BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Tuesday, July 2, 2013

आपदा के कहर से देवली-ब्रह्मग्राम बन गया ‘विधवाओं का गांव’

आपदा के कहर से देवली-ब्रह्मग्राम बन गया 'विधवाओं का गांव'

Tuesday, 02 July 2013 09:16

पृथा चटर्जी, शीरवानी, पितोरा, देवली। उत्तराखंड में प्रलयंकारी सैलाब से आई तबाही के एक पखवाड़े बाद जहां कई गांव सड़क मार्ग से कट गए हैं, वहीं जहां तक कच्ची राह की पहुंच हैं, उन गांवों से दिल को दहलाने वाली खबरें आ रही है। यहां के कुछ गांव ऐसे हैं, जिनके घरों में दिया जलाने वाला तक नहीं बचा है।
गुप्तकाशी से सात किलोमीटर दूर बसे छह गांवों में तबाही ने गहरे निशान छोड़े हैं। देवली-ब्रह्मग्राम पंचायत के तहत आने वाले इन गांवों के सत्तावन लोग अभी तक लापता हैं। आपदा और अभागेपन के मारे इस इलाके को अब लोग 'विधवाओं का गांव' कहने लगे हैं।
इस इलाके के आदमी जीविका के लिए साल में छह माह केदारनाथ जाते रहतें हैं। यहीं के रोजगार से परिवार पलता है। ये लोग केदारनाथ में गौरीकुंड से यात्रियों को ले जाने के अलावा विभिन्न काम करते हैं। खच्चर पर सामान ढोने से लेकर असमर्थ तीर्थयात्रियों को ले जाने के काम से इन लोगों की अच्छी कमाई हो जाती थी। पर इनमें से बहुत लोग इस बार जाने के बाद केदारनाथ से नहीं लौट पाए। उनके परिजनों ने भी आस छोड़ दी है। मरने वालों में काफी कम उम्र के लड़के  भी हैं।
चार और डेढ़ साल के बच्चों की मां धमीता को तीसरा बच्चा होने वाला है। बाढ़ से हुए हादसे के बाद से उसके पति सुनील की कोई खबर नहीं मिली है। सुनील के मोबाइल पर संपर्क करने की बहुत कोशिश हुई पर कोई जवाब नहीं मिल पाया। अब वह नाउम्मीद हो चुकी है।
उसकी पड़ोसन 23 वर्षीय विनीता की कहानी भी दर्दनाक है। उसकी एक साल पहले ही शादी हुई थी। उसके अट्ठाइस वर्षीय पति महेश का अभी तक नहीं पता चला है। उसने पति के गम में खाना तक छोड़ दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि वह काफी कमजोर हो गई है। लेकिन रोती-बिलखती विनीता का कहना है कि मेरे पति को लेकर आओ, वही मेरे लिए खाना लेकर आएगा। उसकी सास बिच्चा देवी (45) के पास उसे दिलासा देने के  लिए भी समय नहीं है। उसका पति देवदास ( 50)भी 16 जून से लापता है।
ये बदनसीब और दुख में डूबी महिलाएं शीरवान और पितोरा गांव का हैं। देवली-ब्रह्मग्राम की इस हरिजन बस्ती में तीस गांव हैं। 13 लोग इस इलाके से लापता हैं। गुप्तकाशी से सात किलोमीटर चलने के बाद कच्चे रास्ते पर ये गांव स्थित हैं।चार धाम यात्रा के दौरान बड़े-बजुर्ग लोगों के साथ गांव के लड़के भी ऊपर जाते हैं और यात्रियों को खच्चरों पर ले जाने और सामान ढोने का काम सीखते हैं। जब वे बड़े हो जाते हैं तो पैसा कमाकर अपना खच्चर खरीद लेते हैं और इसी रोजगार को अपनाते हैं। इन गांवों से जो तेरह लोग लापता हैं, वे चौदह से अठारह साल के बीच के हैं। इनमें से सभी रुद्रप्रयाग जिला सरकारी स्कूल के छात्र हैं। गर्मियों की छुटिट्यों के दौरान कुछ पैसा कमाकर वे घरवालों की मदद कर रहे थे।

अमित (18) ने अभी दसवीं पास की थी। वह अपने पिता के साथ गया था जिनके पास दो खच्चर हैं। उसकी मां संपति देवी कहती हैं है कि वह पढ़-लिखकर व्यापारी बनना चाहता था। वह रोते हुए कहती है,  'मैं उसे कालेज भेजना चाहती थी। उसकी अंग्रेजी बहुत अच्छी थी। उसे केदारनाथ जाना कभी नहीं अच्छा लगता था, लेकिन उसे केदारनाथ नहीं भेजते तो हमारा गुजारा कैसे चलता। '
देवली और ब्रह्मग्राम के आसपास के गांव के पंडित लोग केदारनाथ में तीर्थयात्रियों से पूजा-पाठ कराते आए हैं। इनमें से कई लोग लापता हैं। दीपक तिवारी (30) की पत्नी  सावित्री को  सत्रह जून के बाद से उसकी कोई खबर नहीं मिली है। दीपक रामबाड़ा में होटल चलाता था। सावित्री का रो-रोकर बुरा हाल है। वह कहती है कि प्रशासन ने स्थानीय लोगों की उपेक्षा की। बताते हैं कई लोग दलदल में फंस गए थे। लेकिन किसी ने उनकी चीख-पुकार नहीं सुनी।
सावित्री के दो छोटी बेटिया हैं। वह कहती है कि अभी तक उनके बारे में कोई खबर नहीं मिली है। जब उनके जाने की कोई सूचना मिल जाएगी, मैं सिंदूर लगाना और चूड़िया पहनना बंद कर दंूगी। उनके लिए पूजा-पाठ भी करूंगी। पितोरा गांव से पांच लोग लापता हैं। 35 साल के हेमंत तिवारी की पत्नी का नाम भी  सावित्री है। पंद्रह जून के बाद से उसके पति का कोई पता नहीं है। 
गुप्तकाशी से दस किलोमीटर दूर कालीमठ में सड़क से पहुंचना मुमकिन नहीं है। यहां के लोगों का कहना है कि मरने वालों की तादाद काफी ज्यादा हो सकती है।
http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/1-2009-08-27-03-35-27/48124-2013-07-02-03-48-22

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