BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Friday, April 27, 2012

ग़रीबों की जान से खेलने वालो, तुम्हें हत्या का पाप लगेगा!

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ग़रीबों की जान से खेलने वालो, तुम्हें हत्या का पाप लगेगा!

ग़रीबों की जान से खेलने वालो, तुम्हें हत्या का पाप लगेगा!

By  | April 27, 2012 at 2:11 pm | No comments | राज्यनामा

अभिरंजन कुमार

 बिहार और झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली आर्यन अभियान में लगातार एक महीने तक दिखाने के दौरान मन कई बार रोने को हुआ और कई बार इतना गुस्सा आया कि लगा कि मध्य-पूर्व के देशों की तरह यह मुल्क भी एक ऐसा बड़ा आंदोलन मांग रहा है, जो सारे भ्रष्ट और बेईमान सत्ताधीशों और ब्यूरोक्रैटों को एक झटके में उखाड़ फेंके।

बिहार और झारखंड के दूर-दराज के गांवों, कस्बों और यहां तक कि शहरों से भी स्टोरीज़ मंगाते हुए बार-बार लगा कि सरकारी अस्पतालों को जान-बूझकर कमज़ोर किया गया है, ताकि स्वास्थ्य-माफिया, जो कि पूरे मुल्क की तरह अब बिहार-झारखंड में भी काफी ताकतवर हो चुका है, उसे फायदा पहुंचाया जा सके।

एक तो आबादी के लिहाज से स्वास्थ्य का बजट काफी कम रखा जाता है, दूसरे- जो बजट होता है, उसे पूरी तरह से खर्च नहीं किया जाता, तीसरे- जो पैसा खर्च किया जाता है, उसमें बड़े पैमाने पर लूट-खसोट और बंदरबांट हो जाती है। यानी जो पैसा ग़रीबों की जान बचाने के लिए है, उस पैसे को ऊपर ही ऊपर गटक लिया जाता है और हर साल हज़ारों-लाखों ग़रीबों की जान ले ली जाती है।

यह जानलेवा भ्रष्टाचार हमारी नज़र में सामूहिक नरसंहार की तरह का अपराध है, लेकिन दुर्भाग्य ये कि न तो कानून इसे सामूहिक नरसंहार मानेगा, न हम इस प्रत्यक्ष तथ्य को कानूनी तरीके से प्रमाणित कर सकते हैं।

कहने को तो सरकार के दावे बड़े-बड़े हैं कि सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज और कई तरह की मुफ्त दवाइयां और जांच के इंतज़ामात हैं, लेकिन वस्तुस्थिति उन अस्पतालों पर जाने के बाद पता चलती है। दूर-दराज के कई छोटे-छोटे अस्पतालों में न तो डॉक्टर हैं, न नर्स, न पानी, न बिजली, न ज़रूरी इक्विपमेंट्स। जहां डॉक्टर हैं, वो समय से आते नहीं। कई अस्पतालों में कई साल से ताला पड़ा है, तो कई अस्पतालों में घास उग आई है और वहां ग़रीब मरते हैं तो मरते हैं, लेकिन जानवर चरते हैं।

छोटे अस्पतालों को छोड़ भी दें और पीएमसीएच जैसे बड़े अस्पतालों की बात करें तो ये भी मरीज़ों से लूट-खसोट और धोखाधड़ी का अड्डा बने हुए हैं। गरीब मरीजों को ज्यादातर दवाइयों और जांच के लिए न सिर्फ़ बाहर भेज दिया जाता है, बल्कि वहां बेशुमार दलालों का पूरा रैकेट चल रहा है।

इस बात की जानकारी मिली है कि कई प्राइवेट नर्सिंग होम्स ने पीएमसीएच के बाहर दलालों को बाकायदा नौकरी पर रखा हुआ है, इसलिए कि वो मरीजों को वहां से फांसकर या बहला-फुसलाकर उनके नर्सिंग होम्स तक ले आएं।  एक-एक मरीज़ को फंसाने के लिए दलालों को दो हज़ार से लेकर छह हज़ार रुपये तक दिये जाते हैं। और तो और, इन दलालों को मंथली टार्गेट दिया जाता है और टार्गेट पूरा कर लेने पर बाकायदा गिफ्ट दी जाती है। पुलिस को भी हर महीने हज़ारों का चढ़ावा चढ़ाया जाता है।

पीएमसीएच में तीन दिन पहले चली गोली और इस मामले को गुपचुप तरीके से दबाने की कोशिशों से ये प्रमाणित हो जाता है कि इन सारी चीज़ों की जानकारी पुलिस और सरकार में बैठे महत्वपूर्ण लोगों को निश्चित रूप से है।  इन तथ्यों की रोशनी में हम अपनी सरकार में बैठे तमाम ताकतवर लोगों से यह अपील करना चाहते हैं कि जिन लोगों ने वोट देकर आपको सत्ता दी है, लाल-बत्ती दी हैं, सिक्योरिटी गार्ड्स दिए हैं, शानो-शौकत और सुख-सुविधाएं दी हैं, परिवार समेत मुफ्त विदेश यात्राओं के लिए अपनी गाढ़ी कमाई दी है, कृपया उनसे इतना बड़ा धोखा न करें।

हमें पता है कि थोड़ी बहुत लूट-खसोट और भ्रष्टाचार करना तो आप इस जनम में छोड़ेंगे नहीं, लेकिन कम से कम ऐसे काम न करें, जिनकी वजह से हमारे गरीब भाइयों-बहनों की जानें जा सकती हैं, वरना आपको हत्या का पाप लगेगा और दुनिया की अदालतों से भले बचकर निकल जाएं, लेकिन ईश्वर की अदालत में आप मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहेंगे।

अभिरंजन कुमार,लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं आर्यन टीवी में कार्यकारी संपादक हैं।

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