BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Monday, May 20, 2013

सेबी के किसी सर्टिफिकेट की जरुरत ही नहीं,सेबी को रोजवैली की बाकायदा चुनौती

सेबी के किसी सर्टिफिकेट की जरुरत ही नहीं,सेबी को रोजवैली की बाकायदा चुनौती  


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


कल बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के विज्ञापन जारी होने के बाद एमपीएस की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है लेकिन रोजवैली ने अखबारों में विज्ञापन जारी करके सेबी की चेतावनी का पुरजोर विरोध किया है और सेबी को बाकायदा चुनौती देते हुए दावा किया  है कि उसके कारोबार के लिए सेबी के किसी सर्टिफिकेट की जरुरत ही नहीं है।


दरअसल बंगाल में अभी रोजवैली के कामकाज में कोई व्यवधान नहीं पड़ा है और दूसरे राज्यों में उसके खिलाफ गिरफ्तारियों और जब्ती अभियान के बावजूद रोजवैली प्रबंधन को बंगाल में कारोबार जारी रखने में कोई दिक्कत भी नहीं हो रही है। पूर्व प्रकाशित विज्ञापनों में रोजवैली ने बीस लाख फील्डवर्करों के नेटवर्क का दावा किया था , जो अटूट है।


रोजवैली के इस विज्ञापन  के बाद सेबी के बाजार नियमन पर ही सवाल उठ खड़ा हुआ है।रोजवैली का कहना है कि उसने सेबी की ओर से जनवरी , २०११ को जारी नोटिस के खिलाफ कोलकाता हाईकोर्ट में अपील की है और उसकी ​​रिट याचिका २०११ का ७५७ विचाराधीन है। रोजवैली की दलील है कि हाईकोर्ट में विचाराधीन मामले में सेबी एकतरफा कार्रवाई नहीं कर सकती।


बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बाकायदा अखबारों में विज्ञापन जारी करके आम निवेशकों को चेतावनी  दी है कि ये रोजवैली और एमपीएस कंपनिया उन्हें कैसे धोखे में रखते हुए गैरकानूनी तरीके से पोंजी स्कीम के तहत उनका पैसा हड़प रही है। सेबी ने इस विज्ञापन में स्पष्ट कर दिया है कि इन कंपनियों को सेबी की ओर से अपनी योजनाओं के लिए पैसा जमा करने की कोई इजाजत नहीं दी गयी है।


सेबी ने स्पष्ट किया है कि उसने 1999 के कलेक्टिव इंवेस्टमेंट रेगुलेशनक स्कीम रेगुलेशन्स 65 और 1992 के सेबी अधिनियम की धारा 11 बी के तहत रोजवैली रियल एस्टेट एंड कंस्ट्रक्शन लिमिटेड को 3 जनवरी 2011 को निर्देश दिया था कि वह किसी परियोजना के लिए या किसी स्कीम के तहत पैसा कतई जमा न करें। इसके साथ अपनी संपत्ति की बिक्री और डेलिनियेट करने पर भी रोजवैली को सेबी ने मनाही कर दी थी। इसके अलावा आम निवेशकों से पैसा जमा करने, इसे बैंको में जमा करने से या उन पैसों का अन्यत्र निवेश करने से भी सेबी ने मना किया हुआ है। इसी तरह सेबी ने स्पष्ट किया है कि उसने 6 दिसंबर, 2012 को एमपीएस ग्रिनारी डेवलपार्स लिमिटेड को अपनी कल्क्टिव स्कीम तुरंत प्रभाव से बंद करने का निर्देश जारी किया हुआ है।


त्रिपुरा सरकार ने पूर्वोत्तर भारत की  सबसे बड़ी चिट फंड कंपनी, रोज वैली के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। इस समूह के दो कार्यकारियों को गिरफ्तार किया गया है और दस्तावेज जब्त किए गए हैं। रोज वैली के अधिकारियों की गिरफ्तारी और इसके कार्यालय को सील किए जाने के बाद किसी भी अप्रिय स्थिति को टालने के लिए राजधानी में बड़े पैमाने पर सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। देश के बाजार नियामक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कोलकाता की रोज वैली और कुछ अन्य गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को लोगों से जमा स्वीकार करने पर रोक लगा दी थी। रोज वैली वर्ष 1999 में एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में स्थापित हुई थी, जो कंपनी अधिनियम 1956 के तहत पंजीकृत है। यह कंपनी देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर हिस्से में सक्रिय है। यह कंपनी अस्पताल, फिल्म, होटल, मनोरंजन पार्को, रीयल एस्टेट और निर्माण, औद्योगिक उपक्रमों में सक्रियता के अलावा जमा स्वीकार करती है। पूरे त्रिपुरा में पिछले दो सप्ताह से गैर बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ पुलिस एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा छापे की कार्रवाई की जा रही है। इस दौरान कई दस्तावेज और संपत्तियां जब्त की गई हैं। रोज वैली के दो अधिकारियों की गिरफ्तारी के साथ त्रिपुरा में 27 अप्रैल से अब तक पांच चिट फंड कंपनियों के नौ महत्वपूर्ण अधिकारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। गिरफ्तार अधिकारियों में एक महिला भी शामिल है। रोज वैली के बिहार, झारखंड और ओडिशा में कार्यालयों के बंद होने और छापे की कार्रवाई से त्रिपुरा में एजेंटों में भय व्याप्त हो गया है।


शारदा रियल्टी तो महज एक नाम है, ऐसी 700-800 कंपनियां निवेशकों से छोटी-छोटी रकम ले रही हैं। जिन कंपनियों को सभी जानते हैं, उनकी जांच हो रही है। लेकिन अब तो कई कंपनियां इस कारोबार में उतर आई हैं। इनमें से ज्यादातर कंपनियां अनाम रियल्टी परियोजनाओं या होटल में कमरे बुक कराने के नाम पर रकम लेती हैं। वे सावधि जमा, मासिक ब्याज योजना या आवर्ती जमा योजना में पैसा लगाने को कहती हैं। वे ब्याज दर नहीं बतातीं, लेकिन पांच साल में ही रकम दोगुनी करने का वायदा करती हैं।


मिसाल के तौर पर रोज वैली हॉलिडे मेंबरशिप डिपॉजिट प्लान का दावा है कि पांच साल और दस महीने में रकम दोगुनी हो जाएगी। अगर आप 11 साल और तीन महीने के लिए रकम लगाते हैं तो 5 गुना रकम वापस मिलेगी। आपको मिला प्रमाणपत्र बताएगा कि रोज वैली के एक होटल में कमरा बुक करने के लिए आपसे पैसा लिया गया है, जो परिपक्वता अवधि पूरी होने पर बुकिंग रद्द कराने के नाम पर वापस कर दिया जाएगा।


प्रयाग इन्फोटेक हाई-राइज लिमिटेड आपकी रकम पांच साल आठ महीने में दोगुनी, आठ साल तीन महीने में 3 गुनी और 11 साल में पांच गुनी कर रही है। अल्केमिस्ट इन्फ्रा रियल्टी निवेशकों को भूखंड बेचती है। इसके मानद चेयरमैन तृणमूल कांग्रेस के सांसद के डी सिंह हैं।


No comments:

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...