BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Thursday, December 17, 2015

ए लड़की -- शताब्दी राय की बंगाली कविता (अनुवाद -अशोक भौमिक )

ए लड़की -- शताब्दी राय की बंगाली कविता (अनुवाद -अशोक भौमिक )


क्या कविता है ,अशोकदा! वैसी कविताओं में से एक जो लम्बे समय तक कलेजे को मथती रहती हैं -- जीवन के तलछट का  का अनुभव जो तमाम भव्य मूल्यों और दिव्य रिश्तों का मुखौटा उतारकर उनकी असली सूरत दिखला देता है. कवितायें ,  जो हमें याद दिलाती हैं कि मनुष्य की खून पसीने से लिथड़ी जिंदगी किताबों की ताज़ा  छपे पन्ने की खुशबू से कितनी अलग होती है . जो प्रेम ,धर्म और और मनुष्यता  के बारे में की गयी हर बौद्धिक बहस को बेमानी बना देती  हैं .(आ.कु. )

 

ए लड़की 

शताब्दी राय  

 

 

ए लड़की तेरी उम्र क्या है रे ?

क्या पता, माँ होती तो बता पाती 

 

वह जब  दंगा  हुआ  था न  

 - सैकडों मारे गये थे 

 - हिन्दुओं के घर जले थे 

 - मुसलमानों के खून  बहे थे

सुना है उन्ही दिनों माँ उम्मीद से थीं 

इसीलिये दंगा ही मेरा  जन्मदिन  है 

 

ए लड़की तेरा बाप कहाँ है रे ?

माँ कहती है गरीबों के बाप खो जाया करते है

वैसे कुछ लोग यह भी कहते है कि बाप मेरा हरामी था

माँ की  जिंदगी बर्बाद कर दूसरे गाँव जाकर  घर बसाया था 

माँ कहती थी  शिव जी की कृपा थी कि जो तू मिली मुझे 

सो शिव जी को ही बाप कह कर पुकार लिया . .

 

ए  लड़की  तेरा  कोई  प्रेमी भी   है ?

तेरे आस पास चक्कर लगाते है लडके ?

 

- प्रेमी किसी कहते है. जी  ? 

वो जो मीठी मीठी बातें करते है 

सपने दिखाते है दिन  दहाडे 

मेलों  मे ले जाकर चूड़ी  काजल  दिलवाते है 

और आड़ में  ले जाकर कपड़े  खुलवाते है 

ऐसा तो नंदू काका  ने किया है मेरे साथ  दो बार

तब उन्हे ही मैं प्रेमी कहूँगी अब से 

 

ए लड़की तेरी पदवी क्या है रे ?  

- सुना है बाप ही देता है इसे 

पदवी हो तो दो वक़्त की रोटी मिल जाती है क्या  

क्या बाप का लाड़  हँसा और रुला सकता है

वह बाज़ार में बिकती है, क्या 

तो दो दस खर्च कर खरीद लाऊँगी  उसे ,  

पर अगर महँगी मिलती हो तो नहीं चाहिये मुझे  

वो बाप दादाओं  को ही मुबारक हो.

 

ए  लड़की क्या तू खूबसूरत है ?

- लोग कहते है 'भरी जवानी होती है सत्यानाशी 

खूबसूरती  तो बस एक धोका है 

जवानी में लजीली राधा है.'  

वैसे , मर्द नज़रों के इशारे मिलते रहते है मुझे 

मौका पाकर,  उनके हाथ मेरे छाती और चूतड़ छूते

खूबसूरती  क्या बस शरीर पर चढ़ा मांस है , 

तब तो मैं  काफी खूबसूरत हूँ !

 

 ए लड़की तेरा धरम क्या है रे ?

- औरतों का भी कोई धर्म होता है, जी 

सब कुछ तो शरीर का मामला है 

सलमा कहती धरम ही उस समाज को बनाता है

जब शाम को वह खड़ी होती है 

कोई नहीं पूछता उससे ' क्या तू हिन्दू है ' 

बस यहीं पूछते है, ' कितने मे चलेगी "

बिस्तर ही धर्म को  मिलाता है  

शरीर जब शरीर से  खेलता है 

इसलिये सोचती हूँ 

अबसे  शरीर  और  बिस्तर  को  ही   धर्म  कहूँगी .

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