चिटफंड गोरखधंधे में राजनीति के अलावा सेक्स का खेल भी कम हैरतअंगेज नहीं! कुछ खतरनाक तथ्य जान लेने के कारण ही तो पियाली की जान नहीं गयी?
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
पश्चिम बंगाल में शारदा समूह के टिटफंड फर्जीवाड़े से सत्तावर्ग की मिलीभगत से भारतीय रिजर्व बैंक, सेबी और आयकर विभाग की आंखों में धूल झोंककर , कायदा कानून को ताकपर रखकर जो गोरखधंधा चल रहा था, उसमें राजनीति के अलावा सेक्स का खेल भी कम हैरतअंगेज नहीं है। लाखों लोग सबकुछ खोकर सड़कों पर आ गये। आत्महत्या करने लगे हैं लोग। सुदीप्त की पुलिस हिरासत में मौत के बाद मचे राजनीतिक तांडव के शात होते न होते चिटफंड को लेकर हंगामा मच गया। लेकिन इसी सिलसिले में लोग पियाली मुखोपाध्याय को भूल गये। जिसकी रहस्यमय मौत के मामले के राजनीतिक लोग, मंत्री तक के जुड़े होने का आरोप है। शारदा कर्णधार सुदीप्त सेन न सिर्फ आर्थिक अपराधी है, बल्कि उसके पासपोर्ट के मुताबिक पुराने ठिकाने पर बरसों से गायब शंकर सेन का रुप बदलकर उसके सुदीप्त अवतार में प्रकट होने की खबर है। यह शंकर उर्फ सुदीप्त महिला संबंधित मामला गरमा जाने के कारण ही सपरिवार गायब हुआ। अब उसकी दो पत्नियां है। शारदा का भंडापोड़ होते न होते वह दोनों पत्नियों के साथ फरार हो गया, लेकिन अब वह कश्मीर में देवयानी मुखोपाध्याय के साथ पकड़ा गया । किसी पत्नी के साथ नहीं। इसी शारदा समूह की ओर से वकालत करती थी पियाली। पियाली को हर महीने चालीस हजार रुपये का वेतन देते थे सुदीप्त।लेकिन 40 हजार किराए के फ्लैट में रहती थी पियाली!, उसके बाकी खर्चे कहां से चलते थे या जिस फाइव स्टार जीवन यापन की वह अभ्यस्त थीं, उसका ईंधन कहां से आता था,किसी को नहीं मालूम। वह इतनी बड़ी वकील नहीं थीं। अब यह सवाल उठता है कि चिटफंड गोरखधंधे के बारे में कुछ खतरनाक तथ्य जान लेने के कारण ही तो पियाली की जान नहीं गयी।खासकर तब जबकि जिस मंत्री के संरक्षण में पियाली का कोलकाता में जीवन यापन था, उन्हीं का नाम बी सुदीप्त और शारदा से जुड़ा हुआ है।दो दो सुदीप्त के मामले में मचे बवंडर ने इस राजनीतिक मामले पर परदा डाल दिया है जबकि पुलिस अभी यह बताने की हालत में नहीं है कि पियाली ने आत्महत्या की या उसकी हत्या हुई। इस मामले में कोलकाता पुलिस के एक बड़े अफसर के भी जुड़े होने का आरोप है जो अभियुक्त मंत्री का खासमखास है। पियाली की रहस्यमय मौत से पहले उसके फ्लैट में उस पुलिस अफसर की मौजूदगी बतायी जाती है। यह बी आरोप है कि मंत्री के परिजनों से मौत से पहले पियाली की तीखी झड़प हुई थी उसी फ्लैट में।मंत्री, पुलिस और चिटफंड के त्रिशुल से एक अकेली महिला की कोलकाता में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गयी . जो सत्तादल की महिला नेता भी थीं। यह समीकरण अभूतपूर्व है। इस जटिल मामले के खुलासे से अपराध और कानून की गुत्थी तो सुलजनी ही है। इसके साथ साथ आर्थिक अपराध, राजनीति और सेक्स के काकटेल का फार्मूला भी निकलने वाला है।
गौरतलब है कि कांग्रेस ने पहले ही पियाली की रहस्यमय मौत के मामेले में सीबीआई जांच की मांग उठायी है ।राजारहाट के न्यू टाउन स्थित सिद्ध पाइन अपार्टमेंट के जिस फ्लैट में पियाली मृत पायी गया, उसका किराया कौन भरता था, यह अभी नहीं मालूम चला। न पुलिस को यह मालूम है कि जिस मंहगी गाड़ी से पियाली चलती थी , वह उसीकी थी या उसे किसी ने उपहार में दी थी। उपहार दिया तो किसने दिया।पियाली फाइव स्टार जीवन यापन करती थी, इसका खर्च कहां से आता था, पुलिस को इसका सुरग अभी तक नहीं मिला।उनके फ्लैट में सत्तादल के नेताओं, मंत्री स्तर के भी , और गहरे दोस्तों की हमेशा पार्टी लगी रहती थी।पियाली के मंत्री के अलावा मंत्री से घनिष्ठ संबंध वाले शारदा समूह से रिश्ते के खुलासे से शायद इन अनुत्तरित प्रश्नों का जवाब मिल जाये।
कृपया इन तथ्यों पर गौर करें, जिनकी रोशनी में गहरी तफतीश निष्पक्ष एजंसी में जनहित में बेहद जरुरी है। राज्य के एक प्रभावशाली मंत्री का नाम शारदा समूह के गोरखधंधे से बार बार सामने आ रहा है और कोलकाता में वर्दवान से एक गृहवधू को उठाकर लाकर उसे अलग अलग ठिकानों में रखकर वकील बना देने में भी उन्हीं मंत्री की निर्णायक भूमिका है। मृत्युपर्यंत पियाली शारदा ग्रुप की वकील थीं और उनकी मासिक फीस चालीस हजार थी।पियाली की पिछले २६ मार्च को न्यूटाउन के उनके बेशकीमती फ्लैट में रहस्यमय तरीके से मृत्यु हो गयी। मंत्री की ओर से बार बार खंडन हो रहा है कि शारदा समूह से उनका कोई संबंध नहीं था, बल्कि समूह उनके नाम का इस्तेमाल करता था। उनकी इजाजत के बिना यह कैसे संभव है, समझ से परे है। शारदा समूह के एजंट और आम ग्राहक इन मंत्री महोदय की गिरफ्तारी की मांग उठा रहे हैं। अब पियाली से मंत्री के घनिष्ठ संबंध को देखते हुए शारदा समूह से उनके संबंध का रहस्य साफ हो जाता है।मीडिया के फुटेज की पड़ताल की जाये तो सत्तावर्ग के दूसरे तमाम चर्चित चेहरों के साथ इन मंत्री महोदय का चेहरा भी शारदा समूह के तमाम तरह के कार्यक्रमों के अलबम में चस्पां मिलेगा।
बहरहाल,शारदा समूह के कर्णदार सुदीप्त सेन के पासपोर्ट नंबर ई- ५८१७९३५ में उनके आवास का पता साल्टलेक नहीं हैं, जहां दो अलग अलगग आवास पर वे दो दो पत्नियों के साथ रहते थे। यह पता हैः ए-५, सर्वे पार्क संतोषपुर। जहां कोई सुदीप्त सेन को नहीं जानता। वहां सेन परिवार जरूर रहता है।पासपोर्ट के मुताबिक सुदीप्त के पिता का नाम नृपेंद्रनारायण सेन, मां रेणुकणा सेन है। जन्मतिथि ३०, मार्च, १९५९ है। यह पासपोर्ट ५ जनवरी २००५ को जारी किया गया था। यह मकान दरअसल शिलादित्य और शंकर सेन का है। शंकर सेन एक महिला संबंधिक मामले में इतनी बुरी तरह फंस गये, १४ -१५ साल पहले उनके घर पर हमला हो गया तो वे सपरिवार भाग लिये। पड़ोसियों का कहना है कि सिुदीप्त सेन से शंकर सेन का चेहरा नहीं मिलता। पर आधुनिक तकनीतक से फर्जीवाड़े में सुदीप्त की तरह दक्ष खिलाड़ी के चेहरे बदल लेने की संबावना से इंकार नहीं किया जा सकता। प्रश्न यह उठता है कि इस ठिकाने पर सेन परिवार स्थायी निवासी है और वहां कोई किरायेदार भी नहीं रहा कभी। तो खांमकख्वाह उस ठिकाने पर पासपोर्ट क्यों बनाया सुदीप्त ने। अगर वह उनका पता नहीं है तो कैसे पुलिस ने पता का अनुमोदन कर दिया और बिना पता सही है या गलत, इसकी पुष्टि किये पासपोर्ट जारी भी हो गया।
चिटफंड की कथा पर बांग्ला फिल्म `कागजेर नौको'!
शारदा समूह के फर्जीवाड़े को लेकर पूरा बंगाल इसवक्त अशांत क्षेत्र में तब्दील है।लाखों आम लोगों ने अपनी जमा पूंजी का निवेश कई गुणा ज्यादा रकम कमाने की लालच में इस फर्जी कंपनी के यहां कर देने की भारी भूल करके सबकुछ लुटाकर सड़कों पर आ गये हैं।हजारों बेरोजगार युवक इस गोरखधंधे में फंसकर इस कंपनी का एजंट बनकर लोगों से धन इकट्ठा करके शारदा समूह को देते रहे, पर अब यह रकम ग्राहकों को वापस होने की कोई हालत न होने की वजह से उनके लिए जान माल का भारी संकट पैदा हो गया है।ये लोग अपनी जान बचाने की फिराक में इधर उधर भटक रहे हैं।इस भयावह परिस्थिति में लोग आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। इसी कथा पर टालीवूड में एक फिल्म बन रही है।फिल्म का नाम है `कागजेर नौको'।फिल्मकार पार्थसारथी जोयारदार इस फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं।
तात्कालीक वर्तमान और सम सामयिक इस ज्वलंत मुद्दे पर फिल्म बनाये जाने के बारे में पूछे जाने पर पार्थसारथी ने बताया कि यह महज कोई सामान्य सामाजिक समस्या नहीं है, इसके आर्थिक व राजनीतिक आयाम भी भयंकर हैं।इसीलिए इस फिल्म से लोगों तक एक अति महत्वपूर्ण संदेश जाएगा।असल में ज्यादातर गांव देहात के लोग इस तरह चिटफंड के फरेब में आ जाते हैं, जिन्हें लालच देकर, गलत समझाकर निवेश के लिए प्रेरित कर दिया जाता है।फिल्म की कास्टिंग का उन्होंने खुलासा नहीं किया, लेकिन उनका दावा है कि इस फिल्म में टालीवूड के सबसे बेहतरीन कलाकार नजर आयेंगे।
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