मोदी की चुनौती के मुकाबले विनिवेश तेज होगा। यूनियनों की धमकी से कोल इंडिया का विनिवेश नही रुकनेवाला!
ज्यादा मुनाफवाली कंपनी का पहले विनिवेश के सिद्धांत के मुताबिक एक लाख करोड़ की कोलइंडिया की हिस्सेदारी की नीलामी अब तय है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक नरेंद्र मोदी का 2014 के आम चुनाव के लिए बीजेपी चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनना बाजार के लिए सकारात्मक है। ऐसे में कांग्रेस के लिए चुनौतियां और बढ़ जाएंगी। जिसके चलते कांग्रेस को आर्थिक प्रबंधन के मोर्चे पर खुद को बेहतर साबित करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे, जिसका फायदा बाजार को मिलेगा।मौजूदा समय में रुपये में देखी जा रही भारी कमजोरी से बाजार को ज्यादा चिंताएं नहीं है। वहीं केवल रुपये की कमजोरी जैसे कारण से बाजार में ज्यादा गिरावट आने की आशंका नहीं हैं। रुपये की कमजोरी को लेकर विदेशी निवेशक चिंतित नजर आ रहे हैं। छोटी अवधि में वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की चिंता से घरेलू बाजार पर असर जरूर पड़ सकता है। लेकिन सरकारी पॉलिसी और मॉनसून से घरेलू बाजार को सहारा मिल सकता है। बाजार को सरकार की विनिवेश प्रक्रिया तेज करने की उम्मीद है।ही कोल इंडिया में विनिवेश संभव है। वित्त वर्ष 2014 की दूसरी छमाही से आईटी खर्चों में सुधार की गुंजाइश है। बाजार को उम्मीद है कि यूनियनों की धमकी से कोल इंडिया का विनिवेश नही रुकनेवाला है।कोल इंडिया लिमिटेड का टर्नओवर इस फिस्कल ईयर में 1,00,000 करोड़ रुपए को पार कर सकता है। कंपनी के चेयरमैन नरसिंह राव ने बताया, 'हमने वित्तीय वर्ष 2012-13 में 88,281 करोड़ रुपए का टर्नओवर हासिल किया और हमें इसमें 12-13 फीसदी ग्रोथ हासिल करने की उम्मीद है। मुझे पूरा भरोसा है कि हम फाइनेंशियल ईयर 2013-14 में आसानी से 1,00,000 करोड़ रुपए के टर्नओवर को पार कर जाएंगे।' भारत में 1,00,000 करोड़ के टर्नओवर क्लब में सिर्फ 8 कंपनियां हैं। इन कंपनियों में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारत पेट्रोलियम, टाटा मोटर्स, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ओएनजीसी और टाटा स्टील शामिल हैं।
ज्यादा मुनाफवाली कंपनी का पहले विनिवेश के सिद्धांत के मुताबिक एक लाख करोड़ की कोलइंडिया की हिस्सेदारी की नीलामी अब तय है।केंद्रीय पीएसयू कंपनियों में कोल इंडिया का सरकारी खजाने में योगदान काफी ज्यादा है। इस मामले में यह टॉप तीन पीएसयू में शामिल है। फाइनेंशियल ईयर 2013 में सिर्फ कोल इंडिया ने केंद्र सरकार को सीधे 23,800 करोड़ रुपए मिले। डायरेक्ट कंट्रीब्यूशन के अलावा कोल इंडिया भारतीय रेल का फ्रेट रेवेन्यू बढ़ाने में भी मदद करती है। फाइनेंशियल ईयर 2012-13 में रेलवे से कोयला भेजने में 2.1 करोड़ टन की बढ़ोतरी हुई है। फाइनेंशियल ईयर 2012 में रेलवे से 23 करोड़ टन कोयला भेजा गया, जबकि 2013 में 25.1 करोड़ टन कोयला इस तरह से भेजा गया था यानी इसमें 9 फीसदी की ग्रोथ हुई। भारतीय रेल को तकरीबन 30 फीसदी फ्रेट रेवेन्यू (माल भाड़ा) कोल इंडिया लिमिटेड से मिलता है।
कोल इंडिया लिमिटेड उन बड़ी पीएसयू कंपनियों में शामिल हैं, जो सरकार को जबरदस्त फायदा देती है। दरअसल, यह लगातार दूसरा साल है, जब कंपनी ने सरकारी खजाने में 30,000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का योगदान दिया है। वित्तीय वर्ष 2012-13 में कोल इंडिया ने सरकारी खजाने- केंद्र और 8 कोयला उत्पादक राज्यों को रॉयल्टी और सेस के तौर पर 35,800 करोड़ रुपए दिए। फाइनेंशियल ईयर 2011-12 में कॉरपोरेट टैक्स, डिविडेंड, डिविडेंड टैक्स, बाकी टैक्स और ड्यूटी के तौर पर कंपनी ने सरकार को 30,000 करोड़ रुपए दिए थे। हालांकि, जहां तक नेट प्रॉफिट की बात है, तो यह ओएनजीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज और एसबीआई के बाद सबसे बड़ी कंपनी है। फाइनेंशियल ईयर 2012-13 में कंपनी का नेट प्रॉफिट 17,356 करोड़ रुपए रहा। कोल इंडिया के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, 'हम इस साल 48.2 करोड़ टन कोयले का उत्पादन करेंगे और 49.2 करोड़ टन कोयला बेचेंगे। पिछले महीने कोयले की कीमत में 4.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और ऐसे में हमें 1,00,000 लाख करोड़ के आंकड़े को पार करने में कोई मुश्किल नहीं होगी।'
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