BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Friday, May 18, 2012

सरकारी खर्च में कटौती हो या न हो तय हो कि आर्थिक संकट के बहाने जनते के लिए बेहद जरूरी योजनाओं में कटौती जरूर हो जायेगी!न नये पद सृजित होंगे और न रिक्तियों पर भर्ती होगी।

सरकारी खर्च में कटौती हो या न हो तय हो कि आर्थिक संकट के बहाने जनते के लिए बेहद जरूरी योजनाओं में कटौती जरूर हो जायेगी!न नये पद सृजित होंगे और न रिक्तियों पर भर्ती होगी।

​​मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

बाजार और अर्थ व्यवस्था का बंटादार हो गया और अब  कठिन आर्थिक परिस्थितियों के मद्देनजर राजकोषीय घाटा कम करने के लिए सरकार खर्चों में कटौती की तैयारी कर रही है। इसके तहत मंत्रियों और अधिकारियों की विदेश यात्राओं पर खर्च घटाया जाएगा। इसके साथ ही पांच सितारा होटलों में बैठकों के आयोजन पर रोक लगाई जा सकती है। इसके अलावा सरकार कार्यशालाओं और संगोष्ठियों के आयोजन पर खर्च में 10 फीसदी की कटौती कर सकती है। खर्च कम करने के लिये सरकार विभिन्न योजाओं के लिये आवंटित राशि में भी कमी ला सकती है।सरकारी खर्च में कटौती हो या न हो तय हो कि आर्थिक संकट के बहाने जनते के लिए बेहद जरूरी योजनाओं में कटौती जरूर हो जायेगी!आधिकारिक सूत्रों ने बताया, 'मितव्ययिता को दो भागों में बांटा जा सकता है। पहला राजकाज चलाने में आने वाले खर्च में कटौती और दूसरा विभिन्न योजनाओं को आवंटित राशि में कटौती से जुड़ा है।'वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने साफ कर दिया है कि बढ़ती सब्सिडी का भार उठाने और राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए सरकारी खर्चों में कटौती की जाएगी।  वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने राज्यसभा में बुधवार को कहा था कि सरकार वित्तीय स्थिति में सुधार लाने के लिए खर्चों में कटौती के लिए कुछ अलोकप्रिय उपायों की घोषणा कर सकती है। उन्होंने कहा, '...मैं कुछ अलोकप्रिय कदम उठाने जा रहा हूं, मैं खर्चों में कटौती के लिए कुछ उपायों की घोषणा करुंगा।'वैसे इसकी शुरुआत सरकार ने कर दी है। विदेश मंत्रालय का बुधवार को फाइव स्टार होटल में कॉन्फ्रेंस और लंच का प्रोग्राम था, पर बाद में उसे कैंसल कर दिया गया।वित्त मंत्रालय ने विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को विदेश यात्राओं में कमी लाने और पंच सितारा होटलों में बैठकों का आयोजन करने में एहतियात बरतने को कहा है। मंत्रालयों से कहा गया है कि वे कोई नया वाहन भी नहीं खरीदें। साल के दौरान बनने वाले संगठनों को छोड़कर कोई नया पद भी सृजित नहीं करें।जाहिर है कि जिनका नारा है कि करो सरकारी चाकरी वरना बेचो तरकारी, उन्हें बी निराशा ही हाथ लगेगी। न नये पद सृजित होंगे और न रिक्तियों पर भर्ती होगी। इसके विपरीत कई मंत्रालय विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए विदेशों में रोड शो करते रहते हैं। रोड शो में भारत के बाजार और अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाया जाता है। इन रोड शो के नाम पर मंत्री अपने मंत्रालय के अधिकारियों की पूरी फौज को विदेश ले जाते हैं।आर्थिक संकट जितना तेज होता जा रहा है, आईपीएल को खबरों का फोकस बनाकर बेसिक मुद्दे से भटकाने की खोशिशें उतनी ही तेज हो​ ​ रही हैं​। ताजा विवाद शहरुख खान को लेकर है, जिनके हक में बंगाल की मुख्यमंत्री और क्षत्रपों की सिरमौर ममता बनर्जी तक खड़ी हैं। आईपीएल के आरपार जनता को कुछ दीखें तभी न!

ताजा खबर यह है कि यर बाजार के उतार-चढ़ाव को कम करने के लिए सरकार विदेशों में मौजूद रिटेल निवेशकों को आकर्षित करने में जुट गई है।सरकारी कर्च घटाने के दावे के विपरीत निवेशकों को पटाने के लिए वित्त मंत्रालय, सेबी और आरबीआई के आला अधिकारी 10 जून से खाड़ी देशों की यात्रा पर निकलेंगे।लेकिन वित्त मंत्रालय के कई आला अधिकारी और बाजार के जानकार इस कैंपेन की टाइमिंग को गलत मान रहे हैं। सरकार की 2 साल में क्यूएफआई रूट के जरिए 4 लाख करोड़ रुपये जुटाने की कोशिश है।वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सरकारी खर्च घटाने के बनावटी उपायों के संकेत दिए हैं। इनमें कोई बढ़ी कटौती के बजाए विदेश यात्राओं पर रोक और नई गाड़ियां खरीदने जैसे घिसे पिटे तरीके शामिल हैं।जाहिर है कि सरकारी खर्च घटाने का ये बहुत पुराना तरीका है जिससे खास फायदा नहीं होता।प्रणव मुखर्जी ने 2 दिन पहले ही कहा था कि सरकार खर्च घटाने के बड़े फैसले करेगी और इसके लिए वो कड़वी गोली खाने को भी तैयार हैं। हालांकि वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का रेटिंग एजेंसी एसएंडपी की चिंताओं के मुताबिक 3 साल में सब्सिडी का खर्च 2 फीसदी से कम ले जाने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि सरकार इकोनॉमी को पटरी पर लाने के सभी उपाय कर रही है।माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक तेल कंपनियों की डॉलर मांग को पूरा करने के लिए सीधी खिड़की खोल सकता है।बहरहाल योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा है कि अनुकूल वैश्विक माहौल में देश का विकास अगले 20 साल तक आठ से नौ फीसदी की दर से हो सकता है।दूसरी ओर संसद की एक समिति ने भारतीय रिजर्व बैंक की महत्वपूर्ण अधिसूचनाओं को विशेष गजट में प्रकाशित करने में देरी के लिए वित्त मंत्रालय की खिंचाई की है।


केंद्रीय बजट में सरकार ने घोषणा की थी इस साल देश को चलाने के लिए करीब 10 लाख करोड़ रुपये चाहिए। मौजूदा समय में उसकी आमदनी 7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती हैं। ऐसे में खर्चों को पूरा करने के लिएउसके पास दो विकल्प हैं। या तो यह तीन लाख करोड़ रुपये का कर्ज ले ले या फिर कुछ खर्चा कम करके कर्ज की राशि कम कर दी जाए। अब हालत यह हो गई है कि आमदनी में बढ़ोतरी सीमित होने और खर्चे बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है। यही कारण है कि वित्त मंत्रालय ने योजनाओं में होने वाली राशि को यथावत रखते हुए सभी मंत्रालयों को लिखा कि वे गैरयोजनागत खर्चे यानी मंत्रालय को चलाने वाले खर्चों में 10 पर्सेंट की कटौती करें। जब मंत्रालयों के खर्चों को खंगाला गया तो सबसे ज्यादा राजनेताओं और नौकरशाही यानी उच्चाधिकारियों के खर्चों का हिसाब-किताब मिला। जितना खर्चा मंत्रालय खर्च करते हैं, उसमें करीब 30 से 40 पर्सेंट खर्चा हवाई यात्रा, फाइव स्टार होटलों में रहने, लंबी कारों की कतारें लगाने और फाइव स्टारों में दावतें देने में होता है।

अधीनस्थ कानूनों पर संसद की समिति ने कहा कि वित्त मंत्रालय को फेमा कानून के तहत रिजर्व बैंक की दो अधिसूचनाएं भेजी गई थीं, जिनका प्रकाशन भारत के गजट, विशेष में 16 साल बाद प्रकाशन हुआ।ये अधिसूचनाएं विदेशी मुद्रा प्रबंध नियमन में संशोधन से जुड़ी थीं। माकपा नेता के करुणाकरण की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि मंत्रालय ने इस देरी का कोई कारण नहीं बताया।समिति ने कहा है कि वित्त मंत्रालय को अपने प्रशासन संचालन में भारत सरकार के प्रेस के साथ समन्वय बिठाते हुये कोई ऐसी प्रक्रिया शामिल करनी चाहिये ताकि सरकार के असाधारण गजट में अधिसूचनाओं के प्रकाशन में इस तरह का विलंब नहीं हो।

इस बीत वैश्वक संकेत बाजार के लिए अच्छे तो नहीं ही हैं, सरकार पर सुधार कार्यक्रम में ऐर तेजी लाने के दबाव के सबब जरूर बन सकते हैं। इटली के 26 बैंकों की रेटिंग घटने के बाद अब स्पेन के 16 बैंकों की रेटिंग ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उथल-पुथल मचा दी है। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच ने ग्रीस की रेटिंग भी 'बी माइनस' से घटाकर सीसीसी कर दी है।तलहटी की ओर फिसल रहे रुपए से जहां तेल कंपनियों की जान सांसत में है, वहीं अपनी 60 फीसदी से ज्यादा कमाई विदेशों से करने वाली सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के वारे न्यारे हो रहे हैं।यूरोप का गहराता संकट वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ घरेलू स्तर पर भी संकट बढ़ा रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मजबूती रुपये को लगातार कमजोर कर रही है। शुक्रवार को भी रुपये की कीमत ढलान पर रही और एक डॉलर 54.91 रुपये तक पहुंच गया। रिजर्व बैंक के रुपये को समर्थन देने की नीति जारी रखने के बयान के बाद रुपया संभला और 54.42 पर आकर रुका। निवेशकों ने एशिया समेत सभी बाजारों से अपना निवेश निकालना शुरू कर दिया है। रुपये की कीमत पर भी इसका असर पड़ा है। वैसे, रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने कहा कि केंद्रीय बैंक रुपये की गिरती कीमत को रोकने की कोशिशें करता रहेगा। ऐसा करने में रिजर्व बैंक के लिए भी दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं। रुपये की कीमत को संभालने के फेर में देश का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 291.80 अरब डॉलर तक आ गया है। बढ़ते आयात के मद्देनजर सरकार के लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है।इन्फोसिस, टीसीएस, महिन्द्रा सत्यम और विप्रो जैसी दिग्गज आईटी कंपनियों और बिजनेस आउटसोर्सिंग कंपनियों की ओर से वित्त वर्ष 2011.12 की अवधि में आईटी सेवाओं के निर्यात से अर्जित करीब 100 अरब डॉलर की आय रुपए में आ रही गिरावट से और बढ़ने जा रही है जो आगे इनकी कई विस्तार योजनाओं के लिए मददगार साबित हो सकती है।आयातकों की मांग और डॉलर की तुलना में यूरो के पांच महीने के न्यूनमत स्तर पर लुढ़कने के दबाव से शुक्रवार को रुपया अंतरबैंकिंग मुद्रा कारोबार के शुरुआती दौर में 39 पैसे फिसलकर 54.87 रुपए प्रति डॉलर तक लुढ़क गया।सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों के लिए कमजोर रुपया तेल कीमतों में गिरावट के बावजूद खासी मुश्किल पैदा कर रहा है। आगे डॉलर की कीमत यदि एक रुपए भी बढ़ती है तो इन कंपनियों के लिए पेट्रोल, डीजल और केरोसीन पर 83 पैसे और रसोई गैस पर प्रति सिलेंडर 15.40 रुपए का उत्पादन भार बढ़ जाता है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा की 'वैश्विक आर्थिक और वित्तीय हालात 2012' बहस में मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने गुरुवार को कहा, ''आर्थिक संकट से पहले पांच साल के दौरान देश की आर्थिक विकास दर औसत नौ फीसदी रही थी और आर्थिक संकट के बाद यह लगभग सात फीसदी रही।''
उन्होंने कहा, ''मैं मानता हूं कि देश का विकास अगले 2० साल तक आठ से नौ फीसदी के बीच रह सकता है और वह भी समावेशी विकास के साथ रह सकता है।''उन्होंने कहा कि हालांकि घरेलू मोर्चे पर देश को यह लक्ष्य हासिल करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने इसके साथ ही कहा, ''यदि वैश्विक माहौल अनुकूल रहेगा तो इसमें मदद मिलेगी और हम दूसरों के साथ मिलकर इसके लिए काम कर रहे हैं।''
अहलूवालिया ने ऐसे कई उदाहरण दिए जो वैश्विक समुदाय विकासशील दुनिया के विकास की गति बढ़ाने के लिए कर सकता है। अन्य बातों के साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणालियों में प्रमुख विकासशील देशों की सहभागिता बढ़ाने की भी वकालत की।

अच्ची खबर यह है कि देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने शुक्रवार को कहा 31 मार्च को समाप्त तिमाही में उसका शुद्ध लाभ काफी अधिक वृद्धि के साथ 4,050 करोड़ रुपये दर्ज किया गया। इसमें बुरे ऋण प्रावधान और ऋण की मांग में वृद्धि ने प्रमुख भूमिका निभाई।बैंक ने शेयर बाजारों को दी गई सूचना में कहा कि पिछले कारोबारी साल की समान अवधि में उसे 20.88 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था।बम्बई स्टॉक एक्सचेंज एसबीआई के शेयर 5.86 फीसदी की तेजी के साथ 1,956.45 पर बंद हुए।बैंक की कुल आय आलोच्य अवधि में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 28 फीसदी अधिक 33,959.5 करोड़ रुपये रही।बैंक को 31 मार्च को समाप्त कारोबारी साल में इससे पिछले साल के मुकाबले 42 फीसदी अधिक 11,707.3 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ।इसी कारोबारी साल में बैंक की कुल आय 24 फीसदी अधिक 1,20,873 करोड़ रुपये रही।
बैंक की कुल गैर निष्पादित परिसम्पत्तियों का अनुपात आलोच्य अवधि में 4.44 फीसदी रहा, जो इससे पिछली तिमाही में 4.61 फीसदी था।कारोबारी साल 2011-12 के लिए बैंक ने 35 रुपये के लाभांश की सिफारिश की।

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