BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Saturday, July 6, 2013

थोड़े-से लोग प्रकृति और विज्ञान के स्वामी बनकर उसके साथ मनमानी करने लगते हैं, तब संकट शुरू होते हैं, जैसे जलवायु परिवर्तन का वह भूमंडलीय संकट, जिसकी वजह से आज हमारे यहां बर्फीली आंधी चल रही है... ” ।

Status Update
By Deven Mewari
आप भी जानते हैं, किसी भी कहानी को कभी भी पढ़ा जा सकता है। लेकिन, किसी-किसी कहानी के लिए कभी-कभी ऐसा मौज़ूं माहौल बन जाता है कि उस कहानी का एक-एक शब्द हमें अपनी ओर आकर्षित करने लगता है। इन दिनों मौसम की खूब भविष्यवाणियां की जा रही है और कुछ ऐसा समय चल रहा है कि हम सब का ध्यान उन भविष्यवाणियों पर केंद्रित हो रहा है। कभी वे सही हो जाती हैं कभी गलत। ऐसे माहौल में डा. रमेश उपाध्याय की विज्ञान कथा 'मौसम की भविष्यवाणी' पढ़ने का एक अलग आनंद है। वह हमारे तात्कालिक और आसन्न समय को गहराई से छू लेती है। कहानी में किसी देश की मौसम-विज्ञान प्रयोगशाला में काम करने वाला वह आदमी पत्रकारों के प्रश्नों के उत्तर देने से पहले यह वक्तव्य देता है....

" इतिहास बताता है कि मनुष्य हर देश और हर काल में प्राकृतिक शक्तियों को वैज्ञानिक युक्तियों से अपने वश में करता आया है। लेकिन इस मानवीय प्रयास के पीछे एक अलिखित सिद्धांत काम करता है। वह यह कि जिस प्रकार प्रकृति सबके लिए है, उसी प्रकार विज्ञान भी सबके लिए है। उदाहरण के लिए ठंड एक प्राकृतिक शक्ति है और मनुष्य को ठंड से बचाने वाले गर्म कपड़े एक वैज्ञानिक युक्ति है। ठंड सबको सताती है और गर्म कपड़े सबको ठंड से बचाते हैं। लेकिन सामाजिक अन्याय के चलते गर्म कपड़े सबके पास नहीं होते। जिनके पास होते हैं, वे ठंड से बच जाते हैं, जिनके पास नहीं होते, वे ठंड से मर जाते हैं। लेकिन मौसम की भविष्यवाणी गलत हो जाए और खुशगवार मौसम अचानक बेहद ठंडा हो जाए, तो गर्म कपड़े पहन सकने वाले भी ठंड से मर सकते हैं। जैसे हमारी प्रयोगशाला का सर्वोच्च अधिकारी मर गया। अतः मौसम की मार से बचने के लिए, और सामाजिक अन्याय को दूर करने के लिए भी, यह अलिखित सिद्धांत याद रखना जरूरी है कि प्रकृति सबके लिए है, विज्ञान सबके लिए है। जब इस सिद्धांत की अनदेखी करते हुए थोड़े-से लोग प्रकृति और विज्ञान के स्वामी बनकर उसके साथ मनमानी करने लगते हैं, तब संकट शुरू होते हैं, जैसे जलवायु परिवर्तन का वह भूमंडलीय संकट, जिसकी वजह से आज हमारे यहां बर्फीली आंधी चल रही है... " ।

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