলফ করে বলতে পারছেন না মাইক্রোফিনান্স সংস্থাগুলি৷ যদিও এটিকে সাধারণ প্রবণতা বলে মনে করেন না তারা৷ তবে যে সংস্থাগুলি সম্পর্কে যথেষ্ট তথ্যই নেই, তারা কোথায় কী করছে তার দায় নিতে রাজি নন মাইক্রোফিনান্সের সেল্ফ রেগুলেটরি সংস্থা অ্যামফি৷
নন ব্যাঙ্কিং আর্থিক প্রতিষ্ঠান হিসাবে চিট ফান্ড যেমন স্বীকৃত, তেমনই স্বীকৃত এই মাইক্রোফিনান্স প্রতিষ্ঠানগুলিও৷ তবে ভুঁইফোঁড় সংস্থাগুলি যেমন লোভনীয় স্কিম দেখিয়ে আমানত তোলে মানুষের কাছ থেকে, মাইক্রোফিনান্স প্রতিষ্ঠানগুলি করে ঠিক তার বিপরীত কাজটি৷ অর্থাত্, ব্যাঙ্কিং পরিষেবার বাইরে রয়ে গিয়েছে যে সমস্ত মানুষ, তাদের ঋণ দেয় এই প্রতিষ্ঠানগুলি৷ রিজার্ভ ব্যাঙ্কের নির্দেশিকা অনুযায়ী, বার্ষিক সর্বোচ্চ ২৬ শতাংশ হারে সুদে ঋণ দিতে পারে এই সংস্থাগুলি৷ যদিও সাম্প্রতিক অতীতে রিজার্ভ ব্যাঙ্কের নির্দেশিকা জারির আগে পর্যন্ত কোনও কোনও মাইক্রোফিনান্স সংস্থার বিরুদ্ধে ৬০ শতাংশ হারে সুদ নেওয়ার অভিযোগও ছিল৷
এ ধরনের অভিযোগ যেমন রয়েছে, তেমনই হাওড়ারই কমলা গিরি বা টিটাগড়ের জারিয়া খাতুনরা মাইক্রোফিনান্স সংস্থাগুলির কাছ থেকে ঋণ নিয়ে স্বাবলম্বী হয়েছেন এমন নিদর্শনও কম নয়৷ গ্রামই হোক বা শহর, নিম্ন আয়ের যে পরিবারগুলি ব্যাঙ্কিং পরিষেবার বাইরে রয়েছে, তারা বাধ্য হচ্ছেন এ ধরনের মাইক্রোফিনান্স সংস্থার কাছ থেকে ঋণ নিতে৷ তবে কোনও কোনও ক্ষেত্রে স্বনির্ভর গোষ্ঠীর সদস্যদের মধ্যে মাইক্রোফিনান্সের ঋণ নেওয়ার প্রবণতা বাড়ায় ব্যাঙ্ক মারফত্ স্বনির্ভর গোষ্ঠীগুলির কাজ চালানোর প্রবণতাটিও ধাক্কা খাওয়ার অভিযোগ রয়েছে৷ বস্ত্তত এখনও সারা দেশে প্রায় যে ৪৫ কোটি মানুষ ব্যাঙ্কিং পরিষেবার বাইরে রয়েছেন, তাদের মধ্যেই প্রধানত কাজ করছে এ ধরনের মাইক্রোফিনান্স সংস্থাগুলি৷
http://eisamay.indiatimes.com/-/more-chit-funds/articleshow/19708365.cms
মানুষের সঞ্চয়ের টাকায় হরির লুঠ, অবাক পুরস্কার প্রাপকরা
প্রায় দেড় বছর ধরে বাঙালির বৈঠকখানায় ঝড় তুলেছিল রিয়্যালিটি গেম শো 'এক ফোনে এক লাখ'৷ কষ্টার্জিত সঞ্চয় ভুঁইফোঁড় আর্থিক সংস্থায় রেখে ডিম পাড়ানোর স্বপ্নে বিভোর বাঙালি ঘুণাক্ষরেও টের পায়নি কারও পৌষ মাসে কারও সর্বনাশ৷ ফি রবিবার সন্ধ্যা সাত থেকে রাত ন'টা পর্যন্ত টি টেবলে পা তুলে 'লাখ' টাকা জেতার নেশায় ইন্ধন জুগিয়েছিলেন যাঁরা, তাঁরাই এখন দায় ঝেড়ে ফেলার মরিয়া চেষ্টা চালাচ্ছেন৷ আর লাইভ অনুষ্ঠানে উদ্যোক্তাদের প্রশ্নের উত্তর দিয়ে পুরস্কার জেতা দর্শকরা আজ লজ্জায়, বিস্ময়ে বলছেন 'এমন দিন আসবে জানলে ও খেলা খেলতাম না৷' এই অনুষ্ঠানেই নগদ পুরস্কার জেতা দর্শক বরুণ বাগ জানালেন, 'প্রশ্নটা কি ছিল ঠিক খেয়াল নেই৷ শুধু এটুকু মনে পড়ছে, গান নিয়ে কিছু জিজ্ঞেস করেছিল ওরা৷'
সূত্রের তথ্য অনুযায়ী, এই অনুষ্ঠানের এক একটি এপিসোড প্রযোজনার জন্য ব্যয় হত এক লক্ষ সত্তর হাজার টাকা৷ মোট ৬৮টা পর্বের 'প্রোডাকশন কস্ট' ছিল ১ কোটি ১৫ লক্ষ ৬০ হাজার টাকা৷ এই টাকা এবং পুরস্কারের অর্থমূল্য জোগান দিয়েছিলেন সারদা গোষ্ঠীর কর্ণধার সুদীন্ত সেন৷ অনুষ্ঠানের বর্ষপূর্তিতে দার্জিলিং জিমখানা ক্লাব থেকে সম্প্রচারিত হয়েছিল বিশেষ এপিসোড 'এক ফোনে দশ লাখ'৷ সেদিন স্বয়ং মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে সেটে বসিয়ে টিআরপির পাহাড়ে উঠতে চেয়েছিলেন উদ্যোক্তারা৷ অনুষ্ঠানে তিন তিন বার নগদ পুরস্কার জেতা গৃহবধূ ছবি নাথের স্পষ্ট মনে আছে সেই এপিসোডের কথা৷ প্রথম দিন থেকে শুরু করে ৬৮ পর্ব পর্যন্ত টানা লাইভ অনুষ্ঠান দেখে নেশা ধরে গিয়েছিল ছবির৷ আজ অসংখ্য নাগরিকের হাহাকার দেখে তাঁর আক্ষেপ, 'যদি জানতাম ওটা পাপের টাকা, তা হলে কি আর গেম খেলতে যেতাম? কী করে বুঝব বলুন? আমি তো একা নই৷ আমার মতো আরও অনেকেই জিতেছিলেন নগদ পুরস্কার৷ টিভিতে খেলা হচ্ছে দেখে আমিও ফোন করতাম৷ কোত্থেকে টাকা আসছে তা কি আমাদের পক্ষে বোঝা সম্ভব? এটা অপ্রত্যাশিত ঘটনা৷'
ছবি নাথ নিজেও অবশ্য অন্য একটি আর্থিক সংস্থার শিকার৷ বললেন, 'আমারও ছ'হাজার টাকা গেছে৷ ওটা ফেরত পাওয়ার আশা ছেড়ে দিয়েছি৷' দর্শকরাই জানাচ্ছেন, অন্তত ৪০টি পর্বে বিজেতাদের হাতে পুরস্কারের চেক তুলে দিয়েছিলেন সারদা গোষ্ঠীর ভাইস প্রেসিডেন্ট সোমনাথ দত্ত৷ সংস্থার কর্ণধার সুদীন্ত সেন ধরা পড়লেও সোমনাথ এখনও ফেরার৷ কলকাতা তো বটেই, রাজ্যজুড়ে এই অনুষ্ঠানের প্রচারেও বিপুল পরিমাণ অর্থ ব্যয় হয়েছিল৷ তদন্তে এই তথ্যগুলোও উঠে আসবে বলে মনে করা হচ্ছে৷ উত্তরবঙ্গের শিলিগুড়ি, বালুরঘাট থেকে অনুষ্ঠানে ফোন আসার প্রবণতা ছিল সব চেয়ে বেশি৷ টাকা জিতেছিলেন অসমের বহু বাসিন্দা৷ শেষের দিকে বহু বিজেতার চেক বাউন্স করার অভিযোগ হজম করতে হয়েছিল সংশ্লিষ্ট চ্যানেলের কর্তাদের৷ তখনই সন্দেহ হয়েছিল অনেকের৷ তখনই যদি থামিয়ে দেওয়া হত!
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