BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Thursday, May 23, 2013

गजब फुलावै गाल भाजपा का तृणमूल से अजब तालमेल!

गजब फुलावै गाल भाजपा का तृणमूल से अजब तालमेल!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


हावड़ा संसदीय उपचुनाव के संदर्भ में बांगल भाजपा का तृणमूल कांग्रेस से अजीबोगरीब तालमेल का नजारा सामने आ रहा है।तृणमूल राज के​​ खिलाप पूर्व अध्यक्ष तथागत राय हो या फिर मौजूदा अध्यक्ष राहुल सिन्हा सार्वजनिक तौर पर आग उगलते रहेते हैं। लेकिन संघ परिवार और भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से आगामी लोकसभा चुनावों  में संभावित त्रिशंकु जनादेश के मद्देनजर तृणमूल सुप्रीमो को फिर राजग गठबंधन में शामिल करने की भरसक कोशिश हो रही है। इससे अजीब धर्मसंकट में हैं बंगाल भाजपा के नेता। गांधी परिवार के वंशज और बंगाल के दामाद वरुण गांदी को बंगाल भाजपा का प्रभारी खास रणनीति के तहत बनाया गया है जैसे कि नरेंद्र मोदी के खासमखास अमित साह को उत्तरप्रदेश का। फौरी राजनीति के बजाय संघपरिवार और भाजपा की दीर्घकालीन रणनीति पर जोर है।बंगाैल में भाजपा को वैसे कोई लोकसभा सीट जीतने की उम्मीद है नहीं, विधानसभा में भी उसका प्रतिनिधित्व नहीं है लेकिन कुछ जिलों में भाजपा का स्थानीय जनाधार बहुत मजबूत है, जिससे स्थानीय निकायों के चुनावों में उसे फायदा है। पर देश की सर्वोच्च सत्ता के लिए जहां दांव लगा हो, वहां स्थानीय राजनीतिक हित को तिलांजलि देना ही बेहतर मानता है भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व। इसके उलट बंगाल का प्रादेशिक नेतृत्व लगातार सत्तादल के खिलाफ हमलावर तेवर अख्तियार किये हुए हैं।​

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​इस पशोपश में अजीबोगरीब हालत हो रही है बंगाल भाजपा की। हावड़ा संसदीय उपचुनाव में भाजपा ने कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया हैष बैरकपुर में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा  ने भाजपाइयों को संदेश दिया है कि वे हावड़ा उपचुनाव में कांग्रेस और माकपा दोनों को पराजित करने के लिए काम करें।दोनों को पराजित  करना भाजपा का लक्ष्य है। अब यह समझ से परे है कि जब मैदान में भाजपा उम्मीदवार नहीं हैं तो भाजपा समर्थक किसको वोट दें!


इशारा साफ है लेकिन भाजपा की ओर से खुलकर तृणमूल कांग्रेस को समर्थन देने की अपील नहीं की जा रही है।इसके उलट कल ही कोलकाता में इन्हीं राहुल सिन्हा ने बाकायदा चार्जशीट पेश करते हुए बंगाल सरकार को हर मोर्चे पर फेल बताया।इससे पहले भाजपा ने शारदा घोटाले के सिलसिले में कहा कि जब असम, बिहार और त्रिपुरा ने चिटफंड घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की है तो पश्चिम बंगाल इसके प्रति अनिच्छुक क्यों दिखता है और सवाल किया कि क्या वह कुछ 'छुपाना' चाहता है।

पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने राज्यपाल एम के नारायणन को सौंपे एक ज्ञापन में कहा है कि घोटाले से प्रभावित असम, बिहार और त्रिपुरा की सरकारों ने सीबीआई जांच के लिए कहा है। उन्होंने ज्ञापन में पूछा, ''ऐसा क्यों है कि विपक्ष में रहते हुएअक्सर सीबीआई जांच की मांग करने वाली मुख्यमंत्री की अब इसमें रच्च्चि नहीं हैं? क्या ऐसा इसलिए है कि वह कुछ सच्चाई छुपाना चाहती हैं?''


पश्चिम बंगाल प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष राहुल सिन्हा को दूसरे कार्यकाल के लिए दोबारा चुना लिया गया। सिन्हा अगले तीन साल अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे। भाजपा राज्य सांगठनिक चुनाव के नतीजे की घोषणा करते हुए पार्टी सूत्रों ने यहां कहा कि पहले दूसरे कार्यकाल के लिए किसी का चयन नहीं हो सकता था लेकिन पार्टी के संविधान में किए गए एक संशोधन के बाद इसे मंजूरी दे दी गयी।इस संशोधन को 28 सितंबर को फरीदाबाद में पार्टी के राष्ट्रीय परिषद ने मंजूरी दी थी। दोबारा अध्यक्ष चुने जाने के बाद सिन्हा ने कांग्रेस पर महंगाई बढ़ाने वाली नीतियों के निर्माण का आरोप लगाया।


बंगाल सरकार जिस तरह अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण कर रही है और  जिसतरह बंगाल में कट्टरपंथियों की गोलबंदी हो रही है और बांग्लादेश में हालात दिनोंदिन बिगड़ रहे हैं, हिंदू हितों की राजनीति करने वाली भाजपा के लिए तृणमूल कांग्रेस का खुलकर समर्थन करना असंभव है चाहे राष्ट्रीय राजनीति की मजबूरी कुछ भी हो!


इसीतरह दीदी की भी मजबूरी सत्ता में बने रहने के लिए मजबूत एकमुश्त मुस्लिम वोटबैंक को साधे रखने की है और वे इसकी कीमत पर संघ परिवार से कोई सौदा करने की हालत नहीं है।


बहरहाल मैच जारी है और फिक्सिंग हो चुकी है।कांग्रेस जहां जदयू की तरफ दाना फेंक रही है, वहीं भाजपा भी नए दोस्तों की तलाश में निकली है। भाजपा ने दोस्ती का हाथ ममता बनर्जी की तरफ बढ़ाया है। आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी के सिलसिले में कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही बड़े दल नए-नए दोस्तों की तलाश में हैं। काफी दिनों से कांग्रेस की नजर जदयू पर टिकी है। हालांकि जदयू ने कांग्रेस के साथ जाने का कोई संकेत नहीं दिया है, लेकिन संभव है कि वह भाजपा से अलग हो जाएगा।  इस बात की तसदीक जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दी है। उन्होंने अनेक बार नरेंद्र मोदी पर निशाना साध कर भाजपा को चिढ़ाया था, तब भाजपा और जदयू के बीच तनातनी काफी बढ़ गई थी। लेकिन मामला बाहर से ठंडा तो हो गया है, लेकिन अंदर ही अंदर दोनों दलों के बीच खटास बढ़ती जा रही है। सूत्रों की मानें तो भाजपा बिहार में इस बात को लेकर भी तैयारी कर रही है कि अकेले चुनाव लडऩा पड़े तो तैयार रहे। दूसरी तरफ जदयू भी अपनी ताकत बढ़ा रहा है। भाजपा भी नए दोस्तों की तलाश में निकली है। भाजपा ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता से संपर्क साधा है। भाजपा ने अब ममता बनर्जी की तरफ भी दोस्ती करने का संदेश भेजा है।


पश्चिम बंगाल में हावड़ा लोकसभा क्षेत्र के लिए उपचुनाव होना है। इस सीट के सांसद अम्बिका बनर्जी का बजट सत्र के दौरान निधन हो गया था। खाली सीट भरने के लिए उपचुनाव हो रहा है। भाजपा ने अपने नेता असीम घोष को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी की लेकिन फिर इस तैयारी को विराम दे दिया। पार्टी अब अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी। भाजपा ने ममता बनजी की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। भाजपा का पश्चिम बंगाल में कोई खास असर नहीं है, लेकिन दोस्ती करने का संदेश देने की कोशिश की है।


हालांकि केंद्रीय नेताओं के फैसले पर प्रदेश अध्यक्ष चिढ़े हुए हैं। लेकिन दिल्ली से कहा गया कि भविष्य उज्जवल बनाने के लिए समझौता भी करना पड़ता है। कांग्रेस जहां जदयू की तरफ दाना फेंक रही है, वहीं भाजपा भी नए दोस्तों की तलाश में निकली है।


गौरतलब है कि राहुल सिन्हा हावड़ा संसदीय उपचुनाव लड़ने की पूरी तैयारी में थे और उन्होंने तब आरोप लगाया था कि दो साल से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कार्यकाल और उनके काम पर एक नजर दौड़ाये, तो पायेंगे कि दीदी बात अधिक और काम कम करती है। उन्होंने कोरा बयानबाजी ही किया है।वह विरोधियों पर निशाना कसने के साथ थोड़ा समय विकास कार्यो पर देती, तो बंगाल का ये हाल नहीं होता!


ऐसा तो अब भी कहना है भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा का। मांमाटी मानुष की सरकार केखिलाफ अपने चार्जशीट में उन्होंने ऐसा ही कहा है।


तब अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने कहा था कि दो जून को हावड़ा में होने वाले लोकसभा उपचुनाव के लिए हम अपना उम्मीदवार असीम घोष को खड़ा करेंगे। वें पेशे से शिक्षक है। शारदा चिटफंड कांड के संबंध में उन्होंने कहा था कि सारधा के मनी मार्केट के खिलाफ सीबीआई जांच होनी चाहिए! लेकिन सरकार को सारधा को बंद करने के साथ सोचना चाहिए कि इस कंपनी से जुड़े लाखों युवकों के भविष्य का क्या होगा? राज्य में बेरोजगारी बढ़ी है! अप्रैल माह से लाखों युवकों रोजगार के लिए खाक छान रहे है!इनके भविष्य के विषय में सरकार को सोचना होगा! पंचायत चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि हम अति शीघ्र पंचायत चुनाव चाहते है! हमने उच्च न्यायालय में मामला भी दर्ज किया है। पहाड़ के विषय में उनका कहना था कि पहाड़ में मुख्यमंत्री जातिवादी कार्ड फेंककर माहौल को गरम कर रही है।लेप्चा जाति उन्नयन परिषद का गठन करके, उन्होंने पहाड़ को फिर हलचल मचायी है। हम वहां शांति और विकास चाहते हैं। सांसद जसवंत सिंह पहाड़ को लेकर चिंतित हैं। उनकी लगातार बात होती है।


इतना सबकुछ कह चुकने के बाद हावड़ा उपचुनाव में भाजपा तृणमूल कांग्रेस को जिताने में लगी है। हाथी के दांत दिखाने के और खाने के लिए अलग अलग होते हैं। बेशक!


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