BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Monday, June 10, 2013

यह उपयुक्त अवसर है तीसरे मोर्चे का गठन करके कांग्रेस और संघपरिवार की मिलीजुली नरसंहार संस्कृति के अंत करने का। क्या इसके लिए भारतीय राजनीति तैयार है?

यह उपयुक्त अवसर है तीसरे मोर्चे का गठन करके कांग्रेस और संघपरिवार की मिलीजुली नरसंहार संस्कृति के अंत करने का। क्या इसके लिए भारतीय राजनीति तैयार है? 

भाजपा में दरार हुई जगजाहिर, आडवाणी ने छोड़े सभी पार्टी पद

 आरएसएस ने कहा,आडवाणी का इस्तीफा दुर्भाग्यपूर्ण!

लोस. चुनाव के लिए ममता का तीसरे मोर्चे का आह्वान

पलाश विश्वास


आडवाणी का इस्तीफा देश के लिए शुभ संकेत : कांग्रेस

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हिंदूराष्ट्र के संघ परिवार का  अश्वमेध यज्ञ बाधित हो गया। आडवाणी ने बीजेपी कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति से इस्तीफा दे दिया है। हिंदुत्व के देवादिदेव लालकृष्णआडवाणी के महाविद्रोह से संघपरिवार , उसका राजनीतिक अवतार भाजपा और केंद्र में सत्ता का प्रबल दावेदार राजग एकमुशत संकट में हैं। इसी के मद्देनजर बंगाल से अग्निकन्या ममता बनर्जी ने झटपट तीसरे मोर्चे का ावाहन भी कर दिया है। देश के लिए हिंदू राष्ट्र निश्चय ही सबसे खतरनाक है, लेकिन किसी भी मायने में कांग्रेस का अमेरिकापरस्त जनविरोधी बाजारु नरसंहार राज को बहाल रखने का यह कोई बहाना नहीं हो सकता। इसलिए तीसरे मोर्चे की अपील सकारात्मक है, बशर्ते खुद ममता बनर्जी और दूसरे क्षत्रप और खासकर वामपंथी, समाजवादी, अंबेडकरवादी अपनी अपनी महात्वाकांक्षाओं और पूर्वाग्रहों का विसर्जन देकर इस राष्ट्रीय संकट के नाजुक मौके पर अपनी जनप्रतिबद्धता साबित करें और राष्ट्र को एक सही विकल्प दैं।आडवाणी अगर अपने फैसले पर अटल रहते हैं, तो यह उपयुक्त अवसर है तीसरे मोर्चे का गठन करके कांग्रेस और संघपरिवार की मिलीजुली नरसंहार संस्कृति के अंत करने का। क्या इसके लिए भारतीय राजनीति तैयार है? गौरकरें,आडवाणी ने लिखा 'मुझे अब नहीं लगता कि ये वही आदर्शवादी पार्टी रह गई है जिसकी नींव डॉ. मुखर्जी, पंडित दीनदयाल जी, नानाजी देशमुख और वाजपेयी जी ने डाली थी। वो पार्टी तो सिर्फ देश और उसके लोगों की चिंता करती थी। अब तो हमारे ज्यादातर नेता सिर्फ अपने व्यक्ति एजेंडे की चिंता कर रहे हैं।'आडवाणी ने ये शब्द उस दौर में लिखे गए हैं जब गोवा में मौजूद पार्टी नमो नमन में डूबी हुई थी। आडवाणी की नाराजगी के बावजूद पार्टी के हिंदू पोस्टर बॉय नरेंद्र मोदी को 2014 आम चुनाव की कमान सौंप दी गई। एक तरह से ये जता दिया गया कि आडवाणी को अच्छा लगे या बुरा। मोदी ही अगले चुनाव में पार्टी का चेहरा होंगे। आडवाणी जी को पार्टी नेता बीमार करार देते रहे लेकिन आडवाणी ने इस्तीफा देकर साफ कर दिया कि मोदी नाम का कांटा उनके सीने में गहरे तक गड़ा हुआ है।


भाजपा के संस्थापक सदस्य और अटल बिहारी वाजपेयी के बाद पार्टी के सबसे मजबूत स्तंभ 85 वर्षीय आडवाणी ने पार्टी के सभी मुख्य संगठनों-संसदीय बोर्ड, राष्ट्रीय कार्यकारिणी और चुनाव समिति से सोमवार को इस्तीफा दे दिया। लालकृष्ण आडवाणी को मनाने के क्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी के इस वरिष्ठ नेता से बात की है और उनसे अपने इस फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए कहा है।बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने जहां लाल कृष्ण आडवाणी के इस्तीफे को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है, वहीं पार्टी के अन्य नेताओं ने आडवाणी को इस्तीफा वापस लेने के लिए मना लेने की बात कही है! माना जा रहा है कि मोदी के विरोध में उन्होंने अपना इस्तीफा भेजा है। आडवाणी ने अपना इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को भेजा है। आज सुबह राजनाथ सिंह आडवाणी से मिलने उनके घर भी गए थे। लेकिन वो आडवाणी को मनाने में नाकाम साबित हुए। फिलहाल राजनाथ सिंह ने आडवाणी का इस्तीफा मंजूर नहीं किया है। आडवाणी के घर पर नेताओं का जमावड़ा है और उन्हें मनाने की कोशिश जारी है।दरअसल वो इंसान जिसके रथ ने उत्तर भारत में बीजेपी की लहर चलाई, वो इंसान जिसके रथ पर चढ़कर भारतीय जनता पार्टी सिर्फ 2 सीटों से सत्ता के द्वार तक जा पहुंची। उस इंसान ने 86 साल की उम्र में भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दे दिया। आडवाणी ने अपने इस्तीफे के साथ ही पार्टी विद ए डिफरेंस की धज्जियां उड़ा दीं। साफ कह दिया कि जो पार्टी कुछ वक्त पहले तक आदर्शों पर चलती थी आज कुछ नेताओं की व्यक्गित इच्छाओं पर चल रही है। आडवाणी ने बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को भेजे 15 पंक्तियों के इस्तीफे में जैसे पार्टी में पनपे मोदीवाद पर गहरा अफसोस और नाराजगी जताई।

मोदी ने ट्विटर पर कहा, 'मैंने आडवाणीजी से फोन पर लंबी बातचीत की। मैंने उनसे इस्तीफे पर अपना फैसला बदलने के लिए अनुरोध किया है।' 
आडवाणी जी से इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध किया है: मोदी
मोदी ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि वह पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं को निराश नहीं करेंगे।' आडवाणी के इस्तीफे के बाद नरेंद्र मोदी की यह पहली प्रतिक्रिया है। 

 माना जा रहा है कि उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को पार्टी की चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के विरोध में यह कदम उठाया। भाजपा में दरार आज खुलकर सामने आ गई, जब पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने पार्टी के तमाम पदों से इस्तीफा दे दिया।
भाजपा के संस्थापक सदस्य और अटल बिहारी वाजपेयी के बाद पार्टी के सबसे मजबूत स्तंभ 85 वर्षीय आडवाणी ने पार्टी के सभी मुख्य संगठनों-संसदीय बोर्ड, राष्ट्रीय कार्यकारिणी और चुनाव समिति से आज इस्तीफा दे दिया।पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को भेजे अपने त्यागपत्र में आडवाणी ने कहा कि भाजपा अब वह आदर्शवादी पार्टी नहीं रही, जिसकी स्थापना श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, नानाजी देशमुख और वाजपेयी ने की थी। याद रहे कि राजनाथ सिंह ने ही कल मोदी को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाने का ऐलान किया था।
आडवाणी ने कहा, ''पिछले कुछ समय से मैं पार्टी के मौजूदा कामकाज और वह जिस दिशा में जा रही है इसके बीच सामंजस्य बिठा पाने में कठिनाई महसूस कर रहा था।''
अपने एक पृष्ठ के इस्तीफे में आडवाणी ने लिखा, ''हमारे अधिकतर नेताओं को इस समय अपने निजी एजेंडा से मतलब है।''
आडवाणी ने गोवा में आयोजित पार्टी के तीन दिन के सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया था और इसकी वजह अपनी खराब सेहत को बताया था। यह पहला मौका है जब आडवाणी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और उससे पहले होने वाली पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में शामिल नहीं हुए।

त्यागपत्र में आडवाणी ने कहा, ''अपने पूरे जीवन में मुझे जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के साथ काम करके अपने लिए महान गर्व और अनंत संतोष का अनुभव हुआ।''


 नरेन्द्र मोदी को भाजपा की चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाये जाने के बाद वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा पार्टी के तमाम पदों से इस्तीफा देने को ' दुर्भाग्यपूर्ण ' करार देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उम्मीद जताई कि भाजपा के लोग उन्हें मना लेंगे।

संघ के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा के लोग उन्हें मना लेंगे, ऐसा लगता है। वह वरिष्ठ नेता हैं। गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी में दरार खुलकर सामने आ गई, जब पार्टी के वरिष्ठ नेता आडवाणी ने पार्टी के तमाम पदों से इस्तीफा दे दिया। माना जा रहा है कि उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को पार्टी की चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के विरोध में यह कदम उठाया है।


भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सोमवार को पार्टी के सभी प्रमुख पदों से इस्तीफा दे दिया। जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष शरद यादव ने इसे दुखद बताया और कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पर इसका बुरा असर पड़ेगा। एक न्यूज चैनल से बातचीत में यादव ने कहा कि यह दुखद है..राजग के लिए अच्छा नहीं है।


दरअसल ये वही आडवाणी हैं जो मई 1986 में पहली बार बीजेपी अध्यक्ष बने थे। ये वही आडवाणी हैं जिन्होंने 1990 में भारतीय राजनीति को राम नाम का डोज दिया, सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली। जाहिर है अब वही आडवाणी शायद इस मोदी लहर में खुद को बीजेपी में प्रासंगिक महसूस नहीं कर रहे हैं। वहीं आडवाणी पार्टी में अपनी अनदेखी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। उप-प्रधानमंत्री तक का सफर आडवाणी ने तय किया और प्रधानमंत्री न बन पाने की टीस सालों साल उन्हें कचोटती रही और अब उसी पद पर नरेंद्र मोदी की दावेदारी देखना और स्वीकारना उन्हें स्वीकार नहीं हो रहा तो क्या बीजेपी में ये आडवाणी युग का अंत है?


बीजेपी में सभी पदों से लालकृष्ण आडवाणी के इस्तीफे ने एक बार फिर उनके व्यक्तित्व पर बहस छेड़ दी है। बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे और पार्टी को शून्य से शिखर तक पहुंचाने वाले आडवाणीआज फिर चर्चा में हैं।


भारतीय जनता पार्टी की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी में 2014 लोकसभा चुनाव की प्रचार समिति की कमान नरेंद्र मोदी को सौंपने के अगले ही दिन पार्टी के भीष्‍म पितामह लालकृष्‍ण आडवाणी ने बीजेपी के दिन अहम पदों से इस्‍तीफा दे दिया। वह गोवा में हुई राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नहीं गये थे। हालांकि, आडवाणी की नाराजगी को छुपाया गया और कहा गया कि वह सेहत ठीक नहीं होने की वजह से बैठक में नहीं आ रहे हैं, लेकिन अगले ही दिन उनके इस्‍तीफे की खबर ने बीजेपी के अंतर चल रहे महाभारत को सामने ला दिया। आडवाणी ने राजनाथ को लिखे पत्र में सीधे तौर पर मोदी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन इशारा उन्‍हीं की तरफ था। अब सवाल ये उठता है कि कभी आडवाणी की आंखों का तारा रहे नरेंद्र मोदी कैसे उनकी आंखों की किरकिरी बन गये। एक समय था जब आडवाणी ने मोदी को अर्श से फर्श पर पहुंचाया और आज जब मोदी शीर्ष पर जा रहे हैं तो सबसे ज्‍यादा दिक्‍कत उनके गुरु आडवाणी को ही हो रही है। मोदी की आडवाणी से आपातकाल में पहली बार मुलाकात हुई थी और इन दोनों के कारण स्‍वयं बीजेपी में आपातकाल जैसी हालत बनी हुई है। 


आडवाणी का इस्तीफा एनडीए के लिए ठीक नहीं : शरद यादव
भाजपा और जद (यू) राजग के प्रमुख घटक दल हैं। 2004 और 2009 का आम चुनाव इस गठबंधन ने संयुक्त रूप से लड़ा था। शरद यादव राजग के संयोजक हैं। जद (यू) और भाजपा बिहार में गठबंधन सरकार चला रहे हैं।


इसी बीच इस डांवाडोल में ममता ने अपना पांसा भी फेंका है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई क्षेत्रीय दलों के संघीय मोर्चे के गठन का आह्वान किया और कहा कि कार्ययोजना तय की जानी चाहिए।

लोस. चुनाव के लिए ममता का तीसरे मोर्चे का आह्वान
ममता बनर्जी ने बिना किसी दल का नाम लिए क्षेत्रीय दलों से अपनी एक अपील में कहा कि हमें साथ खड़ा हो जाना चाहिए। हमें आपस में बातचीत करनी चाहिए। हमें अगले लोकसभा चुनाव के लिए कार्ययोजना तय करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दलों के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में संघीय मोर्चा बनाने का समय आ गया है।

संप्रग की पूर्व सहयोगी तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता ने कहा कि मैं सभी गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई दलों से देश को कुशासन एवं जन विरोधी फैसलों से मुक्त कराने के लिए एकजुट संघर्ष शुरू करने तथा बेहतर एवं उज्ज्वल भारत के निर्माण के लिए साथ मिलकर काम करने की अपील करती हूं।


 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने सोमवार को सभी संगठनात्मक पदों से वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का इस्तीफा खारिज कर दिया। भाजपा का कहना है कि वह पार्टी के वरिष्ठ नेता आडवाणी को अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाएगी। मसले पर चर्चा के लिए भाजपा आज शाम साढ़े सात बजे बैठक करेगी।

राजनाथ ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लिखा कि मैंने आडवाणी जी का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है।


 आडवाणी के पार्टी के सभी प्रमुख पदों से इस्तीफे दिए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी में भूचाल सा आ गया है। पार्टी नेताओं के कोई जवाब देते नहीं बन रहा है।


आडवाणी को मनाने में जुटे भाजपा के दिग्गज नेता
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी का नेतृत्व आडवाणी को अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए मनाने की कोशिश करेगा। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने यहां संवाददाताओं से कहा, "मैं उनके घर जा रही हूं और उनसे बात करूंगी और मैं आश्वस्त हूं कि हम उन्हें मनाने में कामयाब होंगे। मैंने उनसे फोन पर बात की है और उनसे कहा है कि मैं उन्हें देखने आ रही हूं।"

सुषमा ने कहा, "मैं उनके इस फैसले पर चकित हूं।" उन्होंने आगे कहा कि उन्हें इस बात का विश्वास है कि वे इस्तीफा वापस लेने के लिए उन्हें मना लेंगी।

आडवाणी ने यह आरोप लगाते हुए कि पार्टी के अधिकांश नेता अपने व्यक्तिगत एजेंडे को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं, पार्टी के सभी प्रमुख पदों से इस्तीफा दे दिया।

गोवा में तीन दिनों तक चली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के आखिरी दिन रविवार को 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार समिति के प्रमुख के तौर पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को नियुक्ति किए जाने के एक दिन बाद आडवाणी ने भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह को नाराजगी भरा पत्र भेजा।

आडवाणी ने सोमवार को यह कहते हुए भाजपा संगठन में सभी पदों से इस्तीफा दे दिया कि पार्टी के `अधिकतर नेताओं का एजेंडा व्यक्तिगत होकर रह गया है।` उन्होंने भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड तथा चुनाव समिति से इस्तीफा दे दिया।

उनका इस्तीफा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की प्रचार समिति का प्रमुख नियुक्त किए जाने के एक दिन बाद आया है।

आडवाणी अगले चुनाव में पार्टी की प्रचार की कमान मोदी को सौंपे जाने से नाराज बताए जा रहे हैं। गोवा में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से उनकी अनुपस्थिति की वजह भी इसे ही बताया जा रहा है, हालांकि औपचारिक तौर पर इसका कारण आडवाणी का `खराब स्वास्थ्य` बताया गया। 



पार्टी को संचालित किए जाने के मौजूदा तरीके को त्रुटिपूर्ण मानते हुए उन्होंने पत्र के अंत में लिखा, ''इसलिए मैंने पार्टी के तीन प्रमुख मंचों, जिनके नाम राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति हैं, से इस्तीफा देने का फैसला किया। इसे :पत्र: मेरा त्याग पत्र समझा जाए।''
आडवाणी ने दिन में 11 बजे यह पत्र राजनाथ सिंह को सौंपा। बाद में 12.30 बजे आडवाणी और सिंह के बीच बैठक हुई।


पार्टी को संचालित किए जाने के मौजूदा तरीके को त्रुटिपूर्ण मानते हुए उन्होंने पत्र के अंत में लिखा, ''इसलिए मैंने पार्टी के तीन प्रमुख मंचों, जिनके नाम राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति हैं, से इस्तीफा देने का फैसला किया। इसे :पत्र: मेरा त्याग पत्र समझा जाए।''
आडवाणी ने दिन में 11 बजे यह पत्र राजनाथ सिंह को सौंपा। बाद में 12.30 बजे आडवाणी और सिंह के बीच बैठक हुई।
सूत्रों ने बताया कि राजनाथ सिंह और मोदी दोनों को आडवाणी के आवास पर उनका आशीर्वाद लेने जाना था, लेकिन आडवाणी ने सिंह से कहा कि वह अकेले उनसे मिलने आएं। दोनो के मिलने पर आडवाणी ने मोदी को नयी जिम्मेदारी दिए जाने पर अपने गुस्से और असंतोष का इजहार किया।
समझा जाता है कि सिंह ने आडवाणी से अपना इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध किया, लेकिन पार्टी के वयोवृद्ध नेता ने कहा कि वह अपने फैसले पर अडिग हैं।
हालांकि पार्टी नेताओं, जिनमें अध्यक्ष राजनाथ सिंह शामिल थे, ने दावा किया था कि आडवाणी खराब सेहत के कारण गोवा में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल नहीं हो सके।
मोदी को भाजपा की चुनाव प्रचार समिति की कमान सौंपने का ऐलान करने के बाद राजनाथ सिंह ने कहा था, ''जो कुछ हुआ, वह आम सहमति के आधार पर हुआ।''
इस बीच भाजपा महासचिव अनंत कुमार आडवाणी के आवास पर पहुंच रहे हैं। कुमार को आडवाणी के प्रति आस्थावान माना जाता है।

रहने वाले आडवाणी ने कहा कि वे पिछले तीन दिन से उनके पेट में तकलीफ है। इसलिए वे बैठक में भाग नहीं ले पाए।
अपने ब्लॉग में आडवाणी ने दिल्ली में पृथ्वीराज रोड स्थित आवास पर प्रदर्शन के लिए लगाई गई चंदन की लकड़ी की 'शानदार' नक्काशी के संदर्भ में सबसे पहले भगवान कृष्ण के विश्वरूप अवतार की तारीफ की और कहा कि वहां बाणों की शैया पर भीष्म पितामह भी मौजूद हैं। उन्होंने कहा,'इस नक्काशी  के बारे में ज्यादा महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि चिकमगलूर (कर्नाटक) के कलाकारों ने इस शानदार विश्वरूप के पीछे न केवल महाभारत से जुड़े द्रौपदी चीरहरण और बाणों की शैया पर पड़े भीष्म पितामह जैसे दृश्यों को प्रदर्शित किया है बल्कि मत्स्यावतार और कुर्मावतार से लेकर कृष्ण और कलकी तक सभी दशावतार को दर्शाया है। आडवाणी ने तीन जून को कमल हासन की फिल्म विश्वरूपम (तमिल) और विश्वरूप (हिंदी) देखने के बारे में भी लिखा।


भारतीय जानता पार्टी (भाजपा) के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी का पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देश के लिए शुभ संकेत है। गोवा से कांग्रेस सांसद फ्रांसिस्को सरदिन्हा ने सोमवार को अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यह बात कही। सरदिन्हा ने कहा कि आडवाणी उन नेताओं में से एक हैं जिन्होंने हमेशा देश में `सामाजिक और सांप्रदायिक` भेदभाव को बढ़ावा दिया।

राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथ यात्रा से जुड़े सवाल का सरदिन्हा उत्तर दे रहे थे। लोकसभा की प्राकलन समिति के अध्यक्ष सरदिन्हा ने कहा कि हां हम खुश हैं। इन नेताओं ने समाज में हमेशा सामाजिक और सांप्रदायिक भेदभाव को बढ़ावा दिया।

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पार्टी की चुनाव प्रचार प्रबंधन समिति का प्रमुख नियुक्त किए जाने के एक दिन बाद सोमवार को आडवाणी ने इस्तीफा दे दिया। गोवा में तीन दिनों तक चली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के आखिरी दिन रविवार को मोदी को प्रचार समिति का प्रमुख बनाया गया था।

मोदी उन्नयन विरोधी आडवाणी ओर उनके खेमे के नेताओं के विरोध को नजअंदाज करते हुए मोदी की नियुक्ति की गई। भाजपा के कद्दावर नेता अपनी बीमारी के बहाने गोवा बैठक से दूर रहे। सरदिन्हा ने कहा कि मोदी का भाजपा की चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया जाना कांग्रेस के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि गुजरात के मुख्यमंत्री ने अपने अभियान की शुरुआत अपनी ही पार्टी में विभाजन से की है।

सरदिन्हा ने कहा कि उनकी नियुक्ति के एक दिन बाद उनकी पार्टी विभाजित हो गई। वे देश को कैसे एकजुट रखेंगे? उनकी नियुक्ति कांग्रेस के लिए अच्छी खबर है। अब हम निश्चित ही चुनाव (लोकसभा) में विजयी रहेंगे। 


सूत्रों ने बताया कि राजनाथ सिंह और मोदी दोनों को आडवाणी के आवास पर उनका आशीर्वाद लेने जाना था, लेकिन आडवाणी ने सिंह से कहा कि वह अकेले उनसे मिलने आएं। दोनो के मिलने पर आडवाणी ने मोदी को नयी जिम्मेदारी दिए जाने पर अपने गुस्से और असंतोष का इजहार किया।
समझा जाता है कि सिंह ने आडवाणी से अपना इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध किया, लेकिन पार्टी के वयोवृद्ध नेता ने कहा कि वह अपने फैसले पर अडिग हैं।
हालांकि पार्टी नेताओं, जिनमें अध्यक्ष राजनाथ सिंह शामिल थे, ने दावा किया था कि आडवाणी खराब सेहत के कारण गोवा में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल नहीं हो सके।
मोदी को भाजपा की चुनाव प्रचार समिति की कमान सौंपने का ऐलान करने के बाद राजनाथ सिंह ने कहा था, ''जो कुछ हुआ, वह आम सहमति के आधार पर हुआ।''
इस बीच भाजपा महासचिव अनंत कुमार आडवाणी के आवास पर पहुंच रहे हैं। कुमार को आडवाणी के प्रति आस्थावान माना जाता है।


आडवाणी ने राजनाथ को लिखी चिट्ठी में साफ लिखा है कि मुझे लगता है कि बीजेपी अब वो आदर्श पार्टी नहीं रही जिसका गठन डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, नानाजी देशमुख और अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। जिनका एकमात्र ध्येय देश और देशवासी हुआ करते थे। आज के हमारे ज्यादातर नेता सिर्फ अपने हितों को लेकर चिंतित हैं। आडवाणी ने आगे लिखा कि मैं पार्टी में अपने तीनों पदों से इस्तीफा दे रहा हूं। इनमें नेशनल एक्जीक्यूटिव, पार्लियामेंट्री बोर्ड और इलेक्शन कमेटी शामिल है। आइये जानते हैं आडवाणी के बारे में कुछ खास बातें। 


* 8 नवंबर, 1927 को वर्तमान पाकिस्तान के कराची में लालकृष्ण आडवाणी का जन्म हुआ था। 
* विभाजन के बाद आडवाणी भारत आ गए। 
* लालकृष्ण आडवाणी की शुरुआती शिक्षा तो लाहौर में हुई। 
* उन्होंने मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से लॉ में स्नातक किया। 
* वर्ष 1951 में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की, तब से लेकर 1957 तक आडवाणी पार्टी के सचिव रहे। 

* आडवाणी ने 1973 से 1977 तक जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व संभाला। 
* 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद से 1986 तक लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के महासचिव रहे। 1986 से 1991 तक उन्‍होंने बीजेपी का अध्यक्ष पद भी संभाला। 

* वर्ष 1990 में राममंदिर आंदोलन के दौरान आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली। 
* इस यात्रा के बाद आडवाणी का राजनीतिक कद बहुत बड़ा हो गया। 
* बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया है, उनमें आडवाणी का नाम भी शामिल है। 
* लालकृष्ण आडवाणी तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं.
* आडवाणी चार बार राज्यसभा और पांच बार लोकसभा सदस्य रहे। 
* वर्तमान में भी वो गुजरात के गांधीनगर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के सांसद हैं।
* आडवाणी एनडीए शासनकाल के दौरान उपप्रधानमंत्री रहे। 
* लालकृष्ण आडवाणी 1999 में एनडीए की सरकार बनने के बाद अटलबिहारी वाजपेयी के नेत़ृत्व में केंद्रीय गृहमंत्री भी बने। 

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