BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Sunday, May 10, 2015

कुजान-बुलाक के कालीनसाजों ने लेनिन को सम्मानित किया: ब्रेख्त

कुजान-बुलाक के कालीनसाजों ने लेनिन को सम्मानित किया: ब्रेख्त

Posted by Reyaz-ul-haque on 4/22/2015 09:58:00 PM

 
आज लेनिन का जन्मदिन है. हालांकि लेनिन खुद इसे कभी पसंद नहीं करते कि उनका जन्मदिन मनाया जाए. उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी इसे पसंद नहीं किया और अक्सर अपने जन्मदिन के आयोजनों को हतोत्साहित करते रहे. तो फिर एक क्रांतिकारी को कैसे याद किया जाना चाहिए?बेर्तोल्त ब्रेख्त की यह कविता एक राह दिखाती है. अनुवाद: रेयाज उल हक.
 

कॉमरेड लेनिन को अक्सर ही
और खूब सम्मान दिया जाता है. उनकी सीने तक ऊंची और आदमकद मूरतें हैं. 
शहरों और बच्चों को उनका नाम दिया गया है
लेनिन की शान में, विभिन्न जबानों में भाषण दिए गए हैं
बैठकें हुई हैं, प्रदर्शन हुए हैं
शंघाई से लेकर शिकागो तक.
लेकिन दक्षिणी तुर्किस्तान में कुजान-बुलाक के 
कालीनसाजों की एक छोटी-सी बिरादरी ने 
उन्हें इस तरह सम्मानित किया.

बीस कालीनसाज रहते हैं वहां, और शाम को
जब वे बुनाई की अपनी छोटी तिपाइयों पर बैठे तो वे बुखार से कांप रहे थे
बुखार बढ़ता जा रहा था: रेलवे स्टेशन
मच्छरों के भनभनाते हुए बादलों से भरा था
जो ऊंटों के पुराने अहाते के पीछे की दलदल से उठते थे.
लेकिन रेल, जो
हर दो हफ्ते में ले आती थी पानी और धुआं, एक दिन
यह खबर भी लाई
कि लेनिन की याद में मनाया जाने वाला दिन आ रहा है.
और कुजान-बुलाक के लोगों ने फैसला किया,
कि उनकी बिरादरी में भी कॉमरेड लेनिन की
सीने तक ऊंची, प्लास्टर की एक छोटी सी मूरत लगनी चाहिए,
क्योंकि वे बेचारे गरीब बुनकर हैं.
लेकिन जब वे 
मूरत के लिए पैसे जमा कर रहे थे
सबको बुखार की हरारत थी और मुश्किल से कमाए गए कोपेक 
अपने कांपते हाथों से गिन रहे थे.
और लाल फौज का स्तेपा गामेलेव, 
जो सावधानी से पैसे गिन रहा था और उनको बारीकी से देख रहा था,
उसने लेनिन को सम्मानित करने की उनकी चाहत देखी और खुश हुआ
लेकिन उसने उनके कांपते हुए हाथ भी देखे.
और अचानक उसने एक पेशकश की
कि वे लेनिन की मूरत के लिए जमा किए गए पैसों से पेट्रोलियम खरीदें
और उसे ऊंटों के अहाते के पीछे की दलदल पर छिड़क दें
जहां से मच्छर उठते हैं
और अपने साथ बुखार लाते हैं.
इस तरह वे कुजान-बुलाक में बुखार से लड़ भी लेंगे और जोरदार तरीके से
मरहूम को सम्मानित भी कर लेंगे,
वे मरहूम कॉमरेड लेनिन, जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता. 

वे इस पर राजी हो गए. लेनिन की याद में मनाए जाने वाले दिन को
वे अपनी टूटी-फूटी बाल्टियों में काला पेट्रोलियम लेकर आए
एक एक कर
और उसे दलदल के ऊपर उंड़ेल दिया.

इस तरह उन्होंने लेनिन को सम्मानित करते हुए खुद की मदद की 
और खुद की और दूसरों की मदद करते हुए लेनिन को सम्मानित किया
और इसी तरह उन्होंने लेनिन की समझ हासिल की. 

हमने सुना कि कैसे कुजान-बुलाक के लोगों ने
लेनिन को सम्मानित किया. फिर, दिन ढलने के बाद शाम को
जब पेट्रोलियम खरीदा गया और दलदल के ऊपर ऊंड़ेला गया
उनकी सभा में से एक आदमी उठा और उसने
स्टेशन पर इस घटना के बारे में एक पट्टी लगाने की चाहत जताई
जिसमें दर्ज हों इसकी दोनों योजनाओं के ब्योरे 
कि कैसे योजना बदली गई और लेनिन की सीने तक ऊंची मूरत के बदले में
बुखार को जलाने वाला पेट्रोलियम खरीदा गया.
और यह सब लेनिन के सम्मान में किया गया.
और उन्होंने यह भी किया
उन्होंने वह पटरी भी लगाई.


(तस्वीर में बाएं से: एलेक्जेंडर बोग्दानोव, मैक्सिम गोर्की और लेनिन, शतरंज खेलते हुए) 

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