BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Friday, May 20, 2016

उत्तराखंड में जिस सिडकुल और उसमे लगे उद्योगों को यहाँ की सरकार विकास के मॉडल के रूप में प्रस्तुत करती है,उसकी असलियत आज रूद्रपुर में घटित घटना से एक बार फिर उजागार हुई.इस घटना से साफ़ हो गया कि ये औद्यागिक आस्थान और इनमे लगी फैक्ट्रियां मजदूरों के अधिकारों की कब्रगाह है.ये मालिक,पूजीपतियों और सरकारी पुलिस के षड्यंत्रकारी गठजोड़ की ऐशगाह है.सरकार कांग्रेस की हो या भाजपा की,सिडकुल का यह सत्य नहीं बदलता.


Indresh Maikhuri

उत्तराखंड में जिस सिडकुल और उसमे लगे उद्योगों को यहाँ की सरकार विकास के मॉडल के रूप में प्रस्तुत करती है,उसकी असलियत आज रूद्रपुर में घटित घटना से एक बार फिर उजागार हुई.इस घटना से साफ़ हो गया कि ये औद्यागिक आस्थान और इनमे लगी फैक्ट्रियां मजदूरों के अधिकारों की कब्रगाह है.ये मालिक,पूजीपतियों और सरकारी पुलिस के षड्यंत्रकारी गठजोड़ की ऐशगाह है.सरकार कांग्रेस की हो या भाजपा की,सिडकुल का यह सत्य नहीं बदलता.
ताजातरीन घटना यह है कि ट्रेड यूनियन-एक्टू(ए.आई.सी.सी.टी.यू.-आल इंडिया सेन्ट्रल काउन्सिल ऑफ ट्रेड यूनियंस) के प्रदेश महामंत्री और भाकपा(माले) के राज्य कमेटी सदस्य कामरेड के.के.बोरा की अगुवाई में रुद्रपुर(उधमसिंह नगर) की मिंडा ऑटोमोबाइल्स नामक कंपनी में पिछले तीन महीने से मजदूरों के उत्पीडन के खिलाफ आन्दोलन चल रहा है.इसी आन्दोलन के क्रम में कल श्रम कार्यालय(लेबर ऑफिस) जाते समय पुलिस ने कामरेड के.के.बोरा को उठाने की कोशिश की.वारंट दिखाने को कहने पर पुलिसकर्मी जबरदस्ती करने की कोशिश करने लगे.लेकिन मजदूरों के प्रतिरोध के सामने पुलिस कर्मियों को हार माननी पडी.आज टेम्पो से रुद्रपुर जाते समय,स्कार्पियो गाडी में आये नकाबपोश बदमाशों ने लाठी-डंडों से कामरेड के.के.बोरा पर हमला कर दिया.पहले दिन पुलिस के जरिये बिना किसी कारण उठाने की कोशिश और फिर अगले ही दिन गुंडों द्वारा हमला दर्शाता है कि मजदूर आन्दोलन के खिलाफ पूंजीपति,पुलिस और गुंडे सब एकजुट हो गए हैं.जब पुलिसिया रास्ता नहीं चला तो गुंडों से हमले का रास्ता अपनाया गया.इसका अर्थ यह है कि गुंडे बिना वर्दी के हों या बावर्दी,वे मालिकों की सेवा में मुस्तैद हैं,किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं.जिस तरह से बीच रास्ते में दिन-दहाड़े टेम्पो रोक कर कामरेड के.के.बोरा पर हमला किया गया,उससे साफ़ है कि हमला एक पूर्वनियोजित षड्यंत्र था.
कामरेड के.के.बोरा सिडकुल में मजदूरों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले नेता हैं.इससे पहले भी मजदूरों के हक़ में खड़े होने के लिए उनपर फर्जी मुक़दमे लादे गए.लेकिन मालिकों और उनकी लठैत की भूमिका में उतरी सरकार को जब लगा कि फर्जी मुक़दमे से कामरेड के.के.बोरा से पार पाना मुमकिन नहीं है तो भाड़े के गुंडों द्वारा हमला करवाने का रास्ता चुना गया. मजदूर अधिकारों के लिए निरंतर संघर्षरत एक मजदूर नेता पर इस तरह का कातिलाना हमला,इस बात की तस्दीक करता है कि उत्तराखंड में पूंजीपति,पुलिस और गुंडों को सरकारी संरक्षण हासिल है.इसलिए वे बेख़ौफ़ मजदूरों के अधिकारों के हक़ में खड़े होने वालों पर हमला बोल रहे हैं. अभी कुछ दिनों पहले हरीश रावत मुख्यमंत्री पद से हटाये जाने के बाद लोकतंत्र की दुहाई देते घूम रहे थे.आज मुख्यमंत्री जवाब दें कि मजदूर नेताओं पर हमला और मजदूरों का उत्पीडन किस लोकतंत्र का प्रदर्शन है?
अगर मेहनतकशों के हक़ में खड़े होने से रावत जी, आपका स्वयम्भू लोकतंत्र हमलावर हो उठता है तो आपके इस गुंडातंत्र को मेहनतकशों के हक़ के लिए लड़ने वाले नेस्तानाबूद करके ही दम लेंगे.आप पुलिस भेजो,गुंडों से हमले करवाओ,क्रांतिकारी लाल झंडे के वारिस डिगने वाले नहीं हैं.



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