Internal migrants make up 1/3rd of India's population 50% Of Global Figure, Twice That Of China TIMES INSIGHT GROUP
Internal migrants in India are expected to touch 400 million in the 2011 census, over half the global figure of 740 million and almost twice as much as China's estimated 221 million. These migrants, comprising a third of the population in India, are estimated to account for remittances anywhere between Rs70,000 crore and Rs120,000 crore. The estimate of 400 million internal migrants, of course, far exceeds the total estimated Indian migrants to other countries, which is estimated at just 11.4 million. While there is more attention and policies for emigrants, internal migrants are accorded very low priority by the government whose existing policies have failed to provide legal or social protection to them. 'Half of world's 30 million slaves in India' Some 30 million people are enslaved worldwide—trafficked into brothels, forced into manual labour, victims of debt bondage or even born into servitude—and India accounts for almost half of them, a global index on modern slavery showed on Thursday. In India, slavery takes the form of forced labour in quarries and kilns, besides trafficking for prostitution. After India, China has the most slaves, at 2.9 million. P 14 '80% of all migrants in India are women' The UNESCO report —"Social Inclusion of Internal Migrants in India" — was released by rural development minister Jairam Ramesh on Thursday. According toNSSO2007-08 women constitute 80% of total internal migrants. "There isn't enough data on women migrant labour because of the assumption that most women migrate because of marriage. This assumption blocks further analysis of the women migrants engaged in paid labour and an understanding of how their vulnerabilities are being compounded by contemporary economic practices and not just because of historicalor culturalbaggage.Thisleads to the "invisibilisation" and undermining of women in policies too," said Indu Agnihotri of the Centre for Women's Development Studies. The report estimated that about 30% of the migrants are youth aged 15-29 years and another 15 million are children. The intensity of migration is likely to increase in future. Internal migrants constitute a floating population, which is put at anywhere at 15-100 million by different estimates. These migrants often lose social protection benefits as most benefits are linked to the place of residence, pointed out the report. The report says internal migrants faced discrimination as 'outsiders', which excluded them from access to legal rights, public services and social protection programmes accorded to residents. This is despite the migrants providing cheap labour and typically doing the mostdirty,dangerous and degrading jobs that locals do not want to do. Far from being a burden on society, migrants' cheap labour contributes to the national GDP, stated the report. Jairam Ramesh, who provided the estimates of remittances, pointed out that migrants constitute a significant share of a state's gross domestic product, about 10% in the case of Bihar and 3-4% in the case of Uttar Pradesh. "Portability of legal entitlements could make a huge difference to the lives of internal migrants. The UID number could be the single most important intervention which could ensure portability of legal entitlements as well as financial inclusion. Legal entitlements should not be location specific,only individualor household specific and UID number could make this possible," said Ramesh. Financial inclusion, he said, was important also because barely 30% of the remittances currently flow throughformalchannels,the remaining 70% being dependent on informal channels.
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www.news4city.com/मध्य-भारत-में-आदिवास... Translate this page Aug 27, 2013 - यहां जंगल, जल, खनिज संपदा और प्राकृतिक संपदा बृहत प्रमाण में मौजूद है। इसलिए इस क्षेत्र को प्राकृतिक सम्पदा की ... आदिवासियों को उनके जंगल और जमीन से बेदखल कर उनका शोषण किया गया। उनके विकास के लिए नीति तो बदली गयी परंतु ... -
www.pnews.in/अंबेडकर-की-प्रासंगिकता-औ/ Translate this page Mar 26, 2013 - हम अपनी विरासत से पल्ला झाड़ेंगे तो विरासत बेदखल ही नहीं होगा बल्कि जनशत्रुओं के हित में इस्तेमाल होगा! हम चकित ... शरणार्थी, जल जंगल जमीन आजीविका और नागरिकता के अलावा मानवाधिकार और नागरिक अधिकारों से वंचितलोगों को ... -
www.sarokar.net/.../मूल-निवासियों-के-हित-... Translate this page Jan 21, 2011 - आदिवासियों के जंगल बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हाथ बेचे जा रहे हैं. ... इस तरह यह फैसला अपनी ही जमीन से बेदखल कर दिए गए देश के मूलनिवासियों के वंशज आदिवासियों के पक्ष में तो है ही, साथ में काफी बौद्धिक और रचनात्मजक फैसला भी ... -
kurukhworld.com/.../tribals_%20status_&_land%20pr... Translate this page लेकिन इस कानून के रहते हुए भी इस इलाके के भूमि-पुत्रों का जमीन, जंगल, पहाड़ और खनिजों पर बाहरी तत्व धड़ाल्ले से कब्जा जमा .... इसी प्रकार अनुसूचित क्षेत्रों में लागू अन्य क़ानून जैसे- कृषि उपज मंडी/को-आपरेटिव एक्ट, जल उपभोक्ता संस्था एक्ट, .... विकास परियोजनाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर लाखों भूमि-पुत्रों को अपने जमीन और पर्यावरण से बेदखल किया गया है ... -
www.dudhwalive.com/.../nature-and-development_68... Translate this page Sep 16, 2012 - जल जंगल जमीन- जो बुनियादी हैं! उन्हें ही तहस नहस ... हमारे वनवासी भाई पहले ही बड़े बाँधों के नाम पर उजाड़े जाते रहे हैं और अब बड़ी पूँजी के नाम पर उन्हें बेदखल किया जा रहा है.... जल, जंगल और ज़मीन जैसे प्राथमिक संसाधन उत्तराखंड के अलावा देश के बड़े हिस्से को सदियों सेजीवन दे रहे हैं. यहाँ से … -
hillwani.com/ndisplay.php?n_id=716 Translate this page Apr 27, 2013 - इसका सीधा अर्थ यह है कि लोगों को उनके जल-जंगल-जमीन से महरूम करने और इन क्षेत्रों को पूँजी के बड़े-बड़े पशुओं के बेखटके ... सालों से वनों में रहने वाले,इन्हें बचाने वाले स्थानीय लोगों की इन जंगलों और इन से जुडी हर चीज से बेदखली. -
www.thesundaypost.in/26_09_10/khas_khabar.php Translate this page Sep 26, 2010 - एक समय ऐसा था जब 'जल, जंगल और जमीन' पर आम आदमी का अधिकार था। ब्रिटिश हुकूमत ने सबसे पहले इनपर से आम लोगों का अधिकार छीनकर खुद कब्जा कर लिया। जंगलसे लोगों को बेदखल कर वहां वन प्रहरी का पहरा लगा दिया गया। उस वक्त इसका पुरजोर ... -
paash.wordpress.com/.../paash-in-memory-of-paash/ Translate this page Jul 25, 2012 - नदियों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हवाले न किया जाये तथा सेंचुरी, नेशनल पार्क के नाम पर जनता को जमीन से बेदखल करना बंद किया जाये। वन जीव संरक्षण अधिनियम, भारतीय वन अधिनियम 2001 जैसे काले कानूनों को रद्द कर जल-जंगल-जमीन पर ... -
meenawiki.com/index.php?title=धराड़ी_प्रथा -
Translate this page Jan 18, 2013 - मीणा आदिवासी इसको प्राचीन काल से मानता आ रहा है |नविन ऐतिहासिक शोधों सेविदित हो चूका है, इनका अस्तित्व .... रहा है |प्राकृतिक संसाधनों में जल,जंगल,और जमीन तीनों ही प्रमुख तत्व है,इन संसाधनों से मानव जो कुछ प्राप्त करता रहा, ... या अवरुद्ध न हो, आदिवासियों पर यह आरोप लगाकर, की जंगल और जंगली जानवरों को नष्ट करते हैं जंगलों से बेदखल किया जा रहा ... -
www.bharatswabhimansamachar.in/press-conference-s... Translate this page Jun 5, 2013 - हम 4 जून के केन्द्र सरकार के पाप व अत्याचार से लेकर इनके लाखों करोड़ रूपये घोटालों का पूरा सच देश के अन्तिम व्यक्ति तक पहुँचायेंगे ! लाखों करोड़ के घोटाले करके जिस पार्टी ने देश को बर्बाद किया है जल, जंगल, जमीन, भू-सम्पदा एवं ... -
sangharshblog.wordpress.com/.../नए-भूमि-अधिग... Translate this page Aug 21, 2012 - पिछले कई सालों से भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास के सवाल पर नया कानून बनाने की सरकारी कोशिश रही है। ... एक प्रकार से अनादर है, जनसंघर्षो का, जो कि न सिर्फ भूमि, जल, जंगलखनिज या जलीयसंपदा पर सामुदायिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए ... शहरों में ज्यादातर अधिग्रहण नहीं है, किन्तु बेदखली है, क्रूर एवं अन्यायपूर्ण, उच्च लोगों की रीयल इस्टेट से लेकर ढांचागत ... -
leadindiakhabar.com/index.php/.../search/?...all Translate this page जनसत्याग्रही दिल्ली की तरफ बढ़ने के बजाय आगरा से ही लौट जाएंगे। जल, जंगल और जमीन के मुद्दे पर करीब 50 हजार आदिवासियों और किसानों ... Created on 12 October 2012 ... आदिवासियों को जमीन से बेदखल करके सांधला सेज की सौगात दी। आर्थिक ... Created on 03 ... -
https://plus.google.com/110346712555108921994 by Sudarshan Rawat - in 487 Google+ circles जल-जंगल-जमीन के नैसर्गिक अधिकार से बेदखल कर दिए गए बाँध-प्रभावितों की जिंदगी को अगर गीतकार बिजली के तारों पर टंगे हुए होने के रूप में देखता है तो गलत क्या है। गीत का दर्शन और संप्रेष्य बाँध और विकास का विरोध नहीं है बल्कि जमीन से जुड़े ... -
napm-india.org/node/770 Translate this page Aug 21, 2012 - पिछले कई सालों से भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास के सवाल पर नया कानून बनाने की सरकारी कोशिश रही है। ... एक प्रकार से अनादर है, जनसंघर्षो का, जो कि न सिर्फ भूमि, जल, जंगलखनिज या जलीयसंपदा पर सामुदायिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए ... शहरों में ज्यादातर अधिग्रहण नहीं है, किन्तु बेदखली है, क्रूर एवं अन्यायपूर्ण, उच्च लोगों की रीयल इस्टेट से लेकर ढांचागत ... -
www.pravasiduniya.com/silence-and-the-violence-ass... Translate this page May 30, 2012 - वर्तमान समय में देश की बहुसंख्यक आबादी जिनकी जीविका का आधार जल, जंगलएवं जमीन हैं, उन्हें बेदखल किया जा रहा है ... 2 अक्तूबर को कन्याकुमारी से जनसत्याग्रह 2012 की तैयारियों के सिलसिले में जल, जंगल एवं जमीन की समस्याओं को ... -
gsmeena.wordpress.com/tag/गंगा-सहाय-मीणा/ Translate this page उच्चतम न्यायालय ने इस मामले को बारीकी से समझा और अपने फैसले में उत्पीडन की उस पूरी प्रक्रिया का पर्दाफाश किया है. .... कि अपने साथ 'प्रगतिशील' विशेषण जोड लेने वाला गठबंधन देश के मूलनिवासियों को उनके जल, जंगल और जमीन से खदेडने पर उतारू है. ... इस तरह यह फैसला अपनी ही जमीन से बेदखल कर दिए गए देश के मूलनिवासियों के वंशज आदिवासियों के पक्ष में तो है ही, साथ में ... -
prabhaav.org.in/jansatyagrah-2012/ Translate this page Aug 31, 2012 - इस पदयात्रा का उद्देश्य मध्यमवर्ग को भूमि सुधार के विशाल जनआन्दोलन सेजोड़ना, पत्रकारो को वंचितों की ... गरीब , बुद्धिजीवी , आदिवासी और युवा शामिल होंगे , का सबसे बड़ा लक्ष्य जल , पानी और जंगल पर अधिकार की गलत नीतियो के खिलाफ ... हैं बल्कि गाँव के गाँव इस तरह की भूमि अधिग्रहण के चपेट में जिसमे उन्हें रहने के स्थान से ही बेदखल होना पड़ता हैं । -
ravikumarswarnkar.wordpress.com/category/.../2/ Translate this page ऐसा क्यों है कि लाखों महिलाओं की उस भूमि से बेदखली और निष्कासन, जिसकी वे मालिक हैं और जिस पर उन्होंने मेहनत की है, एक ... उदारवादी नारीवादी आंदोलन के जमीन से जुड़े साम्राज्यवाद-विरोधी और पूंजीवाद-विरोधी जनांदोलनों से अलग होने की ..... जो लोग इस व्यवस्था से बाहर रहते हैं;जंगल में रहने वाले अपराधी घोषित कर दिए लोग, या वे जिनका विरोध प्रेस कभी कवर नहीं ... -
zeenews.india.com/hindi/news/ज़ी.../157683 Translate this page Jan 7, 2013 - इन्हें वनटांगिया मजदूर इसीलिए कहा जाता है क्योंकि किसी वक्त में टांगिया पद्धति से जंगल उगाया करते थे। इसकी ... वनटांगिया मजदूरों के एक जत्थे के हिस्से में 30 हेक्टेयर ज़मीन आती थी और पांच साल तक मजदूरों को इसी जमीन पर काम करना होता था। ... मामला अदालत पहुंचा आरोपी अधिकारियों को सज़ा मिली और वनटांगिया मजदूरों को ज़मीन से बेदखल करने की ... -
www.akhra.org.in/literature_hindi.php?... -
Translate this page वे निगाहें आदिवासी समाज को सस्ता मजदूर बनाकर, उनकी संस्कृति, भाषा, जल, जंगल और जमीनको हथिया कर उन्हें पलायन के लिए मजबूर करती हैं। निर्मला ... वे उनकी खत्म होती नस्लों पर चिंतित हैं, जमीनों से उनकी बेदखली पर वे कह उठते हैं कैसे करोगे ... -
www.udanti.com/2013_06_01_archive.html Translate this page Jun 11, 2013 - आदिवासी अपनी ही संपदा जल- जंगल और जमीन के लिए लड़ रहा है। विकास के जो कुछ भी कार्य उनके लिए किये जाते हैं उन्हें लगता हैं उन्हें उनकी जमीन से बेदखल करने के लिए किया जा रहा है नतीजा न वहाँ कोई विकास के कार्य होने दिया जाता न ...
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samvad.net/samvad-archieves-itihas.htm Translate this page यानी उस वक्त उत्तर झारखंड की भी पहचान थी, जो उड़ीसा के पश्चिम पहाड़ी जंगल क्षेत्रों से लेकर आज के छोटानागपुर, संतालपरगना, ... (भागलपुर, बिहार) में कांवर में गंगा का पानी लेकर देवघर (झारखंड) में शिव पर जल चढ़ाये जाने का नया अर्थ रेखांकित होगा। ..... उन लोगों ने मानकी को न केवल बेदखलकिया, वरन उसकी दो जवान बहनों को बहका कर उनके साथ बलात्कार भी किया था। .... कर्ज चुकाने में संतालों को अपनी जमीन से हाथ धेना पड़ता था और कई को कर्ज के बदले गुलामी स्वीकार करनी पड़ती थी - उन्हें अपने आप ... -
www.jharkhandsamay.com/index.php?... Translate this page प्राकृतिक संसाधनों से धनी इस राज्य की यात्रा 15 नवंबर 2000 को 2215 करोड़ रूपये के अतिरिक्त बजटसे शुरू हुई थी लेकिन ... में 9 हजार करोड़ रूपये का पूंजीनिवेश हुआ है लेकिन दूसरी ओर लाखों लोगों को अपनी आजीविका के संसाधनों से बेदखल भी होना .... जो नेता जल, जंगल, जमीन, पहाड़ और खनिज बचाने की लड़ाई लड़ते थे, वही नेता सत्ता में पहुंच कर इन संसाधनों को पूंजीपतियों ... -
indokhabar.com/?p=432 Translate this page Jun 2, 2013 - वे आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल किए जाने और अन्य अत्याचारों के खिलाफ बेहद आक्रामक रुख अपनाए हुए थे। उन्हीं दिनों तहसील ... क्या बदले की आग में जल,जंगलऔर जमीन की लड़ाई महज रक्तरंजित युद्ध का मैदान नहीं बनकर रह जाएगी? -
www.janatantra.com/.../krishna-is-needed-to-combat-n... Translate this page May 19, 2010 - खनिज, वनोपज, जल, भूमि आदि के साथ-साथ आदिवासी संस्कृति को भी उत्पाद समझ कर व्यापार के योग्य बना दिया गया है। तर्क यह है ... अपनी धरती से आदिवासी की जबरियाबेदखली जमीन के एक टुकड़े से एक परिवार के विस्थापन का पर्याय भर नहीं है।
Women migrant workers in India vulnerable to harassment: UN
Not enough attention is being paid to the problems of migrant women who suffer due to problems varying from hygiene to sexual harassment, reveals a UN report. "There is an urgent need for promoting safe migration for women migrant workers, in particular domestic workers, who constitute a highly vulnerable and socially sensitive group," said a Unesco report on social inclusion of internal migrants in India released Thursday. The report by the United Nations Educational, Scientific and Cultural Organisation says gender perspective on internal migration is imperative, but missing. Migrant labourers at work in the outskirts of Hyderabad. AFP. Marriage is given by women respondents as the most prominent reason for migration. However, many get engaged in economic activities, but it is generally not recorded. "Women migrants, especially those in lower-end informal sector occupations, remain invisible and discriminated against in the workforce. Female migrants are less well represented in regular jobs and are more likely to be self-employed," the report says. However, they are paid lesser than male migrants and don't have facilities like maternity leave, other maternity entitlements, or breast-feeding breaks at worksite. Lack of access to proper sanitation has serious health consequences but women and girls suffer in silence because of the stigma around women's personal hygiene issues. "Gender-related violence is another critical issue as these women are vulnerable to sexual harassment and abuse, especially in the hands of agents and contractors … Poverty may cause women migrants to get pushed into sex work at the destination," the report said. Posted on September 7, 2012by Goodpal "Large-scale displacement of tribals due to land acquisition for development is a challenge." – Krishna Tirath, Women and Child Development Minister, May 2011 The Parliamentary Standing Committee on the Welfare of Scheduled Castes and Scheduled Tribes in a report submitted to the Lok Sabha on 23 October 2008 observed, "Notwithstanding Act and regulations to control alienation of tribal land, tribal people are being alienated from their land in the name of development and due to insufficient amount given to them for their land, they migrate to other places in search of livelihood." It further stated that "tribals should not suffer in the name of development"and recommended that "the Ministry of Tribal Affairs should take immediate su-moto action whenever it is reported that tribal people are agitating against displacement and endangerment to their lives." These comments gravely testify the fact that the tribal welfare laws such as the PESA 1996, the Forest Rights Act 2006 or even the Fifth Schedule of the Constitution have utterly failed to provide protection to the indigenous tribal communities of India. Don't Take Our Land !! Land alienation of tribals and of the poor section of the society, which recently again came to fore shortly before the UP assembly elections after the Bhatta-Parsaul incident of May, 2012 when farmers protesting over rate of compensation for their land taken for a road project in Greater Noida, clashed with the police, is a cruel reality. It also points to the wider fact that the authorities and the governments have no clear policies to safeguard the interests of those who are uprooted from their lands – they are generally seen as siding the rich class. In recent times the large scale industrialization, privatization and globalization for sake of "development" has emerged as the biggest threat to tribal's survival – ironically, the so called "modern civilized society" has become a predator of their age-old eco-friendly, peaceful and harmonious lifestyle. The tribals, their lands, and other resources are now exposed to the exploitative market forces, mostly due to the State and Multi National Companies (MNCs) sponsored developmental projects to exploit minerals and other natural resources. Land alienation of the tribals by the powerful entities has become common phenomena. It is most unfortunate that "the freedom to live in their own traditional ways" as guaranteed by the constitution is flouted by those who understand the constitution better. The state ownership of the tribal community land, called common property resources (CPR) land, (which the government owns and involves no compensation when taken over) provides a convenient entry point to project managers. In order to reduce the project cost, they deliberately choose the administratively neglected backward areas with high CPR component and where legal compensation for the private owned land is low. Bureaucrats are of course ever willing to serve the cause of the rich and powerful. These so called "developmental" activities, which do not confer any direct benefit to the tribals, merely leave them landless and without means for survival. Monetary benefits do not really count when the lifestyle for generations is changed irreparably. Displacement from their traditional habitations leaves them under acute trauma and uncertainty – there is institution in India that is interested in alleviating indescribable human sufferings of the tribals left to struggle for survival with any dignity . Tribals: The Biggest Victims of "Development" Please Leave us Alone Tribals have paid the highest price of national development because their regions are resource rich: 90 percent of all coal and around 50 percent of the remaining minerals are in their regions. Also the forest, water and other sources abound in their habitat. The indigenous/ tribal peoples who constituted8% of the total population of India at 1991 census make up 55% of the total displaced persons due to development projects up to 1990. According to the Ministry of Tribal Affairs (MTA) nearly 85 lakh tribals were displaced until 1990 on account of mega developmental projects like dams, mining, industries and conservation of forests etc. Lakhs of tribals have been displaced from 1990 onwards (due to the so-called economic liberalization policies of the Center under pressure from the Western lenders) without proper rehabilitation. Yet, no proper study has been conducted in regard to displacement and rehabilitation of tribals – who cares for voiceless poor tribals as long as corporate czars are happy? Article 46 of the constitution places an obligation upon States to promote the interests of Scheduled Castes and Scheduled Tribes and protect them from social injustice and all forms of exploitation. It must be mentioned that displacement of tribals from their lands amounts to violation of the Fifth Schedule of the Constitution as it deprives them of control and ownership of natural resources and land essential for their way of life. Lack of Long Term Foresight It is the height of injustice that the tribals whose eco-friendly lifestyle preserved forest, mineral and natural resources for ages are now mercilessly uprooted by "outsiders" who would only make money from the resources for some time, creates few jobs mostly for urban middle class and then walk away with the booty only to look for another place to exploit. If all citizens are equal under Indian constitution, why then the helpless tribals are forced to pay the price with their traditional land and lifestyle? Does their peaceful and preserving co-existence with natural surroundings threaten the country in any way? What makes the exploitative corporates superior to poor tribals who have served as custodians of resources for centuries? Unfortunately such questions don't interest the "people's representatives" sitting in the parliament or assemblies. Led by the finance ministers they are happy to support efforts to sustain the sacred GDP growth rate, after paying lip service to the well being of the poor and native tribals. In recent years, West Bengal has seen huge anti-land acquisition movements in Singur and Nandigram while social activists have repeatedly been raising the issue of displacement of tribals due to mining and other activities in central India. On 8 August 2008, the Supreme Court allowed POSCO India Pvt Ltd, a subsidiary of Korea-based POSCO, to build its Rs 51,000-crore steel plant in Paradeep in Jagatsinghpur district of Orissa. On the same day, the Supreme Court also allowed Sterlite India Limited, a subsidiary of Britain's Vedanta Resources Plc, to mine bauxite in Niyamgiri hills in Kalahandi district of Orissa considered sacred by Dongria Kondh tribe. The Supreme Court's order has undermined the tribal protests and encouraged further acquisition of lands of the tribals leading to their displacement without proper rehabilitation, destruction of their culture and posing threats to their survival in the name of development. The state government has been backing the pro-POSCO activists to counter the movement by POSCO Pratirodh Sangram Samiti. Nothing surprising about that – it is an open secret. An Austrian anthropologist, Haimendorf, had first studied some tribes in the 1940s. Then again he studied them in 1970 and asked "How do you explain the fact that their communities that were self-reliant thirty years ago today need State subsidies? Their women had a high status three decades ago. How have they lost it today?" The Nasty Trap of Liberalization and Globalization Tribals Sandwiched between Naxals and Corporates The so called economic liberalization, privatization, and globalization that was started 20 years by the current Prime Minister is clearly designed to further the interests of the urban areas and the rich corporations of the country as well from outside. Liberalization, in simple terms, only means allowing the rich corporate to exploit country's resources at rather easy terms unmindful of what happens to th environment and the displaced people who have historically acted at custodians of the lands and surroundings. Who says that the British exploitative policies ended after they left India in 1947?! Over two decades ago, the West, former colonial powers, cleverly devised the strategies of Globalization and WTO agreements to gain access to natural wealth situated in the remotest corners of the world – all through legal international agreements with governments! Now their giant companies (often bigger than the country they are eyeing) can reach anywhere and grab raw materials and feed the lifestyle of the West at the local people all around the world. And the beauty is: no one is in the position to complain once a government signs the agreement – which is a matter of push-pull, arm-twisting, kickbacks, and buying few legislators and officials, all away from the public knowledge. The truth is: indigenous people across the globe are being alienated from their lands (and natural resources) and losing their traditional culture, knowledge and lifestyle. This is what happens when the money power rules the world; not the principles of human justice or equity. Basic Origin of Current Economic Policies Western lifestyle is based on the primitive belief that the more you consume (resources of the planet) the more advanced or developed you become!! While they treat people as robots making goods in the factories, from the natural raw materials, to be consumed by the society – the consumption (and hence production) must keep increasing year-by-year, else, stock markets crash making rich poor overnight. This fear keeps them consuming ever more year after year so that the economy (measured by an outdated GDP number) keeps expanding. Blinded by their technological superiority, they cease to respect nature or its resources that sustains them. The result is Global Warming and Climate Change disasters that are not enough to make them mend their ways of living. What is most dangerous for the well being of the planet is that people of rest of the world are also adopting their utterly wasteful lifestyle under the media blitz of commercials and are quitting their own local ways of living in harmony with nature. Very Weak Ministry of Tribal Affairs What are the roles of the Ministry of Tribal Affairs and the National Commission for Scheduled Tribes? The former apparently only serves to collect incomplete statistics of tribal eviction and preparing reports for bureaucratic consumption rather than protecting their interests. The later has reduced itself to the status of another useless department of the former (as will be discussed later), despite being a constitutional powerful body that could undertake investigation against atrocities on the tribals, if set-up properly. You may also like to read a detailed report on Tribal displacement in India. http://socialissuesindia.wordpress.com/2012/09/07/tribal-displacement-in-the-name-of-development/
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www.pressnote.in/print.php?pid=131968 Translate this page Jul 22, 2011 - पीसा नियम जल, जंगल एवं जमीन और आदिवासी संस्कृति का पक बनेगा - मालवीय ... ही अतिक्रमण हटाने व बेदखली के अधिकारों का विकेन्द्रीकरण करने, खनन पट्टों के नवीनीकरण में ग्राम पंचायत से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने की बाध्यता लागू ... -
anmolexpress.com/ मतभेद इस पर भी संभव है कि बिल खरीदार को भूमि जबरन खरीदने से रोकने की चिंता तो करता है, लेकिन जंगल, नदी, पहाड़ और समंदर की ... शर्त यह भी कि पूरा मुआवजा देने के बाद ही भूमालिक कोजमीन खाली करने को कहा जा सकेगा। ... अकेले झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिसा के आठ लाख लोग खनन और औद्योगीकरण के नाम पर बेदखल हुए। -
www.deshkaal.com/details.aspx?nid=7620092330150 Translate this page यह गांव अपने जिला मुख्यालय से बेहद दूर और घनघोर जंगलों के बीच हैं। ... अपनी जमीन सेअलग-थलग यहां का आदिवासी अपने को यकायक बाजार में खड़ा पाता है। ... विस्थापन, दोबारा या बार-बार बसना, सरकारी योजना का लाभ न उठा पाना, कानूनी हक से बेदखल, मेजबान समुदाय की आनाकानी, नया समायोजन, शोषण, यौन उत्पीड़न, ... -
rakeshranjanrds.wordpress.com/page/2/ Translate this page May 13, 2013 - इस स्थिति के लिये सब से बड़ा दोषी है तो हमारा शासन जिसने कभी कानून को जनता तक पहुंचाने की कोशिश ही नहीं की। इसमें सब ..... जिसे 48,760 वर्ग फीट की जमीन में 4,000 करोड़ रूपये की लागत से बनाया गया है. ... अंग्रेजी के विश्व कवि कॉलरिज ने समुद्र के सन्दर्भ में कहा था कि इतनी विशाल जल-राशि है, लेकिन एक बून्द पी नहीं जा सकती. ... जंगलों से बेदखल करता था. जल ... -
www.navabharat.org › छत्तीसगढ़ Translate this page Sep 30, 2012 - छत्तीसगढ़ सरकार के मुखिया प्रदेश की जल, जंगल और जमीन को उद्योगपतियों के पास बेच रही है. कोयला घोटालों में मुख्यमंत्री लिप्त ... आप लोग जाग जायें और 2013 में भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दें. पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण ... -
myindiamygovernment.wordpress.com/ Translate this page मध्य प्रदेश के सियासी मैदान मे एक तरफ शिवराज की अगुआई मे मोदी की पीएम उम्मीदवारी सेउत्साहीत भाजपा होगी तो दुसरी ओर केन्द्र मे ... इन्दिरा खुद तो केन्द्र से बेदखल हुई साथ में उन्ही के कारण कांग्रेस को पहली बार मध्य प्रदेश के चुनावो मे हार का सामना करना पड़ा। ...... 2008 में बिहार स्टेट बोर्ड ऑफ रिलीजियस ट्रस्ट ने आसाराम के ट्रस्ट को अपनी 80 करोड़ रुपये की जमीन कब्जाने पर नोटिस दिया था। ... उन्ही के कहे अनुसार जंगल मे घोर तपस्या और अटुट विश्वास के बलबुते सिद्दी को पा लिया। -
www.kritya.in/0810/hn/my_voice.html Translate this page उबलने से पहले ज्वालामुखियों के फटने से पहले लावा की नदियों के उफनने से पहले वे याद करते हैं उस वक्त को जब न सागर था न जमीन न पानी न आकाश ... प्रकृति को हमने ना केवल जीवन से बेदखल किया अपितु साहित्य से भी बाहर निकाल फैंका है। पंत, महादेवी के ... -
www.riverhindon.org/2013_08_01_archive.html Translate this page Aug 2, 2013 - जंगलों की अवैध कटान के साथ खनन माफियाओं की सक्रियता बढ़ी है। ... अधिकांश बिल्डरों ने खेती की जमीन किसानों से सीधे क्रय कर योजनाएं शुरू की है। ... तभी तो पिछले कई दशकोंसे यह लोग भूगर्भ जल को प्रदूषित कर रहे हैं, लेकिन संबंधित विभाग इस ओर से आंखे मूंदे हुए ......साथ ही अदालत ने इन अवैध कब्जेदारों को जमीन से बेदखली की कार्रवाई का आदेश भी दिया। -
www.merapahadforum.com/.../umesh-dobhal-famous-... Translate this page Mar 22, 2013 - जमीन में वे औंधे लेटे हुए मानो तो शहर भी वे ही हैं ... किसी को रोक सकता हैजमीन पर सीधे खड़े होने से ..... त शासन प्रणाली धरातल पर नहीं उतरने के कारण ही उत्तराखंड के लोग जल, जंगल और जमीनों से बेदखल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता ... -
www.scientificworld.in › ... › समाज और हम Translate this page महाराष्ट्र के अमरावती जिले के मेलघाट जंगली क्षेत्र में 1993 से अब तक भुखमरी से 10 हजार 252 बच्चों की मौत हो चुकी है. यह अधिकारिक ... बाकी 40 फीसदी आबादी में से भी ज्यादातर के पास 1 से2 एकड़ पथरीली जमीन है. इसलिए .... को जंगल से बेदखल किया गया, वही जंगल भी न बच सके. जनजाति ... दोस्तों कहते है की जल ही जीवन है, स्वस्थ शरीर के लिए स्वच्छ जल अति आवश्यक है। हालांकि ... -
kashivishvavidyalay.wordpress.com/.../liberalisation_t... -
Translate this page Nov 2, 2012 - पहली है 15 अगस्त 1947, जब लंबे संघर्ष के बाद भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ। ... विकास के नाम पर जल, जंगल, जमीन, खनिज आदि को कंपनियों के हाथों में सस्ते दामों पर लुटाने का सिलसिला इस दौर में तेज ... प्राकृतिक संसाधनों के बढ़ते अंधाधुंध उपयोग और हस्तांतरण का मतलब उन समुदायों को उजाडना और बेदखल करना है, जिनकी जिंदगी प्रकृति से जुड़ी है।
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www.lekhni.net/2954517.html Translate this page Jun 1, 2013 - एक शिशु-सी सरलता और जल की तरह मित्रों में घुल-मिल जाने वाली तरलता लिए नरेश जी की कविताओं से एक ऐसी अनिंद्य अनुगूँज ... इस बारिश में जैसी कविता के आरोह-अवरोह में हम अपनी जमीन से बेदखल होते किसानों का विलाप सुन सकते हैं: ' जिसके पास ... जंगलों, नदियों, पठारों और बीहड़ों की नीरवता ने उनके एकांत को गीत-संगीत से भरने में मदद की है, उनके मिजाज को ... -
books.google.com/books?isbn=8171192696 - Translate this page Sundarlal Bahuguna - 2007 जंजाल व्यापार के लिए कट बलि, पहाडों में तर व्यक्तियों के लिए केवल एक होलेयर जमीन हैं, उसमें भी सिविल भूति केवल (2 प्रतिशत है । अव हमारे जिदा रहने का एकमात्र अयार जल है । अं-धि वनाकर यदि... वनस्पतियों और वन्य छोरों को उनके प्रकूतिक वास से बेदखल किया जा रहा है । चर्चा के ... प्रवृति ने हमें जंगल, जमीन और जल. -
dprcg.gov.in/2188-23-08-12 Translate this page Aug 23, 2012 - रमन सिंह से मिलने लगभग चार सौ किलोमीटर की दूरी तय कर बलरामपुर जिले के कर्री-चलगली जंगल से राजधानी पहुंचे 24 आदिवासियों ने ... उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि जमीन से बेदखल होने के कारण वे लोग खेती नहीं कर पा रहे हैं। ... एनीकट बनने से मेले में आने वाले श्रध्दालुओं को काफी सुविधा होगी और यहां आसपास के इलाके के जल स्तर में सुधार हो सकेगा। [PDF] -
indianfolklore.org/journals/index.php/Mukt/.../1231 Translate this page बोरीवली के पहाड़ तक जंगल म बसे हुए आिदवासी अंगर्ेज के कानून से, उसकी लाठी और गोली से. डरकर जंगल ... आिदवासी के नाम पर रही हुई इस जमीन के िलए कोरे कागज़ पर आिदवासी के अंगूठे लगवाकर. हाथ मे ... और अज्ञान िनरक्षर आिदवासी को बेघर बेदखल बनाने.
PRIVATE MEMBERS' RESOLUTIONS: Further Consideration Of The ... on 3 August, 2001 regarding Machkund project in Orissa. In 1955, tribals were displaced. In 1965, again sametribals were displaced from Chitrakunda ... third time, the same tribals were displaced from Sileru Dam project in Andhra Pradesh. My friend, Shri Yerrannaidu Lok Sabha Debates - Cites 0 - Cited by 0 - Full Document Butu Prasad Khumbhar & Ors vs Steel Authority Of India Ltd. &Ors on 30 March, 1995
offer of employment was made to the poor displaced tribals. The petitioners claim that when the then President of India ... representation was made to him by the Rourkela Displaced Persons Welfare Committee highlighting their grievances and explaining that the alternative Supreme Court of India - Cites 5 - Cited by 25 - 1995 SCC - R Sahai - Full Document STATEMENT BY MINISTER : The Minister Of Parliamentary Affairs Made A ... on 11 May, 2012 Atrocities Act, 1989. 2. To discuss the displacement tribal from their own land and forest land without providing Lok Sabha Debates - Cites 0 - Cited by 0 - Full Document Gramin Sewa Sanstha vs State Of M.P. And Ors. on 16 September, 1986 earmarked by the State Govt. for resettlement of the displaced tribals. Such land is not available because it is already ... such land is acquired and made available for the tribalsdisplaced on account of the Hasdeo Bango Dam Project Supreme Court of India - Cites 2 - Cited by 8 - 1986 (2) SCALE 682 - Full Document Union Of India vs Rakesh Kumar & Ors. on 12 January, 2010 Supreme Court of India Union Of India vs Rakesh Kumar & Ors. on 12 January Supreme Court of India - Cites 35 - Cited by 2 - K Balakrishnan - Full Document
Maloth Thiripi And Ors. vs Maloth Rukmini And Ors. on 25 April, 2005 vacancy being available, to provide employment to the displaced tribals, subject to their being otherwise competent in terms of academic ... apart from undertaking to provide the jobs to thedisplaced tribal people wheneverthe vacancy is available subject to their being Andhra High Court - Cites 17 - Cited by 0 - 2006 (2) ALT 650 - A G Reddy - Full Document M/S. Gateway Hotels And Gateway ... vs Nagarahole Budakattu Hakku ... on 11 April, 1997 measures to restore the source of livelihood to the displaced tribals of Nagarhole National Park and to involve them ... viii) of the Environment Protection Rules. Displacing the tribals from the national Park or providing holiday resort was alleged Karnataka High Court - Cites 39 - Cited by 0 - 1999 (5) KarLJ 63 - R Sethi - Full Document Samatha vs State Of A.P. And Ors. on 11 July, 1997 valuable asset and imperishable endowment from which the tribals derive their sustenance, social status, economic and social equality, permanent place ... turn out as migrant construction labour due to their displacement from hearth and home for the so-called exploitation Supreme Court of India - Cites 165 - Cited by 46 - AIR 1997 SC 3297 - K Ramaswamy - Full Document CALLING ATTENTION (RULE-197): Shri Basudeb Acharia Called The ... on 14 March, 2006 SHRI BASU DEB ACHARIA : This matter relates to the tribals, the Adivasis. You can ask questions.… (Interruptions) MR. DEPUTY ... rehabilitation will be put in place for tribals and other groups displaced by development projects." *Not Recorded Lok Sabha Debates - Cites 0 - Cited by 0 - Full Document CALLING ATTENTION (RULE-197): Shri Arjun Charan Sethi Called The ... on 2 August, 2006 more than 10 villages and thousands of tribal families will be displaced. According to the agreement ... None of the Central Government Departments can displace the tribals from that area unless the President intervenes in the matter Lok Sabha Debates - Cites 0 - Cited by 0 - Full Document Narmada Bachao Andolan Vs. Union Of India A.I.R 2000 S. C. 3751 - A Study four heads, namely. (a) General issues The forcible displacement of the tribal's and other marginal farmers from their land ... been able to show that the displacement of the thousands oftribal family for the Sardar Sarovar Dam was required Central India Law Quarterly - Cites 9 - Cited by 0 - Full Document
SPECIAL MENTION : Regarding Implementation Of The Scheduled Tribes ... on 19 March, 2012 this malady. The State Governments that deny the tribals the right to forest lands are taking steps to give ... multinationals as part of neo-liberal policy displacing the tribal people. The situation is equally grim Lok Sabha Debates - Cites 0 - Cited by 0 - Full Document SPECIAL MENTION : Regarding Problem In The Implementation Of The ... on 4 May, 2012 malady. Many of the State Governments deny the tribals their right to forest land. As a part ... forest land to corporates and multinationals by displacing the tribal people. The situation is equally grim Lok Sabha Debates - Cites 0 - Cited by 0 - Full Document Narmada Bachao Andolan vs The State Of Madhya Pradesh on 16 December, 2010 Court in the aforesaid case has held that displacement of tribals and other persons would not per se result ... what is to be seen is whether such tribals who are displaced and are rehabilitated at new locations are better Madhya Pradesh High Court - Cites 17 - Cited by 1 - Full Document G.Masi Reddy And Others vs The State Of A.P. Rep. By Its on 28 August, 2009 that the contentions of the petitioners that the tribals are displaced and relocated out side the Forest area losing their ... correct. As on today, Majority of Chenchu PTG (Primitive TribalGroups) Tribals are living inside the Forest. Some are living Andhra High Court - Cites 18 - Cited by 0 - Full Document Azadi Bachao Andolan And Ors. vs State Of U.P. And Ors. on 28 February, 2003 wherein it was held that the displacement of tribal and other persons would not per se result in violation ... resettlement units and sites especially while resettling tribal communities. (viii) Thedisplaced community individually and collectively must be fully compensated Allahabad High Court - Cites 24 - Cited by 0 - AIR 2003 All 290 - S Narain - Full Document Scheduled Tribes vs State Of Karnataka on 4 February, 2013 providing means of livelihood to the forest dwelling tribal people displaced from the Kabani Reservior Project. The members Karnataka High Court - Cites 1 - Cited by 0 - M .M.Shantanagoudar - Full Document S. Lakshmi Prabha vs The Government Of Tamil Nadu on 13 May, 2008 Madras High Court S. Lakshmi Prabha vs The Government Of Tamil Nadu on 13 May Madras High Court - Cites 9 - Cited by 0 - Full Document Narmada Bachao Andolan vs Union Of India And Ors on 15 March, 2005 directions. The court inter alia opined that: (i) displacement of the tribals and other persons would not per se result ... better amenities than those they enjoyed in their tribal hamlets; and (iv) the gradual assimilation in the mainstream Supreme Court of India - Cites 11 - Cited by 85 - Full Document
Environmental Protection And Emerging Trends In Judicial Responses requiring State agencies to resettle and rehabilitate tribals who were being displaced by dams. 60. 5achldanand Pandey v. State Central India Law Quarterly - Cites 37 - Cited by 0 - Full Document Unconstitutional Practice Of Child Labour Retrospectand Prospect. ... Central India Law Quarterly Unconstitutional Practice Of Child Labour Retrospectand Prospect. ... UNCONSTITUTIONAL PRACTICE OF CHILD Central India Law Quarterly - Cites 36 - Cited by 0 - Full Document PRIVATE MEMBERS' RESOLUTIONS: Further Consdieration Of The ... on 10 May, 2002 Lok Sabha Debates PRIVATE MEMBERS' RESOLUTIONS: Further Consdieration Of The ... on 10 May, 2002 15.59 Lok Sabha Debates - Cites 0 - Cited by 0 - Full Document PRIVATE MEMBERS' RESOLUTIONS : Discussion On The Resolution ... on 17 August, 2012 being blatantly violated? The tribals are uprooted from their land; they are displaced. I referred to that only ... receiving end? They are tribals. They are uprooted; they are displaced. Will it not be treated Lok Sabha Debates - Cites 0 - Cited by 0 - Full Document Animal And Environment Legal ... vs Union Of India And Others on 5 March, 1997 their only source of livelihood. Most of these tribals have been displaced from their original villages and have been resettled ... National Park area. Under an order dated 30.5.1996 thesetribals have now been given permits to fish in the Totladoh Supreme Court of India - Cites 20 - Cited by 15 - AIR 1997 SC 1071 - S V Manohar - Full Document SPECIAL MENTION: Reported Leasing Out Of Borra Lime Stone Caves In ... on 18 March, 2006 forest rules. … (Interruptions) Thousands of tribals will be displaced by this MoU. … (Interruptions) MR. SPEAKER : Even then ... SHRI KINJARAPU YERRANNAIDU : You will have to protect the tribals in that area. … (Interruptions) You know that Arakku Lok Sabha Debates - Cites 0 - Cited by 0 - Full Document Karjan Jalasay Yojana ... vs State Of Gujarat And Ors. on 4 February, 1986 overlook the human problem arising out of displacement of large number of tribals and other persons belonging to weaker sections Supreme Court of India - Cites 0 - Cited by 5 - AIR 1987 SC 532 - P Bhagwati - Full Document Section 2(e) in The Displaced Persons (Claims) Supplementary Act, 1954 [Section 2] [Complete Act] Section 2(e) in The Displaced Persons (Claims) Supplementary Act, 1954 (e) " tribal areas" means the tribal areas of Tochi Central Government Act - Cites 0 - Cited by 5 University Of Kerala vs Council, Principals' Colleges, ... on 9 April, 2007 larger issues on industrialization, displacement and rights of citizens, in particular tribals. Mr. Gopal Subramanium , learned A.S.G. submitted Supreme Court of India - Cites 1 - Cited by 4 - A Pasayat - Full Document
SPECIAL MENTION: Regarding Alleged Illegal Mining Of Bauxite In ... on 5 March, 2008 Sabhas. The mining will create environmental pollution besides displacing hundreds of tribalvillages. Hence, I urge upon the Ministry Lok Sabha Debates - Cites 0 - Cited by 0 - Full Document MATTERS UNDER RULE-377: Need To Check Construction Activities In ... on 22 March, 2006 this hilly area are tribals and other down trodden people. They are being displaced by the businessmen and five star Lok Sabha Debates - Cites 0 - Cited by 0 - Full Document MATTERS UNDER RULE-377: Need To Drop The Proposal For Setting Up A ... on 26 July, 2005 Once the sanctuary is setup, a sizeable tribal population will be displaced from that area. Due to restrictions Lok Sabha Debates - Cites 0 - Cited by 0 - Full Document SPECIAL MENTION : Need To Create Separate State Of Bodoland. on 29 November, 2012 violence. Such discriminatory actions against the indigenous Bodo tribal people amount to violation of their human rights, civil liberties ... genuinely villagers who were displaced. Under such circumstances, the Bodo tribal people have been left with no other alternative Lok Sabha Debates - Cites 0 - Cited by 0 - Full Document Atul Projects India Ltd vs Babu Dewoo Farle & Ors on 25 March, 2011 Section 36A should therefore not be countenanced. Tribal populations would otherwise bedisplaced from their traditional habitats by unchecked urbanisation ... purposive theme of protecting tribals. They are illiterate, poor and vulnerable. Section 36A is intended to safeguard their interests. Even Bombay High Court - Cites 17 - Cited by 0 - Full Document Nandini Sundar & Ors. vs State Of Chattisgarh on 5 July, 2011 between tribals and forests, or that the tribals suffer unduly from displacement, the governments have in practice treated unrest merely ... trading. The peasants and tribals are the natural victims of acquisitions and displacements. The expanded mining activities encroach upon Supreme Court of India - Cites 16 - Cited by 0 - Full Document Haryana Urban Development ... vs Sandeep & Others on 25 April, 2012 para 62) "62. The displacement of the tribals and other persons would not per se result in the violation ... Would it bring within its umbrage a right of tribals to be rehabilitated in their own habitat is the question Punjab-Haryana High Court - Cites 30 - Cited by 0 - Full Document
Ashok Kumar Tripathi vs Union Of India (Uoi) And Ors. on 17 December, 1999 Madhya Pradesh High Court Ashok Kumar Tripathi vs Union Of India (Uoi) And Ors. on Madhya Pradesh High Court - Cites 105 - Cited by 0 - 2000 (2) MPHT 193 - D Dharmadhikari -Full Document National Council For Civil ... vs Union Of India & Ors on 10 July, 2007 compensate the citizens, who are likely to be displaced or adversely affected and benefits after the implementation etc. to curb ... Medha Patkar to ensure that the tribals who were beingdisplaced on account of submergence of the habitats were duly Supreme Court of India - Cites 11 - Cited by 0 - A Kabir - Full Document State Of M.P. vs Behru Singh & Ors on 1 February, 2012 resettlement of displaced families of the `Man Dam Project', the respondents 1 and 2 who aretribals living in villages ... social activist working with the people of displaced families of Man Dam Project which have been submerged Supreme Court of India - Cites 11 - Cited by 0 - Full Document The Displaced Persons (Claims) Supplementary Act, 1954 extent. (1) This Act may be called the Displaced Persons (Claims) Supplementary Act, 1954 . (2) It extends to the whole ... principal Act" means the Displaced Persons (Claims) Act, 1950 (44 of 1950 ); (e) " tribal areas" means the tribal areas Central Government Act - Cites 0 - Cited by 69 - Full Document BUDGET (GENERAL): Discussion On The Demand For Grant No. 94 Under The ... on 23 April, 2010 landless families. Provide irrigation facilities in the remove tribal areas. Amend the Forest Act in such a manner ... project industrial or developmental can be undertaken where displacementoccurs without a comprehensive and sustainable rehabilitation package. Such Lok Sabha Debates - Cites 0 - Cited by 0 - Full Document Ghulam Qadir vs Special Tribunal & Ors on 3 October, 2001 account of tribal riots followed by regular Pakistani aggression in the State were called refugees/displaced persons in the main Supreme Court of India - Cites 51 - Cited by 48 - Sethi - Full Document GOVERNMENT BILLS: Further Consideration Of The Scheduled Castes And ... on 23 November, 2001 Lok Sabha Debates GOVERNMENT BILLS: Further Consideration Of The Scheduled Castes And ... on 23 November Lok Sabha Debates - Cites 0 - Cited by 0 - Full Document Laxman Siddappa Naik vs Kattimani Chaniappa Jamappanna & ... on 19 January, 1968 entitled to stand for the reserved seat for the tribal communities mentioned in the Presidential Order. He claimed ... seat for the tribal communities. A heavy burden obviously lay upon the election petitioner to. displace his claim by evidence Supreme Court of India - Cites 7 - Cited by 11 - 1968 AIR 929 - Full Document SPECIAL MENTION: Need For Carrying Out Suitable Amendments In The ... on 8 December, 2004 five decades after the Independence, the plight of the tribal people has worsened. They are the poorest of the poor ... displaced to make way for development and industrial projects without any consultation and without any full rehabilitation. The tribal people Lok Sabha Debates - Cites 0 - Cited by 0 - Full Document Section 11 in The Displaced Persons (Claims) Supplementary Act, 1954 [Complete Act] Central Government Act Section 11 in The Displaced Persons (Claims) Supplementary Act, 1954 11. Validation of certain proceedings. All proceedings ... person who has migrated to India from any tribal area purporting to have been held or made under the principal Central Government Act - Cites 0 - Cited by 1 Search Results -
www.tarunchhattisgarh.com/newsdetail.php?id=3... Translate this page क्योंकि डौण्डी ब्लाक से लेकर संम्पूर्ण बस्तर संभाग में आदिवासी की बहुलता है और यही वह बेल्ट है जहां युरेनियम , प्लेटेनियम, सोना , लौह अयस्क जैसे बेशकिमती खनिज संपदा के साथ साथ जल,जंगल , जमीन है और भारत के संविधान में छठीं अनूसूची यह ... -
hashiya.blogspot.com/ -
Translate this page Oct 11, 2013 - वहां के मूल निवासियों (रेड इंडियंस) को उनकी जमीन से बेदखल करने के लिए किया गया यह हमला जनसंहारों, समझौतों और हमलों के जरिए उन्हें बेदखल ... आज जल-जंगल-जमीनको बचाने के लिए लड़ने वाले तमाम आदिवासियों के लिए यह एक सबक है। You've visited this page many times. Last visit: 8/14/13 -
mediadarbar.com/8147/mamata-tata/ Translate this page Jun 24, 2012 - दरअसल कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले से न तो सरकार की हार हुई है और न टाटा की जीत। यह तदर्थ यथास्थिति वाद है, जो सिंगुर के भूगोल और इतिहास के आर पार जल जंगल जमीन से बेदखल समस्त जनसमूह की पूर्व नियति है। देश के कानून बाजार और ... -
https://en-gb.facebook.com/CGNetSwara/posts/568919223160808 नक्सलवाद का हल, हमको जल जंगल जमीन से मत करो बेदखल... Gulzar Singh Markam is telling us in Gondi language that many tribals are supporting Naxals today because Govt has failed in its constitutional obligation of saving land, forest and water for the adivasi. He says Govt should implement 6th schedule in ... -
test.prabhatkhabar.com/node/162360 Translate this page May 30, 2012 - रांची : जल, जंगल, जमीन और दमन पर इंडियन सोशल एक्शन फोरम (इंसाफ) के सम्मेलन में विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि सीएनटी एक्ट होने के बावजूद राजधानी रांची में ही हर दिन 10 लोग अपनी जमीन से बेदखल हो जाते हैं. चडरी, पुरानी रांची, मधुकम ... -
shabdonkiduniya.blogspot.com/.../blog-post_28.html Translate this page Jan 28, 2008 - उनकी कविता 'शामिल' में, विकास और आधुनिकता के नाम पर जल-जंगल-जमीन से बेदखल किए जा रहे आदिवासियों/ग्रामीणों की पीड़ा की झलक मिलती है, जो शायद शहरों में बैठे हुए लोग समझ न पाते हों। साथ ही हाशिये पर धकेले जा रहे इन लोगों के ... -
www.jagran.com/bihar/saharsa-10275735.html Translate this page Apr 5, 2013 - सर, पर्चा की जमीन से किया जा रहा बेदखल ... जनता दरबार में सुलिन्दाबाद सेटुनटुन पासवान, रामपुर से हरिबल्लभ सादा, महिषी उत्तरी के सियाराम यादव समेत कई लोगों ने दबंगों द्वारा भूदान व सरकार द्वारा ... जल, जंगल और जमीन की जद्दोजहद. -
www.jagran.com/bihar/nalanda-10489356.html Translate this page Jun 18, 2013 - जागरण प्रतिनिधि, बिहारशरीफ : राजगीर की चमेली देवी अपने परिवार के संग समाहरणालय पहुंच डीएम से न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने ... इसके बावजूद उन लोगों को मकान वजमीन से बेदखल किया जा रहा है। ... जल, जंगल और जमीन की जद्दोजहद ... -
viviksha.blogspot.com/2008/05/blog-post_25.html Translate this page Aug 27, 2008 - सिकुड़ते जल, जंगल और जमीन से आदिवासियों के समक्ष एक अस्तित्व का संकट उत्पन्न होता जा रहा है। पहाड़ी कोरवा जनजाति की निरंतर घटती जनसंख्या इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। आज जल, जंगल और जमीन से बेदखल हो रहे आदिवासियों की ... -
www.livehindustan.com/.../article1-story-50-50-8484... Translate this page Dec 8, 2009 - इस इलाके के विकास के नाम पर जो सरकारी नीतियां बनाई गई हैं, उसकी कीमत स्थानीय आदिवासियों को अपने जंगल-जमीन से बेदखल होकर चुकानी पड़ी है। सदियों से जल-जमीन-जंगल पर निर्भर ये आदिवासी न तो शहरों की बोली जानते हैं और न वहां ...
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lekhakmanch.com/tag/देवरिया Translate this page इसमें आदिवासी, मजदूर और किसान संकल्प लेते हैं कि वे जल, जंगल, जमीन से बेदखल किए जाने के खिलाफ अपने संघर्ष को जारी रखेंगे और किसी भी कीमत पर अपने गाँव, नदी, जंगल, जमीन को कार्पोरेट लूट का हिस्सा नहीं बनने देंगे। इसके बाद राँची से लोहरदगा ... -
hi.wikipedia.org/.../राजनीतिक_विचारधाराओ... -
Translate this page और जल, जंगल, जमीन और खनिज पदार्थो को बाजार मूल्य में रूपांतरित कर के देखती है क्योंकि राज्य का चरित्र राजनीतिक .... (कार्बन क्रेडिट व्यपार) के लिए जंगल के मालिक आदिवासियों को,जमीन के मालिक किसानों को, जंगल और जमीन से बेदखल करो। यूरोप ... -
visfot.com/index.php/.../9948-जंगल-से-बेदखल.ht... Translate this page जंगल से बेदखल. By अविनाश कुमार 27/08/2013 20:22:00. जीतलाल वैगा ने अपने जीवन के 78 साल जंगलों में ही बिताया है लेकिन अब ... सिंगरौली से 40 किलोमीटर दूर अमजौरी में अपने हीजंगल-जमीन से विस्थापित कर दिए जीतलाल वैगा जब अपना दर्द बयां कर रहे होते हैं, .... जानते हुए भी कि नहीं लगना है कभी पत्तल बनाने वाली फैक्ट्री, नहीं जल सकेगा कभी उनके घरों में बिजली का ब्लब, नहीं ... -
troubledgalaxydetroyeddreams.blogspot.com/2013/.../blog-post_4587.ht... Aug 17, 2013 - अरसा बीता सपना से तलाक हुए। अपने खेत की मेढ़ पर अगर मृत्यु सुंदरी से हो जाती मुलाकात तो निकल पड़ते अभिसार।पर करें तो क्या, जल जंगल जमीन आजीविका और नागरिकता से बेदखल यह देश अब डिजिटल भी है और बायोमेट्रिक भी है। सपनों से ... -
www.janjwar.com › आंदोलन › आंदोलन Translate this page Mar 24, 2013 - गोष्ठी में जल, जंगल, जमीन के सवाल भी उठाये गये. वक्ताओं ने कहा कि आज देश की प्राकृतिक सम्पदा को देशी-विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को बेचा जा रहा है और जनता को जल-जंगल-जमीन से बेदखल किया जा रहा है. भारत एक साम्राज्यवादी ... -
www.jansatta.com/.../38367-2013-02-07-05-28-28 -
Translate this page Feb 7, 2013 - अपने जल-जंगल-जमीन से बेदखल महानगरों में शोषित-उपेक्षित आदिवासी किस आधार पर इसे अपना देश कहें? बाजार और सत्ता के गठजोड़ ने आदिवासियों के सामने अस्तित्व की चुनौती खड़ी कर दी है। जो लोग आदिवासी इलाकों में बच गए, वे सरकार ... -
www.bhaskar.com › Madhya Pradesh Translate this page Jun 5, 2012 - देश में आज भी जल, जंगल, जमीन पर दबंगों का कब्जा है। दबंगों से जल, जंगल,जमीन को मुक्त कराने के उद्देश्य से यह संवाद यात्रा निकाली जा रही है। यह बात सोमवार को एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीवी राजगोपाल ने जनसंवाद यात्रा को ... -
janokti.com/?p=29501 Translate this page Jun 26, 2012 - दरअसल कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले से न तो सरकार की हार हुई है और न टाटा की जीत। यह तदर्थ यथास्थिति वाद है, जो सिंगुर के भूगोल और इतिहास के आर पार जल जंगल जमीन से बेदखल समस्त जनसमूह की पूर्व नियति है। देश के कानून बाजार और ... -
news.bhadas4media.com/.../193-2011-07-05-08-13-0... Translate this page Jul 5, 2011 - ये हमें साजिशाना तरीके से प्राकृतिक संसाधनों जल, जंगल, जमीन से बेदखल करना चाहती है। सार्वजनिक संपदा निजी कंपनियों के हाथ में जा रही है, उसको टोकने व रोकने की चुनौती है। कानून आधारित शासन, जीवन और सम्मान के साथ जीविका ... -
www.bhaskar.com/.../MP-OTH-2043830-3358167.ht... Translate this page Jun 3, 2012 - सरकार उन्हें तो जमीन दे रही है लेकिन उसे वनवासियों का ख्याल नहीं है। ऐसा होने सेवनवासी बेघर हो रहे हैं और उन्हें जमीन से बेदखल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 में 25 हजार सत्याग्रही जल, जंगल और जमीन की मांग को लेकर ... -
resistgenocide-bangasanskriti.blogspot.com/.../blog-po... Translate this page May 15, 2013 - इसके बाद पश्चिम बंगाल का प्रभावित इलाका जल प्रलय से मुक्त होकर उपजाऊजमीन में परिवर्तित हो गया, लेकिन झारखंड में इसी नदी पर चार बड़े जलाशयों के ... भूमिपुत्र ही अपनी जमीन से बेदखल हैं और उनकी रोजी रोटी का कोई अता पता नहीं है। ... विकास के मंदिरों को दामोदर नद और दामोदर घाटी के जन,जंगल,जीव-जंतुओं पर अत्याचार करने के लिये बेलगाम छोड़ दिया है। -
www.humanrights.asia › News › AHRC News -
Translate this page Sep 13, 2012 - उन्हे विकास के नाम पर जल समाधि दी जा रही थी, जिसके विरोध में उन्होने जलसत्याग्रह शुरू किया। वे कह रहे ... उस पर उन्हे कब्ज़ा चाहिए था तो सरकार ने 6 लाख आदिवासियों कोजमीन से बेदखल करना शुरू कर दिया। ... खेत, जंगल और घर डूब में आये। -
sohrabali1979.blogspot.com/2012_07_01_archive.html Translate this page Jul 31, 2012 - यह तो आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की नये सिरे से कोशिश है, जिससे न सिर्फ असम बल्कि पूरे देश में जल जंगल जमीन से बेदखली और कॉर्पोरेट वर्चस्ववादी राज कायम रह सकें। वैसे भी असम समस्या कभी हिंदू ... -
humsamvet.org.in/02Feb09/6.html Translate this page इसे विडंबना ही कहिए कि इसके बावजूद आनन - फानन में मानव आबादी,जल,जंगल और जमीन को भयावह संकट में डाल देने वाले इस ... हैं जिन्हें आसानी से बेदखल तो किया ही जा सके सस्ते मानव श्रम के रुप में उनका शारीरिक और आर्थिक दोहन भी किया जा सके ? -
dalitmat.com/index.php?option... Translate this page Apr 11, 2013 - जल-जंगल-जमीन, आजीविका और नागरिकता से अनंत बेदखली झेलते आदिवासी को हमने लोकतांत्रिक प्रक्रिया से अलग रखकर ही राजकाज चलाने की गौरवशाली परंपरा स्थापित कर ली है. विकास के हर कार्यक्रम के साथ आदिवासी के दमन का तंत्र ... -
dayamani-barla.blogspot.com/2013/08/blog-post.html Translate this page Aug 13, 2013 - शेष विस्थापित आज अपनी भूमि से बेदखल होकर एक बेला की रोटी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। ... विकास में योगदान देने के लिए झारखंड के किसानों-आदिवासियों-मूलवासियों ने अपने पूर्वजों द्वारा आबाद जल-जंगल-जमीन, घर-द्वार, खेत -खलिहान ... -
www.deshbandhu.co.in/newsdetail/148307/1/0 Translate this page आदिवासियों की पहचान उनके रहन, सहन संस्कृति से होती है, इसमें जल जंगल, जमीन की उनके जीवन का मुख्य आधार है। यदि उससे बेदखल कर दिया जाएगा तो आदिवासियों का अस्तिव मिट जाएगा। अत: अधिसूचित क्षेत्र की भूमि निजी उद्योगों एवं खनिज के लिए ... -
gsmeena.blogspot.com/ Translate this page Feb 26, 2013 - अपने जल-जंगल-जमीन से बेदखल महानगरों में शोषित-उपेक्षित आदिवासी किस आधार पर इसे अपना देश कहें? बाजार और सत्ता के गठजोड़ ने आदिवासियों के सामने अस्तित्व की चुनौती खड़ी कर दी है। जो लोग आदिवासी इलाकों में बच गए, वे सरकार … -
www.bannedthought.net/.../120301-DK-stmtAgainstCi... Translate this page Mar 1, 2012 - खासकर पिछले दो सालों से सरकारी सशस्त्र बलों द्वारा आयोजित 'सिविक एक्शन प्रोग्राम' अखबारों की सुर्खियां बटोर रहा है। ... यह आंदोलन नव जनवादी क्रांति के लक्ष्य से जल, जंगलऔर जमीन पर जनता के अधिकार के मुद्दों को लेकर शोषण, उत्पीड़न .... विदेशी कम्पनियों के साथ किए गए तरह-तरह के समझौतों के तहत हमें अपनी जमीनों व जंगलों से बेदखल करने पर उतारू हैं। -
www.aashishmaharishi.com/2013/05/blog-post.html Translate this page विस्थापन को आप किस प्रकार से देखती हैं, खासतौर से जंगलों से जिन लोगों को बेदखल किया जा रहा है। संविधान में साफ शब्दों में लिखा है कि जल,जंगल और जमीन से उन पर आश्रित लोगों को नहीं हटाया जा सकता है। लेकिन अफसोस सरकार संविधान की ... -
harirammeena.blogspot.com/ -
Translate this page 3 days ago - देश के जो प्राकृतिक संसाधन बचे हुए हैं, हजारों वर्षों से आदिवासी लोग उनके संरक्षक रहे हैं और भूमंडलीकरण का यह वह दौर चल रहा है जब ... यह सारा झंझट जल, जंगल और जमीन के लिए लड़ने वाले राष्ट्रभक्तों बनाम देशी-विदेशी लुटेरे पूँजीपति के बीच का है। ..... अपनी धरती सेआदिवासी की जबरिया बेदखली जमीन के एक टुकड़े से एक परिवार के विस्थापन का पर्याय भर नहीं है। -
pustak.org/bs/home.php?bookid=756 -
Translate this page सन् अठारह सौ सत्तावन से पूर्व हुए इन आन्दोलनों के नायक वे लोग है,जिनके जल, जंगल और जमीनके नैसर्गिक अधिकारों से उन्हें लगातार बेदखल किया जाता रहा है। अंग्रेजी हुकूमत जमींदार और साहूकार के त्रिगुट ने अधिकार से वंचित कर रखा था। ऐसे में ... -
unitedblackuntouchablesworldwide.blogspot.com/.../s... Translate this page Sep 17, 2013 - न जल जंगल जमीन से. बेदखली के सिलसिले के खिलाफ. न निजीकरण विनिवेश के खिलाफ. न प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश के खिलाफ. न परमाणु ऊर्जा के खिलाफ. न जनता के खिलाफ हुई युद्ध घोषणा के खिलाफ. न डूब में सामिल बड़े बांधों के खिलाफ. -
jantarmantarloktantantar.blogspot.com/.../blog-post_2... Translate this page May 24, 2012 - ... से जंगल की ओर खदेड़ा। हम लोगों का समूचा इतिहास बाहर से यहां आए लोगों के हाथों निरंतर शोषण और बेदखल किए जाने का इतिहास है। ... सारी दुनिया में आदिवासियों को अपनीजल, जंगल, जमीन से एक सा लगाव होता है। शुरू से लेकर आज तक ... -
palashupdates.blogspot.com/.../blog-post_5091.html Translate this page May 15, 2013 - इसके बाद पश्चिम बंगाल का प्रभावित इलाका जल प्रलय से मुक्त होकर उपजाऊजमीन में परिवर्तित हो गया, लेकिन झारखंड में इसी नदी पर चार बड़े जलाशयों के ... भूमिपुत्र ही अपनी जमीन से बेदखल हैं और उनकी रोजी रोटी का कोई अता पता नहीं है। ... विकास के मंदिरों को दामोदर नद और दामोदर घाटी के जन,जंगल,जीव-जंतुओं पर अत्याचार करने के लिये बेलगाम छोड़ दिया है। -
www.janadesh.in/InnerPage.aspx?Story_ID=5441 Translate this page 21 नवंबर से उत्तराखण्ड नदी बचाओ अभियान सहित अन्य संगठनों द्वारा जल, जंगल, जमीन स्वराज यात्रा प्रारंभ की जायेगी जो नौ ... में उद्योग और उर्जा परियोजनाओं के नाम पर 25 हजार हेक्टेयर की भूमि अधिग्रहीत हो चुकी है और किसान खेती से बेदखल हो ... -
uttampurush.blogspot.com/2013/06/2.html Translate this page Jun 2, 2013 - विकास के नाम पर जल-जंगल-जमीन से बेदखल कर देने की पॉलिसी ने ही नक्सलवाद को मजबूत किया है। यदि आप गौर करेगें तो देखेंगे कि नक्सलवाद उन्हीं जगहों पर सबसे ज्यादा मजबूत है जहां विकास के नाम पर सरकार ने इन क्षेत्रों को कॉरपोरेट के ... -
www.apnabihar.org/kamal.htm Translate this page ठीक इसके विपरीत बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे है और इसके साथ ही गरीब किसान और मजदूरों को जल, जंगल और जमीन से बेदखल किया जा रहा है । उन्होंने किसानों को उचित दाम पर खाद और बीज नहीं मिलने, डीजल की प्रति माह 50 पैसे मूल्य वृद्धि …
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surabhisaloni.com/खेल-जारी-है-मोहरे-बदले-क... Translate this page फिर इन्तजार कीजिये, बाकी खेलो में खुले बाजार के मुताबिक प्रीमियर लीग के जरिये बाकी बचे खुचे स्पेस तक गैर क्रिकेटीय आइकनों के जरिये दखल और जल जंगल जमीन आजीविक और नागरिकतासे बेदखली और निर्मम सैन्य दमन की कार्रवाइयों का, जिसका कि ... -
www.chauthiduniya.com/.../जलजंगल-और-ज़मीन-... Translate this page May 7, 2013 - चाहे वह जल, जंगल और ज़मीन से जुड़े क़ानून बनाने की बात हो, या फिर इन संसाधनों को पूंजीपतियों के हाथों बेचने की साजिश. .... उल्टे, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और अन्य जगहों पर राज्य सरकारों द्वारा ज़बरदस्ती लोगों को धमका कर उन्हें उनकी ज़मीनसे बेदखल किए जाने .... जल जंगल और जमीन पर सरकारी अफसर ,अधिकारी ही कवजा कर लेते हैं । -
www.debateonline.in › Read Articles Translate this page Jun 12, 2012 - इन्हीं मुद्दों से नहीं बल्कि जनतंत्र की विकलांगता, अवरुद्ध विकास, जल-जंगल-जमीनके सवाल भी इनमें से अधिकांश की चिंता से प्रायः बेदखल ही रहे। ध्यान देने की बात यह है कि विगत दो दशकों में हिन्दी की मुख्यधारा के लेखकों में ... -
www.insighttvnews.com/newsdetails.php?show=12120 Translate this page Jul 30, 2013 - लेकिन पैसे की भूख तथाकथित सभ्य मानव को जंगल तक खींच लाई और आदिवासी जंगल से बेदखल किये जाने लगे। सरकार के पास इनके पुनर्वास की कोई योजना नहीं है। अपने जल-जंगल-जमीन से बेदखल महानगरों में शोषित-उपेक्षित आदिवासी किस आधार ... -
sanhati.com/event/5659/ Translate this page Oct 11, 2012 - वनसम्पदा हमारा जन्मसिद्ध हमारा अधिकार है जल जंगल जमीन ये हो जनता के अधीन ... वनाधिकार कानून के तहत वन समुदायों को मान्यता प्राप्त अधिकार सौंपने के बजाय लोगों को जंगल क्षेत्रों से बेदखली के आदेश जारी किये जा रहे हैं। -
uttarpradesh.punjabkesari.in/.../129333540_266610-... Translate this page ... वाला बच्चा पैदा हुआ. 2013-09-23T10:02:38+05:30. प्यार में अंधी महिला ने प्रेमी संग मिलकर पति से की ऐसी दरिंदगी. 2013-09-23T11:58:12+05:30 ... 2013-09-23T16:08:33+05:30. भूकंप के झटकों से हिला दिल्ली-NCR. 2013-09-24T17:09:16+05:30. जब विमान में चढ़ा सांप ... -
books.google.com/books?isbn=8183612172 - Translate this page 2010 - Adivasis जल, जमीन, जंगल हमारा है । यह पेड़ हमारा है, ... आदिवासी लोग जंगलों में युगों से रहते जाए हैं और जंगल के उत्पादों से ही अपना जीवन निवहि करते हैं । ... अन्दिवासियों को पैसे य शराब का लालच देकर या कमी-कमी जबरन उनकी गति से बेदखल कर दिया जाता है । -
gauravmahima.blogspot.com/2013_05_01_ar... Translate this page by Mahima Yadav - in 22 Google+ circles May 29, 2013 - उद्योगपति और व्यापारी जंगल की जमीन को सस्ते दामों पर सरकार सेखरीदकर भूमिहीन आदिवासियों को नाम मात्र ही मजदूरी देकर खेती करवाते थे। ... और नब्बे के दशक में उदारवादी नीतियों एवं मुक्त व्यापार के चलते जल, जंगल, जमीन, खदान और वन संपदा की लूट का जो सिलसिला .... ये तो भूख, उत्पीड़न और बेदखली के मुद्दे थे जो उसकी 'स्मृतियों और यथार्थ' से बेदखल थे। -
hindipremi.blogspot.com/2013/08/26-27_26.html Translate this page Aug 26, 2013 - यहां जंगल, जल, खनिज संपदा और प्राकृतिक संपदा बृहत प्रमाण में मौजूद है। इसलिए इस ... आदिवासियों को उनके जंगल और जमीन से बेदखल कर उनका शोषण किया गया। ...उन्होंने कहा कि संघर्ष को केवल पुलिस एक्शन से खत्म नहीं किया जा सकता। -
madhubaganiar.wordpress.com/.../जल-जंगल-और-ज... Translate this page Jun 17, 2011 - Posts about जल जंगल और जमीन written by madhubaganiar. ... मुंडा ने बारी-बारी से तीन सत्र में बैठक को बांटकर सिलसिलेवार सबकी बातें सुनीं। सबसे पहले अनुसूचित ...पूरे राज्य में आदिवासियों की जमीन बेदखली के 4000 से ज्यादा मामले हैं।
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mohallalive.com/.../kaushal-kishore-remembers-adam-... Translate this page Dec 18, 2012 - इस व्यवस्था में एक तरफ मेहनतकश जनता जल, जंगल जमीन और अपनी संपदा व श्रम से लगातार बेदखल की जा रही है तो दूसरी तरफ पूरी सत्ता भ्रष्टाचार में डूबी है। आजादी के बाद की व्यवस्था, राज्य व शासक वर्ग के बारे में अदम की समझ बिल्कुल साफ ... -
www.abhinavrajasthan.org/p/blog-page_4812.html Translate this page जल, जंगल, जमीन, हवा, पौधों, जानवरों तथा मनुष्यों में समन्वय बनाकर। ... उनके जंगल से जुड़े रहने की प्रवृत्ति को एक योग्यता मन जायेगा। ... जंगल से उन्हें बेदखल कर दिया गया, खेती की जमीनउनके पास है नहीं और न पूंजी है, जिससे वे कारोबार कर सकें। -
aawaz-e-hind.in/showarticle/3759.php Translate this page Sep 11, 2013 - ये सारे जनविद्रोह भूमि सुधार और जल जंगल जमीन से बेदखली के खिलाफ किसान आंदोलन ही थे। बंगाल में ही मतुआ आंदोलन कोई धार्मिक आंदोलन नहीं था। हरिचांद ठाकुर और गुरुचांद ठाकुर ने कभी धार्मिक प्रवचन नहीं दिये। हरिचांद ठाकुर न ... You +1'd this -
cgnetswara.org/index.php?tag=Gulzar_Singh... Translate this page Jun 19, 2013 - नक्सलवाद का हल, हमको जल जंगल जमीन से मत करो बेदखल. ... भोपाल सेगुलजार सिंह मरकाम कहते हैं कि आदिवासी समाज को असभ्य कहते है किन्तु ऐसा नहीं है आज जितने भी सभ्य समाज है उनमे लूट बलात्कार भ्रष्टाचार उंचनीच, भेद भाव है ... -
hindi.gulail.com/how-land-acquisition-bill-will-take-a... Translate this page इसमें संदेह नहीं कि अपने परिवेश से बेदखल किए जाने और दर-दर की ठोकरें खाने के लिए विवश कर दिए जाने से वे परेशान हुए और उनमें ... उन्हें समाप्त करने की कोशिश करेगा क्योंकि उसे जंगल चाहिए, पहाड़ चाहिए, ज़मीन चाहिए, जल स्रोतों पर कब्ज़ा चाहिए. -
www.bhartiyapaksha.com/?p=11820 Translate this page Jun 2, 2012 - 3. ग्रीन हंट के बहाने सरकार आदिवासियों को जमीन से बेदखल कर उद्योगों को देना चाहती है। 4. अद्र्धसैनिक बलों की क्रूरता का शिकार हो रहे आदिवासी। आदिवासियों का अस्तित्व प्रकृतिसे जुड़ा हुआ है। प्रकृति की देन है- जल, जंगल और ... -
www.apnimaati.com/2013/04/blog-post_3145.html Translate this page May 1, 2013 - नाटक में इस्तेमाल पूरातन मिथकों से हम आज के आदिवासियों के जल, जंगल औरजमीन से जबरन बेदखली के खिलाफ चल रहे संघर्ष को भी आसानी से समझ सकते है। बात चाहे विदेशी भाषा के नाम पर उन्हें आधुनिक, शिक्षा, तकनीक से दूर रखने की हो या ... -
devinder-sharma.blogspot.com/.../naxalism-is-not-distant-forest-fire-it.ht... Nov 8, 2009 - विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन, विस्थापन, शोषण आदि के द्वारा आदिवासियों को जल, जंगल, जमीन से बेदखल करने की प्रक्रिया वर्षों से जारी थी लेकिन 1991 में शुरू हुई आर्थिक नीतियों ने इसमें पंख लगा दिए । -
www.panchjanya.com/.../बदलाव-की-पद-चाप.aspx... Translate this page Nov 3, 2012 - उनका उद्देश्य इतना था कि उन्हें उनके पूर्वजों की भूमि से बेदखल न किया जाये। वे चाहते थे कि देश स्वतंत्र है तो स्वतंत्रता की एक किरण इन जंगलों तक भी आ जाये। दिन-भर के अभियान के बाद वह अपने घर लौटा था। उसका सिर भारी हो रहा था। -
parvatjan.com/category/special-report/ Translate this page Dec 6, 2012 - उत्तराखंड में हमारी सबसे बड़ी पूंजी जल, जंगल और जमीन है। मगर आजादी से पहले अंग्रेजों ने, आजादी के बाद केन्द्र और उ.प्र. की सरकारों ने तथा उत्तराखंड राज्य बनने के बाद हमारी अपनी सरकारों ने इन प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल करने ... [PDF] -
samatavadi.files.wordpress.com/.../audyogikaran_ka_a... Translate this page या बड़ेपैमानेपर जमीन कसान के हाथ सेिनकलकर कंपिनय के हाथ मजाना तथा खेती से. िनकलकर उ ोग व अ य .... चीन से जो खबर आ रही ह , उनसेमालूम होता है क वहाँबड़ेपैमानेपर िव थापन ,बेदखली ,. वास और .... ले कन जल , जंगल , जमीन , हवा ,जैिवक स पदा आ द को सीधे. हड़पने ... -
almoraonline.com/jan-chetna-yatra-anna-hazare/ Translate this page May 12, 2013 - जनतंत्र यात्रा उत्तराखंड के पूरे पहाड़ी क्षेत्र को कवर करेगी। अन्ना चमोली जिले के अंतिम गांव माणा तक जाएंगे। उन्होंने कहा कि जनतंत्र यात्रा भ्रष्ट्राचार रोकने व जल, जंगल और जमीन से आमजन को बेदखल किए जाने के विरोध में है। -
celebritywriters.jagranjunction.com/.../land-acquisition... Translate this page Sep 12, 2011 - तो क्या जो विधेयक हमारे सामने हैं, उनसे कारोबार, उद्योग, सड़कों आदि के नाम पर हुए अंधाधुंध अधिग्रहण से पैदा ... ताकत और पूंजी के गंदे मेल से मनमाना दाम देकर गांव-गांव से जमीन मालिकों को बेदखल करने की प्रक्रिया चल रही है। ... औपनिवेशिक राज जल, जंगल औरजमीन सहित संपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों के मनमाना उपयोग की वैध शक्ति प्राप्त करना चाहता था। -
samatavadi.wordpress.com/.../zameenkamahabharat/ Translate this page May 16, 2011 - हमारे विकासवादी कर्णधारों ने यह भी सोचने की जरुरत नहीं समझी कि खेती से बेदखल होकर यह विशाल आबादी कहां ... लेकिन इस विकास के लिए जल-जंगल-जमीन-खनिज की भी बड़े पैमाने पर जरुरत होगी, उनकी भी बलि चढ़ानी होगी और विकास के ... -
www.hindisamay.com/.../Rachnavali4-part12.htm Translate this page जब तक इन जंगलों में वे लोग रहे तब तक तो राजसी ठाट-बाट और व्यसन की वैसी बात थी नहीं। .....इसी प्रकार बिना काश्तकारी कानून की शर्त तोड़े या बाकी लगान की डिक्री में नीलाम कराए वह जमीन से बेदखल भी नहीं .... जल के भीतर, जल के कब्जे में रहती है। -
www.samaylive.com/.../farmers-suppression-the-bjp-g... Translate this page Nov 10, 2012 - सिंह ने जारी एक बयान में मुख्यमंत्री से मांग की कि वे किसानों से जबरन उनकीजमीन नहीं छीनें और उनके जल, जंगल, ... उन्होंने कहा कि कटनी में अपनी जमीन से जबरनबेदखल करने पर सैकड़ों परिवार चिता बनाकर उस पर लेटे हैं और सरकार आंख बंद ... -
www.ugtabharat.com/environmental-crisis-enhances-t... Translate this page Oct 4, 2012 - अनियोजित विकास और विकास के पैसों के दुरूपयोग के कई उदाहरण हिमालयी ग्रामीण भारत में आसानी से देखे जा सकते हैं। हिमालयी जंगल, जमीन, पानी, हवा और जानवर व यहां के लोगों को उन्हीं की जमीन से बेदखल कर विकास का दावा किया जा ... -
www.argalaa.org/issue.php?issue=&category... Translate this page मेहनतकश समुदाय के अधिकार छीने जा रहे है और लोगों को उनके जल, जंगल और जमीन से बेदखल किया जा रहा है। भारी आबादी के विस्थापन के कारण वृहद पैमाने पर सामाजिक, राजनीतिक उथल-पुथल का माहौल निर्मित हुआ है। पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधनों समेत ... -
www.bbc.co.uk/.../121016_land_acquisition_rj.shtml -
Translate this page Oct 17, 2012 - ... दे दी है. पर नए मसौदे में ऐसे बदलाव किए गए हैं जिससे ये किसानों से ज़्यादा उद्योगपतियों को माफिक आ सके. ... सुदीप श्रीवास्तव कहते हैं कि सस्ती लेबर की सप्लाई बरकरार रखने के लिए किसानों को उनकी जमीन से बेदखल किया जा रहा है.
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www.chhuyanl.com/national_details.php?id=112 Translate this page वूंन बोलि, कि जनतंत्र यात्रा, भ्रष्ट्राचार तैं रूकण व जल, जंगल अर जमीन से आमजन तैं बेदखल करे जाणऽ का विरोध मा छन। जबकि चुनाव मा जनता तैं राइट टू रिजेक्ट को अधिकार दिए जाणा का प्रति आमजन तैं जागरूक करे जालु। ये मौके पर जनतंत्र यात्राक् ... -
hindi.webdunia.com › सामयिक › विचार-मंथन Translate this page अगर इन सभी लोगों को जमीन से बेदखल कर दिया जाता है तो उद्योग कैसे इन लोगों को काम उपलब्ध करा सकता है? ... में कहा था, 'हम दुनिया के जंगलों के लोग हैं, हम जंगलों में रहते रहे हैं,जंगल के फलों और इसकी फसलों पर गुजारा करते रहे हैं, जूम लैंड पर खेती ... -
www.sangharshsamvad.org/2012/.../blog-post_8569.h... Translate this page May 24, 2012 - दलित समाज के लोगों की जमीन से बेदखली को रोका जाए एवं उनको पट्टे व कब्जे दिये जाए। ... इसके साथ ही राज्य में चल रहे जल, जंगल, जमीन बचाओ आन्दोलनों से सम्पर्क कर तैयारी के साथ जयपुर में किसानों का बड़ा पड़ाव आयोजित करने का भी ... -
visualdata.dw.de/specials/welterbe/index.php?... Translate this page चर्च गोल गुंबदों और ऊंची मीनारों से सजाया गया है और हिल्डेसहाइम के निवासी इसे हिमेल्सबुर्ग यानी जन्नत का किला कहते हैं. ... नाम के एक शूरवीर के घोड़े ने यहां के जंगलों में अपने मालिक का इंतजार किया और बेचैन होने पर अपना खुर जोर से जमीन पर मारा. ... 13वीं शताब्दी में बने जल तंत्र में 107 तालाब 310 किलोमीटर तक फैले पानी के गड्ढे और 31 किलोमीटर नहरें हैं. ... जब पोप ने मार्टिन लूथर को संप्रदाय से बेदखल कर दिया और तब के राजा ने इन्हें पनाह देने से इनकार कर दिया तो यह वार्टबुर्ग में ... -
sites.google.com/.../bharata-ke-mula-nivasiyom-ke-hit... Translate this page कुछ अखबारों में इसकी चर्चा इस रूप में हुई- 'एकलव्य से अंगूठा मांगना शर्मनाक', मानो मामला एकलव्य और द्रौण या .... सकते हैं कि अपने साथ 'प्रगतिशील' विशेषण जोड लेने वाला गठबंधन देश के मूलनिवासियों को उनके जल, जंगल और जमीन से खदेडने पर उतारू है. ... इस तरह यह फैसला अपनी ही जमीन से बेदखल कर दिए गए देश के मूलनिवासियों के वंशज आदिवासियों के पक्ष में तो है ही, साथ में ... -
www.mediaforrights.org/.../204-लोकतंत्र-का-ख... Translate this page विकास की विचारधारा में संसाधनों (जल, जंगल और जमीन) को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। ...अब केवल सरकार अपने हितों के नाम पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को फायदा पहुंचाने के लिए भी आदिवासियों-किसानों को जमीन से कानूनन बेदखल कर सकती है। -
blog.satpurahills.org/2012/12/blog-post.html Translate this page Dec 28, 2012 - बोरी अभयारण्य के गांव धांई के लोगों को बसाने के लिए पहले से बसे डोबझिरना के लोगों को जमीन से बेदखल कर दिया गया। जिस जंगल को बचाने के लिए आदिवासियों का विस्थापन किया गया उसी जंगल के हजारों पेड़ काट-काटकर नये गांवों को ... -
www.hindinest.com/nibandh/n48.htm Translate this page ग्रामीण विकास मंत्रालय की ही एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग दो करोड़ लोग जमीन से बेदखल किये जा चुके हैं और इनमें से मात्र 54 लाख लोगों को ही .... जमीन, जल और जंगल पर अपने अधिकारों की माँग कर रहे इन वंचितों के पास अपने दमन की अद्भुत दास्तान है। -
www.jagatvision.com/?q=node/52 Translate this page Aug 26, 2013 - चुनावों से काफी पहले कांग्रेस के पक्ष में संभावनाएं महज सुकमा जिले की झीरम घाटी में हुए नक्सली हमलों की परिणति ... और पुलिस आपरेशंस, नक्सली गतिविधियों के कारण जल,जंगल, जमीन से निरंतर विस्थापित होने को मजबूर भी यही आदिवासी है। .... जुडूम के नाम पर तो कभी कारखाना लगाने के नाम पर आदिवासियों को किस तरह खुद अपनी ही जमीन से बेदखल किया गया है, ... -
blogs.siliconindia.com/.../Please-Listen-to-the-Voice-o... Translate this page Mar 14, 2013 - भूमि सुधार तो लागू हुआ ही नहीं है, जल जंगल जमीन, आजीविका और नागरिकतासे अनंत बेदखली झेलते आदिवासी को हमने लोकतांत्रिक प्रक्रिया से अलग रखकर ही राजकाज चलाने की गौरवशाली परंपरा स्थापित कर ली है। विकास के हर कार्यक्रम ...
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www.unicef.org/india/1_Overview_(03-12-2012).pdf -
of society. In India, internal migration has been accorded very low priority by the government, and policies of the Indian state have largely failed in providing any ... [PDF] -
www.unicef.org/india/Migration_VOL2_v3.pdf National Workshop on Internal Migration and Human Development in India. Workshop... Internal Migrants and Social Protection in India: the Missing link.
16.01.2013 - UNESCO Office in New Delhi Internal Migrants in India: The Millions Who Cannot Exercise their Rights © UNESCO/M. Hainry On the occasion of International Migrants Day, UNESCO and UNICEF unveiled their three most recent publications on internal migration in India to the Media on 18 December 2012. Gathering reputed demographers, development practitioners, gender and child experts, the event provided an opportunity to call attention and advance knowledge on the crucial issue of internal migration in India. Internal migration in India accounts for a large population of 309 million, or nearly 30 percent of the total population as per Census of India 2001 . This figure is indeed staggering when compared with estimates of Indian emigrants, i.e. 11.4 million . Internal migrants, of which 70.7 percent are women, are excluded from the economic, cultural, social and political lives of society and are often treated as second-class citizens. The constraints faced by migrants are many - lack of formal residency rights; lack of identity proof; lack of political representation; low-paid, insecure or hazardous work; limited access to state-provided services such as health and education and discrimination based on ethnicity, religion, class or gender. Yet internal migration is given very low priority by the government in policy and practice, partly due to a serious knowledge gap on its extent, nature and magnitude. The difficulties faced by internal migrants are dismissed on the grounds that the Constitution of India does not restrict free mobility within the country. A growing misunderstanding of the migratory phenomenon is often at the root of misconceived policies or inaction regarding migration. Dr N.C. Saxena, Member, National Advisory Council and Commissioner to the Supreme Court on the Right To Food Campaign pointed out that "as compared to the rural poor for whom there exist a large number of programmes, for urban migrants, there are no policies". In the absence of proofs of identity and residence, internal migrants are unable to claim social protection entitlements and remain excluded from government sponsored schemes and programmes. Professor Ram Bhagat, Head of the Department of Migration and Urban Studies, International Institute for Population Sciences argued that "one of the strong barriers to migration is 'sons of the soil' politics which we see in cities like Mumbai and Hyderabad". Migrants are negatively portrayed as a "burden" to society, discouraged from settling down and excluded from urban planning initiatives. Women and children are among the most invisible and vulnerable among internal migrants. "Data and data analysts assume that the bulk of womens migration is associational migration and this hides a large part of the story", said Prof. Indu Agnihotri, Director, Centre for Women's Development Studies, New Delhi. Migrant children face disruption of regular schooling, adversely affecting their human capital formation and contributing to the inter-generational transmission of poverty. Ms. Nina Nayak, Member, National Commission for Protection of Child Rights (NCPCR) highlighted the fact that children left behind by migrant parents remain extremely vulnerable to sex trafficking. "Internal migrants positively contribute to society. There is an urgent need to build awareness on internal migration and adopt a human rights-based approach for migrant inclusion in society", said Mr. Shigeru Aoyagi, Director and UNESCO Representative to Bhutan, India, Maldives and Sri Lanka. Noting that an increase in internal migration in the future is inevitable, Mr. Rakesh Ranjan, Director (Housing and Urban Affairs), Planning Commission said that "we would need to prepare our cities", and that the Draft 12th Five Year Plan 2012-2017 document in particular recognizes, "Cities should be able to provide basic services to migrant workers, their families and other vulnerable sections of society including women and children." The UNESCO-UNICEF publications maintain that inclusion of internal migrants is necessary for a sustainable development based on cultural diversity, social cohesion and human rights. The publications resulted from the National Workshop on Internal Migration and Human Development in India and the Internal Migration in India Initiative (IMII) launched in 2011. The Internal Migration in India Initiative is now an informal network of 200 researchers, NGO's, policy makers, UN agencies and key partners, such as the International Organization for Migration (IOM), UN Women and UN-HABITAT, determined to raise the profile of internal migration in India and to propose policy changes and creative practices for a better inclusion of internal migrants in the economic, social, political and cultural life of the country. Download full publications: Contact: Ms. Marina Faetanini, Programme Specialist, Social and Human Sciences, UNESCO New Delhi
Internal Migration © UNESCO/Marina Faetanini Internal Migration in India Initiative (IMII) Migrants constitute a 'floating population', as they alternate between living at their source and destination locations. Being constantly on the move, migrants lose access to social security benefits linked to the residence. Migrants are excluded from the economic, cultural, social and political lives of society, and are often treated as second-class citizens. The constraints faced by migrants are many: lack of formal residency rights; lack of political representation; inadequate housing; low-paid, insecure or hazardous work; limited access to state-provided services such as health and education and discrimination based on ethnicity, religion, class or gender. Children accompanying migrating families face disruption of regular and continued schooling, adversely affecting their human capital formation and contributing to the inter-generational transmission of poverty. Yet, currently, government policies and programmes fail to recognise internal migrant populations as a priority group for ensuring rights and entitlements. While fragmented references to migrants exist in some legislation and policies, they inadequately address the nature and complexities of internal migration in India today. There is a pressing need to develop a coherent policy framework for migrants and to mainstream migrants into national development plans, for protecting and promoting migrants' access to social services, and enabling migrants to become socially and politically active citizens. Through the launching of the Internal Migration in India Initiative (IMII), UNESCO and UNICEF, with other partners and stakeholders, including UN Women and International Organization for Migration (IOM) wish to support the social inclusion of migrants in the economic, social, political and cultural life of the country using a three-legged approach, combining research, advocacy, and capacity building. UNESCO-UNICEF National Workshop on Internal Migration and Human Development On 6-7 December 2011, national and international experts, as well as representatives from civil society and UN organizations, had the opportunity to discuss, debate and share their findings during a National Workshop on 'Internal Migration and Human Development in India' organised by UNESCO and UNICEF, in order to advance knowledge on the crucial issue of internal migration. The event was supported by Sir Dorabji Tata Trust and Indian Council of Social Science Research. A network of close to 80 participants, including national and international experts on internal migration, government officials, civil society and UN organizations, participated in the UNESCO-UNICEF National Workshop on 'Internal Migration and Human Development in India', held on 6-7 December 2011. The workshop addressed research gaps on internal migration, and uncovered areas for further research. Eight research papers were commissioned to serve as the basis for the discussion of the workshop, examining the under-explored linkages between internal migration and human development; social protection; the rights and well-being of women and children; inclusive urbanization and migrants' rights to the city; and urban policies and rights-based creative practices. Agenda Concept note Migrants: of Delhi's Silent Majority brochure Workshop Compendium Vol. 1: Workshop Report Workshop Compendium Vol. 2: Workshop Papers Contact: Marina Faetanini Programme Specialist in Social and Human Sciences UNESCO Office in New Delhi Email: m.faetanini(at)unesco.org Phone: + (91) 11 267 13000
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