Sunday, 03 February 2013 13:02 |
तवलीन सिंह इन लोगों के अजीब सोच से और भी अजीब है सोच हमारी राज्य सरकारों का जो अभी तक समझी नहीं हैं कि उनका प्रथम दायित्व है आम नागरिक की सुरक्षा, उसकी निजी जमीन-जायदाद की सुरक्षा। यह समझ होती अगर तो कोई समस्या ही नहीं रहती क्योंकि उनका ध्यान उन लोगों पर होता जो हिंसा का रास्ता चुनते हैं। उन पर नहीं जो अपने शब्दों या अपनी रचनाओं से दुनिया की गंभीर समस्याओं का विश्लेषण करने की कोशिश करते हैं, उनको समझने की कोशिश में लगे रहते हैं। क्या कहा जाए इसके बारे में इसके अलावा कि भारत देश में लेखकों और कलाकारों को परेशान करने का दस्तूर पुराना है। याद कीजिए कि सलमान रुश्दी की किताब 'शैतान की आयतें' पर पहली पाबंदी लगाई थी राजीव गांधी की सरकार ने। भारत के महान लेखकों में हैं रुश्दी साहब, लेकिन उनके साथ जो बर्ताव किया है हमारे राजनेताओं ने, हमारे आला अधिकारियों ने, किसी अपराधी के साथ हुआ होता तो ज्यादती होती। एक दशक तक उनको आने ही नहीं दिया भारत और अब जब आने की इजाजत मिली है उन्हें अपने देश में आने की तो जब भी आते हैं किसी न किसी मुसलिम गुट के कहने पर उनके आने-जाने पर नई पाबंदियां लग जाती हैं। इस बार कोलकाता के साहित्य सम्मेलन में जाने से उनको रोक दिया गया है। कारण? वही दुखी भावनाएं जो कानून व्यवस्था को ऐसी चोट पहुंचा सकती हैं कि बड़े-बड़े मंत्री, मुख्यमंत्री घुटने टेक देते हैं गुंडागर्दी के सामने। |
BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7
Published on 10 Mar 2013
ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH.
http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM
http://youtu.be/oLL-n6MrcoM
Sunday, February 3, 2013
जख्मी जज्बात और सियासत
जख्मी जज्बात और सियासत
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