BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Friday, October 3, 2014

Patna stampede tragedy and genocide culture!

Patna stampede tragedy LIVE – 32 dead, PM Modi sanctions Rs 2 lakh for kin of departed, Rs 50,000 for critically hurt

Patna stampede tragedy LIVE – 32 dead, PM Modi sanctions Rs 2 lakh for kin of departed, Rs 50,000 for critically hurt

Zee Media Bureau
  • Dussehra which is also called 'Vijayadashami' was celebrated all over East Godavari district with traditional gaiety and religious fervor in Andhra Pradesh today. State Deputy Chief Minister N Chinarajappa, Thota Narasimham (MP) and District Collector Neetu Prasad also greeted people on the occasion. 
  • Home Minister Rajnath Singh witnesses burning of the effigy of 'Ravana' at Lav Kush Ramlila Committee in Delhi. 
  • "A 40-feet high black-robed effigy of drugs was set up and burnt along with effigies of Ravana, Meghnad and Kumbhkaran so that the state could get rid of evil of drugs and intoxicants, plaguing youths of Punjab," said Darshan Lal Dharamshot, Chairman of Maharana Partap Kala Manch Dussehra Committee, PTI reported.
  • In an attempt to discourage drug use among the youth in Punjab, an effigy of drugs raised along with effigies of Ravana, Meghnad, and Kumbhkaran was set ablaze on the occasion of Dussehra festival today.
  • Congress vice-president Rahul Gandhi also witnesses burning of the effigy of Ravana at Ramlila Maidan in Delhi.
  • PM Narendra Modi, President Pranab Mukhejee, former prime minister Manmohan Singh and Congress president Sonia Gandhi witness setting of effigies on fire. 
  • Raavana's effigy is being burnt at Subash Maidan in the national capital. 
  • Sonia Gandhi, Rahul Gandhi & Manmohan Singh also took an aim at the effigy of Ravana.
  • A symbolically bow and an arrow is being handed over to PM.
  • Let us all work together for the progress of our nation & also maintain brotherhood in the country, says Prez.
  • Celebration of Dussehra is the symbol of victory of good over evil: Pranab Mukherjee 
  • President Pranab Mukherjee addresses gathering at Delhi's Subhash Maidan.   
  • 'Ravan Dahan' taking place at Subhash Maidan.   
  • The organisers of the event greets the eminent guests with garlands and presents.
  • The dignitaries lit a ceremonial lamp at the event.
  • Prime Minister Modi exchange pleasantries with Dr Singh and Sonia Gandhi.
  • Congress president Sonia Gandhi and former PM Manmohan Singh are also present at the event.
  • High security around Red Fort and Subhash Maidan
  • President Pranab Mukherjee and Vice-President Hamid Ansari also present at the event.
  • PM participates in Dussehra festivities at Delhi's Subhash Maidan.   
Prime Minister Narendra Modi on Friday extended his greetings to the nation on Dusshera.
"Greetings to everyone on Vijaya Dashmi. May good always prevail over evil," he tweeted.
Modi today also addressed the countrymen over radio for the first time, giving a pep talk about how to shed despondency and use their skills for betterment and prosperity of the country.
PM's speech on the state-run All India Radio (AIR) was praised by many people with some describing it as "inspiring".
Modi touched upon various issues in his 15-minute address - 'Man ki baat' - which he promised to do twice in a month on Sundays.
"His speech was really mesmerising and inspiring," Aditya Jaiswal, an IT student tweeted.
"It was a small speech of only about 15 minutes aired on AIR but was a simple, crisp and clear message to rural Bharat," Ranga Nathaathan, a blog writer tweeted.
Govind Kini from Bangalore supported Modi who urged people to buy khadi products.
"Trust me no brand can match the comfort of khadi clothes," Kini tweeted.
KSM Sundara, an IT professional, found Modi's narration of a fable as "relevant". 
"He (Modi) told a relevant story about lioness and cubs," Sundara tweeted.
Rachel White, Mumbai-based model, appreciated the prime minister's initiative, calling it cool and tweeted that her love and respect has increased for Modi.


नस्ली वर्चस्व की नरसंहारी संस्कृति के विरोध बिना संघी प्रवचन का यह विरोध कैसा?
असली ताकत जनता में होती है।मोदी वह ताकत बटोर रहे हैंं और संघ परिवार को छापने भी लगे हैं,इससे सबक लें तो बेहतर!

पटना में रावण दहन के दौरान मची भगदड़, 32 की मौत



पलाश विश्वास
ब्राह्मण पुत्र की अकाल मृत्यु पर संबूक हत्या का आयोजन हुआ था।इसीतरह मर्यादा पुरुषोत्तम ने मनुस्मृति अनुशासन लागू किया था।तो कृपया बताये कि पटना में जो मारे गये,वह राजकाज कामामला बनता है या नहीं और यह न बता सकें तो यह बतायें कि यह किसके पाप का दुष्परिणाम है।

जो लोग दशहरे के महोत्सव को इस हादसे की दर्दनाक खबर के बावजूद स्थगित करने की तनिक संवेदना का प्रदर्शन नहीं करते,उनके हिंदुत्व का गुजरात दर्शन पर मंतव्य निष्प्रयोजन है।बंगाल में खबरें जनता को मिल नहीं रही है।सरकार कामर्शियल ब्रेक पर है।मुख्यमंत्री दशहरे में चक्षुदान से लेकर विसर्जन तक हर पर्व पर है।टीवी पर अनंत दुर्गामूर्तियों और अनंत महिषासुर वध का सिलसिला है।सारधा तूफान थम सा गया है।बैंक बंद।कार्यालय बंद।अखबार बंद।लोगों को मदहोशी केआलम में कब खबर होगी कब जाने,खबर होगी तो वे अपना ज्श्न रोकने के मिजाज में होंगे,कहना मुश्किल है।

बहरहाल बंगाल में पैतृक गांव कीर्णाहार के दुर्गोत्लव के पौराहित्य ठोड़कर जिस रावण दहन के लिए राजधानी नई दिल्ली के रामलीला मैदान तक पहुंचे चंडीपाठ से दिनचर्या शुरु करने वाले भारत के महामहिम राष्ट्रपति.उसी रावण दहन उत्सव में अभूतपूर्व हादसा हो गया पटना में।पटना में रावण दहन के दौरान बड़ा हादसा हो गया। यहां भगदड़ में करीब 32 लोगों की मौत हो गई और दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हादसा पटना के गांधी मैदान के पास एक्जीबिशन रोड पर हुई। यहां हजारों की संख्या में लोग रावण दहन देखने आए थे। रावण दहन के बाद लोग वापस लौट रहे थे तभी हादसा हो गया। बताया जा रहा है कि बिजली का तार गिरने की वजह से भगदड़ मची।

जश्न में शोक का चेहरा क्या होता है,उसे भी आप देख लीजिये।यही भारत के लोकगणराज्य का समाज वास्तव है,क्रूर और अमानवीय।कुंभ में अक्सर भगदड़ होती है।तीर्थस्थलों और धार्मिक अनुष्ठानों में बार बार हादसे होते हैं।हाल में केदार जलप्रलय जैसा हुआ।लाशों का अता पता चलता नहीं।जश्न का सिलसिला जारी रहता है।

नस्ली वर्चस्व की नरसंहारी संस्कृति के विरोध बिना संघी प्रवचन का यह विरोध कैसा?
असली ताकत जनता में होती है।मोदी वह ताकत बटोर रहे हैंं और संघ परिवार को छापने भी लगे हैं,इससे सबक लें तो बेहतर।सरसंघचालक के राष्ट्रीय प्रबोधन के दिन ही सीधे जनता के बीच पहुंचकर भारत के सर्वशक्तिमान प्रधानस्वयंसेवक ने क्यों अपने मन की बात बताने का यह महाउपक्रम कर डाला,मेरे लिए रहस्य यही है।दूरदर्शन प्रसारण तो जावड़ेकर महिमा है और उसमें विवाद चाहे कुछ हो,उसका कोई मतलब है नहीं।

मोदी के राजकाज और संघ के हिंदुत्व एजंडे में जो विरोधाभास है,उसके राष्ट्रीय फलक पर यह सर्वोत्तम प्रदर्शन है,यह हमारा आकलन है।इसे बड़ी बात मोदी यह तो सीखा ही रहे हैं कि हमें माध्यमों का स्रवोत्तम उपयोग कैसे करनी चाहिए।मोदी ने भारतीय राजनीति को बुलेट युग में पहुंचा दिया है,देश को जब पहुंचा पायेंगे ,तब पहुंचायेंगे।

अगर बिना मुद्दा बैसिर पैर मोदी पर आक्रमण और उनके अच्छे कामकाज का भी विरोध इसीतरह चलता रहेगा,तो गैरकेसरिया राजनीति का अवसान समझिये।अंबेडकरी पक्ष पहले ही केसरिया में समाहित है तो वाम पक्ष बी केसरिया होता जा रहा है।कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती जा रही है।उपचुनाव में छुटपुट फेरबदल और राज्यों में सत्तादखल से केद्रीकृत संघी सत्ता केंद्र का मुकाबला असंभव है।

अब दूसरी ओर,इस पद्म प्रलय में मामूली खर पतवार का जीना भी मुश्किल होने लगे हैं।राजदीप सरदेसाई तो बड़ी तोप हैं।हमारा तो पत्रकारिता में कोई वजूद नहीं है।न पहचान है और न बड़ी पगार है। न सर छुपाने को कोई छत है।न रिटायर के बाद केसे जियेंगे ,इसका कोई जुगाड़ है।

हमारा अपराध यह है कि धर्म निरपेक्ष खेमे की तरह हम संघ परिवार पर अंधाधुंध प्रहार नहीं कर रहे हैं बल्कि मुद्दों और मौके के हिसाब से उनके नेता,मंत्री प्रधानमंत्री और भूतपूर्व प्रधानमंत्री की तारीफ ही कर रहे हैं।लेकिन थोक भाव से संघी फेंस से मुझे जो गालियां पड़ रही है और मुझे जो धनाढ्य टुकड़खोर पीत पत्रकार साबित करने की मुहिम चली है,यह मेरी वास्तविक औकात से कुछ ज्यादा हैं।

ऐसे जो भी प्रियभाषी भाषिणी हैं,उनका सादर आभार।हमें अपने लोग तो पूछते भी नहीं है और न राजदीप सरदेसाई तो क्या अपने संपादक सीईओ तक पहचानते हैं।और तो और,प्रभाषजी मुझे मंडल कहकर संबोधित करते थे।जर्रा नवाजी के लिए आपका आभार।

आपके लिए हो सकता है कि हमारी बातें बड़ी पीड़ा दायक हो,लेकिन हकीकत तो यही है कि शूद्र प्रधानमंत्री चुनकर ब्राह्मणवादी संघपरिवार की समरसता का दांव खतरे में है।

सर पर मैला ढोने की प्रथा न अंबेडकर खत्म करा पाये और न बहुजनवाद और अंबेडकरी मिशन के दूसरे मसीहा और न ही गरीबी उन्मूलन,समाजवाद,साम्यवाद,धर्मनिरपेक्षता के दूसरे झंडेवरदार।अकेले यह काम भी मोदी कायदे से कर दें  तो वे हिंदुत्व को ब्राह्मणवादी वर्ण वर्चस्वी शिकंजे से बाहर निकालने में कामयाब होंगे।

कल्कि अवतार जिसे बनाकर पेश किया गया,आगामी युग शूद्रों का होगा,स्वामी विवेकानंद की भविष्यवाणी साबित करते हुए कल्कि अगर महिषासुर में तब्दील हो गये तो हिंदू राष्ट्र का सपना तो गयो।

उलट इसके हो सकता है कि अंबेडकरी मिशन पूरा होने का कोई रास्ता निकल ही आये।हम बेसब्री से भाजपाी प्रधानमंत्री से इस चमत्कार की प्रतीक्षा में हैं और संघी जितना बुरा भला कहें,मोदी के हैरत्ंगेज कामकाज के बारे में अपनी राय भी देते रहेंगे।

हमारे लिए महत्वपूर्ण है संघी प्रवचन को जो प्रधानमंत्री ने छाप दिया,वह,न कि दूरदर्शन विवाद।दूरदर्शन कोई पवित्र गाय नहीं है।बाकी माध्यमों में लाइव प्रसारण तो हो ही रहा था।एक दूरदर्शन में नहीं होता तो क्या होता।फिर दूरदर्शन सत्तावर्ग के हितों के अलावा कब जनपक्षधर रहा हो,बताइये।

पहली बार संघ प्रमुख के संबोधन के समांतर भाजपाई प्रधानमंत्री ने अलग से राष्ट्र को संबोधित किया है और संघ के एजंडे के मुताबिक हिंदुत्व की संस्कृति का प्रबोधन कर रहे भागवत के मुकाबले आम जनता से मन की बाते करके अपनी ताकत बटरी मोदी ने राष्ट्र निर्माण का आवाहन करते हुए।

हालांकि सरसंघचालक मोहन भागवत के विजयादशमी संबोधन की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सामाजिक सुधार से जुड़े जो मुद्दे उन्होंने उठाये हैं, वे आज अत्यंत प्रासंगिक हैं। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया कि मोहन भागवतजी ने अपने भाषण में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर बात की। उनकी ओर से उठाये गए सामाजिक सुधार के मुद्दे आज अत्यंत प्रासंगिक हैं।हमें मालूम नहीं है कि यह मोदी का मन की बात है या नहीं।एक दूसरे की सराहना करते हिुए दोनों तो सही मायने में एक दूसरे की काट निकालते दखे गये।सांस्कृतिक आंदोलन की राजनीति और सत्ता की राजनीति को अलग रखने की संघ की जो अति दक्षता है,विजया दशमी पर उसका भी दहन संप्न्न हो गया कि नहीं,बाद में देखते रहेंगे।

अपने प्रबोधन के सात साथ हालांकि मोदी ने भागवत के संबोधन के सारांश का ऑनलाइन लिंक भी जारी किया। उन्होंने संघ की स्थापना दिवस पर आरएसएस कार्यकर्ताओं को बधाई दी। राष्ट्रीय प्रसारक दूरदर्शन पर अपने संबोधन में भागवत ने गौवध एवं मांस के निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने पर जोर देते हुए लोगों से चीन के उत्पाद खरीदना बंद करने की अपील की।मौजूदा सरकार की नीतियां और राजकाज में इसके आसार लेकिन दूर दूर तक हैं नहीं।

आतंकवाद का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा कि केरल और तमिलनाडु में जिहादी गतिविधियां बढ़ रही हैं । साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल, असम और बिहार में बांग्लादेश से अवैध रूप से आने वाले लोगों के कारण हिन्दू समाज का जीवन प्रभावित हो रहा है।मोदी भा इस मामले में आक्रामक रहे हैं और यह राष्ट्र को सैन्य तंत्र में बदलने का मामला है,जिसपर वैश्विक व्यवस्था की मुहर है और फिलहाल इस परिपाडी को उलट देने की ताकत मोदी को मिली नहीं है।

सरसंघचालक ने भागवत ने चार महीने की अल्पावधि में राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संबंधों से जुड़े विषयों पर की गई पहलों के लिए मोदी सरकार की प्रशंसा की। आरएसएस के 89वें स्थापना दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं जिससे लोगों में यह उम्मीद जगी है कि अंतराष्ट्रीय मंच पर भारत मजबूत बनकर उभर रहा है।
सरकार के कामकाज के बारे में सरसंघ चालक की यह टिप्पणी और मोदी का प्रसारण दोनों एक दूसरे के क्षेत्र का अतिक्रमण है जबकि सरसंघचालक को तो प्रधानमंत्री ने अपनी सत्ता के वजन से बाकायदा छाप भी दिया।सरसंघचालक दूरदर्शन पर बोले तो मोदी रेडियो माध्यमे 24 भाषाओं में जनता के दिलोदिमाग में छा गये।



अजीब संजोग है कि कांग्रेसी प्रधानमंत्री ने राम मंदिर का ताला खुलवाकर संघ परिवार को मजबूर कर दिया राममंदिर मुद्दा अपनाने के लिए तो कांग्रेशी भ्रष्टाचार के खिलाफ जनांदोलन से सत्ता में आये मंडल मसीहा ने उन्हें राममंदिर का कंमंडल कायाकल्प कर दिया।तो अब देखिये,संघ परिवार से चुने हुए सर्वशक्तिमान प्रधानमंत्री ने उसी राममंदिर आंदोलन की बाट लगाकर उसे मैला ढोने की प्रथा के अंत का अंबेडकरी कार्यक्रम बना डाला।धर्मोन्मादी राममंदिर आंदोलन स्वच्छता अभियान में अभी नहीं धुला है तो धुल जायेगा,जैसे कि भागवत जी ने कहा है,थोड़ा इंतजार भी करें।

धार्मिक कर्मकांड आप करें,धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद के तहत आप वर्णवर्चस्वी, आधिपात्यवादी आक्रामक बहिस्कारी नरसंहारी दुर्गोत्सव का पौराहित्य करें,वंचित आम जनता के विरुद्ध सलवा जुड़ुम का विजयोत्सव मनाये और राष्ट्रतंत्र का रावन दहन में लगा दें,वह धर्मनिरपेक्षता हुई और मोहन भागवत दशहरे पर दूरदर्शन पर संदेश मार्फते हिंदू राष्ट्र का दर्शन प्रस्तुत करें तो बाकायदा पोलित ब्यूरो लेवेल से निंदा प्रस्ताव जारी कर दें लेकिन नरसंहारी नस्लवादी संस्कृति के विरुद्ध एक शब्द कोई न कहें,इस पर क्या कहा जाये।

वर्षो से झारखंड की सुषमा असुर दशहरे से पहले अपील जारी करती है कि असुर जातियां अब भी आदिवासी इलाकों में रहती हैं तो कृपया उनके वध का उत्सव न मनायें।इसका हमारे आस्था अंध विवेक पर कोई असर हुआ नहीं है।

संजोग से दुर्गा और रावण दोनों वैदिकी धर्म के पात्र भी नहीं हैं।प्राचीन भारतीय हिंदू धर्मग्रंथों में उनकी कोई भूमिका नहीं है।उनका सृजन रामायण महाकाव्य माध्यमे है,जो चरित्र से मिथकीय है।मिथ और टोटेम से धर्म का कितना नाता है,विद्वतजन बतायेंगे। लेकिन यह तयहै कि जिस मर्यादा पुरुषोत्तम राम के अश्वमेधी मनुस्मृति अनुशासनबद्ध हिंदुत्व के एजंडे पर संघ परिवार का हिंदू राष्ट्र आधारित है,वहां दुर्गोत्सव और रावणलीला के रंगभेदी महोत्सव धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद के लिए अनिवार्य है।

विजय दशमी पर संघ सरसंचालक का वक्तव्य उनकी परंपरा है और अब चूंकि सरकार भी संघ परिवार की है और सूचना प्रसारण मंत्री जावड़ेकर साहब मूलतः संघी है,तो दूरदर्शन पर इस वकत्वय के सीधे प्रसारण को मुद्दा बनाकर कुछ हासिल होने नहीं जा रहा है।

जाहिर है कि हिटलरी चरण चिन्हों पर संघ परिवार का धर्मोन्माद जितना नस्ली है,वर्णवर्चस्वी है,विडंबना है कि बाकी भारतीय राजनीति का भी कुल मिलाकर चरित्र वहीं है।बहुसंख्यकों की आस्था और भावनाओं के आधार पर राजनीतिक समीकरण बनते हैं।समाज वास्तव और भौतिकवादी तथ्यों के आधार पर नहीं।

वामशासकों ने दशहरा और दुर्गोत्सव को बंगीय वैज्ञानिक वर्ण वर्चस्व और नस्ली भेदभाव का सांस्कृतिक उत्सव बना डाला तो ममता बनर्जी उसका इस्तेमाल करेंगी ही,यह तार्किक परिणति है।अब उसी धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद का इस्तेमाल करके वाम और ममता को बंगदाल से बेदखली का सामान जुडाने में लगा है संघ परिवार।

इसीतरह रामलीला मैदान में भारत के राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति,प्रधानमंत्री पक्ष प्रतिपक्ष के नेता मंत्री संतरी मिलकर रावण दहन करेंगे तो संघ परिवार के दशहरे पर आपत्ति का कोई वास्तविक आधार नहीं है।

सबसे पहले जरुरी यह है कि आप नरसंहार उत्सव के परित्याग करके भारतीय बहुलता संस्कृति के मुताबिक शारदोत्सव का कोई लोकतांत्रिक पद्धति अपनायें,जिससे किसी भी समुदाय के दमन की गंध न आती हो और जनिकी आस्था जैसी हो,वह निजी जीवन में वैसा आचरण करने को स्वतंत्र हो।

समझा जाना चाहिए कि धार्मिक स्वतंत्रता का तात्पर्य बहुसंख्यकों का विजयोल्लास नहीं है और न ही रंगभेद और वर्ण आधिपात्य है।अश्वेतों के वध का यह तंत्र मंत्र यंत्र का निषेध भारतीय लोकतंत्र की सेहत के लिए बेहद जरुरी है।

बाकी जो राष्ट्रीय तंत्र है,स्वाभाविक है सत्ता में जो होते हैं,वे उनका वैसा ही इस्तेमाल करते रहेंगे,जैसे पूर्ववर्ती करते रहे हैं।

विजया दशमी और दशहरे का मौजूदा स्वरुप ही नरसंहारी अश्वमेध का समाज वास्तव है,यह जब तक रहेगा,राजनीति इसका मनचाहा उपयोग करती रहेगी।चिल्लपो मचाने से कुछ नहीं होता।



देश के दूरदराज के क्षेत्रों में लोगों से संपर्क साधने के प्रयास के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पहली बार रेडियो के माध्यम से लोगों को संबोधित किया और उनसे निराशा त्यागने तथा अपने सामर्थ्य, क्षमता और कौशल का उपयोग देश की समृद्धि के लिए करने की अपील की।

महात्मा गांधी की प्रिय खादी के उत्पादों के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने लोगों से कम से कम खादी के एक वस्त्र का उपयोग करने का आग्रह किया। इसके साथ ही उन्होंने विशेष रूप से अशक्त बच्चों के बारे में समाज की जिम्मेदारी का बोध कराने का प्रयास किया। रेडियो के जरिये समय समय पर लोगों से सम्पर्क करने का वादा करते हुए मोदी ने नागरिकों से सुझाव मांगे। साथ ही उन्होंने बताया कि उन्हें काफी संख्या में सुझाव मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह रेडियो पर मन की बात में इसका जिक्र करेंगे।

करीब 15 मिनट के संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वह सवा सौ करोड़ लोगों की बात करते हैं तब उनका आशय खुद की शक्ति को पहचानने और मिलकर काम करने से होता है। हम विश्व के अजोड़ लोग हैं। हम मंगल पर कितने कम खर्च में पहुंचे। हम अपनी शक्ति को भूल रहे हैं। इसे पहचानने की जरूरत है। लोगों से निराशा त्यागने की अपील करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा कहना है कि सवा सौ करोड़ देशवासियों में अपार सामर्थ्य है। इसे पहचानने की जरूरत है। इसकी सही पहचान कर अगर हम चलेंगे, तब हम विजयी होंगे। सवा सौ करोड़ देशवासियों के सामर्थ्य और शक्ति से हम आगे बढ़ेंगे।

प्रधानमंत्री ने इस सिलसिले में स्वामी विवेकानंद की एक कथा का जिक्र किया, जिसमें भेड़ों के बीच पले बढ़े, शेर के एक बच्चे के एक अन्य शेर के सम्पर्क में आने पर अपनी ताकत फिर से पहचानने के बारे में बताया गया है। मोदी ने कहा कि अगर हम आत्म सम्मान और सही पहचान के साथ आगे बढ़ेंगे, तब हम विजयी होंगे। महात्मा गांधी को प्रिय खादी का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, आपके परिधान में अनेक प्रकार के वस्त्र होते हैं, कई तरह के फैब्रिक्स होते हैं। इसमें से एक वस्त्र खादी का क्यों नहीं हो सकता, मैं आपसे खादीधारी बनने को नहीं कह रहा हूं, लेकिन आपसे आग्रहपूर्वक कह रहा हूं कि आपके वस्त्र में कम से कम एक तो खादी का हो। भले ही अंगवस्त्र हो, रूमाल हो, बेडशीट हो, तकिये का कवर या फिर और कुछ। उन्होंने कहा कि अगर आप खादी का कोई वस्त्र खरीदते हैं तो गरीब का भला होता है। इन दिनों दो अक्टूबर से खादी वस्त्रों पर छूट होती है। इसे आग्रहपूर्वक करें और आप पायेंगे कि गरीबों से आपका कैसा जुड़ाव होता है।

आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सवा सौ करोड़ लोगों में असीम सामर्थ्य और कौशल है। जरूरत इस बात की है कि हम इसे पहचाने। प्रधानमंत्री ने इस सिलसिले में उन्हें ईमेल से मिले एक सुझाव का जिक्र किया, जिसमें उनसे कौशल विकास पर ध्यान देने का आग्रह किया गया था। मोदी ने कहा कि यह देश सभी लोगों का है, केवल सरकार का नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने लघु उद्योगों की पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने का सुझाव दिया है। इनका सुझाव है कि बच्चों के लिए स्कूलों में पांचवी कक्षा से कौशल विकास का कार्यक्रम होना चाहिए, ताकि जब वे पढ़ाई खत्म करके निकलें तब अपने हुनर की बदौलत रोजगार प्राप्त कर सकें।

मोदी ने कहा कि उन्हें प्रत्येक एक किलोमीटर पर कूड़ेदान लगाने, पॉलीथीन के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने जैसे सुझाव भी मिले। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर आपके पास कोई विचार है, सकारात्मक सुझाव है, तब आप इसे मेरे साथ साझा करें। यह मुझे और देशवासियों को प्रेरित करेगा, ताकि हम सब मिलकर देश को नयी उंचाइयों पर पहुंचा सकें। मोदी ने विशेष रूप से अशक्त बच्चों के बारे में गौतम पाल नामक व्यक्ति के सुझाव का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने नगरपालिका के स्तर पर योजना बनाने की बात कही थी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2011 में जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, जब उन्हें अशक्त बच्चों के लिए एथेंस में आयोजित ओलंपिक में विजयी होकर लौटे बच्चों से मिलने का मौका मिला था। उन्होंने कहा कि यह मेरे जीवन की भावुक कर देने वाली घटना थी। ऐसे बच्चों केवल मां-बाप की जिम्मेदारी नहीं होते, बल्कि पूरे समाज का दायित्व होते हैं। पूरे समाज का दायित्व है कि वह विशेष रूप से अशक्त बच्चों से खुद को जोड़े। उन्होंने कहा कि हमने इसके बाद ही विशेष रूप से अशक्त एथलीटों के लिए खेल महाकुंभ का आयोजन शुरू किया और मैं खुद इसे देखने जाता था।

प्रधानमंत्री ने कल शुरू किये गए स्वच्छ भारत अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने इसमें हिस्सा लेने के लिए नौ लोगों को आमंत्रित किया है और उन सभी से नौ और लोगों को जोड़ने तथा इस तरह से इस श्रृंखला को आगे बढ़ाने का आग्रह किया है। मोदी ने कहा कि हम सब मिलकर गंदगी को समाप्त करने का संकल्प करें। कल हमने स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया है और मैं चाहता हूं कि आप सभी इससे जुड़ें।

आकाशवाणी पर अपने संबोधन मन की बात में प्रधानमंत्री ने एक और कथा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक बार एक राहगीर एक स्थान पर बैठ कर आते जाते लोगों से रास्ता पूछ रहा था। उसने कई लोगों से रास्ता पूछा। इस पूरी घटना को दूर बैठे एक सज्जन देख रहे थे। कुछ देर बार राहगीर ने खडे होकर एक व्यक्ति से रास्ता पूछा। इसके बाद वह सज्जन उसके पास आए और उसे रास्ता बताया। प्रधानमंत्री ने कहा, राहगीर ने उस सज्जन से कहा कि आप इतने समय से मुझे रास्ता पूछता देख रहे थे लेकिन क्यों नहीं बताया। तब उस सज्जन ने कहा कि इससे पहले तुम बैठकर रास्ता पूछ रहे थे और मुझे लगा कि तुम यूं ही रास्ता पूछ रहे हो। लेकिन जब तुम उठ खडे हुए तब मुझे लगा कि वास्तव में अपनी राह जाना चाहते हो।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा कहना है कि सवा सौ करोड़ देशवासियों में अपार सामर्थ्य है। इसे पहचानने की जरूरत है। इसकी सही पहचान कर अगर हम चलेंगे, तब हम विजयी होंगे। सवा सौ करोड़ देशवासियों के सामर्थ्य और शक्ति से हम आगे बढ़ेंगे। मोदी ने विजयादशमी पर अपने पहले रेडियो संबोधन को शुभ शुरुआत बताया और कहा कि वह रेडियो पर लोगों से रविवार को संवाद करेंगे और महीने में कदाचित एक और दो बार।

रेडियो पर राष्ट्र को संबोधित करने के निर्णय का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सरल माध्यम है और इसके जरिये वह दूर दराज और गरीब लोगों के घरों तक पहुंच सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, देश की शक्ति गरीबों की झेपड़ी में है, मेरे देश की ताकत गांवों में बसती है, मेरे देश की ताकत मां, बहन, युवा और किसानों में है। देश आप सब की ताकत की बदौलत ही आगे बढेगा, ऐसा मेरा मानना है। आपके सामर्थ्य में मेरा विश्वास है, इसलिए मुझे भारत के भविष्य में विश्वास है। मोदी के संबोधन को विशेष तौर पर आकाशवाणी ने रिकार्ड कर प्रसारित किया और इसका दूरदर्शन पर प्रधानमंत्री के चित्र के साथ श्रव्य प्रसारण किया गया।


दशहरे पर हर साल नागपुर में होने वाला राष्ट्रीय स्वयं सेवक के कार्यक्रम का प्रसारण आज दूरदर्शन पर किया गया। सुबह सबसे पहले झांकी दिखाई गई, इसके बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत का भाषण लगातार दिखाया गया, जिसमें संघ प्रमुख ने अपने विचारों को रखा।

जाहिर है कि ये विचार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के हैं। ऐसे में क्या मोहन भागवत का यह भाषण राष्ट्रीय चैनल दूरदर्शन पर प्रसारित होना ठीक है। इस पर सवालिया निशान लग रहे हैं।

क्या किसी संगठन के कार्यक्रम को प्रसारित करने के लिए दूरदर्शन के पास कोई मानक हैं। साथ ही यह सवाल कि किस आधार पर आरएसएस का यह कार्यक्रम दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ। ऐसे में सवाल यह भी है कि क्या देश के दूसरे धार्मिक-सांस्कृतिक संगठनों के कार्यक्रमों का प्रसारण भी दूरदर्शन करेगा।

आखिर कौन-सी कसौटी है, जिसके आधार पर संघ का यह कार्यक्रम प्रसारित हुआ। बीते दस सालों से देश में यूपीए की सरकार थी, कभी भी आरएसएस प्रमुख के कार्यक्रम का प्रसारण दूरदर्शन पर नहीं हुआ था और इससे पहले भी जब बीजेपी की सरकार केंद्र में थी तब भी दूरदर्शन पर इस कार्यक्रम का इस तरह प्रसारण नहीं हुआ था।

उधर, कांग्रेस और वामदलों ने दूरदर्शन के ‘दुरुपयोग’ की कड़ी आलोचना की, लेकिन भाजपा ने इसका बचाव किया। कांग्रेस प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने करीब घंटे भर के इस प्रसारण को एक ‘खतरनाक परंपरा’ बताते हुए कहा कि आरएसएस एक विवादास्पद संगठन है।

उन्होंने कहा, यह एक खतरनाक परंपरा है। यह कोई ऐसा संगठन नहीं है, जो पूरी तरह से निष्पक्ष हो। यह एक विवादास्पद संगठन है। उन्होंने कहा कि यह सरकार का एक राजनीतिक फैसला है।

कांग्रेस नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय आकांक्षाओं के मामले में हम आरएसएस के रिकार्ड को संदेह से परे नहीं मानते। माकपा ने कहा, आरएसएस इस अवसर का इस्तेमाल अपनी हिन्दुत्व की विचारधारा को फैलाने के लिए करती है। राष्ट्रीय सार्वजनिक प्रसारक को आरएसएस जैसे संगठन के प्रमुख के भाषण को सीधा प्रसारित नहीं करना चाहिए था। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने भी भागवत के भाषण को सीधा प्रसारित किए जाने की निंदा की और कहा कि यह सरकारी प्रसारक का दुरुपयोग है।

भाकपा के महासचिव डी राजा ने कहा कि सरकार और खासकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को दूरदर्शन को आरएसएस का मुख्यपत्र बनने की इजाजत देने के लिए जनता को स्पष्टीकरण देना चाहिए ।

भागवत के भाषण के प्रसारण का बचाव करते हुए भाजपा की शाइना एन सी ने कहा कि आरएसएस एक मात्र राष्ट्रवादी संगठन है, जो भारत सबसे पहले (इंडिया फर्स्ट) में विश्वास करता है और साथ ही देश को व्यक्तिगत हित से ऊपर मानता है।
इस विवाद पर दूरदर्शन ने कहा कि इसे अन्य समाचार कार्यक्रमों की तरह ही प्रसारित किया गया और इसके लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गई थी।

दूरदर्शन की महानिदेशक अर्चना दत्त ने कहा, यह हमारे लिए महज किसी अन्य समाचार से जुड़े कार्यक्रम की तरह ही था। इसलिए हमने इसे कवर किया। दत्त ने कहा कि इस समारोह के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गई थी और राज्य में चुनाव को कवर करने के लिए उपयोग किये जा रहे कई डिजिटल सेटेलाइट न्यूज गैदरिंग वैन (डीएसएनजी) में से एक का उपयोग इस समारोह के लिए किया गया।

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