BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Thursday, September 26, 2013

बहुत मुश्किल है कि गुलशन का कारोबार चलें बहुत कड़ी है धूप इन दिनों दोस्तों कहीं कोई दरख्त नहीं, न है साया किसी दरख्त का कि सर बचाने की ओट खोजने को चले मोहब्बत की खातिर नहीं, अब रोजमर्रे की जिंदगी में हम घिरे हैं आग के दरिया से बहुत खूब कि डूबकर चलना है

बहुत मुश्किल है कि गुलशन का कारोबार चलें

बहुत कड़ी है धूप इन दिनों दोस्तों

कहीं कोई दरख्त नहीं,

न है साया किसी दरख्त का

कि सर बचाने की ओट खोजने को चले

मोहब्बत की खातिर नहीं,

अब रोजमर्रे की जिंदगी में

हम घिरे हैं आग के दरिया से

बहुत खूब कि डूबकर चलना है


पलाश विश्वास


बहुत मुश्किल है कि गुलशन का कारोबार चलें

बहुत कड़ी है धूप इन दिनों दोस्तों

कहीं कोई दरख्त नहीं, न है साया किसी दरख्त का

कि सर बचाने की ओट खोजने को चले

मोहब्बत की खातिर नहीं,अब रोजमर्रे की जिंदगी में

हम घिरे हैं आग के दरिया से

बहुत खूब कि डूबकर चलना है


कृपया गौर करें,

अब तक 1.5 लाख करोड़ रुपये मूल्य की

38 परियोजनाओं को मंजूरी दी है

प्रधानमंत्री के परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी) ने

लंबित पड़ी परियोजनाओं पर

निगरानी के लिए किया गया था

इस समूह का गठन

वेबसाइट पर 244 परियोजनाएं हैं

जिनमें निवेश जुड़ा हुआ है

12.5 लाख करोड़ रुपये का

सबसे अधिक 80 परियोजनाएं

बिजली क्षेत्र की हैं

इन 244 परियोजनाओं में

संख्या लगातार बढ रही है


फिर खुशी मनायें अपनी बेदखली की

केंद्र सरकार के कर्मचारियों को

इस त्योहारी माहौल में नदारद

सबसे खुशबूदार फूलों की सौगात

दस फीसदी मंहगाई भत्ता में

इजाफे के बाद अब

सातवें वेतन आयोग की भी घोषणा

बधाई हो, केंद्रीय कर्मचारियों

दिवाली में घी के दिये जलाने के लिए

बंगाल में अभी मंहगाई भत्ता

अड़तीस फीसद बकाया था

उसमे जुड़ गया दस फीसद और

कर्मचारियों को वेतन बाबत

राजस्य आय खप जाती सारी

बाकी निजी पूंजी की महिमा है


वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने एक बयान में कहा, 'प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 7वें वेतन आयोग के गठन का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है। इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू होने की संभावना है।'


सरकार ने 7वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा ऐसे समय में की है, जब नवंबर में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले साल आम चुनाव होने हैं। वेतन आयोग की सिफारिशों से करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 35 लाख पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे।


बाकी राज्यों का हाल और ब्यौरा

हमें मालूम नहीं दोस्तों

लेकिन समानता की मांग पर

आंदोलन तय है

और राज्य सरकारों की तरफ से

घोषणाएं भी तय हैं

चाहे आर्थिक बदहाली की

मजबूरी जितनी हो

राज्य सरकार के कर्मचारियों को

भी समानता के अधिकार के तहत

केंद्र समान वेतन तय है


जैसे की गैरकानूनी

आधार योजना पर

सर्वदलीय सहमति तय है

जल जंगल जमीन से

जबरन बेदखली पर

सर्व दलीय सहमति तय है

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर

सर्वदलीय सहमति तय है

सरकारी कंपनियों के विनिवेश पर

सर्वदलीय सहमति तय है

जैसे एअर इंडिया खरीदने की

तैयारी है टाटा की

वैसे रिलायंस भी खरीद सकता है

ओएनजीसी,तेल कंपनियां सारी

बैंकों की भी बंदर बाट तय है

कोयला ब्लाकों के आबंटन की तरह


लालीपाप का सिलसिला जारी है

त्योहार बाजार में झोंका गया है

बोनस सारा का सारा

जिन्हें मिला उनका ही बोनस

मंहगाई भत्ता भी बाजार में

अब सातवें वेतन आयोग की

खुशी से भी बाजार है बम बम


खुसी मनायें कि रोयें कि

देखें अने साथी सहकर्मी

गुरुजी जयनारायण को

जो बुरी तरह फंस गये

बीमा बाजार में

उनकी जिद है कि

कंप्यूटर पर नहीं बैठेंगे

बाजार उछलने की खबर

से फौरन खुश

एजंट को करते फोन

फिर मायूस कि उछलने के

फौरन बाद फिर

गिर गया बाजार

वर्षों से निकाल ही

नहीं पा रहे पैसा


वैसे बहुत तेज हैं गुरुजी

उनके भाई कैंसर के मरीज हैं

निजी अस्पताल में भर्ती हैं

मंत्री संतर को पकड़कर

छूट की अर्जी थमा दी तो

अस्पताल से कहा गया कि

घर ले जायें पेशेंट

टका सा जवाब उन्होंने दे दिये

कि आखिर अस्पताल है

किस लिए,अस्पताल फंसा है

हमने चेतेया कि गुरुजी

ये लोग बहुतै बदमाश है

लाश फंसा देते हैं

पहले पैसे दो फिर

मिलेगी लाश परिजनों को

गुरुजी का गजब फार्मूला है

जो मर गया सो मर गया

लाश लेकर हम क्या करेंगे

अस्पताल को अंत्येष्टि करने दो

इतने धुरंधर अपने गुरुजी

बीमा का पैसा निकाल नहीं पा रहे हैं

शेयर उछालने की टाइमिंग की बाट

जोह रहे हैं और गनीमत है कि

वे विशुद्ध कुंवारे हैं

उनकी कोई बाध्यता नहीं है

वे कर सकते हैं इंतजार

लेकिन जिन्हे फौरन पैसा चाहिए

उनका क्या होगा कालिया


अब लीजिये खबर सबसे खतरनाक है यह

कि देश के पूंजी बाजारों में छोटे शहरों से निवेशकों की भागीदारी में वृद्धि देखी जा रही है। देश के सबसे बड़े शेयर बाजार एनएसई में छोटे शहरों के निवेशकों की भागीदारी उसके कुल ग्राहक आधार में 50 प्रतिशत तक पहुंच गई।


जाहिर है कि इसीलिए शहरीकरण की कवायद है और उपभोक्ता बनाने की सर्वशिक्षा है। वेतन बत्ते हम स्वेछ्छा से स्वाहा कर रहे हैं शेयर बाजार में इनदिनों।हम अमेरिकी हो गये हैं इन दिनों।


सबसे खतरनाक है कि सांढ़ों। भावों पर इन्हीं के निरंकुश जीवनशैली का असर है और भालुओ के अनुयायी यही लोग शहरो के बाजार पर हावी हैं।


सबसे खतरनाक है कि महानगरों और नगरो के पढ़े लिखे लोग आर्थिक सुधारों का,पीपीपी माडल का और संस्थागत निवेशकों का सबसे बड़ा समर्थक वर्ग है। जनादेश बनाने में और धर्मोन्मादी राष्ट्रवादी की लहलहाती फसल उगाने में इस नवधनाढ्य सत्ता वर्ग की कोई सानी नहीं है।


नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) द्वारा वर्ष 2012.13 के लिये जारी आंकड़ों के मुताबिक बाजार में कारोबार करने वाले कुल खुदरा निवेशकों में से नकद सौदा प्लेटफार्म पर कारोबार करने वाले 50 प्रतिशत निवेशक छोटे शहरों से आते हैं।


एनएसई के आंकड़ों के अनुसार बाजार के नकद भुगतान वर्ग में होने वाले कुल कारोबार में 43.7 प्रतिशत कारोबार खुदरा निवेशकों का रहा और ये सभी निवेशक पहली और दूसरी श्रेणी के अलावा छोटे शहरों से थे।


पहली श्रेणी के टीयर 1 शहरों में बैंगलुर, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई और कोलकाता हैं जबकि दूसरी श्रेणी के टीयर 2 शहरों में अहमदाबाद, जयपुर, कानपुर, लखनउ, नागपुर, पुणे और सूरत शामिल हैं। एनएसई ने कहा है कि इससे संकेत मिलता है कि खुदरा निवेशकों को अभी भी भारतीय शेयर बाजारों में और देश की आर्थिक वृद्धि की कहानी में पूरा विश्वास है।


वर्ष 2012.13 में देश के सबसे प्रमुख बाजार एनएसई में 27 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ। एनएसई ने कहा है कि वर्ष 2012.13 में नकद कारोबार श्रेणी में उसका खुदरा कारोबार देश की जीडीपी के अनुपात में बढ़कर 19.66 प्रतिशत तक पहुंच गया, जबकि इससे पिछले वर्ष में यह 14.11 प्रतिशत पर था।


गौरतलब है कि सरकार अपने कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन करने के लिए हर 10 साल में वेतन आयोग का गठन करती है और अक्सर राज्यों द्वारा कुछ संशोधन के साथ इन्हें अपनाया जाता है।


चिदंबरम ने कहा कि चूंकि आयोग को अपनी सिफारिशें तैयार करने में करीब 2 साल का समय लगता है, 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू किए जाने की संभावना है। इससे पहले छठे वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2006 से लागू की गई थीं।




सोदपुर में दो बड़े शापिंग सेंटर हैं

आसपास से बसों में

चढ़ नहीं सकते आप

खरीददारों की इतनी भीड़

पचास हजार एक लाख की

साड़ी के लिए मारामारी भारी

लेन देन की साड़ियां भी

दस हजार से क्या कम है

त्योहारी बाजार बम बम है


जीरो डाउन ईएमआई पर

खरीददारी पर रोक के हल्ले से

सुनते हैं कि उपभोक्ता

बाजार में सन्नाटा है

गाड़ियां बिना ड्राइंविंग लाइसेंस

बंगाल में ही संकरी सड़कों पर दौड़ेंगी

पचासों हजार नयी


प्रापर्टी बाजार में सन्नाटा है

पांच साल पहले हमने

एकबार ट्राई मारी थी

दो कमरे के प्लैट के लिए

आठ लाख पर सौदा तय सा था

क्रज के लिए एप्लाई कर ही रहे थे

कि प्रोमोटर ने कहा कि

एक लाख ब्लैक में देने होंगे

हाथ पांव फूल गये हमारे

सफेद पैसे ही नहीं हैं

ब्लैक कहां से लाये

अब अपने इलाके में

कहीं नहीं है पचास लाख से

नीचे किसी फ्लैट का भाव


सविता उलाहना देती कि

जवानी में लिखी नहीं कविताएं

अब खूब लिख रहे हो कविताएं

जवानी दीवानी और प्रेम कहानी

से अलग नहीं हैं कविताएं


कविताओं में सामाजिक सरोकार हों

कोलाहल का तमगा बहुत पुराना है

काजी नजरुल अब भी जिंदा हैं

उसी तमगे के साथ

सामाजिक यथार्थ हो कविता में

तो विशुद्धता के देवता नाराज


हम तो लोक की पुरानी

परंपरा को ही आजमा रहे हैं

कविता के लिए कविता

प्रकाशित प्रसारित होने के लिए

कविता में बात नहीं कह रहे

शब्दबंध में बांधकर

सामाजिक यथार्थ

मोबाइल फेसबुक से

अपने लोगों तक संदेशा

पहुंचा रहे हैं कि

सिंहद्वार पर बहुत है तेज

बहुत तेज है दस्तक सिंहद्वार पर

जाग सको तो जाग जाओ भइया


अर्थव्यवस्था का तिलिस्म यह

अति भयंकर है,प्याज की परतों की तरह

आंखों में भरा पानी है

जैसा आता है जहां से

पैसा लौटता भी है वहीं से

सरकारी कर्मचारियों को

केंद्र समान वेतनमान का

सीधा मतलब है

राज्यों में राजस्व घाटा

भुगतान असुंतलन भारी

निजी पूंजी का अबाध प्रवाह

और विकास का पीपीपी माडल




खाद्यसुरक्षा पर सालाना

खर्च होंगे एक लाख 27 हजार करोड़

पहली जनवरी से अस्सी लाख

कर्मरत और पेंशनधारक

सरकारी कर्मचारियों को

मिलेगा सतवें वेतन आयोग

का वेतनमान,अंदाजा है कि

कोई अंदाजा नहीं कितने लाख

करोड़ खर्च होंगे वेतन और भत्ते में

केंद्र सर्कार और राज्य सरकारों के


इसका सीधा मतलब गैरकानूनी

आधारकार्ड के जरिये भी

बाकी लोगों को बहुत दिनोंतक

नहीं मिलने वाला राशन

कैश सब्सिडी भी दो रातों की चांदनी है

फिर अंधेरी रात है और

जिसकी कोई सुबह नहीं

सारी सब्सिडी ख्तम हो जानी है

सारी सरकारी कंपनियां बिक जानी है


मजा देखिये,छठां वेतनमान लागू हो गया

सातवां घोषणा होने के दो साल बाद

लागू हो जाना है

हमारे सर्व शक्ति मान मीडिया कर्मियों की

गत देख लीजिये एकबार

एनडीए ने आकर सभी संस्करणों के

लिए तय कर दिये अलग अलग वेतन

यानी दिल्ली में जिस काम के अस्सी हजार

अन्यत्र उसीके लिए आठहजार भी नहीं

केंद्र समान वेतनमान की तस्वीर का

यह अजब दूसरा रुख है

छठा वेतनमान लागू होने से पहले

अ तक लागू नहीं हो सका

मजीठिया वेतनमान

सत्तादलों के सारे सिपाहसालार

इनदिनों मीडिया मालिक हैं

ठेके परहै मीडिया

जब चाहो रख लो

जब चाहो निकाल बाहर करो

मशरूम की तरह है चैनल

हर शहर में हैं चैनल

सारे लोग स्टिंग में मशगुल

वेतन लेकिन दो चार हजार

सारकारी कर्मचारी की पगार

वहीं चालीस साठ हजार

कम से कम,उसपर भत्ते सौ फीसद


यह हमारा भोगा हुआ यथार्थ है

बेसरकारी कर्मचारी सारे ठेके पर

वेतनमान कोई नहीं

न काम के घंटे हैं

न तमाम भत्ते हैं

न कोई समानता है

सब सौदेबाजी है

समता और सामाजिक न्याय

का यह अजब दर्शन है


कोई पत्रकार लेकिन

मजीठिया लागू करने

की बात नहीं करता

गढ़े हुए मुर्दे उखाड़ने में

बहुत माहिर हैं

तमाम मीडिया मठाधीश

हवाई यात्राओं में रोजमर्रे की जिंदगी

बिताने वालों को क्या मतलब

कि किसकी किसकी हो रही है

कहां कहां छंटनी

क्या मालूम की दशकों से

एक ही वेतनमान पर

कौन कौन खप रहा है

जिस पद पर हुए नियुक्त

उसी पद पर कौन कौन हो रहा रिटायर


कालेजों में सेवा 65 साल तक

केंद्रीय कर्मचारियों की सेवा अब

हो गयी 62 साल तक

जबकि बेसरकारी महकमे में

58 साल होते ही रिटायर

वीआरएस की कहानी अलग है

सामाजिक न्याय की

कथा व्यथा भी अलग है




रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने डेबिट और क्रेडिट कार्ड के जरिए खरीदारी करने पर जीरो इंटरेस्ट रेट की अट्रैक्टिव स्कीम पर रोक लगा दी है. यानी अब आपको जीरो इंटरेस्ट पर कोई भी सामान नहीं मिलेगा.

ग्राहकों को लुभाने के लिए कई बैंक मोबाइल, लैपटॉप, टीवी जैसे इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स समेत कई दूसरी चीजों की खरीदारी पर जीरो इंटरेस्ट रेट जैसी स्कीम देते थे लेकिन रिजर्व बैंक ने अब इस स्कीम पर पाबंदी लगा दी है.

रिजर्व बैंक ने कहा है कि डेबिट और क्रेडिट कार्ड के जरिए कंज्यूमर गुड्स की खरीद पर बैंकों द्वारा पेमेंट में अडिशनल चार्जेज नहीं छोड़े जा सकते. रिजर्व बैंक के इस फैसले के बाद आपको ब्याज के बिना किस्त पर सामान नहीं मिल पाएगा.


फ्री लंच जैसी कोई ऐसी चीज नहीं! ये बात उस चीज पर लागू होती है जिस पर मुफ्त या 'जीरो' पर्सेट (फीसद) लिखा रहता है। इस शब्द या कहें स्कीम का मकसद ग्राहकों को खरीदारी के लिए उकसाना है। हालांकि, यह ग्राहकों के लिए खरीदारी का सुविधाजनक साधन तो है लेकिन सस्ता नहीं है। जीरो देखकर ही हमें विश्वास हो जाता है कि यह तो हमें फ्री में मिलने वाला है, लेकिन फाइनेंस की भाषा बड़ी चतुर होती है। आइये हम आपको उन तथ्यों से रूबरू कराते हैं जो इस जीरो के पीछे छिपे बैठे हैं।

जीरो पर्सेट फाइनेंस स्कीम कई ग्राहकों को आकर्षित करती है। उनके मन में मुफ्त का भ्रम भी पैदा करती है। हालांकि, रिजर्व बैंक के कड़े नियमों की वजह से कई बैंकों ने इस प्रकार की स्कीम बंद कर दी है। लेकिन विभिन्न नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (एनबीएफसी) ये काम कर रही हैं। जीरो पर्सेट फाइनेंस और इंस्टॉलमेंट का मतलब यही समझता जाता है कि आपको कोई ब्याज नहीं देना होगा लेकिन ऐसा होता नहीं। आप असल में ज्यादा पैसे खर्च देते हैं।

पहले तो इस जीरो पर्सेट स्कीमों में छिपी लागत का पता नहीं चलता। सबसे बड़ा नुकसान यही है कि आपको खरीदी गई वस्तु पर कैश डिस्काउंट नहीं मिलता। यदि आप 48,000 रुपये का एलईडी टीवी खरीदने का फैसला लेते हैं। इसे लेने के लिए यदि आप जीरो पर्सेट स्कीम का इस्तेमाल करते हैं तो आपको छह माह तक प्रति माह 8,000 रुपये की ईएमआई देनी होगी।

अब आप देखें की आपको कितना और देना पड़ेगा जिसे आपको बताया नहीं जाएगा। आपको शुरुआत में ही 1,000 रुपये की प्रोसेसिंग फीस देनी पड़ेगी और जैसे कि आप जीरो पर्सेट स्कीम का इस्तेमाल करते हैं तो आपको 2,000 रुपये का कैश डिस्काउंट नहीं मिलेगा। इसका मतलब आपको मुफ्त के नाम पर 3 हजार रुपये का नुकसान होगा।

हालांकि, अब अगर आप इस त्योहारी मौसम में फोन या टीवी खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो इंट्रेस्ट फ्री स्कीम के भरोसे मत रहिएगा। यह स्कीम वापस ली जा रही है। आरबीआई ने बैंकों से महंगी शॉपिंग के बिल को क्रेडिट कार्ड इंस्टॉलमेंट में बदलने से मना किया है। आरबीआई ने कहा है कि यह ग्राहकों को एक तरह से भुलावे में रखना है। रिजर्व बैंक का मानना है कि जीरो पर्सेट स्कीम से कंज्यूमर्स को बेवकूफ बनाया जा रहा है। खरीदारों को लगता है कि इस स्कीम में बैंक फ्री में लोन दे रहे हैं। इसलिए आरबीआई इसे रोकना चाहता है।



केंद्र सरकार की ओर से सातवें वेतन आयोग केगठन की घोषणा से उत्तराखंड का कर्मचारी वर्ग खासा खुश है। हालांकि, वर्ग इस बात से नाराज भी है कि प्रदेश में कम से कम अभी छठे वेतन आयोग की संस्तुतियों को ढंग से लागू नहीं किया गया।


आंदोलन की राह पर

छठे वेतन आयोग की वेतन विसंगतियों को दूर करने को लेकर प्रदेश का एक बड़ा कर्मचारी वर्ग इस समय आंदोलन की राह पर है। सातवें वेतन आयोग की घोषणा से इन्हें कुछ राहत जरूर मिली है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष प्रहलाद सिंह, प्रवक्ता अरुण पांडे के मुताबिक सातवें वेतन आयोग का गठन केंद्र ने समय से किया है।


दो साल बाद आयोग की संस्तुतियां सामने आएंगी। पर इससे पहले सरकार को छठे वेतन आयोग की वेतन विसंगतियों को दूर करना चाहिए। 27 को कर्मचारी सचिवालय कूच करेंगे और अक्टूबर में हड़ताल का फैसला किया जा चुका है।


सरकार पर पड़ेगा दबाव

दूसरी ओर निगम कर्मचारियों की भी मांग है कि सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों को सभी कर्मचारियों के लिए समान रूप से लागू किए जाने का प्रावधान किया जाए। सरकार पहले केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों को वेतन लाभ देती है और इसके बाद निगमों के लिए आदेश किया जाता है।


वहीं, सातवेंवेतन आयोग के गठन की घोषणा के बाद से सरकार पर भी इसका दबाव पड़ना तय है। ऐसे में छठे वेतन आयोग की संस्तुतियों के बाद सामने आई वेतन विसंगतियों को दूर करने केलिए भी अधिक तेजी दिखानी होगी।


तुरुप का पत्ता फेंका है। बुधवार को सातवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी देकर सरकार ने देश के करीब 50 लाख से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों और 35 लाख से ज्यादा पेंशनरों को बड़ा तोहफा दिया है। कांग्रेस ने तत्काल इस घोषणा को भुनाते हुए इसे संप्रग सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की माला में एक और मोती करार दिया। सरकार की यह घोषणा इसलिए अप्रत्याशित है क्योंकि इसी वर्ष मार्च में संसद में वित्ता राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा ने सातवें वेतन आयोग के सवाल पर जवाब में कहा था कि सरकार अभी ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार करने की स्थिति में नहीं है। सरकार अपने कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन करने के लिए हर 10 साल में वेतन आयोग का गठन करती है। अक्सर राज्य कुछ संशोधनों के साथ इन्हें अपनाते हैं। इससे पहले छठे वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2006 से लागू की गईं थीं।

वित्ता मंत्री पी. चिदंबरम ने वेतन आयोग के गठन की घोषणा करते हुए कहा कि आयोग दो साल में अपनी सिफारिशें पेश करेगा। इसके चेयरमैन और सदस्यों के नामों की घोषणा जल्द ही की जाएगी। चिदंबरम ने कहा 'प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सातवें वेतन आयोग के गठन का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है। इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू होने की संभावना है।' दरअसल, 2009 के चुनाव से पहले आजमाए गए हर टोटके को लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस इस दफा भी आजमा रही है। गरीबों, किसानों के बाद केंद्रीय कर्मचारियों को लुभाने का यह दांव लोकसभा से पहले दिल्ली के विधानसभा चुनावों में भी बेहद कारगर होगा। पिछले लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों और विधानसभा चुनावों में जीत का श्रेय छठे वेतन आयोग के लागू होने को दिया गया था। पिछली बार मजदूरों और किसानों के लिए मनरेगा और किसानों की कर्ज माफी जैसी योजनाएं लाई गई थीं तो इस दफा संप्रग ने खाद्य सुरक्षा से लेकर भूमि अधिग्रहण कानून लागू कर गरीब और किसानों को खुश किया। अब सातवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा से महंगाई से त्रस्त करोड़ों लोगों में करीब 85 लाख लोगों को सीधे राहत दी गई है।

सातवें वेतन आयोग को लागू करने पर केंद्रीय खजाने पर एक लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। छठे वेतन आयोग में 40 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ा था। तब वित्ता मंत्री ने भी स्वीकार किया था कि उसकी वजह से राजकोषीय घाटा बढ़ा है। अब इस नए वेतनमान को पूरा करने के बाद आर्थिक संतुलन कायम रखना नई सरकार की चुनौती होगी। घोषणा के साथ ही कांग्रेस ने इसे भुनाना भी शुरू कर दिया है। कांग्रेस महासचिव व संपर्क विभाग के प्रमुख अजय माकन याद दिलाना नहीं भूले कि छठे वेतन आयोग की घोषणा से राजग सरकार पलट गई थी, लेकिन संप्रग ने इसे लागू कराया। कांग्रेस प्रवक्ता राज बब्बर ने कहा कि यह फैसला कांग्रेस की आम आदमी के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है।

यूनियन व उद्योग जगत ने किया स्वागत

कंफेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट इंप्लाइज एंड वर्कर्स के अध्यक्ष केएन कुट्टी ने इसका स्वागत किया और मांग की कि इसे 1 जनवरी, 2011 से लागू किया जाना चाहिए। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में वेतनमान हर पांच साल में संशोधित किया जाता है। उद्योग जगत ने भी इसका स्वागत किया और कहा कि इससे आर्थिक व्यवस्था सुधरेगी। पीएचडी उद्योग चैंबर के अध्यक्ष जेएस खेतान ने कहा कि छठे वेतन आयोग की वजह से अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ी थी, जिसके सकारात्मक परिणाम आए थे।


कार्ड से खरीदारी: जीरो इंटरेस्ट स्कीम पर आरबीआई ने लगाई रोक

जीरो इंटरेस्ट स्कीम पर आरबीआई ने लगाई रोक


नवभारतटाइम्स.कॉम | Sep 26, 2013, 07.50AM IST

मुंबई।। डेबिट और क्रेडिट कार्ड के जरिए खरीदारी करने पर अब आपको जीरो इंटरेस्ट रेट की अट्रैक्टिव स्कीम नहीं मिल पाएगी। आरबीआई ने ऐसी स्कीम पर रोक लगा दी है।


रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने डेबिट और क्रेडिट कार्ड के जरिए कंज्यूमर गुड्स खरीदने के लिए जीरो इंटरेस्ट रेट पर रोक लगाई। अब तक कई बैंक मोबाइल, लैपटॉप, टीवी जैसे इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स समेत कई दूसरी चीजों की खरीदारी पर ग्राहकों को लुभाने के लिए जीरो इंटरेस्ट रेट जैसी स्कीम चला रहे थे। रिजर्व बैंक ने ऐसी स्कीम को तत्काल बंद करने का आदेश दिया है।


रिजर्व बैंक ने कहा है कि डेबिट और क्रेडिट कार्ड के जरिए कंज्यूमर गुड्स की खरीद पर बैंकों द्वारा पेमेंट में अडिशनल चार्जेज नहीं छोड़े जा सकते। रिजर्व बैंक के इस आदेश से अब आपको ब्याज के बिना किस्त पर सामान नहीं मिल पाएगा।



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