BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Monday, July 31, 2017

भारत चीन विवादःअमेरिका और इजराइल के दम पर राष्ट्र कीएकता और अखंडता को दांव पर लगाने का यह खतरनाक खेल बी राष्ट्रद्रोह है। चीन के साथ व्यापक हो रहे सीमाविवाद के सिलसिले में नक्ललबाडी़ तक फैली दार्जिलिंग की हिसा का संज्ञान न भारत सरकार ले रही है और न भारत की संसद।ऐसे हालात में अगर युद्ध हुआ तो हिमालयऔर हिमालयी जनता का लहूलुहान होना तय है। पलाश विश्वास




भारत चीन विवादःअमेरिका और इजराइल के दम पर राष्ट्र कीएकता और अखंडता को दांव पर लगाने का यह खतरनाक खेल बी राष्ट्रद्रोह है।
 चीन के साथ व्यापक हो रहे सीमाविवाद के सिलसिले में नक्ललबाडी़ तक फैली दार्जिलिंग की हिसा का संज्ञान न भारत सरकार ले रही है और न भारत की संसद।ऐसे हालात में अगर युद्ध हुआ तो हिमालयऔर हिमालयी जनता का लहूलुहान होना तय है।
पलाश विश्वास

हमने जब दार्जिलिंग के पहाड़ों में संघ परिवार समर्थित गोरखालैंड आंदोलन के सिलसिले में भारत की एकता और अखंडता को गंभीर खतरे की चेतावनी दी और सिक्किम के साथ पूरे उत्तरपूर्व भारत के बाकी देश से कट जाने का अंदेशा जताया,तो इसकी प्रतिक्रिया में हमें देशद्रोही का तमगा दे दिया भक्तों ने।
हम हिमालय की बात कर रहे थे और यह बता रहे थे कि भारत सरकार को न हिमालय और न हिमालयी  जनता की कोई परवाह है और न भारत देश की।तो उत्तराखंड से पूछा जाने लगा कि हम ऐसा कैसे सोच लेते हैं।सत्तावर्ग,उनके हितों और सत्ता की राजनीति पर सवाल उठाने से सीधे कम्युनिस्ट कह दिया जाता है।
अब डोभाल की राजनय के बाद कहा जाने लगा कि प्रधान सेवक की चीन यात्रा के दौरान भार चीन में समझौता हो जायेगा और सिक्किम की सीमा पर मंडराते युद्ध के बादल छंट जायेंगे।
चीन का तेवर बदला नहीं है और भारत में भक्तजन मंत्रजाप,यज्ञ,होम की वैदिकी पद्धति से चीन को धूल चटाने की तैयारी कर रहे हैं।
इसी बीच उत्तराखंड में चीनी सेना की घुसपैठ की खबर आ गयी है।अरुणाचल से लेकर पाकिस्तान होकर अरब सागर तक चीन का युद्धक कारीडोर तैयार हो गया है।
कश्मीर के लगातार अशांत रहने और कश्मीर समस्या का हल न निकलने की वजह से पाकअधिकृत कश्मीर में चीनी सैना ने भारत के खिलाप मोर्चा बांध लिया है तो कश्मीर का एक हिस्से  पर 1962 की लड़ाई के बाद से चीन का कब्जा है,जिसे अक्साई चीन कहा जा सकता है।जिसके नतीजतन कश्मीर तीनों तरफ से चीनी मोर्चाबंदी से घिरा हुआ है,जहां उपद्रव,अशांति की वजह से अपनी सीमा के भीतर ही भारतीय सेना की मोर्चाबंदी कानून और व्यवस्था से निपटने के लिए कहीं ज्यादा है,चीन के मुकाबले की कोई तैयारी नहीं है।
दार्जिलिंग संकट की वजह से बंगाल में गृहयुद्ध के जैसे हालात है।पहाड़ से खुकरी जुलूस सिलिगुड़ी को कूच करने लगा है और भारतीय सेना की गाड़ियां आंदोलनकारियों के बंद की वजह से तीस्ता बैराज के नजदीक सुकना में अटकी हुई हैं।तो बाकी भारत को असम और उत्तर पूर्व भारत से जोड़ने वाला 18 किमी का चिकन नेक कारीडोर की भी नाकेबंदी हो गयी है क्योंकि गारखालैंड आंदोलन अलपुरदुआर के इस इलाके में फैल गया है और वहा हिंसा का तांडव है।
सिकिकम की नाकेबंदी तो जारी है ही,अलीपुर दुआर में फैली हिंसा की वजह से अब भूटान की भी नाकेबंदी हो गयी है।यह इलका बांग्लादेश से भी सटा हुआ है और भारत और भूटान के जंगल अल्फा उग्रवादियों के कब्जे में है।यह डोकलाम संकट से बड़ा संकट है।
कैलास मानसरोवर की यात्रा चीन ने रोकदी है और हिंदुत्व की राजनय इस समस्या को सुलझा नहीं सकी है।एवरेस्ट तक चीन की सड़कें पहुंच गयी हैं और ब्रह्मपु्त्र का पानी रोकने के चीनी उपक्रम का नमामि ब्रह्मपुत्र राजनीति से कोई लेना देना उसीतरह नहीं है जैसे नमामि गंगे का हिमालय की सुरक्षा से कुछभी लेना देना नहीं है।
हम बार बार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि अपनी जनता को कुचलकर कोई युद्ध जीतना मुश्किल है।उत्तरपूर्व से लोकर कश्मीर तक भारत चीन सीमा के तमाम इलाके अशांत है  और पाकिस्तान के साथ चीन के आर्थिक सैन्य सहयोग के मुकाबले हिंदुत्व के एजंडे की वजह से भारत की कोई जवाबी मोर्चाबंदी हुई नहीं है।भाषण से चुनाव जीते जा सकते है,युद्ध नहीं।अफगानिस्तान,ईरान या रूस के साथ चीन के मुकाबले के लिए कोई समझौता तो हुआ ही नहीं है,तो नेपाल और बांग्लादेश के साथ संबंध भी तेजी से बिगड़ गये हैं और नेपाल,बांग्लादेश और श्रीलंका में भी चीन का असर बढञता जा रहा है।
पाकिस्तान की अर्थव्वस्था अगर चीनके कब्जे में हैं तो बारतीय बाजार में भी चीन की जबर्दस्त घुसपैठ है।संघी देशभक्त सरकार की चहेती कंपनियों के भारी कारोबारी समझौते चीन के साथ हुए हैं।मसलन फोर जी मोबाइल का ताजा किस्सा है।
अमेरिका और इजराइल के दम पर राष्ट्र कीएकता और अखंडता को दांव पर लगाने का यह खतरनाक खेल बी राष्ट्रद्रोह है।
चीने के साथ व्यापक हो रहे सीमाविवाद के सिलसिले में नक्ललबाडी़ तक फैली दार्जिलिंग की हिसा का संज्ञान न भारत सरकार ले रही है और न भारत की संसद।ऐसे हालात में अगर युद्ध हुआ तो हिमालयऔर हिमालयी जनता का लहूलुहान होना तय है।

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