Sunday, 27 January 2013 17:06 |
मोहनकृष्ण बोहरा स्वीडन से लौटने के लिए मां ने छोटे बेटे से बात की थी। तसलीमा ने उसका न जाने क्या अर्थ लगा कर मां को इतना लांछित किया और बुरा-भला कहा कि वह रो पड़ी। उन्होंने मां से यह भी कहा कि तुम लालची हो। तुम चीजें खरीदने आई थी। सामान खरीद लिया, अब खिसक लेना चाहती हो, जबकि हकीकत यह थी कि बेटी ने मां को अब तक जो कुछ भेजा था, उस सबसे वह बेटी के लिए ही सामान लेकर आई थी! जो कुछ उसके पास था, वह भी उसने बेटी की आलमारी में ही सजा दिया था! ऐसी मां को भी उसने लांछित किया! इस सारे प्रसंग में मां की जगह अपने को रख कर तसलीमा ने विचार किया तो अपने दुर्वचनों के लिए उन्होंने अपने को यहां तक धिक्कारा है- 'तुम्हारी जगह अगर मैं होती, तो मुझ जैसी पत्थर-दिल बेटी के टुच्चे अहंकार, कुत्सित आत्माभिमान पर कस कर एक लात जमाती और चल देती। उसके बाद उस बेटी का मुंह देखने की जरूरत कभी महसूस नहीं करती।' यह कथन जहां तसलीमा का प्रचंड स्वाभिमान दर्शाता है, वहीं मां की चरम सहिष्णुता भी सूचित करता है। उसे यह कांटा भी गड़ता रहा है कि उसने कभी मां को अपने पास नहीं बुलाया (जैसे भाइयों और पिता को बुलाया था)। मां तो खुद चल कर आई थी। अपना अंत निकट जान कर बेटी से मिलने। लेकिन उन्होंने तो उसके रहने-खाने, नहाने-धोने, कहीं घुमाने-फिराने का भी कोई ठीक से प्रबंध नहीं किया! उसके पास बैठने का समय भी उन्हें कहां था! वे तो जब-जब उसके रोजे-नमाज को ही कोसती और अकारण ही उसे लांछित करती रहीं! लेकिन उसने कभी बेटी की बातों का जवाब नहीं दिया। बेटी के लिए उसमें सदा प्यार, करुणा और ममता ही बनी रही! मां के हृदय की इस विशालता को देख कर ही उसके प्रति तसलीमा की धारणा बदली। पुनरवलोकन पर उन्होंने पाया कि मां किसी भी प्रसंग में दोषी नहीं थी, उन्हीं ने मां को गलत समझा और अकारण जीवन भर उसका दिल दुखाती रहीं। अपने दुर्व्यवहार और दुर्वचनों का कुछ मार्जन उन्होंने कैंसर-पीड़ित मां की सेवा करके, तो कुछ उसके उपचार पर और उसकी खुशी के लिए दिल खोल कर खर्च करके किया। लेकिन इससे भी उनकी आत्मा का बोझ हल्का नहीं हुआ। मां से उन्होंने बार-बार यही कहा है कि तुम मुझे क्षमा मत करना। मैं इस योग्य नहीं हूं। |
BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7
Published on 10 Mar 2013
ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH.
http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM
http://youtu.be/oLL-n6MrcoM
Sunday, February 3, 2013
वेदना का बहाव
वेदना का बहाव
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