क्या अलग नगर निगम बनाने से सुलझ जाएंगी समस्याएं?
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
नागरिक सुविधाओं और सुरक्षा इंतजाम के अभाव में अंधाधुंध शहरीकरण से सबसे ज्यादा बहदहाल इलाकों विधान नगर,दक्षिण दमदम ,राजारहाट- गोपालपुर, निउटाउन कोलकाता विकास प्राधिकरण के साथ विधाननगर नगरपालिका से संलग्न इलाकों को मिलाकर नया नगरनिगम का गठन अगले साल इन नगरपालिकाओं के चुनाव से पहले हो जायेगा।
बंगाल में छह नगर निगम हैं इसवक्त। कोलकाता, हावड़ा, आसनसोल.चंदननगर,दुर्गापुर औक सिलीगुड़ी।इन नगरनिगमों के नागरिकों की समस्याओं का समाधान होने की कोई खबर नहीं है। सबसे बदहाल हैं हावड़ा,कोलकाता और आसनसोल नगर निगम। जिनकी समस्याओं का कोई अंत नहीं है।दुर्गापुर और सिलीगुड़ी में हालत तोड़ी बेहतर बतायी जाती है जबकि चंदन नगर के नगर निगम बनने से हालात बदलने की कोई खबर नहीं है।
बुनियादी ढांचा के विस्तार के बिना शहरीकरण नारकीय यंत्रमा को न्यौता देने के बराबर है। नये नगरनिगम में शामिल होने वाले लेकटाउन,साल्टलेक,राजारहाट की पोश कालोनियायों की कथा व्यथा बाकी इलाकों से अलहदा नहीं है।उनकी नागरिक समस्याओं का समाधान कब होगा कोई बता नहीं सकता।लेकिन शहरी विकास व पौर मंत्री फिरहाद हकीम के मुताबिक अगले महीने में ही विधानसभा में इस फैसलों को अमली जामा पहनाने के लिए विधेयक पास कर दिया जायेगा।
गौरतलब है कि विधाननगर पुलिस कमिश्नरेट बनने के बावजूद साधनहीनता और जरुरी ढांचे के अभीव में कानून और व्यवस्था में इस इलाके में अभीतक कोई फर्क नहीं पड़ा है।
वाम जमाने से इन इलाकों को समेटकर नगर निगम बनाने का प्रस्ताव विचाराधीन रहा है। दलील यह है कि इन इलाकों की जीवन शैली महानगरीय है और उनकी समस्याएं भी महानगरीय।इसलिए पालिकाओं की बस में उन्हें सुलझाना असंभव है।
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