BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Tuesday, September 3, 2013

उत्तराखण्ड पुनर्निर्माण


Status Update
By Rajiv Lochan Sah
श्री चंद्रशेखर करगेती ने सुझाव दिया है और सही सुझाव दिया है कि इसे 'पुनर्निर्माण' न कह कर 'नवनिर्माण' कहा जाये. बहरहाल यह निमंत्रण कई जगह इसी रूप में चला गया है. इस मुद्दे पर मौके पर बातचीत कर ली जायेगी. फिलहाल इस सम्मलेन को सफल बनाने और इसमें अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ने के लिये कमर कस लें. इस कुशासन को 'अपना भाग्य' कह कर हम हमेशा के लिये नहीं ढो सकते. जो लोग आना चाहते हैं, वे समीर रतूड़ी अथवा अरण्य रंजन से FB के माध्यम से या उनके दिए गये नंबरों पर संपर्क करें. हाँ, हमें आर्थिक सहयोग की जरूरत भी होगी, क्योंकि यह सारा आयोजन जनता का, जनता द्वारा और जनता के लिये है....


उत्तराखण्ड पुनर्निर्माण
जून 2013 के तीसरे सप्ताह में आई भीषण आपदा से उत्तराखण्ड अभी तक नहीं उबर पाया है। जनता न तो यह समझ पायी है कि यह दुर्भाग्य उसके हिस्से आया क्यों और न ही उसे आगे के लिये कोई रास्ता मिल पा रहा है। सरकार और प्रशासन पूरी तरह लकवाग्रस्त हैं और चिन्ताग्रस्त नागरिक अपनी-अपनी तरह से इन गुत्थियों को सुलझाने में लगे हैं। 
अधिक व्यवस्थित रूप से इन उत्तरों को ढूँढने के लिये 21 तथा 22 सितम्बर (शनि तथा रविवार) 2013 को श्रीनगर (गढ़वाल) में एक सम्मेलन किये जाने का निर्णय लिया गया है। श्रीनगर पहले भी तमाम प्राकृतिक (1803 का भूकंप, 1894 की बाढ़ आदि) तथा मानवकृत आपदाओं (1970 आदि) को झेल चुका है। इस बार भी अतिवृष्टि और मानवविरोधी विकास का बहुत बड़ा खामियाजा उत्तराखण्ड के इस सांस्कृतिक-शैक्षिक केन्द्र ने भोगा। 
विचार-विमर्श हेतु कुछ बिन्दु इसप्रकार हो सकते हैं:-
जून 2013 आपदा का गहनतम विश्लेषण, विभिन्न इलाकों की स्थिति की समीक्षा, शासन-प्रशासन की गैर जिम्मेदारी का मिजाज। जमीन, जंगल तथा जल सम्पदा के सरकारी तथा निजीकरण और संरक्षित क्षेत्रों से ग्रामीणों को अलग कर देने के दुष्परिणाम; खनन, जल विद्युत परियोजनाओं व नदी तटों पर अवैज्ञानिक तरीकों से सड़क व भवन निर्माण के दुष्परिणाम। गाँवों का निराशाजनक यथार्थ, गाँव से शहर-कस्बों तथा पहाड़ से मैदान को पलायन के कारण और निदान। अनियंत्रित तीर्थाटन-पर्यटन और मैदान केन्द्रित औद्योगीकरण से उत्पन्न समस्यायें, रोजगार और उद्यमिता के नये और व्यावहारिक तरीके। जल विद्युत उत्पादन का जनहितकारी तरीका तथा वैकल्पिक ऊर्जा की सम्भावनायें। माफिया, नेता और नौकरशाहों की गिरफ्त में फँसे भ्रष्ट राजनीतिक तंत्र और नाकारे प्रशासन की असफलता तथा 72वंे-73वंे संविधान संशोधन कानूनों की सम्भावनायें।
इन और इन जैसे अन्य मुद्दों पर बातचीत के लिये तैयार होकर आयें और सम्मेलन से दिमाग को और अधिक साफ कर अपनी जगह वापस जायें। हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि यह सम्मेलन आपदा से जर्जर उत्तराखंड के पुनर्निर्माण के लिये हो रहा है, महज बौद्धिक विलास के लिये नहीं। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये हमें ग्रामीणों, महिलाओं और उन युवाओं की बहुत अधिक जरूरत है, जो उत्तराखंड का भविष्य खुशहाल बनाने के लिये जूझ सकें। इस सम्मेलन की सूचना आपको इसी रूप में फैलानी है। यह कहने की जरूरत नहीं कि इस आयोजन को सफल बनाने में हम आपसे वैचारिक ही नहीं, आर्थिक सहभागिता की भी अपेक्षा रखते हैं। 

विनीत:

(शेखर पाठक) (राजीव लोचन साह)
9412085755 9458160523

(समीर रतूड़ी) (अरण्य रंजन)
9536010510 9412964003

दिनांक : 2 सितम्बर 2013

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